प्रयागराज शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 29 जुलाई से शुरू
  संपर्क करें
ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 03 Jan, 2024
  • 24 min read
प्रारंभिक परीक्षा

भारत में लीची की खेती का विस्तार

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

परंपरागत रूप से बिहार के मुज़फ्फरपुर ज़िले तक सीमित रहने वाली लीची की कृषि में 19 भारतीय राज्यों में महत्त्वपूर्ण विस्तार देखा गया है, जो भारत में बागवानी को बढ़ावा देता है।

  • यह विकास बिहार के मुज़फ्फरपुर स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र (National Research Centre on Litchi- NRCL) के प्रयासों से हुआ है।

लीची के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • वनस्पति वर्गीकरण: लीची सैपिन्डेसी परिवार (Sapindaceae family) से संबंधित है और अपने स्वादिष्ट, रसीले, पारदर्शी एरिल (translucent aril) या खाने योग्य गूदे के लिये जानी जाती है।
  • जलवायु: लीची मुख्यतः उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में उत्पादित होती है और नम स्थितियाँ इसकी खेती के लिये अनुकूल होती हैं। इसकी फसल के लिये कम ऊँचाई वाले क्षेत्रों में, लगभग 800 मीटर की ऊँचाई तक, आदर्श जलवायु होती है।
  • मृदा: लीची की खेती के लिये आदर्श मिट्टी कार्बनिक पदार्थों से भरपूर गहरी, अच्छे जल निकासी वाली दोमट मिट्टी होती है।
  • तापमान: लीची अत्यधिक तापमान के प्रति संवेदनशील है। यह गर्मियों में 40.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान या सर्दियों में ठंडे तापमान को सहन नहीं कर सकती है।
  • वर्षा का प्रभाव: लंबे समय तक वर्षा, विशेषकर फूल आने के दौरान, इसके परागण में बाधा उत्पन्न कर सकती है तथा फसल पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
  • भौगोलिक कृषि: भारत में वाणिज्यिक कृषि परंपरागत रूप से उत्तर में त्रिपुरा से लेकर जम्मू-कश्मीर तक हिमालय की तलहटी पहाड़ियों तथा उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के मैदानी इलाकों तक ही सीमित थी।
    • भारत के लीची उत्पादन का लगभग 40% मात्र बिहार में होता है। बिहार के बाद पश्चिम बंगाल (12%) तथा झारखंड (10%) का स्थान है।
  • वैश्विक उत्पादन: चीन के बाद भारत विश्व स्तर पर लीची का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। अन्य प्रमुख लीची उत्पादक देशों में थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण-अफ्रीका, मेडागास्कर तथा संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।

उद्यान कृषि क्या है?

  • परिचय:
    • उद्यान कृषि (हॉर्टीकल्चर) से तात्पर्य फलों, सब्ज़ियों, फूलों, सजावटी पौधों तथा अन्य फसलों की कृषि के विज्ञान, कला एवं अभ्यास से है।
    • इसमें मानव उपयोग तथा उपभोग के लिये पौधों की खेती, प्रबंधन, प्रसार एवं सुधार से संबंधित गतिविधियों की एक विस्तृत शृंखला शामिल है।
  • उद्यान कृषि के लिये पहल:
    • एकीकृत उद्यान कृषि विकास मिशन:
      • एकीकृत उद्यान कृषि विकास मिशन (Mission for Integrated Development of Horticulture- MIDH) फलों, सब्ज़ियों और अन्य क्षेत्रों को कवर करने वाले उद्यान कृषि क्षेत्र के समग्र विकास के लिये एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
      • MIDH के तहत, भारत सरकार सभी राज्यों में विकासात्मक कार्यक्रमों के लिये कुल परिव्यय का 60% योगदान देती है (उत्तर पूर्वी और हिमालयी राज्यों को छोड़कर जहाँ केंद्र सरकार 90% योगदान देती है) तथा 40% योगदान राज्य सरकारों द्वारा दिया जाता है।
    • उद्यान कृषि क्लस्टर विकास कार्यक्रम:
      • यह एक केंद्रीय क्षेत्र का कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य चिह्नित उद्यान कृषि समूहों को विकसित करना और उन्हें विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाना है।
      • ‘उद्यान कृषि क्लस्टर’ लक्षित उद्यान कृषि फसलों का एक क्षेत्रीय/भौगोलिक संकेंद्रण है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न: बागवानी फार्मों के उत्पादन, उसकी उत्पादकता एवं आय में वृद्धि करने में राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एन.एच.एम.) की भूमिका का आकलन कीजिये। यह किसानों की आय बढ़ाने में कहाँ तक सफल हुआ है? (2018)


प्रारंभिक परीक्षा

एक MICE गंतव्य के रूप में भारत

स्रोत: पी.आई.बी.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce & Industry- MoCI) भारत को वैश्विक माइस (MICE) {बैठकें(Meetings), प्रोत्साहन (Incentives), सम्मेलन (Conferences) और प्रदर्शनियाँ (Exhibitions)} गंतव्य के रूप में बढ़ावा दे रहा है।

  • इसका उद्देश्य भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) क्षेत्रों के पारंपरिक हस्तशिल्प, कारीगरों की पेशकश, बुनकरों एवं विनिर्माण कौशल को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करना है।
  • मंत्रालय ने आने वाले महीनों में आत्मनिर्भर भारत उत्सव, इंडस फूड, भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो 2024 और भारत टेक्स (Bharat Tex) जैसे कार्यक्रमों के लिये भारत के महत्त्वाकांक्षी मेगा इवेंट लाइन-अप का भी अनावरण किया।

MICE (Meetings, Incentives, Conferences and Exhibitions) क्या है?

  • परिचय:
    • MICE एक शब्द है जिसका उपयोग पर्यटन और इवेंट उद्योग में व्यवसाय एवं कॉर्पोरेट पर्यटन से संबंधित एक खंड को वर्गीकृत तथा उसका प्रतिनिधित्व करने के लिये किया जाता है।
      • MICE पर्यटन में कंपनियों एवं समूहों के लिये कार्यक्रमों, बैठकों, सम्मेलनों, प्रदर्शनियों और प्रोत्साहनों का आयोजन तथा मेज़बानी (meetings, conferences, exhibitions, and incentives) करना शामिल है।
      • इन गतिविधियों का उद्देश्य नेटवर्किंग, ज्ञान विनिमय, व्यावसायिक सहयोग तथा पेशेवर अथवा व्यावसायिक संदर्भ में उत्पादों एवं सेवाओं के प्रदर्शन को सुविधाजनक बनाना है।
    • इसका मुख्य उद्देश्य व्यवसाय, उद्योग, सरकार तथा शैक्षणिक समुदाय के लिये एक नेटवर्किंग मंच साझा करना एवं सार्थक वार्ता में शामिल होना है।
  • भारत में दायरा:
    • भारत की कोर MICE आधारभूत अवसंरचना सुविधाएँ अधिकांश विकसित देशों के सामान हैं।
    • भारत ने विश्व बैंक की कारोबारी सुगमता तथा WEF के वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज़्म कॉम्पिटिटिवनेस रैंक (वर्ष 2021 में 54वाँ स्थान) में अपने स्थान में निरंतर सुधार किया है।
    • भारत की निरंतर बढ़ती आर्थिक क्षमता।
    • भारत ने सूचना प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में तेज़ी से प्रगति की है।
  • वैश्विक परिदृश्य तथा भारत:
    • इंटरनेशनल कॉन्ग्रेस एंड कन्वेंशन एसोसिएशन (ICCA) अपने द्वारा ट्रैक की गई अंतर्राष्ट्रीय एसोसिएशन की बैठकों के आधार पर देशों और शहरों की रैंकिंग जारी करता है।
      • ICCA की देश और शहर रैंकिंग, 2019 के अनुसार कुल 13,254 बैठकों में से 934 बैठकों के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका नंबर 1 देश रहा, उसके बाद जर्मनी, फ्राँस रहे। 
    • भारत:
      • भारत के भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से लाभकारी  होने एवं तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के बावजूद अनुमानित वैश्विक MICE कारोबार में भारतीय MICE की हिस्सेदारी 1% से भी कम है। 
      • देशों की ICCA रैंकिंग, 2019 में 158 बैठकों के साथ भारत 28वें स्थान पर रहा।
  • प्रमुख रणनीति:
    • MICE उद्योग को बढ़ावा देने के लिये "मीट इन इंडिया (Meet in India)" ब्रांड।
    • MICE उद्योग के वित्तपोषण के लिये इसे बुनियादी ढाँचे का दर्जा प्रदान करना। 
    • MICE उद्योग के लिये कौशल विकास।

प्रारंभिक परीक्षा

समुद्री पक्षी

स्रोत:डाउन टू अर्थ 

कर्नाटक के तट के आसपास, पक्षी प्रेमियों द्वारा 2023 में दुर्लभ "समुद्री  (pelagic)" पक्षियों को देखा गया।

  • समुद्री पक्षियों के अलावा, कर्नाटक ने भूमि आधारित प्रजातियों पर ध्यान आकर्षित किया है, न्यू मैंगलोर पोर्ट (New Mangalore Port- NMP) एक हरित पत्तन में बदल रहा है, जिससे पक्षियों की विविधता को बढ़ावा मिल रहा है।

पेलैगिक पक्षियों के बारे में महत्त्वपूर्ण तथ्य क्या हैं?

  • परिचय: 
    • पेलैगिक पक्षी वे पक्षी हैं जो अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा खुले समुद्र में व्यतीत करते हैं। 
      • वे हज़ारों मील की दूरी पर पाए जा सकते हैं लेकिन तेज़ हवाओं और तूफानों के दौरान ज़मीन पर उड़ सकते हैं। जब वे अंतर्देशीय आते हैं तो उनका एकमात्र समय प्रजनन करना होता है।
  • विशेषताएँ:
    • ये पक्षी आकार और प्रकार में एक-दूसरे से काफी भिन्न होते हैं, लेकिन ये सभी खुले पानी वाले क्षेत्र में रहते हैं, भोजन के लिये गोता (dive) लगाते हैं एवं उत्कृष्ट तैराक होते हैं।
    • पेलैगिक पक्षियों के पंख उल्लेखनीय रूप से लंबे, पतले होते हैं, जिससे वे बिना आराम किये लंबी उड़ान भर सकते हैं।
      • कुछ पक्षी उड़ान के दौरान सोते हुए भी कई दिनों या हफ्तों तक हवा में रह सकते हैं।
    • इन पक्षियों में अद्वितीय नमक ग्रंथि होती है, जो समुद्री जल से नमक निकालती है, और इसे विषाक्त स्तर तक जमा होने से रोकती है।
    • वे सतह से दूर तक मछलियों का पीछा करते हैं और प्लवक के क्रस्टेशियंस खाते हैं, जो झींगा एवं केकड़ों से संबंधित हैं।
  • उदाहरण: 
    • प्रमुख पेलैगिक पक्षियों में से एक लेसन अल्बट्रॉस (Laysan Albatross) हैं, जो विशेष रूप से हवाई द्वीपों पर प्रजनन करते हैं लेकिन भोजन के लिये पोषक तत्त्वों से समृद्ध प्रशांत महासागर के क्षेत्र में विचरण करते हैं।
      • पेलैगिक पक्षियों में सूटी शीयरवाटर (Sooty Shearwater), ब्राउन स्कुआ (Brown Skua), ब्राउन बूबी (Brown Booby), स्ट्रीक्ड शीयरवाटर (Streaked Shearwater) और मास्क्ड बूबी, पोमेरिन स्कुआ, आर्कटिक स्कुआ, लॉन्ग टेल्ड स्कुआ, स्विनहोज़ स्टॉर्म-पेट्रेल, विल्सन स्टॉर्म-पेट्रेल और अन्य समुद्री वांडरर पेलैगिक भी शामिल हैं।
  • संकट: 
    • मानवीय गतिविधियाँ पक्षियों के लिये संकट उत्पन्न करती हैं, जिनमें महासागरों के दूरस्थ व उन्मुक्त वातावरण में रहने वाले पक्षी भी शामिल हैं।
    • विश्व स्तर पर समुद्री पक्षियों को बड़े संकट का सामना करना पड़ता है, जिसमें स्थलीय निवास और समुद्री कारकों दोनों से उत्पन्न होने वाले घटक शामिल हैं।
    • पेलैगिक पक्षियों के जैव-घनत्व में कमी का कारण मछलियों की जीवसंख्या में गिरावट है, जो संभवतः समुद्री वर्षा जैसे कारक जो मछलियों को गहन जल में प्रवासन हेतु मजबूर करती है, से प्रभावित हुई है।
    • समुद्री पक्षियों के लिये प्लास्टिक प्रदूषण एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि भारी मात्रा में प्लास्टिक महासागरों में निक्षेपित होता रहता है और सूक्ष्म भागों में विघटित हो जाता है।
      • पक्षी प्रायः प्लास्टिक के टुकड़ों को शिकार समझकर इसे निगल लेते हैं जिससे इन्हें संबंधित स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता है।

प्रारंभिक परीक्षा

लाल सागर के विभाजन पर प्रस्तावित परिकल्पनाएँ

स्रोत: डाउन टू अर्थ

मिस्र से भागने और हिब्रू (मेसोपोटामिया के उर शहर को छोड़कर जाने वाले चरवाहे) के लिये लाल सागर को विभाजित करने की कहानी को बुक ऑफ एक्सोडस में एक अलौकिक कार्य के रूप में देखा जाता है किंतु हाल ही में कुछ शोधकर्त्ताओं ने इस कहानी को एक विभिन्न दृष्टिकोण से देखा है एवं कुछ मौसम संबंधी घटनाओं का उपयोग कर इसे समझाया है।

लाल सागर के विभाजन से संबंधित नवीनतम मौसम संबंधी परिकल्पनाएँ क्या हैं?

शोधकर्त्ताओं ने 4 संभावित मौसम संबंधी घटनाओं का प्रस्ताव दिया है जिनके कारण लाल सागर की धाराओं का अस्थायी रूप से विभाजन हुआ होगा:

  • मेडिकेन: भूमध्य सागर में ये हरिकेन जैसे तूफान अत्यधिक व्यापक तूफान का रूप धारण कर सकते हैं जिसके परिणामस्वरूप तटीय जल को पीछे की ओर प्रवाहित हो सकता है जिसके फलस्वरूप भू-भाग उजागर हो सकता है।
    • शोधकर्त्ताओं ने फ्लोरिडा के समुद्र तट पर इरमा तूफान के प्रभाव को एक उदाहरण के रूप में उल्लिखित किया है।
  • वायु का रुकना: निरंतर उच्च गति वाली वायु अस्थायी रूप से स्वेज़ की खाड़ी में उभरी हुई चट्टानों को उजागर कर सकती हैं, जिससे प्रत्यक्ष मार्ग की सुविधा हो सकती है।
    • बाइबिल में निर्गमन के दौरान एक "पूर्वी वायु" का उल्लेख मिलता है, जो इस घटना से मिलती जुलती है।
  • ज्वारीय अनुनाद: जब तेज़ हवाओं जैसे बाह्य कारक किसी स्थान के प्राकृतिक ज्वारीय पैटर्न के साथ मिलते हैं, तो इसके परिणामस्वरूप असामान्य रूप से लघु ज्वार आ सकता है और समुद्र तल के बड़े क्षेत्र उज़ागर हो सकते हैं।
    • उत्तरी अटलांटिक में अमेरिका-कनाडा सीमा पर फंडी की खाड़ी (Bay of Fundy)  इस घटना का एक प्रमुख उदाहरण है।
  • रॉस्बी लहरें: पृथ्वी की घूर्णन के कारण महासागरों और वायुमंडल में ये बड़े पैमाने की लहरें, जल के  द्रव्यमान को स्थानांतरित कर सकती हैं।
    • लाल सागर में उनकी घटना अस्थायी रूप से इज़रायलियों के लिये मार्ग का निर्माण कर सकती है।
    • मिस्र अभियान के दौरान नेपोलियन बोनापार्ट के ऐतिहासिक वृत्तांत में ज्वारीय परिवर्तनों के बीच लाल सागर को पार करने का भी उल्लेख किया गया है।
  • हालाँकि अध्ययन के निष्कर्ष प्राचीन भूगोल और जलवायु की अनिश्चितताओं के साथ-साथ जटिल प्राकृतिक घटनाओं के मॉडलिंग की अंतर्निहित चुनौतियों तक सीमित हैं। सबूतों को और मज़बूत करने के लिये आगे के शोध एवं पुरातात्त्विक कार्यों की आवश्यकता है।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 03 जनवरी, 2024

हिम तेंदुआ 

किर्गिज़स्तान ने आधिकारिक तौर पर हिम तेंदुए (पैंथेरा अनसिया) को अपना राष्ट्रीय प्रतीक घोषित किया है, जो संरक्षण और पारिस्थितिक संतुलन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

  • हिम तेंदुआ किर्गिज़ संस्कृति में ऐतिहासिक रूप से महत्त्वपूर्ण है जिसका वर्णन किर्गिज़ लोक नायक मानस की कहानी में मिलता है, जो महानता, साहस तथा समुत्थानशीलता के प्रतीक के रूप में प्रतिष्ठित है। इसे 'घोस्ट ऑफ द माउंटेन' भी कहा जाता है।
  • हिम तेंदुए पारिस्थितिक संतुलन के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, जो वैश्विक क्षेत्र के 1/3 भाग में निवास करते हैं। उनकी आबादी में कमी से विभिन्न प्रजातियों के लिये खतरा बढ़ गया है।
    • उच्च तुंगता (Altitude) वाले इलाकों के लिये अनुकूलित उनकी अनूठी संरचना उथले क्षेत्रों में दक्षता सुनिश्चित करती है।
    • हिम तेंदुओं को अवैध शिकार, निवास स्थान की हानि, मानव-वन्यजीव संघर्ष का सामना करना पड़ता है। 
  • भारत सरकार ने हिम तेंदुए की पहचान उच्च तुंगता वाले हिमालय के लिये एक प्रमुख प्रजाति के रूप में की है। इसने प्रजातियों और आवासों के संरक्षण के लिये एक हिम तेंदुआ परियोजना (प्रोजेक्‍ट स्‍नो लेपर्ड)  विकसित किया है।

और पढ़ें:  https://www.drishtiias.com/hindi/daily-updates/prelims-facts/snow-leopard-4

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष

एक एसिड अटैक सर्वाइवर ने अनुदान तक पहुँचने में देरी और चुनौतियों को उजागर करते हुए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) से अतिरिक्त मुआवज़े की मांग करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया है।

  • PMNRF की स्थापना वर्ष 1948 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा पाकिस्तान से विस्थापित व्यक्तियों की सहायता के लिये की गई थी। इस कोष का उपयोग वर्तमान में प्राकृतिक और मानव जनित आपदाओं से प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करने हेतु किया जाता है।
    • इसमें बाढ़, चक्रवात और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएँ एवं प्रमुख दुर्घटनाएँ, एसिड हमले व दंगे जैसी मानव निर्मित आपदाएँ शामिल हैं।
  • इस कोष में पूरी तरह से सार्वजनिक योगदान शामिल है और इसे कोई बजटीय सहायता नहीं मिलती है।
  • निधि का कोष बैंकों के पास सावधि जमा में निवेश किया जाता है। संवितरण प्रधानमंत्री की मंज़ूरी से किया जाता है।
  • PMNRF के लिये सभी दान को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80G के तहत कर योग्य आय से 100% कटौती हेतु अधिसूचित किया गया है।

और पढ़ें… पीएम-केयर्स फंड

IREDA का 2024 रोडमैप

भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (Indian Renewable Energy Development Agency Limited-IREDA) के लिये 2024 को 'मानव संसाधन विकास और अनुशासन वर्ष' के रूप में नामित किया गया है, जो नए क्षेत्रों में संगठन के रणनीतिक विस्तार को दर्शाता है।

  • IREDA, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy- MNRE) के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत भारत सरकार का एक मिनी रत्न (श्रेणी - I) उद्यम है।
  • यह 1987 में एक गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान के रूप में स्थापित एक सार्वजनिक लिमिटेड सरकारी कंपनी है जो ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता के नवीन और नवीकरणीय स्रोतों से संबंधित परियोजनाओं की स्थापना के लिये वित्तीय सहायता को बढ़ावा देने, विकसित करने एवं विस्तारित करने में लगी हुई है।

और पढ़ें: भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (Indian Renewable Energy Development Agency Limited-IREDA)

सरकारी कर्मचारियों/पेंशनर के लिये पारिवारिक पेंशन दिशानिर्देश

पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2021 के अनुसार, मृत सरकारी कर्मचारी के पति/पत्नी एवं बच्चों के लिये जीवित पेंशनभोगी से संबद्ध मामलों में पारिवारिक पेंशन के संवितरण हेतु व्यापक प्रावधानों को चित्रित किया है। 

  • CCS (पेंशन) नियम, 2021 के नियम 50 के उप-नियम (8) और उप-नियम (9) के प्रावधानों के अनुसार, पारिवारिक पेंशन प्रारंभ में पति या पत्नी को दी जाती है, जबकि परिवार के अन्य पात्र सदस्य जीवनसाथी की अयोग्यता या निधन के बाद पेंशन के पात्र होते हैं। 
  • हाल के शोधन के अनुसार, ऐसे परिदृश्यों में जहाँ एक महिला सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी तलाक की कार्यवाही में शामिल है या उसने अपने पति के खिलाफ विशिष्ट कानूनों के तहत मामले दायर किये हैं, में पारिवारिक पेंशन के लिये उसके जीवनसाथी के स्थान पर उसके पात्र बच्चे/बच्चों के नामांकन को सक्षम करने के प्रावधानों की रूपरेखा तैयार की गई है। 

और पढ़ें: पूर्ववर्ती पेंशन योजना


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow