बाल विवाह मुक्त भारत अभियान
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बाल विवाह मुक्त भारत अभियान शुरू किया है जिसका उद्देश्य भारत में बाल विवाह को समाप्त करना है।
- यह अभियान लैंगिक समानता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता एवं वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र (विकसित भारत) के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप है।
बाल विवाह मुक्त भारत अभियान की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- बाल विवाह मुक्त भारत पोर्टल: यह एक अभिनव ऑनलाइन मंच है जो नागरिकों को बाल विवाह की घटनाओं की रिपोर्ट करने, शिकायत दर्ज करने तथा देश में बाल विवाह निषेध अधिकारियों (CMPOs) के बारे में जानकारी प्राप्त करने की सुविधा देता है।
- यह लैंगिक हिंसा के खिलाफ 16 दिवसीय कार्यक्रम (जो 25 नवंबर (अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस) से 10 दिसंबर (मानवाधिकार दिवस) तक चलने वाला एक वैश्विक आंदोलन है) के अनुरूप है।
- CMPO बाल विवाह को रोकते हैं, अभियोजन साक्ष्य एकत्र करते हैं, ऐसे विवाहों के खिलाफ परामर्श देते हैं, उनके हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाते हैं और समुदायों को संवेदनशील बनाते हैं।
- यह लैंगिक हिंसा के खिलाफ 16 दिवसीय कार्यक्रम (जो 25 नवंबर (अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस) से 10 दिसंबर (मानवाधिकार दिवस) तक चलने वाला एक वैश्विक आंदोलन है) के अनुरूप है।
- बाल विवाह के खिलाफ शपथ: इस अभियान का उद्देश्य बाल विवाह को खत्म करना और देश की प्रत्येक बेटी को सशक्त बनाना है, तथा एक निष्पक्ष और न्यायपूर्ण समाज को बढ़ावा देने में इसके गहन महत्त्व पर प्रकाश डालना है।
- यह अभियान औसत से अधिक बाल विवाह दर वाले राज्यों अर्थात पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, राजस्थान, त्रिपुरा, असम और आंध्र प्रदेश को लक्षित करेगा।
- उपलब्धियों की सराहना:
- अभियान के शुभारंभ के दौरान, मंत्री ने महिला सशक्तिकरण में की गई महत्वपूर्ण प्रगति पर प्रकाश डाला, तथा जन्म के समय लिंगानुपात में वर्ष 2014-15 में 918 से वर्ष 2023-24 में 930 तक सुधार का ब्यौरा दिया।
- यह पोर्टल नागरिकों को सशक्त बनाने और बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 को लागू करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- इस अधिनियम के तहत 18 वर्ष से कम आयु की लड़कियों और 21 वर्ष से कम आयु के लड़कों के विवाह पर सख्त प्रतिबंध है।
- महत्त्व:
- लड़कियों की शिक्षा और सशक्तिकरण के लिये समर्थन: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप, यह अभियान लड़कियों की शिक्षा और सामाजिक सशक्तिकरण का समर्थन करने वाली पहलों के माध्यम से लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिये चल रहे सरकारी प्रयासों को दर्शाता है।
- बाल विवाह उन्मूलन: अभियान ने जागरूकता बढ़ाने में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और सुकन्या समृद्धि योजना की महत्त्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया।
भारत में बाल विवाह से संबंधित विधायी रूपरेखा क्या है?
- विधायी रूपरेखा: भारत ने वर्ष 2006 में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम पारित किया, जिसके तहत विवाह की कानूनी आयु पुरुषों के लिये 21 वर्ष तथा महिलाओं के लिये 18 वर्ष निर्धारित की गई।
- बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम की धारा 16 राज्य सरकारों को विशिष्ट क्षेत्रों के लिये' बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी (CMPO)' नियुक्त करने की अनुमति देती है।
- सरकार ने महिलाओं की विवाह की आयु बढ़ाकर 21 वर्ष करने तथा उसे पुरुषों के समान करने के लिये 'बाल विवाह प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2021' नामक विधेयक पेश किया है। 17वीं लोकसभा के विघटन के साथ ही यह विधेयक अंततः व्यपगत हो गया।
- संबंधित कानून:
- पॉक्सो अधिनियम: 14 वर्ष से कम आयु की बालिकाओं से विवाह करने वाले पुरुषों पर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत मामला दर्ज़ किया जाएगा और 14 से 18 वर्ष की आयु के बीच की बालिकाओं से विवाह करने वालों पर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (PCMA), 2006 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. बाल अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के संदर्भ में निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2010)
उपर्युक्त में से कौन-से अधिकार बच्चों के है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) |
राजा महेंद्र प्रताप सिंह की जयंती
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में दूरदर्शी राष्ट्रवादी राजा महेंद्र प्रताप सिंह (1886-1979) की 138 वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
राजा महेंद्र प्रताप सिंह कौन हैं?
- पृष्ठभूमि: राजा महेंद्र प्रताप सिंह का जन्म 1 दिसंबर 1886 को हाथरस, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
- वह एक स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी, लेखक, समाज सुधारक और अंतर्राष्ट्रीयवादी थे।
- शिक्षा में योगदान: वर्ष 1909 में वृंदावन, उत्तर प्रदेश में एक तकनीकी संस्थान प्रेम महाविद्यालय की स्थापना की। यह स्वदेशी तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये भारत का पहला पॉलिटेक्निक है।
- स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान:
- वर्ष 1906 में कोलकाता में काॅन्ग्रेस अधिवेशन में भाग लिया और स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा दिया। महेंद्र प्रताप स्वदेशी आंदोलन से भी गहराई से जुड़े थे और स्वदेशी वस्तुओं और स्थानीय कारीगरों के साथ छोटे उद्योगों को लगातार बढ़ावा देते थे।
- महेंद्र प्रताप ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभाई थी। वर्ष 1915 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का विरोध करते हुए काबुल, अफगानिस्तान में भारत की प्रथम प्रोविज़नल सरकार (जिसके अध्यक्ष वे स्वयं थे) की घोषणा की थी।
- उन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारत के संघर्ष के क्रम में जर्मनी, जापान तथा रूस जैसे देशों से समर्थन मांगा।
- कहा जाता है कि बोल्शेविक क्रांति के दो साल बाद वर्ष 1919 में उनकी मुलाकात व्लादिमीर लेनिन से हुई थी।
- उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वर्ष 1940 में जापान में भारतीय कार्यकारी बोर्ड का भी गठन किया।
- अंतर्राष्ट्रीयवादी और शांति समर्थक: महेंद्र प्रताप को शांति हेतु वैश्विक पहल एवं भारत तथा अफगानिस्तान में ब्रिटिश अत्याचारों को सबके सामने लाने में उनके प्रयासों हेतु वर्ष 1932 में नोबेल शांति पुरस्कार हेतु नामांकित किया गया था।
- इस नामांकन में राजा को “हिंदू देशभक्त”, “वर्ल्ड फेडरेशन के एडिटर” तथा “अफगानिस्तान के अनौपचारिक दूत” के रूप में संदर्भित किया गया।
- वर्ष 1929 में महेंद्र प्रताप ने बर्लिन में वर्ल्ड फेडरेशन की स्थापना की, जिसका आगे चलकर संयुक्त राष्ट्र के गठन पर प्रभाव पड़ा।
- राजनीतिक कॅरियर: स्वतंत्रता के बाद उन्होंने पंचायती राज के विचार को बढ़ावा देने के क्रम में काफी मेहनत की तथा मथुरा (वर्ष 1957) से संसद सदस्य के रूप में कार्यभार संभाला।
- विरासत: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी प्रमुख भूमिका हेतु आज भी उनको याद किया जाता है।
BSF का 60वाँ स्थापना दिवस
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
1 दिसंबर, 2024 को, प्रधानमंत्री ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) को उनके 60वें स्थापना दिवस पर शुभकामनाएँ दीं और भारत की सीमाओं की सुरक्षा में बल के महत्त्व पर ज़ोर दिया।
BSF क्या है?
- परिचय: BSF की स्थापना वर्ष 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद सीमा सुरक्षा बढ़ाने के लिये की गई थी।
- BSF में एक एयर विंग, मरीन विंग, एक तोपखाना रेजिमेंट और कमांडो इकाइयाँ हैं।
- यह गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करता है।
- तैनाती: लगभग 2.6 लाख कर्मियों वाला BSF बल भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा, भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय सीमा, नियंत्रण रेखा (LoC) पर भारतीय सेना के साथ और नक्सल विरोधी अभियान क्षेत्रों में तैनात है।
- विशेष ऑपरेशन: BSF जलयानों के आधुनिक बेड़े का उपयोग करते हुए अरब सागर में सर क्रीक और बंगाल की खाड़ी में सुंदरवन डेल्टा जैसे क्षेत्रों की सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- इसके अतिरिक्त इसके द्वारा प्रत्येक वर्ष विभिन्न वैश्विक स्थानों पर प्रशिक्षित कार्मिकों को तैनात करके संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भूमिका निभाई जाती है।
- BSF का क्षेत्राधिकार: BSF द्वारा भारत की सीमाओं की सुरक्षा की जाती है और इसे विभिन्न कानूनों के तहत गिरफ्तारी, तलाशी एवं जब्ती का अधिकार प्राप्त है, जिसमें दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) 1973 , पासपोर्ट अधिनियम 1967, पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम 1920 तथा स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 शामिल हैं।
नोट: अनुच्छेद 355 के तहत केंद्र सरकार को किसी राज्य को बाहरी आक्रमण तथा आंतरिक अशांति से बचाने के लिये अपनी सेना तैनात करने का अधिकार है, यहाँ तक कि उन मामलों में भी जहाँ राज्य ने केंद्र से सहायता का अनुरोध नहीं किया है तथा वह केंद्रीय बलों को स्वीकार करने में रूचि नहीं दिखा रहा है।
ई-दाखिल पोर्टल
स्रोत: पी.आई.बी
उउपभोक्ता कार्य विभाग द्वारा संपूर्ण देश में आरंभ किया गया ई -दाखिल पोर्टल अब सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आरंभ हो गया है, जिसका शुभारंभ नवंबर 2024 में लद्दाख में होगा।
- परिचय: ई-दाखिल पोर्टल को 7 सितंबर 2020 को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत COVID-19 महामारी के बीच लॉन्च किया गया था।
- विशेषताएँ:
- यह उपभोक्ता शिकायत ऑनलाइन दर्ज करने के लिये एक सस्ता, त्वरित और परेशानी मुक्त तंत्र प्रदान करता है।
- यह उपभोक्ताओं को घर बैठे शिकायत दर्ज करने, शुल्क का भुगतान करने और मामलों को ट्रैक करने की सुविधा देता है। मोबाइल फोन या ईमेल पते पर ओटीपी के माध्यम से पंजीकरण आसान है।
- उपयोग और प्रभाव:
- पोर्टल पर 281,024 से अधिक उपयोगकर्त्ताओं ने पंजीकरण कराया है, 198,725 मामले दर्ज किये गए हैं जबकि इनमें से 38,453 का समाधान किया गया है, जिसमें दोषपूर्ण उत्पाद मुआवज़ा और वित्तीय शिकायतों जैसे मुद्दों का समाधान किया गया है।
- ई-दाखिल के साथ एकीकरण: सरकार ई-जागृति भी विकसित कर रही है, जो मामला दर्ज करने और समाधान को बढ़ाने के लिये एक मंच है, जिसका उद्देश्य भारत में उपभोक्ता न्याय में बदलाव लाना है।
और पढ़ें: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019
नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स 2024
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में भारत नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स (NRI) 2024 में 11 पायदान चढ़कर 49वें स्थान पर पहुँच गया है, जो वर्ष 2023 में 60वें स्थान पर था। यह इसके डिजिटल बुनियादी ढाँचे और क्षमताओं में उल्लेखनीय प्रगति को दर्शाता है।
- विषय: पोर्टुलांस संस्थान NRI प्रकाशित करता है, जो प्रौद्योगिकी, लोग, शासन और प्रभाव जैसे चार प्रमुख स्तंभों में 54 चरों का उपयोग करके 133 अर्थव्यवस्थाओं का मूल्यांकन करता है।
भारत की उपलब्धियाँ:
- भारत का स्कोर वर्ष 2023 में 49.93 से सुधरकर वर्ष 2024 में 53.63 हो गया, जो विभिन्न डिजिटल मेट्रिक्स और नवाचारों में पर्याप्त प्रगति का संकेत देता है।
- भारत ने प्रमुख क्षेत्रों में वैश्विक रैंकिंग हासिल की:
- वैश्विक स्तर पर प्रथम रैंक: AI वैज्ञानिक प्रकाशन, AI प्रतिभा की सघनता, आईसीटी सेवा निर्यात।
- वैश्विक स्तर पर दूसरा स्थान: फाइबर टू द प्रीमाइसेस (FTTH) इंटरनेट सब्सक्रिप्शन, मोबाइल ब्रॉडबैंड ट्रैफिक, अंतर्राष्ट्रीय इंटरनेट बैंडविड्थ।
- विश्व स्तर पर तीसरा स्थान: घरेलू बाज़ार स्तर।
- वार्षिक दूरसंचार निवेश में विश्व स्तर पर चौथा स्थान।
दूरसंचार प्रगति:
- भारत के दूरसंचार क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसमें टेली-घनत्व 84.69%, वायरलेस कनेक्शन 119 करोड़ तथा इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 25.1 करोड़ से बढ़कर 94.4 करोड़ हो गई है।
- वर्ष 2022 में 5G सेवाओं के शुभारंभ से भारत की मोबाइल ब्रॉडबैंड स्पीड रैंकिंग 118 वें से बढ़कर 15वें स्थान पर पहुँच गई है, साथ ही भारत 6G विज़न ने भारत को भविष्य के दूरसंचार क्षेत्र में अग्रणी के रूप में स्थापित किया है।
और पढ़ें: नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स 2022
विश्व AIDS दिवस 2024
स्रोत: पी.आई.बी.
प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व AIDS दिवस मनाया जाता है। यह HIV (ह्यूमन इम्यूनो डेफिसिएंसी वायरस)/AIDS (एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम) के बारे में जागरूकता बढ़ाने हेतु एक मंच के रूप में कार्य करता है।
- वर्ष 2024 की थीम: “सही राह अपनाना: मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार!”।
- AIDS: यह HIV के कारण होने वाली एक पुरानी, जानलेवा बीमारी है, जो प्रतिरक्षा तंत्र को संक्रमित करती है, CD4 कोशिकाओं (श्वेत रक्त कोशिकाएं, जो प्रतिरक्षा तंत्र के लिये महत्त्वपूर्ण हैं) को प्रभावित करती है। यह असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित रक्त और सुइयों को साझा करने से फैलता है।
- यद्यपि इसका कोई उपचार नहीं है लेकिन एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) वायरस को दबा सकती है और CD4 कोशिकाओं को पुनर्स्थापित करने में सहायक हो सकती है।
- वैश्विक और राष्ट्रीय प्रगति: ग्लोबल AIDS अपडेट 2023 में नए संक्रमणों में गिरावट पर प्रकाश डाला गया है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक AIDS को समाप्त करना है। भारत में, 2.5 मिलियन से अधिक लोग HIV के साथ जी रहे हैं, वर्ष 2010 के बाद से नए संक्रमणों में 44% की कमी आई है।
- HIV/AIDS के प्रति भारत की प्रतिक्रिया:
- NACP चरण-V (2021-2026): चरण-V का उद्देश्य नए संक्रमणों और AIDS से होने वाली मौतों को 80% तक कम करना (आधार रेखा: 2010), ऊर्ध्वाधर संचरण को समाप्त करना और HIV से संबंधित कलंक का मुकाबला करना है।"
- वर्ष 1992 में शुरू किया गया राष्ट्रीय AIDS और STD नियंत्रण कार्यक्रम (NACP) पाँच चरणों (चरण I-IV: 1992-2017) में कार्यान्वित किया गया है।
और पढ़ें: UNAIDS ग्लोबल AIDS अपडेट
क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र
स्रोत: पी.आई.बी.
संस्कृति मंत्रालय ने विभिन्न क्षेत्रों की विविध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने, बढ़ावा देने और मनाने के लिये संपूर्ण देश में 7 क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र (ZCC) स्थापित किये हैं।
- ZCC का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों की कला और संस्कृति के विविध रूपों का संरक्षण और प्रसार करना है।
- हॉर्नबिल फेस्टिवल (नगालैंड), ऑक्टेव, ट्राइबल डांस फेस्टिवल, आदि बिंब, आदि सप्त पल्लव, आदि लोक रंग और आदिवासी महोत्सव जैसे त्योहार ZCC के माध्यम से आयोजित किये जाते हैं।
- जनजातीय अनुसंधान संस्थान और जनजातीय अनुसंधान, सूचना, शिक्षा, संचार और कार्यक्रम (TRI-ECE) जनजातीय संस्कृति, अभिलेखागार, कलाकृतियों, रीति-रिवाज़ों और परंपराओं के संरक्षण और संवर्द्धन के लिये कार्य करते हैं।
- प्रतिष्ठित संगठन और विश्वविद्यालय जनजातीय संस्कृति और जनजातियों के समक्ष आने वाले ज्वलंत मुद्दों पर शोध अध्ययन करते हैं।
क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र |
मुख्यालय |
उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र |
पटियाला |
दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र |
तंजावुर |
दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र |
नागपुर |
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र |
उदयपुर |
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र |
प्रयागराज |
पूर्वी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र |
कोलकाता |
उत्तर पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र |
दीमापुर |
और पढ़ें: भारत में जनजातियाँ