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उपभोक्ता मामलों के विभाग की वर्षांत-समीक्षा 2022

  • 21 Dec 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

उपभोक्ता मामलों का विभाग, मूल्य निगरानी तंत्र, मूल्य स्थिरीकरण कोष, भारतीय मानक ब्यूरो, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019

मेन्स के लिये:

उपभोक्ता मामलों के विभाग की वर्षांत-समीक्षा 2022

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत उपभोक्ता मामलों के विभाग की वर्षांत-समीक्षा, 2022 जारी की गई है।

विभाग की प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • मूल्य निगरानी तंत्र को मज़बूत करने की योजना:
    • मूल्य निगरानी प्रकोष्ठ देश के उत्तर, पश्चिम, पूर्व, दक्षिण और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्त्व करने वाले देश भर में फैले 179 बाज़ार केंद्रों से एकत्र किये गए आँकड़ों के आधार पर चावल, गेहूँ, आटा, चना और दाल आदि सहित 22 आवश्यक वस्तुओं के थोक एवं खुदरा मूल्यों की निगरानी करता है।
    • वर्ष के दौरान 57 मूल्य रिपोर्टिंग केंद्र जोड़े गए थे। मूल्य रिपोर्टिंग केंद्रों की संख्या 1 जनवरी, 2021 के 122 से बढ़कर दिसंबर 2022 तक 179 हो गई।
  • मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF):
    • PSF कृषि बागवानी वस्तुओं की खरीद और वितरण के लिये कार्यशील पूंजी एवं अन्य आकस्मिक खर्च प्रदान करने हेतु एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।
    • वर्ष 2022 के दौरान 12.83 लाख मीट्रिक टन (LMT) दालों को मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत कृषि सहयोग और किसान कल्याण विभाग (DACFW) से PSF उपभोक्ता मामलों के विभाग (DoCA) / PSF को खरीद / आयात में स्थानांतरित किया गया है।
  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना:
    • वर्ष 2022 के दौरान प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत दालों के वितरण के लिये पॉइंट ऑफ सेल (PoS) डिवाइस के माध्यम से अंतर्राज्यीय गतिविधि एवं हैंडलिंग, उचित मूल्य दुकान डीलर के मार्जिन तथा अतिरिक्त मार्जिन वितरण पर खर्च की प्रतिपूर्ति के रूप में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को 35.59 करोड़ रुपए जारी किये गए।
  • उपभोक्ता जागरूकता: 
    • DoCA का नया शुभंकर "जागृति" लॉन्च किया गया था जिसका उद्देश्य "जागो ग्राहक जागो" नामक अभियान को मज़बूत करना था ताकि सभी उपभोक्ताओं में जागरूकता संबंधी विचार को सुदृढ़ किया जा सके।  
  • भारतीय मानक ब्यूरो:
    • BIS अधिनियम 2016 12 अक्तूबर, 2017 से प्रभाव में आया, इसके बाद गवर्निंग काउंसिल का पुनर्गठन किया गया।
      • 25 नवंबर, 2022 तक लागू मानकों की कुल संख्या 21,833 है।
    • BIS (भारत) अक्तूबर 2020 से अक्तूबर 2023 तक तीन साल के कार्यकाल के लिये दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय मानक संगठन (SARSO) तकनीकी प्रबंधन बोर्ड और अनुरूपता मूल्यांकन बोर्ड (BCA) की अध्यक्षता कर रहा है। 
    • प्रबंधन प्रणाली प्रमाणन: 
      • BIS 20 प्रबंधन प्रणाली प्रमाणन योजनाओं का संचालन करता है, वर्ष 2021-22 में दो और नई योजनाओं अर्थात् व्यावसायिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली तथा ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली को प्रमाणन निकायों के लिये राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (NABCB) द्वारा मान्यता दी गई है।
  • उपभोक्ता संरक्षण:
    • विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस:
    • राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से मामलों का निपटारा:
      • राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) अन्य कानूनी सेवा संस्थानों के साथ लोक अदालतों का आयोजन करता है।
      • DoCA ने सभी राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों से लंबित उपभोक्ता मामलों का निपटान राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से करने को कहा।
        • इसके परिणामस्वरूप देश भर में लोक अदालत के माध्यम से 12 दिसंबर, 2022 को एक ही दिन में 5,930 मामलों का निपटारा किया गया।
    • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019:
      • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम और भ्रामक विज्ञापनों के लिये अनुमोदन, 2022 हेतु दिशा-निर्देश अधिसूचित किये गए थे।
      • ई फाइलिंग:
        • "edaakhil.nic.in" नाम से एक उपभोक्ता आयोग ऑनलाइन आवेदन पोर्टल विकसित किया गया है, जो उपभोक्ताओं/अधिवक्ताओं को ई-दाखिल पोर्टल के माध्यम से घर से या कहीं से भी अपनी सुविधानुसार ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने की सुविधा प्रदान करता है।
      • गलत समीक्षाएँ:
        •  BIS ने भारतीय मानक (IS) 19000: 2022 'ऑनलाइन उपभोक्ता समीक्षा- उनके संग्रह, मॉडरेशन और प्रकाशन के लिये सिद्धांत और आवश्यकताएँ' शीर्षक से रूपरेखा शुरू की।
          • ये मानक हर उस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लागू होंगे जो उपभोक्ता समीक्षाएँ प्रकाशित करता है।
          • ये मानक संगठनात्मक दायित्वों को निर्दिष्ट करकरते हैं जैसे कि अभ्यास की एक संहिता का मसौदा तैयार करना और नियमों एवं शर्तों हेतु आवश्यक प्रावधान जैसे- पहुँच, मानदंड, साथ ही यह सुनिश्चित करना कि सामग्री में अन्य बातों के अलावा वित्तीय जानकारी शामिल नहीं है।
  • विधिक माप पद्धति (Legal Metrology): 
    • नियमों में संशोधन: 
      • विधिक माप पद्धति (पैकेज़्ड कमोडिटीज़) नियम, 2011 में संशोधन किया गया था ताकि इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद उद्योगों को एक वर्ष की अवधि के लिये क्यूआर कोड के माध्यम से डिजिटल रूप में कुछ अनिवार्य घोषणाएँ करने की अनुमति दी जा सके, यदि पैकेज में प्रदर्शित नहीं किया गया हो।  
        • लाइसेंस का उद्देश्य इस डिजिटल युग में क्यूआर कोड के माध्यम से आवश्यक घोषणा करने के लिये प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग की अनुमति देना है, जिसे घोषणाओं को प्रदर्शित करने हेतु स्कैन किया जा सकता है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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