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अनुचित विज्ञापनों पर अंकुश लगाने के लिये दिशा-निर्देश

  • 08 Jul 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019, उपभोक्ता संरक्षण के लिये पहल।

मेन्स के लिये:

अनुचित विज्ञापनों पर अंकुश लगाने हेतु नए दिशा-निर्देश और इसका महत्त्व, सीसीपीए।

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने हाल ही में झूठे या भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिये दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण:

  • परिचय:
    • CCPA उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के आधार पर वर्ष 2020 में स्थापित नियामक संस्था है।
    • CCPA उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करता है।
  • उद्देश्य:
    • एक वर्ग के रूप में उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देना, उनकी रक्षा करना और उन्हें लागू करना।
    • उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन की जांँच करना और शिकायत/अभियोजन करना।
    • असुरक्षित वस्तुओं और सेवाओं को वापसी, अनुचित व्यापार प्रथाओं एवं भ्रामक विज्ञापनों को बंद करने का आदेश देना।
    • भ्रामक विज्ञापनों के निर्माताओं/प्रदर्शकों/प्रकाशकों पर दंड लगाना।

दिशा-निर्देश:

  • गैर-भ्रामक और वैध विज्ञापन:
    • विज्ञापन को गैर-भ्रामक माना जा सकता है यदि इसमें वस्तु का सही और ईमानदार प्रतिनिधित्व होता है तथा सटीकता, वैज्ञानिक वैधता या व्यावहारिक उपयोगिता या क्षमता को बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं रता है।
    • अनजाने में हुई चूक के मामले में विज्ञापन को तब भी वैध माना जा सकता है यदि विज्ञापनदाता ने उपभोक्ता को कमी बताने में त्वरित कार्रवाई की हो।
  • सरोगेट विज्ञापन:
    • सरोगेट विज्ञापन" का तात्पर्य अन्य वस्तुओं की आड़ में वस्तु के विज्ञापन से है।
      • जैसे पान मसाले की आड़ में तंबाकू का विज्ञापन।
    • उन वस्तुओं या सेवाओं के लिये कोई सरोगेट विज्ञापन (Surrogate Advertisement) या अप्रत्यक्ष विज्ञापन नहीं बनाया जाएगा, जो विज्ञापन कानून द्वारा अन्यथा निषिद्ध या प्रतिबंधित हैं।
    • इस तरह के निषेध या प्रतिबंध को दरकिनार करने और इसे अन्य वस्तुओं या सेवाओं के विज्ञापन के रूप में चित्रित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
  • बच्चों को लक्षित करने वाले विज्ञापन:
    • ऐसे विज्ञापन जो बच्चों के लिये खतरनाक हो सकते हैं या बच्चों की अनुभवहीनता, विश्वसनीयता या विश्वास की भावना आदि का लाभ उठा सकते हैं, उन्हें प्रोत्साहित करने, उनके व्यवहार को प्रेरित करने या अनुचित रूप से अनुकरण करने वाले विज्ञापनों को प्रतिबंधित कर दिया गया है।
    • यह स्पष्ट है कि विज्ञापन बच्चों की खरीदारी के व्यवहार को प्रभावित करते हैं और उन्हें अस्वास्थ्यकर वस्तुओं का उपभोग करने के लिये प्रोत्साहित करते हैं या स्वस्थ वस्तुओं के प्रति नकारात्मक भावनाओं को विकसित करते हैं।
  • विज्ञापनों में अस्वीकरण:
    • दिशा-निर्देशों में ऐसे विज्ञापन में किये गए दावे को स्पष्ट करने, योग्य बनाने या अस्पष्टताओं का समाधान करने के लिये "विज्ञापनों में अस्वीकरण" की आवश्यकता को भी पेश किया गया है ताकि इस तरह के दावे को और विस्तार से समझाया जा सके।
    • इसके अलावा विज्ञापनदाता को "ऐसे विज्ञापन में किये गए किसी भी दावे के संबंध में भौतिक जानकारी को छिपाने का प्रयास नहीं करना चाहिये, जिसके चूक या अनुपस्थिति से विज्ञापन को भ्रामक बनाने या इसके व्यावसायिक इरादे को छिपाने की संभावना है"।
  • कर्तव्य:
    • दिशानिर्देशों के अनुसार निर्माताओं, सेवा प्रदाताओं और विज्ञापन एजेंसियों को ऐसे दावे नहीं करने या विज्ञापनों में तुलना करने की भी आवश्यकता नहीं है जो वस्तुनिष्ठ रूप से पता लगाने योग्य तथ्यों पर आधारित नहीं हैं।
    • इसके अतिरिक्त विज्ञापन को उपभोक्ताओं का विश्वास हासिल करने के लिये तैयार किया जाना चाहिये, न कि "उपभोक्ताओं के विश्वास का दुरुपयोग करने या उनके अनुभव या ज्ञान की कमी का फायदा उठाने" के लिये।

दिशा-निर्देशों का महत्त्व:

  • दिशा-निर्देश पथ प्रदर्शक होते हैं क्योंकि वे विज्ञापनदाता के कर्तव्यों को स्पष्ट रूप से रेखांकित करते हुए महत्त्वपूर्ण उपभोक्ता संरक्षण अंतराल को भरते हैं।
  • दिशा-निर्देश बच्चों के उद्देश्य से अतार्किक उपभोक्तावाद को बढ़ावा देने को हतोत्साहित करने का भी प्रयास करते हैं।
  • भ्रामक, प्रलोभन, सरोगेट और बच्चों को लक्षित विज्ञापन की समस्या बहुत लंबे समय से बिना किसी विराम के चली आ रही है।
  • दिशा-निर्देश भारतीय नियामक ढांँचे को अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों और मानकों के बराबर लाने का आवश्यक कार्य करते हैं।
  • भ्रामक विज्ञापनदाताओं के खिलाफ ग्राहकों को सशक्त बनाने के लिये दिशा-निर्देश महत्त्वपूर्ण हैं।
  • दिशा-निर्देश एक भ्रामक या अमान्य विज्ञापन को परिभाषित करने के बजाय "गैर-भ्रामक और वैध" विज्ञापन को परिभाषित करने की शर्तों का उल्लेख करते हैं।
  • मौजूदा विज्ञापन विनियमों को लागू करने में आने वाली चुनौतियों को भी दिशा-निर्देशों के माध्यम से दंडनीय बनाया गया है।

उपभोक्ता संरक्षण हेतु पहल:

स्रोत: द हिंदू

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