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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 01 Mar, 2024
  • 20 min read
प्रारंभिक परीक्षा

UAE का FATF ग्रे लिस्ट से बाहर निकलना

स्रोत: बिज़नेस लाइन

चर्चा में क्यों? 

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल द्वारा संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को अपनी ग्रे सूची से हटा दिया गया है, जिससे निवेश परिदृश्य में विशेष रूप से भारत की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के प्रति विश्वास को बढ़ाया है।

ग्रे लिस्ट से UAE के बाहर निकलने से भारतीय NBFC में निवेश पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

  • निवेश नीतियाँ: वर्ष 2021 में भारतीय रिज़र्व बैंक के परिपत्र में NBFC के लिये निवेश नियमों की रूपरेखा दी गई है, जो FATF क्षेत्राधिकारों के अनुपालन के साथ-साथ गैर-अनुपालन वाले निवेशों के बीच अंतर करता है।
    • गैर-अनुपालन क्षेत्राधिकारों से निवेश को भारतीय NBFC में महत्त्वपूर्ण प्रभाव प्राप्त करने पर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा।
  • UAE निवेशकों पर प्रभाव: UAE को FATF की ग्रे-लिस्ट से हटाने से भारतीय NBFC में UAE-आधारित निवेशकों के लिये निवेश आसान हो जाएगा।
  • सीमा पार निवेश सुविधा: आसान प्रतिबंधों से भारत और UAE के बीच सीमा पार निवेश को बढ़ावा मिलता है, जिससे दोनों देशों के वित्तीय क्षेत्रों को लाभ होता है।
  • FPI और FDI में वृद्धि: UAE के बाहर निकलने से क्षेत्र से विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के लिये अपने ग्राहक को जानें/नो योर कस्टमर (KYC) की आवश्यकताएँ कम हो सकती हैं, जिससे संभावित रूप से भारत (दोगुने होने की उम्मीद है) में FPI प्रवाह को बढ़ावा मिलेगा।
    • UAE को  ग्रे-लिस्ट से हटाने से आर्थिक विकास में योगदान देने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि हो सकती है। यह प्रतिस्पर्द्धा नवाचार को बढ़ावा दे सकती है और दोनों क्षेत्रों में अधिक निवेश आकर्षित कर सकती है।

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) क्या है?

  • परिचय: NBFC कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत एक कंपनी है, जो विभिन्न वित्तीय गतिविधियों में शामिल होती है जैसे कि ऋण और उधार प्रदान करना, शेयर, स्टॉक, बाॅण्ड, डिबेंचर तथा सरकार या स्थानीय अधिकारियों द्वारा जारी प्रतिभूतियों का अधिग्रहण करना।
    • NBFC में मुख्य रूप से संलग्न संस्थान निम्नलिखित गतिविधियों में शामिल नहीं हैं:
      • कृषि या औद्योगिक गतिविधियाँ
      • वस्तुओं की खरीद या बिक्री (प्रतिभूतियों के अलावा)
      • सेवाएँ उपलब्ध कराना
      • अचल संपत्ति का व्यापार करना।
  • बैंकों और NBFC के बीच अंतर:
    • जबकि बैंक ग्राहकों से डिमांड डिपॉज़िट स्वीकार कर सकते हैं, NBFC को ऐसा करने की अनुमति नहीं है।
    • बैंकों के विपरीत, NBFC भुगतान और निपटान प्रणाली का हिस्सा नहीं हैं।
    • NBFC स्वयं आहरित चेक जारी नहीं कर सकते, जबकि बैंक इसके लिये अधिकृत हैं।
    • जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम द्वारा प्रदान की जाने वाली जमा बीमा सुविधा बैंक जमाकर्त्ताओं के विपरीत, NBFC जमाकर्त्ताओं के लिये उपलब्ध नहीं है।

FATF क्या है?


प्रारंभिक परीक्षा

MILAN अभ्यास- 2024

स्रोत: पी.आई.बी. 

MILAN अभ्यास- 2024 हाल ही में INS विक्रांत के लिये आयोजित समापन समारोह के साथ संपन्न हुआ, जो विशाखापत्तनम में समुद्री चरण के अंत का प्रतीक है।

MILAN- 2024 क्या है?

  • MILAN 2024 पूर्वी नौसेना कमान के तत्त्वावधान में विशाखापत्तनम में आयोजित द्विवार्षिक बहुपक्षीय नौसेना अभ्यास का 12वाँ संस्करण है।
    • MILAN का केंद्रीय उद्देश्य मित्रवत नौसेनाओं के बीच पेशेवर संपर्क को बढ़ाना और समुद्र में बहुपक्षीय बड़ी सेना के संचालन में अनुभव प्राप्त करना है।
    • इसका प्रारंभ वर्ष 1995 में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हुई। इस संस्करण में इंडोनेशिया, सिंगापुर, श्रीलंका और थाईलैंड की नौसेनाओं ने भाग लिया।
  • वर्ष 2024 के अभ्यास में दो चरण शामिल थे:
    • हार्बर चरण में अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सेमीनार, शहर परेड, तकनीकी प्रदर्शनियाँ, विशेषज्ञ आदान-प्रदान, युवा अधिकारी सभाएँ और खेल कार्यक्रम शामिल हैं।
      • अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सेमिनार का विषय था 'महासागरों में भागीदार: सहयोग, तालमेल, विकास'
    • समुद्री चरण में मित्र राष्ट्रों, भारतीय नौसेना के वाहक और अन्य इकाइयों के जहाज़ों तथा विमानों की भागीदारी शामिल है।

भारतीय नौसेना से संबंधित हालिया प्रमुख विकास क्या हैं? 

  • नए जहाज़ों का नियोजन: 
    • INS विक्रांत: भारत का पहला स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत, रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में एक प्रमुख मील का पत्थर।
    • INS मोरमुगाओ: एक स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक, सतह-विरोधी युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने के लिये प्रोजेक्ट-15B का हिस्सा।
    • INS वागीर: एक नई कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी, जो नौसेना की पानी के नीचे की शक्ति को बढ़ाती है।
    • IINS संध्याक: यह हाल ही में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया पहला सर्वे वेसल लार्ज (SVL) जहाज़ है।
  • हाल के अधिग्रहण कार्यक्रम:
    • प्रोजेक्ट 17A फ्रिगेट्स: स्वदेशी शिपयार्डों में निर्माणाधीन उन्नत स्टील्थ फ्रिगेट्स।
    • प्रोजेक्ट 75I पनडुब्बियाँ: उन्नत स्टील्थ और मारक क्षमता वाली छह स्वदेशी रूप से डिज़ाइन की गई पनडुब्बियों के निर्माण का कार्यक्रम।
  • पनडुब्बी बचाव प्रगति:
    • भारतीय नौसेना द्वारा वर्ष 2018 और वर्ष 2019 में यूनाइटेड किंगडम से उन्नत डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल्स (DSRV) का अधिग्रहण, पनडुब्बी बचाव क्षमताओं को बढ़ाता है।
      • केवल 12 देशों के पास यह विशिष्ट तकनीक है और भारत उनमें से एक है जो इसके रणनीतिक महत्त्व को उजागर करती है।
    • इसके अतिरिक्त हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड, विशाखापत्तनम द्वारा दो देशज रूप से निर्मित डाइविंग सपोर्ट वेसल्स (DSV) प्रस्तुत किये गए जो पनडुब्बी बचाव अभियान की क्षमता में वृद्धि करते हैं।
      • DSRV प्रणाली उन्नत सोनार प्रौद्योगिकी और रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स का उपयोग कर 1,000 मीटर की गहराई तक पनडुब्बियों का पता लगाने में सक्षम है।

नोट: भारतीय नौसेना ने हाल ही में घोषणा की कि उसने 900 किमी. की दूरी से ब्रह्मोस मिसाइल का उपयोग कर भूमि आधारित लक्ष्य को सफलतापूर्वक निशाना बनाया।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स:

प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित टर्मिनल हाई ऑल्टिट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) क्या है? (2018)

(a) इज़रायल की एक रडार प्रणाली
(b) भारत का घरेलू मिसाइल प्रतिरोधी कार्यक्रम
(c) अमेरिकी मिसाइल प्रतिरोधी प्रणाली
(d) जापान और दक्षिण कोरिया के बीच एक रक्षा सहयोग

उत्तर: (c)


प्रश्न. भारत ने निम्नलिखित में से किससे बराक मिसाइल रोधी रक्षा प्रणाली खरीदी है? (2008)

(a) इज़रायल
(b) फ्राँस
(c) रूस
(d) अमेरिका

उत्तर: (a)


प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन सा 'INS अस्त्रधारिणी' का सबसे अच्छा विवरण है, जो हाल ही में खबरों में था? (वर्ष 2016)

 (A) उभयचर युद्ध पोत
 (B) परमाणु संचालित पनडुब्बी
 (C) टॉरपीडो लॉन्च और रिकवरी वेसल
 (D) परमाणु संचालित विमान वाहक

 उत्तर: (C)

    • INS अस्त्रधारिणी एक स्वदेश निर्मित टॉरपीडो लॉन्च और रिकवरी वेसल है। इसे 6 अक्तूबर, 2015 को कमीशन किया गया था।

    अत: विकल्प (C) सही उत्तर है।


    प्रारंभिक परीक्षा

    लीप वर्ष

    स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

    वर्ष 2024 में 29 फरवरी लीप दिवस को संदर्भित करता है। लीप वर्ष के दौरान कैलेंडर में एक अतिरिक्त दिन संकलित हो जाता है। यह अतिरिक्त दिन, जिसे लीप वर्ष दिवस के रूप में जाना जाता है, वर्ष को कुल 365 के स्थान पर 366 दिनों का बनाता है।

    लीप वर्ष क्या है?

    • लीप वर्ष:
      • लीप वर्ष में सामान्य 365 दिनों की तुलना में 366 दिन होते हैं। इस दौरान वर्ष के लघुतम माह (दिनों की संख्या के आधार पर) फरवरी में 29 फरवरी के रूप में एक अतिरिक्त दिन संकलित होता है।
      • एक सौर कैलेंडर पृथ्वी द्वारा सूर्य की एक पूर्ण परिक्रमा को दर्शाता है। एक सामान्य वर्ष 365 दिनों का होता है। सूर्य की परिक्रमा में पृथ्वी को लगभग 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट और 46 सेकंड लगते हैं।
        • अतिरिक्त समय को ध्यान में रखते हुए, छह घंटे प्रतिवर्ष चार वर्षों में 24 घंटे (एक पूर्ण दिवस) जोड़ दिये जाते हैं।
      • यदि लीप वर्ष नहीं होते तो कैलेंडर अंततः ऋतुओं के साथ तालमेल से बाहर हो जाता।
        • अतिरिक्त दिन कैलेंडरों और मौसमों को धीरे-धीरे तालमेल से बाहर होने तथा कटाई, रोपण एवं मौसम के आधार पर अन्य चक्रों को प्रभावित करने से रोकता है।
    • लीप वर्ष का विकास: 
      • अधिकांशतः छोटी-छोटी त्रुटियों के कारण, सौर वर्ष के जूलियन कैलेंडर सन्निकटन के परिणामस्वरूप समय के साथ गलतियाँ बढ़ती गईं।
      • 16वीं शताब्दी तक कैलेंडर सौर वर्ष से लगभग 10 दिन आगे था, जिससे सुधार की आवश्यकता को जन्म दिया।
      • पोप ग्रेगरी XIII ने वर्ष 1582 में कैलेंडर सुधार की शुरुआत की, जिसमें कैलेंडर को सौर वर्ष के साथ फिर से संरेखित करने के लिये 10 दिन हटा दिये गए।
      • भविष्य की त्रुटियों को रोकने के लिये ग्रेगोरियन कैलेंडर ने एक परिष्कृत लीप वर्ष नियम प्रस्तुत किया, जिसमें प्रत्येक 400 वर्षों में तीन लीप वर्ष हटा दिये गए।
    • लीप वर्ष का गणित:
      • लीप वर्ष हमेशा चार के गुणज होते हैं, जैसे– 2016, 2020, 2024, लेकिन जो वर्ष चार का गुणज हो वह हमेशा लीप वर्ष नहीं होता है।
      • ग्रेगोरियन लीप वर्ष नियम में कहा गया है कि वर्ष संख्या चार से विभाज्य होनी चाहिये, सदी के अंत के वर्षों ('00' पर समाप्त होने वाले) को छोड़कर, जो 400 से विभाज्य होनी चाहिये।
        • इसका मतलब यह है कि वर्ष 2000 एक लीप वर्ष था, हालाँकि वर्ष 1900 लीप वर्ष नहीं था। जबकि वर्ष 2024, 2028, 2032 और 2036 सभी लीप वर्ष हैं।
      • इस अतिरिक्त नियम की आवश्यकता है क्योंकि प्रत्येक 4 वर्ष में एक लीप दिवस जोड़ने से वास्तव में सौर वर्ष में हुए मामूली अंतर की भरपाई हो जाती है। इससे पता चलता है कि  प्रत्येक 4 वर्ष में एक लीप दिवस जोड़ने से थोड़ा अधिक समय बढ़ जाता है अर्थात् आवश्यकता से लगभग 44 मिनट अधिक।
        • इसलिये 400 से विभाज्य न होने वाली सदियों के लिये लीप वर्ष को छोड़कर, हम वास्तविक सौर वर्ष के और भी करीब रहने तथा मौसमों को नियंत्रण में रखने के लिये कैलेंडर को ठीक करते हैं।


    रैपिड फायर

    प्रागैतिहासिक कंकाल अवशेषों से गुणसूत्र संबंधी विकार

    स्रोत: द हिंदू

    हाल ही में शोधकर्त्ताओं ने लगभग 5,500 वर्ष पुराने प्रागैतिहासिक कंकाल अवशेषों में गुणसूत्र संबंधी विकारों की पहचान की है, जो प्राचीन आबादी में डाउन सिंड्रोम और एडवर्ड्स सिंड्रोम जैसी आनुवंशिक स्थितियों की उपस्थिति पर प्रकाश डालते हैं।

      • क्रोमोसोमल ट्राइसॉमी वाले व्यक्तियों में एक क्रोमोसोम की तीन प्रतियाँ होती हैं, जिससे डाउन सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 21) और एडवर्ड्स सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 18) जैसी स्थितियाँ होती हैं।
        • डाउन सिंड्रोम एक आनुवंशिक स्थिति है जो तब होती है जब किसी व्यक्ति के पास क्रोमोसोम 21 की एक अतिरिक्त प्रतिलिपि होती है। यह मनुष्यों में सबसे आम गुणसूत्र विसंगति है और बौद्धिक विकलांगता तथा स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। 
        • एडवर्ड्स सिंड्रोम एक आनुवंशिक स्थिति है जो तब होती है जब एक बच्चा दो के बजाय गुणसूत्र 18 की तीन प्रतियों के साथ उत्पन्न होता है। यह भ्रूण के विकास के दौरान शारीरिक विकास में देरी का कारण बनता है। 
      • कुछ मामले प्राचीन काल के हैं, जिनमें कांस्य युग (लगभग 2,700 ईसा पूर्व) और नवपाषाण काल ​​(लगभग 3,500 ईसा पूर्व) शामिल हैं।
        • प्रारंभिक लौह युग स्पेन (800-400 ईसा पूर्व) में, डाउन सिंड्रोम के तीन मामले और एडवर्ड्स सिंड्रोम के एक मामले का पता चला था, जो उन समाजों में ट्राइसोमी वाहकों की संभावित उच्च आवृत्ति का सुझाव देता है।                 

      और पढ़ें: भारत में जीनोम अनुक्रमण


      रैपिड फायर

      एनीमिया के उन्मूलन हेतु मिशन उत्कर्ष

      स्रोत: द हिंदू

      आयुष मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने संयुक्त रूप से मिशन उत्कर्ष का शुभारंभ किया है जिसका उद्देश्य आयुर्वेदिक मध्यवर्तन के माध्यम से किशोरियों में पोषण सुधार करना है।

      • मिशन उत्कर्ष के अंतर्गत 15 केंद्रीय मंत्रालय अथवा विभाग निम्न स्तर के ज़िलों को राज्य और राष्ट्रीय औसत तक विकास करने में सहायता प्रदान करेंगे।
        • मिशन के पहले चरण के अंतर्गत पाँच राज्यों के पाँच आकांक्षी ज़िलों- असम (धुबरी), छत्तीसगढ़ (बस्तर), झारखंड (पश्चिमी सिंहभूम), महाराष्ट्र (गढ़चिरौली) और राजस्थान (धौलपुर) में आयुर्वेदिक मध्यवर्तन के माध्यम से किशोरियों (14-18 वर्ष) में एनीमिया को नियंत्रित करने के लिये इसका कार्यान्वन किया जाएगा।
      • इसका उद्देश्य एनीमिया को नियंत्रित कर "एनीमिया मुक्त भारत" की लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में कार्य करना है।
        • एनीमिया/अरक्तता का आशय ऐसी स्थिति से है जिसमें शरीर के रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं अथवा हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है जिससे रक्त की ऑक्सीजन संचारित करने की क्षमता कम हो जाती है।

      और पढ़ें…एनीमिया मुक्त भारत


      रैपिड फायर

      लोकपाल के नए अध्यक्ष

      स्रोत: द हिंदू 

      हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर को लोकपाल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। लगभग दो वर्ष तक उक्त पद रिक्त रहने के बाद यह नियुक्ति हुई है। 

      • लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति की सिफारिशें प्राप्त करने के बाद की जाती है।
      • लोकपाल में एक अध्यक्ष के अलावा आठ सदस्य हो सकते हैं, चार न्यायिक और चार गैर-न्यायिक।

      और पढ़ें: लोकपाल और लोकायुक्त


      रैपिड फायर

      मेलानोक्लामिस द्रौपदी

      स्रोत: द हिंदू

      ज़ूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) ने रूबी लाल धब्बे वाले हेड-शील्ड समुद्री स्लग की एक नई समुद्री प्रजाति का नाम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम पर रखा है, जिसे पश्चिम बंगाल तथा ओडिशा के तटों पर खोजा गया था, जिसे मेलानोक्लामिस द्रौपदी नाम दिया गया है।

      • जीनस मेलानोक्लामिस में प्रजातियों की भौतिक विशेषताओं में एक छोटा, कुंद, बेलनाकार शरीर और साथ-ही-साथ दो समान अथवा असमान पृष्ठीय ढालों के साथ एक चिकनी पृष्ठीय सतह शामिल है, जिन्हें पश्च तथा पूर्व पृष्ठीय ढाल कहा जाता है।
      • इस प्रजाति का प्रजनन नवंबर से जनवरी के बीच देखा जाता है।
      • मेलानोक्लामिस द्रौपदी पारदर्शी बलगम का स्राव करती है, जो उन्हें चिकनी रेत के नीचे रेंगते समय रेत के कणों से रक्षा करती है, जिससे इसका शरीर शायद ही कभी दिखाई देता है।
      • ZSI ने स्पष्ट किया है कि इस समूह की प्रजातियाँ आमतौर पर हिंद-प्रशांत महासागरीय क्षेत्र के समशीतोष्ण क्षेत्रों में पाई जाती हैं, इनकी तीन प्रजातियाँ वास्तव में उष्णकटिबंधीय हैं: थाईलैंड की खाड़ी से मेलानोक्लैमिस पैपिलाटा, पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा तट से मेलानोक्लैमिस बेंगालेंसिस तथा मेलानोक्लैमिस द्रौपदी


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