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आईएनएस वागीर

  • 21 Dec 2022
  • 5 min read

हाल ही में प्रोजेक्ट-75 की INS 'वागीर' नाम की 5वीं स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी भारतीय नौसेना को सौंपी गई है। 

  • यह कलवरी श्रेणी की डीज़ल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बी यार्ड 11879 है, जिसे कमीशन किये जाने पर आईएनएस वागीर नाम दिया जाएगा।

INS-Vagir

INS वागीर:

  • पृष्ठभूमि: 
    • वागीर-I, पूर्व में रूस से प्राप्त की गई सबमरीन को 3 दिसंबर, 1973 को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था और लगभग तीन दशकों तक देश की सेवा करने के बाद 7 जून, 2001 को सेवामुक्त किया गया था।
    • सार्वजनिक जहाज़ निर्माता मझगाँव डॉक लिमिटेड (MDL) ने इसी नाम की पनडुब्बी को एक नया अवतार दिया।
  • परिचय: 
    • इसका नाम सैंड फिश के नाम पर रखा गया है, जो हिंद महासागर की एक खतरनाक शिकारी है।
    • यह भारत में बनाई जा रही कलवरी-श्रेणी की पनडुब्बियों का ही एक अंग है 
      • कलवरी-श्रेणी की पनडुब्बियों में युद्ध-रोधी और सबमरीन-रोधी संचालन, खुफिया जानकारी एकत्र करने और निगरानी तथा माइन बिछाने सहित विभिन्न प्रकार के नौसेना युद्धों में संचालन की क्षमता है।  
    • सबमरीन में इस्तेमाल की गई अत्याधुनिक तकनीक:
      • निगरानी से बचने में बेहतर रूप से सक्षम, उन्नत ध्वनिक अवशोषण तकनीक, कम विकिरणित शोर स्तर और हाइड्रो-डायनामिक रूप से अनुकूलित आकार।
      • सटीक निर्देशित हथियारों का उपयोग करके दुश्मन पर हमला करने की क्षमता।
    • यह पनडुब्बी लगभग सभी प्रकार की परिस्थितियों में संचालित करने के लिये डिज़ाइन की गई है, जो नौसेना टास्क फोर्स के अन्य घटकों के साथ अंतर्संचालनीयता (इंटरऑपरेबिलिटी) का प्रदर्शन करती है।
    • यह जल के नीचे या सतह पर टॉरपीडो और ट्यूब लॉन्च एंटी-शिप मिसाइल दोनों के साथ हमला कर सकती है।
    • यह विविध प्रकार के कार्यों में सक्षम है जैसे कि सतह-रोधी युद्ध, पनडुब्बी-रोधी युद्ध, खुफिया जानकारी एकत्र करना, माइन बिछाना, क्षेत्र की निगरानी आदि।
  • महत्त्व: 
    • भारतीय यार्ड में इन पनडुब्बियों का निर्माण 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में एक और कदम है तथा इस क्षेत्र में आत्मविश्वास बढ़ाता है, एक उल्लेखनीय उपलब्धि यह है कि यह 24 महीने की अवधि में भारतीय नौसेना को दी जाने वाली तीसरी पनडुब्बी है।

प्रोजेक्ट -75:  

  • परिचय: 
    • यह भारतीय नौसेना का एक कार्यक्रम है इसमें स्कॉर्पीन डिज़ाइन की छह पनडुब्बियों का स्वदेशी निर्माण शामिल है।
      • स्कॉर्पीन एक पारंपरिक संचालित पनडुब्बी है जिसका वज़न 1,500 टन है और यह 300 मीटर की गहराई तक जा सकती है।
    • मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) अक्तूबर 2005 में हस्ताक्षर किये गए 3.75 अरब डॉलर के सौदे के तहत फ्राँस के नौसेना समूह से प्रौद्योगिकी सहायता के साथ छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का निर्माण कर रही है।
    • प्रोजेक्ट 75 में छह पनडुब्बियों का स्वदेशी निर्माण शामिल है।
  • परियोजना-75 के तहत अन्य सबमरीन:
    • पहली सबमरीन INS कलवरी को भारतीय नौसेना में दिसंबर 2017, दूसरी सबमरीन INS खंडेरी को सितंबर 2019 में, तीसरी सबमरीन INS करंज को मार्च 2021 में और चौथी INS वेला को नवंबर 2021 में सेवा में शामिल किया गया था। 
    • छठी और आखिरी सबमरीन वाग्शीर को 2023 के अंत तक नौसेना को सौंपे जाने की उम्मीद है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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