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आंतरिक सुरक्षा

प्रोजेक्ट 75 इंडिया

  • 08 Jun 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये 

रक्षा अधिग्रहण परिषद, INS अरिहंत, मझगांव डॉक लिमिटेड, कैबिनेट कमेटी ऑफ सिक्योरिटी, प्रोजेक्ट-75 इंडिया

मेन्स के लिये 

रक्षा अधिग्रहण परिषद की स्थापना, प्रोजेक्ट-75 इंडिया की प्रमुख विशेषताएँ एवं महत्त्व , रणनीतिक साझेदारी मॉडल, 30 वर्षीय पनडुब्बी निर्माण कार्यक्रम का संक्षिप्त परिचय, 'मेक इन इंडिया'

चर्चा में क्यों?

रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने प्रोजेक्ट-75 इंडिया के अंतर्गत छह पारंपरिक पनडुब्बियों (Conventional Submarines) के निर्माण के लिये प्रस्ताव हेतु अनुरोध (RFP) जारी करने को मंज़ूरी दे दी है।

  • RFP एक घोषित परियोजना है जिसे किसी संगठन द्वारा सार्वजनिक रूप से जारी किया जाता है जो दर्शाता है कि परियोजना को पूरा करने के लिये ठेकेदारों द्वारा बोलियाँ लगाई जाती हैं।

प्रमुख बिंदु 

प्रोजेक्ट के बारे में :

  • इस परियोजना में 43,000 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से अत्याधुनिक वायु-स्वतंत्र प्रणोदन प्रणाली से लैस छह पारंपरिक पनडुब्बियों के स्वदेशी निर्माण की परिकल्पना की गई है।
  • वर्ष 2007 में स्वीकृत प्रोजेक्ट 75 इंडिया, स्वदेशी पनडुब्बी निर्माण के लिये भारतीय नौसेना की 30 वर्षीय योजना का हिस्सा है।
  • स्वदेशी रक्षा निर्माण को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2017 में प्रख्यापित रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत यह पहली परियोजना होगी।
    • रणनीतिक साझेदारी मॉडल आयात पर निर्भरता कम करने के लिये घरेलू निर्माताओं को हाई-एंड मिलिट्री प्लेटफॉर्म्स का उत्पादन करने के लिये प्रमुख विदेशी रक्षा कंपनियों के साथ हाथ मिलाने की अनुमति देता है।
    • रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत अधिग्रहण, रक्षा हेतु 'मेक इन इंडिया' में विदेशी मूल उपकरण निर्माता (OEM) के साथ निजी भारतीय फर्मों की भागीदारी को संदर्भित करता है।

महत्त्व :

  • मेक इन इंडिया की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक :
    • यह  प्रौद्योगिकी के तीव्र गति से और अधिक महत्त्वपूर्ण अवशोषण की सुविधा प्रदान करने तथा भारत में पनडुब्बी निर्माण हेतु एक स्तरीय औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का काम करेगा। 
  • आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना :
    • रणनीतिक दृष्टिकोण से यह आयात पर वर्तमान निर्भरता को कम करने में मदद करेगा और धीरे-धीरे अधिक आत्मनिर्भरता तथा स्वदेशी स्रोतों से आपूर्ति की निर्भरता सुनिश्चित करेगा।
  • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की रक्षा :
    • यह परिवर्तन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN, चीन) द्वारा परमाणु पनडुब्बी शस्त्रागार की तीव्र वृद्धि को ध्यान में रखते हुए और हिंद-प्रशांत को भविष्य में विरोधी के वर्चस्व से बचाने के लिये किया गया है। 

30 वर्षीय पनडुब्बी निर्माण कार्यक्रम :

  • जून 1999 में  कैबिनेट कमेटी ऑफ सिक्योरिटी (CCS) ने 30 वर्षीय पनडुब्बी निर्माण योजना को मंज़ूरी दी थी जिसमें वर्ष 2030 तक 24 पारंपरिक पनडुब्बियों का निर्माण करना शामिल था।
  • P75 इंडिया, P75 को सफल बनाता है, जिसके तहत स्कॉर्पीन वर्ग (Scorpene class)  पर आधारित कलवरी वर्ग (Kalvari class) की छह डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बियों का निर्माण मझगांव डॉक लिमिटेड (MDL) में किया जा रहा था। इस वर्ष मार्च 2021 में तीसरी पनडुब्बी, INS करंज (Karanj), को कमीशन किया गया था।
  • भारत में बनने वाली कुल 24 पनडुब्बियों में से छह परमाणु ऊर्जा से संचालित होंगी। 
  • वर्तमान में भारत के पास केवल एक परमाणु पनडुब्बी INS अरिहंत (Arihant) है। INS अरिघाट (Arighat) एक परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी भी है, जिसे जल्द ही कमीशनिंग किया जाना है।
  • INS चक्र (Chakra) रूस से लीज पर ली गई एक परमाणु पनडुब्बी है। इसके बारे में यह माना जाता है कि यह अपने मूल देश में वापस जा रही है।

रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC)

  • DAC रक्षा मंत्रालय में सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है जो तीन सेवाओं (सेना, नौसेना और वायु सेना) के साथ-साथ भारतीय तटरक्षक बल के लिये नई नीतियों और पूंजी अधिग्रहण पर निर्णय लेती है।
  • DAC की अध्यक्षता रक्षा मंत्री द्वारा की जाती है।
  • वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध के बाद “राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में सुधार” पर मंत्रियों के समूह की सिफारिशों के बाद 2001 में रक्षा अधिग्रहण परिषद का गठन किया गया था।

स्रोत : द हिंदू

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