नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 16 जनवरी से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

एडिटोरियल

  • 25 Mar, 2025
  • 28 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत के MSME सेक्टर का सुदृढ़ीकरण

यह एडिटोरियल 24/03/2025 को बिज़नेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित ISID backs MSMEs, startups to drive manufacturing-led Viksit Bharat पर आधारित है। इस लेख में भारत के औद्योगिक विकास में MSME की महत्त्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया गया है, जो सकल घरेलू उत्पाद में 30% का योगदान देता है, फिर भी बाज़ार की चुनौतियों से जूझ रहा है।

प्रिलिम्स के लिये:

भारत का औद्योगिक परिदृश्य, उद्यम पंजीकरण पोर्टल, हस्तशिल्प, स्वच्छ तकनीक, एग्रीटेक, प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम, MUDRA, SVANidhi, एक ज़िला एक उत्पाद, MSME समाधान पोर्टल, उद्योग 4.0 मानक, कार्बन सीमा समायोजन तंत्र, डिजिटल इंडिया

मुख्य परीक्षा के लिये:

भारतीय अर्थव्यवस्था में MSME क्षेत्र का महत्त्व, भारत में MSME क्षेत्र से जुड़े प्रमुख मुद्दे। 

भारत का औद्योगिक परिदृश्य एक महत्त्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है, जिसमें रणनीतिक विनिर्माण विकास के माध्यम से अपने आर्थिक प्रक्षेपवक्र को बदलने की क्षमता है। सकल घरेलू उत्पाद में 30% योगदान देने और 109 मिलियन नौकरियों का सृजन करने के बावजूद, MSME कमज़ोर बने हुए हैं, जिनमें से 99.5% आयात वृद्धि और बाज़ार चुनौतियों से संघर्ष करते हुए सूक्ष्म उद्यमों के रूप में वर्गीकृत हैं। भारत की औद्योगिक विकास रिपोर्ट (2024-25) प्रणालीगत सुधारों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है, सरकारी क्रय, किफायती ऋण और तकनीकी अंगीकरण के माध्यम से लघु उद्यमों को सुदृढ़ करने पर बल देती है। 

भारतीय अर्थव्यवस्था में MSME क्षेत्र का क्या महत्त्व है?

  • रोज़गार सृजन और समावेशी विकास: MSME भारत में गैर-कृषि रोज़गार का सबसे बड़ा स्रोत है, जो ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में रोज़गार उपलब्ध कराकर समावेशी विकास को सक्षम बनाता है।
    • वे अधिशेष श्रमिकों को समाहित करते हैं, उद्यमशीलता को बढ़ावा देते हैं तथा स्थानीय आर्थिक अवसर उत्पन्न करके प्रवासन को कम करते हैं। 
      • उनकी विकेंद्रित प्रकृति उन्हें समतामूलक विकास के लिये महत्त्वपूर्ण बनाती है, विशेष रूप से SC/ST/OBC और महिला उद्यमियों के बीच।
    • 65 मिलियन MSME में 100 मिलियन से अधिक लोग कार्यरत हैं। साथ ही, MSME मंत्रालय के उद्यम पंजीकरण पोर्टल (URP) के अनुसार, पोर्टल पर पंजीकृत कुल MSME में महिलाओं के स्वामित्व वाली MSME की हिस्सेदारी 20.5% है।
  • निर्यात और विदेशी मुद्रा आय को बढ़ावा: MSME वस्त्र, हस्तशिल्प, इंजीनियरिंग घटक और फार्मा जैसे क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण योगदान देकर भारत की निर्यात अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • वे भारत को अपने निर्यात आधार में विविधता लाने, विशिष्ट उत्पाद बनाने तथा वैश्विक मूल्य शृंखलाओं के साथ एकीकरण में सहायता करते हैं। 
      • वैश्विक स्तर पर टैरिफ बाधाएँ बढ़ने के साथ ही MSME भारत को अंतर्राराष्ट्रीय बाज़ारों में सक्रिय बने रहने में मदद कर रहे हैं।
    • भारत के कुल निर्यात में MSME का योगदान 45% है। वर्ष 2023 में वैश्विक मंदी के बावजूद भारत के इंजीनियरिंग MSME निर्यात में 11% की वृद्धि हुई।
  • आपूर्ति शृंखला समुत्थानशीलन और घरेलू मूल्य संवर्द्धन: बड़े उद्योगों के लिये आपूर्तिकर्त्ता के रूप में कार्य करके, MSME घरेलू आपूर्ति शृंखलाओं को सुदृढ़ करते हैं और आयात पर अत्यधिक निर्भरता को कम करते हैं। 
    • वे ऑटो, रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स और वस्त्र उद्योग जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर उत्पादन का समर्थन करते हैं, जिससे पिछड़े संपर्क तथा मूल्य संवर्द्धन संभव होता है। 
      • कोविड के बाद के विश्व में, यह क्षेत्र समुत्थानशील, आत्मनिर्भर विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • उदाहरण के लिये, सरकारी आँकड़ों में कहा गया है कि खाद्य प्रसंस्करण PLI योजना के तहत, MSME प्रमुख भूमिका निभाते हैं, जिसमें 70 सीधे नामांकित हैं और 40 अनुबंध निर्माताओं के रूप में सहायक हैं।
  • नवाचार और तकनीक-संचालित औद्योगिकीकरण के उत्प्रेरक: MSME नवाचार के उभरते केंद्र हैं, विशेष रूप से स्वच्छ तकनीक, कृषि प्रौद्योगिकी/एग्रीटेक, स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी एवं औद्योगिक स्वचालन जैसे क्षेत्रों में। 
    • इनकी दक्षता इन्हें नई प्रौद्योगिकियों, पायलट सॉल्यूशन्स के तीव्र अंगीकरण और उर्ध्वगामी औद्योगिकीकरण को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाती है। उचित नीति समर्थन के साथ, वे भारत के IR4.0 परिवर्तन का नेतृत्व कर सकते हैं।
    • भारत का स्टार्ट-अप इकोसिस्टम, जो विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा है, में MSME के रूप में कई पंजीकृत स्टार्टअप हैं। 
      • इसके अलावा, भारत सरकार ने MSME की निर्यात क्षमता विकास, संवर्द्धन और विपणन के लिये 5,000 करोड़ रुपए की समर्पित निधि प्रस्तावित किया है।
  • महिलाओं और सीमांत लोगों के उद्यमिता को बढ़ावा: MSME उद्यम के लिये कम प्रवेश-बाधा वाले प्लेटफॉर्म की पेशकश करके महिलाओं और सीमांत समुदायों को सशक्त बनाते हैं।
    • प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम, MUDRA और SVANidhi जैसी योजनाओं ने ज़मीनी स्तर पर उद्यमशीलता को बढ़ावा दिया है।
      • आर्थिक साधनों के माध्यम से यह सामाजिक सशक्तीकरण लैंगिक समानता और उत्कृष्ट श्रम पर सतत् विकास लक्ष्य का भी समर्थन करता है।
    • मार्च 2024 तक, मुद्रा योजना के तहत 25 लाख करोड़ रुपए के ऋण स्वीकृत किये गए, जिनमें से 68% महिला उधारकर्त्ताओं को दिये गए (DFS वार्षिक समीक्षा)। PM स्वनिधि ने 3.2 मिलियन स्ट्रीट वेंडर्स को सहायता प्रदान की है, जिनमें से कई कमज़ोर समूहों से हैं।
  • क्षेत्रीय आर्थिक विकास और शहरी-ग्रामीण संतुलन: MSME टियर-2, टियर-3 शहरों और ग्रामीण समूहों में औद्योगिक गतिविधि को बढ़ावा देकर क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने में मदद करते हैं। 
    • चमड़ा, वस्त्र, हथकरघा और खाद्य प्रसंस्करण में क्लस्टर आधारित विकास से पिछड़े क्षेत्रों के उत्थान में मदद मिलती है। 
      • वे PM गति शक्ति जैसी पहलों के तहत परिकल्पित स्थानिक संतुलित विकास को प्राप्त करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
    • एक ज़िला एक उत्पाद (ODOP) पहल अब 760 से अधिक ज़िलों को कवर करती है, जिससे स्थानीय मूल्य शृंखलाओं को बढ़ावा मिलता है।
  • संधारणीयता और हरित परिवर्तन समर्थक: MSME, ऊर्जा-कुशल प्रथाओं और चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल को अपनाकर भारत की हरित अर्थव्यवस्था में अग्रणी बनने के लिये तैयार हैं। 
    • वे भारत के जलवायु लक्ष्यों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन तकनीक अंगीकरण और वित्तपोषण में सहायता की आवश्यकता है। MSME क्षेत्र में उभरते ग्रीन स्टार्ट-अप अपशिष्ट, ऊर्जा और जल दक्षता के बारे में नवाचार कर रहे हैं।
    • MSME के लिये हरित नीति केंद्र नवाचार और क्षमता निर्माण के लिये एक समर्पित केंद्र के रूप में काम करेगा, जो MSME को विभिन्न क्षेत्रों एवं क्षेत्रों में अनुकूलित तरीके से धारणीय प्रथाओं को अंगीकरण में मदद करने के लिये कौशल, उपकरण व समर्थन प्रदान करेगा।

भारत में MSME क्षेत्र से जुड़े प्रमुख मुद्दे क्या हैं?

  • ऋण सुलभता और वित्तीय अपवर्जन: समय पर और किफायती ऋण की सुलभता MSME के लिये सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। 
    • अनेक योजनाओं के बावजूद, उच्च संपार्श्विक आवश्यकताएँ, विलंबित भुगतान तथा बैंकों में जोखिम से बचने की प्रवृत्ति औपचारिक ऋण प्रवाह को सीमित करती है। 
      • इसके कारण अनेक MSME उच्च ब्याज दर वाले अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर हो जाते हैं, जिससे उनकी संधारणीयता और विकास क्षमता प्रभावित होती है।
    • उदाहरण के लिये, केवल 16% MSME को बैंकों से ऋण मिल पाता है, जबकि शेष को अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है। MSME को वर्तमान में औपचारिक ऋण के रूप में लगभग 25.8 लाख करोड़ रुपए की आवश्यकता है।
  • विलंबित भुगतान और कार्यशील पूंजी की कमी: सरकारी विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और बड़े निजी खरीदारों से भुगतान में लगातार विलंब से MSME के नकदी प्रवाह और कार्यशील पूंजी पर असर पड़ता है। 
    • इससे ऋण पर निर्भरता, उत्पादन में रुकावट और छंटनी का दुष्चक्र उत्पन्न होता है।
      • वर्ष 2021 की एक रिपोर्ट ने समाधान पोर्टल पर मामलों के अकुशल निपटान दरों पर प्रकाश डाला, जिसमें केवल 20% आवेदनों का समाधान किया गया या पारस्परिक रूप से निपटारा किया गया, जबकि 39% पर ध्यान नहीं दिया गया।
    • RBI रिपोर्ट (2023) के अनुसार, सरकारी खरीदारों के पास 10,000 करोड़ रुपए से अधिक का विलंबित भुगतान लंबित है। MSME सॉल्यूशन पोर्टल ने वर्ष 2017 में अपनी स्थापना के बाद से दर्ज की गई शिकायतों में से केवल 33% का ही समाधान किया है।
  • प्रौद्योगिकी अप्रचलन और IR4.0 का कम प्रयोग: अधिकांश MSME पुरानी मशीनरी और न्यूनतम डिजिटल एकीकरण के साथ काम करना जारी रखते हैं, जो उत्पादकता, गुणवत्ता और धारणीयता को सीमित करता है। 
    • उनकी डिजिटल साक्षरता और अनुसंधान एवं विकास निवेश की कमी उन्हें उद्योग 4.0 मानकों में परिवर्तन करने से रोकती है। 
      • इससे प्रतिस्पर्द्धात्मकता का अंतर बढ़ता है, विशेषकर वैश्विक बाज़ारों में।
    • सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के संदर्भ में अनुसंधान एवं विकास पर भारत का व्यय पिछले दो दशकों में 0.6 से 0.7% पर स्थिर रहा है, जो अमेरिका और चीन की तुलना में काफी कम है। 
      • वर्ष 2024 में, एक शाखा रहित बैंकिंग और डिजिटल नेटवर्क ने बताया कि 36% MSME नई तकनीक के अंगीकरण में प्रतिरोध का हवाला देते हैं और 18% इसके कार्यान्वयन से जुड़ी उच्च लागतों से जूझते हैं।
  • विनियामक बोझ और अनुपालन जटिलता: MSME को प्रायः अपनी क्षमता की तुलना में असंगत विनियामक बोझ का सामना करना पड़ता है। 
    • कानूनों की बहुलता, आवर्ती अनुपालन फाइलिंग और निरीक्षण से व्यवसाय करने की लागत बढ़ जाती है। ‘इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ के लिये बल दिये जाने के बावजूद, सबसे छोटे भागीदारों पर सुधारों का अच्छा असर नहीं पड़ा है।
    • MSME को विभिन्न विनियमों का अनुपालन करने की आवश्यकता है, जिनमें पंजीकरण के लिये दुकानें एवं स्थापना अधिनियम, श्रम एवं सुरक्षा के लिये कारखाना अधिनियम (यदि लागू हो) तथा रिपोर्टिंग एवं प्रशासन के लिये कंपनी अधिनियम शामिल हैं।
  • बाज़ार पहुँच और मूल्य शृंखला बहिष्करण: कई MSME, विशेष रूप से सूक्ष्म एवं ग्रामीण उद्यम, अपने क्षेत्र से परे बाज़ारों तक पहुँचने के लिये संघर्ष करते हैं। 
    • MSME का एक बड़ा हिस्सा कर के दायरे, श्रम विनियमों और औपचारिक वित्तपोषण प्रणालियों से बाहर अनौपचारिक रूप से कार्य करता है। 
      • इससे वे नीति निर्माण में अदृश्य हो जाते हैं और औपचारिक सहायता योजनाओं से बाहर हो जाते हैं। अनौपचारिकता से श्रमिकों की उत्पादकता भी कम होती है और सामाजिक सुरक्षा भी कमज़ोर होती है।
    • उनके पास ब्रांडिंग, डिजिटल मार्केटिंग कौशल और बड़ी मूल्य शृंखलाओं के साथ जुड़ाव की कमी है। इससे राजस्व, धारणीयता और वैश्विक व्यापार प्रवाह के साथ एकीकरण सीमित हो जाता है। 
      • ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर MSME की उपस्थिति कम बनी हुई है। ODOP और GEM पहल से मदद मिल रही है, लेकिन इसका लाभ कम मिल रहा है।
  • बाह्य झटकों और वैश्विक व्यवधानों के प्रति सुभेद्यता: MSME अपने सीमित भंडार और संकीर्ण मार्जिन के कारण आर्थिक व्यवधानों, आपूर्ति शृंखला आघात एवं भू-राजनीतिक तनावों से असमान रूप से प्रभावित होते हैं। 
    • कोविड-19, यूरोपीय संघ की कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBAM) और आयात कीमतों में उतार-चढ़ाव जैसी घटनाओं ने उनकी सुभेद्यता को उजागर कर दिया है।
    • कोविड-19 के बाद, 35,000 से अधिक MSME ने परिचालन बंद कर दिया है, जिससे इस क्षेत्र की चल रही चुनौतियों से निपटने हेतु निरंतर समर्थन एवं समुत्थानशक्ति निर्माण उपायों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है। 
      • इसके अलावा, यूरोपीय संघ का CBAM वस्त्र MSME को प्रभावित कर सकता है। 

भारत में MSME की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं?

  • जोखिम-आधारित ऋण मॉडल के साथ एकीकृत क्रेडिट कार्यढाँचा: वित्तीय पहुँच में सुधार के लिये एक एकीकृत डिजिटल क्रेडिट पारिस्थितिकी तंत्र होना चाहिये जो UDYAM, GST, TReDS और खाता एग्रीगेटर प्लेटफॉर्मों को एकीकृत करता हो। 
    • ऋण मूल्यांकन को संपार्श्विक-आधारित से बदलकर नकदी-प्रवाह और MSME के लिये जोखिम-आधारित मॉडल में परिवर्तित किया जाना चाहिये। 
    • CGTMSE जैसे सार्वजनिक ऋण गारंटी तंत्र को उच्च कवरेज और तीव्र दावों के साथ विस्तारित किया जा सकता है। 
  • इन प्लेटफॉर्मों को जोड़ने से निर्बाध, वास्तविक काल में ऋण वितरण सुनिश्चित हो सकता है।
  • IR4.0 फोकस के साथ क्लस्टर-आधारित प्रौद्योगिकी उन्नयन: प्लग-एंड-प्ले बुनियादी अवसंरचना, तकनीकी प्रयोगशालाओं और डिज़ाइन केंद्रों के साथ प्रमुख MSME क्लस्टरों में क्षेत्रीय प्रौद्योगिकी उन्नयन केंद्र बनाए जाने चाहिये।
    • इन्हें राज्य सरकारों के सहयोग से MSE-CDP और डिजिटल इंडिया पहल के तहत सह-विकसित किया जाना चाहिये।
    • प्रत्येक क्लस्टर के डोमेन के लिये प्रासंगिक AI/IoT अंगीकरण, ऊर्जा दक्षता और प्रक्रिया स्वचालन पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये। 
    • क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को सूक्ष्म इकाइयों द्वारा तकनीक समायोजन सुनिश्चित करना चाहिये। CSIR, IIT और निजी अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं के साथ साझेदारी करके ज़मीनी स्तर पर नवाचार को बढ़ावा दिया जा सकता है।
  • एकीकृत MSME पोर्टल के माध्यम से सुव्यवस्थित अनुपालन: एकल-खिड़की डिजिटल MSME अनुपालन पोर्टल स्थापित किया जाना चाहिये जो सभी राज्य और केंद्रीय विनियामक फाइलिंग— श्रम, GST, पर्यावरण, कारखाना और लाइसेंसिंग को एक सरलीकृत डैशबोर्ड में एकीकृत करता है।
    • सूक्ष्म इकाइयों पर बोझ कम करने के लिये आकार और क्षेत्र के आधार पर श्रेणीबद्ध अनुपालन मानदंड लागू किया जाना चाहिये।
    • वास्तविक काल शिकायत निवारण और चैटबॉट-आधारित सलाहकार उपकरण शामिल किया जाना चाहिये। समयबद्ध विवाद समाधान के लिये इसे ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस 2.0 और MSME के लिये विवाद से विश्वास के साथ जोड़ा जाना चाहिये।
  • योजना अभिसरण के माध्यम से डिजिटल बाज़ार संपर्क: MSME के लिये एक निर्बाध विपणन मंच बनाने के लिये ODOP, GEM और ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) को विलय करके डिजिटल एक्सेस को मज़बूत किया जाना चाहिये।
    • इस अभिसरण से ब्रांडिंग, लॉजिस्टिक्स सहायता, B2B कनेक्शन और बहुभाषी डिजिटल साक्षरता की सुविधा मिलेगी। 
    • सूचीकरण, मूल्य निर्धारण और भुगतान प्रणालियों के लिये सहायता आवश्यक है, विशेष रूप से पहली बार विक्रेताओं के लिये। 
      • ज़िलों में समर्पित ई-कॉमर्स ज़ोन इनक्यूबेशन सेंटर के रूप में कार्य कर सकते हैं। इस दृष्टिकोण से MSME को घरेलू और निर्यात दोनों बाज़ारों का कुशलतापूर्वक दोहन करने में मदद मिलेगी।
  • MSME-उद्योग-अकादमिक इंटरफेस के साथ विकेंद्रीकृत कौशल: कौशल भारत 2.0 के तहत MSME क्लस्टरों में ज़िला कौशल प्रयोगशालाएँ स्थापित की जाएंगी, जिनका सह-प्रबंधन उद्योग निकायों, ITI और स्थानीय पॉलिटेक्निकों द्वारा किया जाएगा। 
    • मांग-आधारित, क्लस्टर आवश्यकताओं के अनुरूप मॉड्यूलर कौशल पर फोकस होना चाहिये जैसे: सूरत में वस्त्र, राजकोट में मशीन टूल्स, कोयम्बटूर में ऑटो कंपोनेंट्स।
    • कार्यस्थल पर अधिगम को प्रोत्साहित करने के लिये प्रशिक्षुता से जुड़े प्रोत्साहन शुरू किये जाने चाहिये।
    • औद्योगिक पार्कों में लचीले प्रशिक्षण मॉडल और क्रेच सुविधाओं के माध्यम से महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
  • प्रोत्साहनयुक्त संक्रमण पैकेज के साथ औपचारिकीकरण को बढ़ावा: UDYAM पर पंजीकरण करने वाले अनौपचारिक MSME के लिये 3-वर्षीय औपचारिकीकरण संक्रमण पैकेज की पेशकश की जाएगी, जिसमें उपयोगिता सब्सिडी, कर छूट, विपणन सहायता और सरलीकृत निरीक्षण जैसे क्रमिक प्रोत्साहन प्रदान किये जाएंगे। 
    • इसे प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना और स्वनिधि के साथ जोड़कर कारीगरों एवं नैनो-इंटरप्राइजेज़ को इसके दायरे में लाया जाना चाहिये। 
    • उद्योग मंडलों के माध्यम से डिजिटल ऑनबोर्डिंग किट और सलाह प्रदान किया जाना चाहिये। लघु उद्यमियों पर बोझ डाले बिना स्वैच्छिक औपचारिकता को बढ़ावा देने के लिये प्रवर्तन पर नहीं, बल्कि सरलता पर ज़ोर दिया जाना चाहिये।
  • संधारणीय विनिर्माण के लिये हरित MSME मिशन: एक समर्पित हरित MSME मिशन शुरू किया जाना चाहिये जो पर्यावरण अनुकूल विनिर्माण— ऊर्जा कुशल मशीनरी, सौर ऊर्जा अंगीकरण, अपशिष्ट में कमी के लिये तकनीकी एवं वित्तीय सहायता प्रदान करता है। 
    • इसे ZED प्रमाणन, SIDBI के हरित वित्त और कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग के साथ संरेखित किया जाना चाहिये।
    • ESG अनुपालन को अनिवार्य नहीं, बल्कि आकांक्षापूर्ण बनाया जाना चाहिये, इसके लिये स्तरीय मान्यता मॉडल का उपयोग किया जाना चाहिये। स्वच्छ उत्पादन के लिये प्रोत्साहन के साथ प्रदूषण-ग्रस्त क्षेत्रों में हरित समूहों को बढ़ावा दिया जाना चाहिये। यह MSME को यूरोपीय संघ के CBAM जैसे भविष्य के निर्यात मानकों के लिये तैयार करेगा।

निष्कर्ष

एक समुत्थानशील MSME क्षेत्र भारत के औद्योगिक परिवर्तन, रोज़गार सृजन और आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिये महत्त्वपूर्ण है। ऋण बाधाओं, प्रौद्योगिकी अंगीकरण और विनियामक बाधाओं को दूर करने से MSME वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा करने एवं मूल्य शृंखलाओं में एकीकृत होने में सक्षम होंगे। बाज़ार अभिगम, डिजिटल लिंकेज और संधारणीयता पहल को सुदृढ़ करने से उनकी पूरी क्षमता का सदुपयोग सुनिश्चित किया जा सकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत में MSME के समक्ष आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये और इनसे निपटने में हाल की सरकारी पहलों की प्रभावशीलता का भी मूल्यांकन कीजिये। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)   

प्रिलिम्स 

प्रश्न 1. विनिर्माण क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करने के लिये भारत सरकार ने कौन-सी नई नीतिगत पहल की है/हैं? (2012) 

  1. राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्रों की स्थापना 
  2. 'एकल खिड़की मंजूरी' (सिंगल विंडो क्लीयरेंस) की सुविधा प्रदान करना 
  3. प्रौद्योगिकी अधिग्रहण तथा विकास कोष की स्थापना 

निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन सरकार के समावेशी विकास के उद्देश्य को आगे बढ़ाने में सहायता कर सकता है? (2011) 

  1. स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करना 
  2. सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को प्रोत्साहित करना 
  3. शिक्षा के अधिकार अधिनियम का क्रियान्वयन 

निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 
(b) केवल 1 और 2 
(c) केवल 2 और 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (d)


प्रश्न 3. भारत के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :  (2023) 

  1. ‘सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (एम.एस.एम.ई.डी.) अधिनियम 2006’ के अनुसार, ‘जिनके संयंत्र और मशीन में निवेश 15 करोड़ रुपये से 25 करोड़ रुपये के बीच हैं, वे मध्यम उद्यम हैं’। 
  2. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को दिये गए सभी बैंक ऋण प्राथमिकता क्षेत्रक के अधीन हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/है?

(a) केवल 1                             
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों                
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर:(b)


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2