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एडिटोरियल

  • 12 Sep, 2023
  • 17 min read
अंतर्राष्ट्रीय संबंध

G20: विकासशील विश्व का मंच

यह एडिटोरियल 11/09/2023 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित ‘‘How India made G20 a forum for developing countries’’ लेख पर आधारित है। इसमें चर्चा की गई है कि G20 में अफ्रीकी संघ (AU) का प्रवेश किस प्रकार भारत की अध्यक्षता की उपलब्धि है और यह किस प्रकार ‘ग्लोबल साउथ’ के विकासात्मक एजेंडे के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

प्रिलिम्स के लिये:

अफ्रीकी संघ, G20, भारत की G20 प्रेसीडेंसी, यूरोपीय संघ, LiFE (पर्यावरण के लिये जीवन शैली), अफ्रीका के साथ विकास सहयोग, एजेंडा 2063 और एजेंडा 2030, जलवायु वित्त और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार, AfCFTA, नवीकरणीय ऊर्जा और डिजिटल अर्थव्यवस्था, आपदा जोखिम में कमी और लचीलापन, स्टार्टअप 20 और नवाचार, महिलाओं के नेतृत्व में विकास,वैश्विक दक्षिण, सतत विकास लक्ष्य, वैश्विक संप्रभु ऋण गोलमेज सम्मेलन का शुभारंभ, वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, भारतीय निर्यात-आयात बैंक, पैन-अफ्रीकी ई-नेटवर्क परियोजना, भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन, भारत-अफ्रीका स्वास्थ्य विज्ञान मंच, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के लिये गठबंधन, नालंदा विश्वविद्यालय, जीडीपी, संयुक्त राष्ट्र (यूएन), राष्ट्रमंडल, फ्रैंकोफोनी

मेन्स के लिये:

द्विपक्षीय समूह और संबंधित मुद्दे, वैश्विक मंच पर भारत के हित,देशों की नीतियों एवं राजनीति का भारत के हितों पर प्रभाव

नई दिल्ली द्वारा सितंबर 2023 में आयोजित 18वाँ G20 शिखर सम्मेलन अफ्रीकी संघ (African Union- AU)के स्थायी सदस्य के रूप में प्रवेश के साथ इस समूह का के ऐतिहासिक विस्तार का साक्षी बना। अफ्रीकी संघ 55 सदस्य देशों का एक महाद्वीपीय निकाय है जो अब यूरोपीय संघ (EU) के समान दर्जा रखता है और पूर्ण सदस्यता वाला (अफ्रीका के सभी 55 देशों की सदस्यता के साथ) एकमात्र क्षेत्रीय संगठन है। 

अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने का प्रस्ताव भारत द्वारा जून 2023 में प्रस्तुत किया गया और AU के साथ ही सभी G20 सदस्यों ने इसका स्वागत किया था। G20 में AU को शामिल किया जाना भारत की अध्यक्षता की एक उपलब्धि है और यह वैश्विक दक्षिण या ‘ग्लोबल साउथ’ के विकासात्मक एजेंडे के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 

भारत की G20 अध्यक्षता के तहत विकास सहयोग  

G20 सदस्यता के बाद अफ्रीका के लिये लाभ और अवसर 

  • G20 में AU को शामिल किया जाना अधिक समावेशी और प्रतिनिधिक वैश्विक शासन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। AU 1.4 बिलियन लोगों और 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के सामूहिक जीडीपी वाले महाद्वीप का प्रतिनिधित्व करता है । 
  • वर्ष 2023 में 4.1% की अनुमानित विकास दर के साथ अफ्रीका विश्व के सबसे तेज़ी से विकास करते क्षेत्रों में से एक है। 
  • गरीबी उन्मूलन, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य सुरक्षा, डिजिटल रूपांतरण, व्यापार सुविधा, ऋण संवहनीयता और शांति एवं सुरक्षा जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिये अफ्रीका की आवाज़ और परिप्रेक्ष्य को शामिल करना आवश्यक है। 
  • G20 में AU को शामिल करने से अफ्रीका और G20 सदस्यों, दोनों के लिये लाभ और अवसरों के द्वार खुलेंगे। 
    • अफ्रीका के दृष्टिकोण से, यह वैश्विक मंच पर उसके साझा हितों और आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिये एक मंच प्रदान करेगा, जैसे कि: 
      • एजेंडा 2063 और एजेंडा 2030 का कार्यान्वयन; 
      • अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (African Continental Free Trade Area- AfCFTA) का क्रियान्वयन; 
      • जलवायु वित्त और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की लामबंदी; और 
      • अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों का सुधार। 
    • G20 सदस्यों के दृष्टिकोण से, यह अवसंरचना विकास, नवीकरणीय ऊर्जा, डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, कृषि, पर्यटन और संस्कृति जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अफ्रीका के साथ सहयोग एवं साझेदारी के नए मार्ग खोलेगा। 
      • यह G20 सदस्यों और अफ्रीकी देशों के बीच आपसी समझ एवं भरोसे को भी बढ़ावा देगा। 

G20 के साथ AU की संलग्नता से अफ्रीका और विश्व के लिये कौन-सी प्रमुख चुनौतियों उत्पन्न होंगी? 

G20 में AU को शामिल किये जाने से कुछ चुनौतियाँ भी पैदा होंगी और इसकी प्रभावशीलता एवं संवहनीयता को सुनिश्चित करने के लिये कुछ कार्रवाइयों की आवश्यकता होगी। इनमें से कुछ प्रमुख चुनौतियाँ हैं: 

  • G20 के साथ अपनी संलग्नता में सुसंगतता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये AU को अपने सदस्य राज्यों एवं क्षेत्रीय आर्थिक समुदायों के साथ अपनी स्थिति और प्राथमिकताओं का समन्वय करना होगा। 
  • AU को विभिन्न ट्रैक्स एवं वर्क-स्ट्रीम में G20 प्रक्रियाओं और बैठकों में प्रभावी ढंग से भाग लेने के लिये अपनी संस्थागत क्षमता और मानव संसाधनों को सुदृढ़ करना होगा। 
  • AU को अफ्रीकन यूनियन कमीशन (AUC), अफ्रीकन यूनियन डेवलपमेंट एजेंसी (AUDA-NEPAD), संयुक्त राष्ट्र (UN), यूरोपीय संघ (EU), राष्ट्रमंडल (Commonwealth), फ़्रैंकोफ़ोनी (Francophonie) जैसे अन्य क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों के साथ अपनी प्रतिबद्धताओं एवं दायित्वों को संतुलित करना होगा।  
  • AU को ऐसे अन्य G20 सदस्यों के साथ अपनी अपेक्षाओं और हितों का प्रबंधन करना होगा जिनके पास विभिन्न मुद्दों पर अलग-अलग एजेंडे और दृष्टिकोण हो सकते हैं। 
  • AU को यह सुनिश्चित करना होगा कि G20 में उसकी भागीदारी से अफ्रीका के विकास के लिये ठोस परिणाम और लाभ प्राप्त हों। 

आगे की राह 

AU को G20 के साथ अपनी संलग्नता को समन्वित करने के लिये अपनी संरचनाओं के भीतर एक समर्पित तंत्र या इकाई स्थापित करनी चाहिये। इस तंत्र या इकाई को G20 एजेंडे पर अफ्रीका की स्थिति और प्राथमिकताओं को तैयार करने तथा संप्रेषित करने के लिये AUC, AUDA-NEPAD, क्षेत्रीय आर्थिक समुदायों, सदस्य राज्यों, नागरिक समाज, निजी क्षेत्र और अन्य हितधारकों के साथ निकटता से संपर्क बनाना चाहिये। 

  • AU को G20 प्रक्रियाओं और बैठकों में प्रभावी ढंग से भागीदारी करने के लिये अपनी क्षमता और संसाधनों को बढ़ाने हेतु G20 सदस्यों और अन्य भागीदारों से तकनीकी एवं वित्तीय सहायता प्राप्त करनी चाहिये। 
  • AU को अपनी G20 भागीदारी हेतु समर्थन जुटाने के लिये भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन, अफ्रीका-EU साझेदारी, अफ्रीका-चीन फोरम जैसी पहले से मौजूद साझेदारियों और मंचों का भी लाभ उठाना चाहिये। 
  • AU को अपनी G20 संलग्नता को एजेंडा 2063, एजेंडा 2030, AfCFTA जैसे अपने मौजूदा ढाँचे और रणनीतियों के साथ संरेखित करना चाहिये। 
  • AU को अपनी G20 संलग्नता और AUC, AUDA-NEPAD, UN, EU, कॉमनवेल्थ, फ्रैंकोफोनी जैसी अपनी अन्य क्षेत्रीय एवं वैश्विक संलग्नताओं के बीच सुसंगतता एवं संपूरकता सुनिश्चित करनी चाहिये। 
  • AU को अपनी G20 संलग्नता में रचनात्मक एवं व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिये, जहाँ विभिन्न मुद्दों पर अन्य G20 सदस्यों के साथ साझा आधार और आम सहमति की तलाश की जा सकती है। AU को बदलती परिस्थितियों और वैश्विक क्षेत्र में उभरती चुनौतियों के प्रति लचीला और अनुकूलनीय भी बनना होगा। 

AU को अपनी G20 भागीदारी की निगरानी और मूल्यांकन करना होगा, जहाँ अफ्रीका के विकास पर इसके प्रभाव एवं परिणामों की माप करनी होगी। AU को सदस्य राज्यों और अन्य हितधारकों के बीच अपनी G20 भागीदारी का प्रसार एवं संचार करना होगा, जहाँ यह अपनी उपलब्धियों और चुनौतियों को रेखांकित करे। 

निष्कर्ष 

G20 में AU को शामिल किया जाना भारत की अध्यक्षता की एक उपलब्धि है और यह ‘ग्लोबल साउथ’ के विकासात्मक एजेंडे के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को प्रकट करता है। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था और शासन में अफ्रीका के महत्त्व एवं क्षमता की मान्यता भी है। AU को वैश्विक सार्वजनिक कल्याण में योगदान करते हुए वैश्विक मंच पर अपने हितों और आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिये इस ऐतिहासिक अवसर का पूरा लाभ उठाना चाहिये। 

अभ्यास प्रश्न: वैश्विक शासन एवं विकास के एक मंच के रूप में G20 की भूमिका और महत्त्व का विश्लेषण कीजिये। अफ्रीका के साथ संलग्नता के विशेष संदर्भ में, वर्ष 2022-23 में भारत की G20 अध्यक्षता की उपलब्धियों एवं चुनौतियों की चर्चा कीजिये। 

https://www.youtube.com/watch?v=15TSKBk5Nr8

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. निम्नलिखित में से किस एक समूह के चारों देश G20 के सदस्य हैं?

(a) अर्जेंटीना, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की
(b) ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, मलेशिया और न्यूज़ीलैंड
(c) ब्राज़ील, ईरान, सऊदी अरब और वियतनाम
(d) इंडोनेशिया, जापान, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न:  उभरते प्राकृतिक संसाधन समृद्ध अफ्रीका के आर्थिक क्षेत्र में भारत अपना क्या स्थान देखता है? (2014)

प्रश्न: "यदि पिछले कुछ दशक एशिया की विकास गाथा के थे, तो अगले कुछ दशक अफ्रीका के होने की उम्मीद है।" इस कथन के आलोक में हाल के वर्षों में अफ्रीका में भारत के प्रभाव का परीक्षण कीजिये। (2021)


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