डेली न्यूज़ (31 May, 2024)



डैग हैमरशॉल्ड मेडल और संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस

प्रिलिम्स के लिये:

डैग हैमरशॉल्ड पदक, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस, संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन

मेन्स के लिये:

संघर्षों को सुलझाने और शांति को बढ़ावा देने में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना की भूमिका, भारत का योगदान

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों ? 

भारतीय शांति सैनिक नायक धनंजय कुमार सिंह, जिन्होंने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र स्थिरीकरण मिशन (MONUSCO) में सेवा की थी, को उनकी सेवा और बलिदान के लिये मरणोपरांत प्रतिष्ठित डैग हैमरशॉल्ड मेडल से सम्मानित किया जाएगा।

नोट: 

  • नायक धनंजय कुमार सिंह ने संयुक्त राष्ट्र के संरक्षण में MONUSCO के एक भाग के रूप में कार्य किया। उन्होंने शांति प्रयासों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता एवं कर्त्तव्यपरायणता प्रदर्शित करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
  • MONUSCO ने वर्ष 2010 में अफ्रीकी देश में पिछले संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन का कार्यभार संभाला था। 
  • MONUSCO का उद्देश्य नागरिकों, मानवीय कर्मियों और मानवाधिकार रक्षकों को शारीरिक हिंसा के संभावित खतरे से बचाना तथा देश की सरकार को उसके स्थिरीकरण और शांति सुदृढ़ीकरण प्रयासों में सहायता प्रदान करना है।

डैग हैमरशॉल्ड मेडल क्या है?

  • डैग हैमरशॉल्ड मेडल की स्थापना, दिसंबर 2000 में शांति अभियानों में सेवा करने वाले सदस्यों को मरणोपरांत दिये जाने वाले पुरस्कार के रूप में की गई थी, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र के परिचालन नियंत्रण और अधिकार के तहत शांति अभियानों में सेवा के दौरान अपनी जान गँवा दी थी।
    • इसका नाम पूर्व संयुक्त राष्ट्र महासचिव डैग  हैमरशॉल्ड के नाम पर रखा गया है, जिनकी वर्ष 1961 में शांति मिशन के दौरान एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।
  • यह मेडल प्रत्येक वर्ष शांतिरक्षक दिवस (29 मई) को संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में आयोजित एक समारोह के दौरान किसी भी सदस्य राज्य को दिया जाता है, जिसने संयुक्त राष्ट्र के शांति स्थापना करने वाले मिशनों/ सेवाओं में अपने एक अथवा अधिक सैन्य या पुलिस शांतिरक्षकों को खो दिया।

संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस:

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2002 में शांति स्थापना के लिये अपने प्राणों की आहुति देने सभी पुरुषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि देने तथा उनका स्मरण करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक दिवस की स्थापना की गई थी।
    • 2024 का विषय: 'फिट फॉर द फ्यूचर, बिल्डिंग बेटर टुगेदर’ ('Fit for the future, building better together') भविष्य के संघर्षों को संबोधित करने के लिये संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना के विकास और अनुकूलनशीलता पर ज़ोर देता है।

संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन क्या है?

  • संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन, शांति संचालन विभाग एवं परिचालन सहायता विभाग के बीच एक संयुक्त समझौता है और इसका उद्देश्य मेज़बान देशों को संघर्ष की स्थितियों से शांति की ओर संक्रमण करने में सहायता करना है।
  • संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना शीत युद्ध के दौरान की गई थी, जब सुरक्षा परिषद अक्सर प्रतिद्वंद्विता के कारण शक्तिहीन हो जाती थी।
  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा शुरू किये गए पहले दो शांति अभियान थे- संयुक्त राष्ट्र युद्धविराम पर्यवेक्षण संगठन (UN Truce Supervision Organization- UNTSO), जो वर्ष 1948 में इज़रायल और उसके अरब पड़ोसियों के बीच युद्धविराम समझौते की निगरानी के लिये शुरू किया गया था तथा भारत व पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (UN Truce Supervision Organization- UNMOGIP), जो वर्ष 1949 में शुरू किया गया था।
  • 125 देशों के दो मिलियन से ज़्यादा शांति सैनिकों ने अब तक विश्वभर में 71 अभियानों में भाग लिया है। आज, अफ्रीका, एशिया, यूरोप व मध्य-पूर्व के 11 संघर्ष क्षेत्रों में लगभग 76,000 महिलाएँ और पुरुष शांति सेवा प्रदान कर रहे हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों का मार्गदर्शन करने वाले तीन मुख्य सिद्धांत हैं - पक्षों की सहमति, निष्पक्षता, तथा आत्मरक्षा और अधिदेश की रक्षा के अलावा बल का प्रयोग न करना।

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संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में भारत का योगदान क्या है?

  • योगदान: भारत संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में वर्दीधारी कार्मिकों का योगदान देने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है।
    • वर्ष 1948 से अब तक 200,000 से अधिक भारतीयों ने 49 संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में सेवा की है।
    • वर्तमान में भारतीय सशस्त्र बल शांति अभियानों के लिये नौ देशों में सेवारत हैं। अब तक भारतीय सेना के 160 जवानों ने वैश्विक शांति के लिये सर्वोच्च बलिदान दिया है।
    • भारतीय सेना ने शांति अभियानों में विशेष प्रशिक्षण देने के लिये नई दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना केंद्र (Centre for UN Peacekeeping- CUNPK) की स्थापना की है। यह केंद्र प्रत्येक वर्ष 12,000 से अधिक सैनिकों को प्रशिक्षित करता है।
    • संयुक्त राष्ट्र ने मिशनों में स्थानीय महिलाओं की चिंताओं को बेहतर ढंग से संबोधित करने के लिये लैंगिक समानता अभियान के एक भाग के रूप में महिला शांति सैनिकों की भागीदारी बढ़ाने के लक्ष्य निर्धारित किये हैं।
      • भारत ने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और अबेई में महिला संलग्नता दल (Female Engagement Teams- FET) तैनात किया है, जो लाइबेरिया के बाद दूसरा सबसे बड़ा भारतीय महिला दल है।
      • मेजर राधिका सेन को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय द्वारा "वर्ष 2023 की मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ ईयर अवार्ड" पुरस्कार के लिये चुना गया है, जो संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना पहल में भारतीय महिलाओं के सकारात्मक योगदान को दर्शाता है।
    • वर्ष 2007 में भारत ने लाइबेरिया में संयुक्त राष्ट्र ऑपरेशन (UNMIL) के लिये एक पूर्ण महिला पुलिस इकाई तैनात की, जिससे वह संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में पूर्ण महिला दल भेजने वाला पहला देश बन गया।
  • UNMOGIP के प्रति भारत की नाराज़गी: शांति मिशन के हिस्से के रूप में कई देशों में अपनी उपस्थिति के बावजूद, भारत ने नियमित रूप से श्रीनगर और इस्लामाबाद में मुख्यालय वाले UNMOGIP मिशन पर अपनी नाराज़गी व्यक्त की है। UNMOGIP की स्थापना वर्ष 1949 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम की निगरानी के लिये की गई थी।
    • UNMOGIP पड़ोसी देशों के बीच शत्रुता का निरीक्षण करने तथा नियंत्रण रेखा (Line of Control- LoC) पर युद्ध विराम उल्लंघन की रिपोर्ट करने के लिये इस क्षेत्र में मौज़ूद है।
    • भारत के पुनः जुलाई 1972 में भारत और पाकिस्तान द्वारा शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किये जाने तथा नियंत्रण रेखा की स्थापना के बाद मिशन की “प्रासंगिकता समाप्त हो गई है”।

और पढ़ें: संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना हेतु भारत की प्रतिबद्धता, संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से शांति स्थापना

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के विकास और मार्गदर्शक सिद्धांतों पर चर्चा कीजिये तथा वैश्विक शांति प्रयासों में भारत के योगदान पर प्रकाश डालिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 5 स्थायी सदस्य होते हैं और शेष 10 सदस्य महासभा द्वारा 2009 के कार्यकाल के लिये चुने जाते हैं। (2009)

(a) 1 वर्ष 
(b) 2 वर्ष 
(c) 3 वर्ष
(d) 5 वर्ष 

उत्तर (b)


क्लाइमेट फाइनेंस प्रोवाइडेड एंड मोबिलाइज़्ड इन 2013-2022

प्रिलिम्स के लिये:

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, जलवायु वित्त लक्ष्य, विश्व बैंक, बहुपक्षीय विकास बैंक, नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य 

मेन्स के लिये:

विकासशील देशों के लिये जलवायु वित्त, अंतर्राष्ट्रीय जलवायु वित्त तंत्र की प्रभावशीलता, आर्थिक विकास और पर्यावरण की संधारणीयता 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों? 

आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (Organisation for Economic Cooperation and Development- OECD) द्वारा जारी “क्लाइमेट फाइनेंस प्रोवाइडेड एंड मोबिलाइज़्ड इन 2013-2022” नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2022 में विकसित देशों ने विकासशील देशों के लिये जलवायु वित्त के रूप में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की धनराशि उपलब्ध कराई और संग्रहीत की, जबकि विगत वर्षों के दौरान ये देश ऐसा करने में असफल रहे थे।

OECD रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?

  • जलवायु वित्त लक्ष्य: विकसित देशों ने वर्ष 2022 में विकासशील देशों को जलवायु वित्त के रूप में 115.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर उपलब्ध कराए और संग्रहीत किये। यह उपलब्धि मूल लक्ष्य वर्ष 2020 से दो वर्ष बाद प्राप्त हुई है।
  • सार्वजनिक जलवायु वित्त का प्रभुत्व: वर्ष 2022 में कुल वित्तीय प्रवाह में लगभग 80% हिस्सेदारी द्विपक्षीय (देशों) और बहुपक्षीय स्रोतों (जैसे विश्व बैंक) से प्राप्त सार्वजनिक जलवायु वित्त की थी। बहुपक्षीय विकास बैंकों (Multilateral Development Banks- MDBs) से लगभग 90% वित्तपोषण, ऋण के रूप में प्राप्त हुआ।
    • द्विपक्षीय स्रोतों से 41 बिलियन अमेरिकी डॉलर, जबकि बहुपक्षीय स्रोतों से 50.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि प्राप्त हुई। वर्ष 2022 में जुटाए गए निजी वित्त का योगदान 21.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
  • वित्तीय साधनों की प्रकृति: सार्वजनिक जलवायु वित्त में 70% हिस्सा ऋणों का था, जिससे विकासशील देशों पर ऋण के बोझ संबंधी चिंताओं में वृद्धि हुई। कुल सार्वजनिक जलवायु वित्त का केवल 28% ही अनुदानों के रूप में प्राप्त हुआ।
  • आय स्तर के अनुसार वितरण: निम्न आय वाले देशों को उनके सार्वजनिक जलवायु वित्त का 64%, जबकि निम्न-मध्यम आय वाले देशों को केवल 13% अनुदान के रूप में प्राप्त हुआ।
  • शमन तथा अनुकूलन के लिये वित्तपोषण में अंतराल: अधिकांश वित्तपोषण शमन प्रयासों के लिये किया गया, जबकि अनुकूलन गतिविधियों को वर्ष 2022 में 32.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्राप्त हुए।
  • विशेषज्ञों की चिंताएँ और सिफारिशें: विशेषज्ञों ने जलवायु वित्त के लिये अधिक पारदर्शी लेखापरीक्षण और स्पष्ट परिभाषा की मांग की।
    • आलोचकों का तर्क है कि ऋण पर अत्यधिक निर्भरता जलवायु न्याय के सिद्धांतों को कमज़ोर बनाती है।
    • विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से प्रभावी रूप से निपटने के लिये वर्ष 2030 तक प्रतिवर्ष अनुमानित 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता की तुलना में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का लक्ष्य अपर्याप्त माना जा रहा है।

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जलवायु वित्त लक्ष्य का भविष्य क्या है?

  • जलवायु वित्त पर एक नया, अधिक महत्त्वाकांक्षी नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (New Collective Quantified Goal- NCQG) स्थापित करने के लिये वार्ता जारी रही है। नवंबर 2024 में बाकू, अज़रबैजान में COP29 शिखर सम्मेलन में इसे अपनाए जाने की आशा है।
    • NCQG के तहत वर्ष 2025 के बाद से विकासशील देशों को जलवायु वित्त प्रदान करने के लिये विकसित देशों को अनिवार्य रूप से बैठक करनी होगी और यह वर्ष 2015 के पेरिस समझौते का स्थान लेगा।
  • संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन (UN Climate Change) द्वारा वर्ष 2021 में प्रस्तुत एक रिपोर्ट में अनुमान व्यक्त किया गया है कि विकासशील देशों को अपनी जलवायु कार्य योजनाओं को लागू करने के लिये वर्ष 2030 तक सालाना लगभग 6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी।
    • भारत ने विकसित देशों से आग्रह किया है कि वे ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से निपटने के लिये वर्ष 2025 से विकासशील देशों को प्रति वर्ष कम-से-कम 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का जलवायु वित्त उपलब्ध कराएँ

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आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD):

  • OECD 38 लोकतांत्रिक देशों का एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जो बाज़ार अर्थव्यवस्था के लिये प्रतिबद्ध है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1960 में 18 यूरोपीय देशों, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा द्वारा की गई थी, तथा इसका मुख्यालय पेरिस, फ्राँस में है।
  • OECD का लक्ष्य ऐसी नीतियों को आकार देना है जो सभी के लिये समृद्धि, समानता, अवसर और कल्याण को बढ़ावा दें। यह आर्थिक रिपोर्ट, सांख्यिकीय डेटाबेस, विश्लेषण और वैश्विक आर्थिक विकास पर पूर्वानुमान प्रस्तुत करता है।
  • यह विश्व भर में रिश्वतखोरी और वित्तीय अपराध को समाप्त करने की दिशा में भी कार्य करता है तथा असहयोगी टैक्स हैवन देशों की "ब्लैक लिस्ट" को भी प्रबंधित करता है।
  • OECD के अपने सदस्य देशों के अतिरिक्त भारत जैसी गैर-सदस्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ भी कार्यकारी संबंध रखता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. चर्चा कीजिये कि वैश्विक तापमान वृद्धि को रोकने और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाले मुद्दों को कम करने के लिये पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में विश्व की पहुँच कहाँ तक है?

और पढ़ें: क्लाइमेट फाइनेंस रोड से COP29 तक, भारत की जलवायु प्रोफ़ाइल (भाग - II)

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. वर्ष 2015 में पेरिस में UNFCCC बैठक में हुए समझौते के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?  (2016)

  1. इस समझौते पर UN के सभी सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किये और यह वर्ष 2017 से लागू होगा।
  2. यह समझौता ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को सीमित करने का लक्ष्य रखता है जिससे इस सदी के अंत तक औसत वैश्विकं तापमान की वृद्धि उद्योग-पूर्व स्तर (pre-industrial levels) से 2 डिग्री सेल्सियस या कोशिश करें कि 1.5 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक न होने पाए।
  3. विकसित देशों ने वैश्विक तापन में अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारी को स्वीकारा और जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिये विकासशील देशों की सहायता के लिये 2020 से प्रतिवर्ष 1000 अरब डॉलर देने की प्रतिबद्धता जताई।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) के पक्षकारों के सम्मेलन (COP) के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत द्वारा की गई प्रतिबद्धताएँ क्या हैं? (2021)

प्रश्न. नवंबर, 2021 में ग्लासगो में विश्व के नेताओं के शिखर सम्मेलन में सी.ओ.पी. 26 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में, आरंभ की गई हारित ग्रिड पहल का प्रयोजन स्पष्ट कीजिये। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आई.एस.ए.) में यह विचार पहली बार कब दिया गया था? (2021)


शीर्ष व्यापारिक साझेदारों के साथ भारत का व्यापार घाटा

प्रिलिम्स के लिये:

व्यापार घाटा, मुक्त व्यापार समझौता, निर्यातोन्मुख क्षेत्र, बाह्य ऋण, मुद्रास्फीतिमर्चेंडाइज़ एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (MEIS), सागरमाला परियोजना, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)

मेन्स के लिये:

भारत के व्यापार घाटे की वर्तमान स्थिति, भारतीय अर्थव्यवस्था पर व्यापार घाटे के प्रमुख प्रभाव, व्यापार घाटे को नियंत्रित करने के संभावित उपाय।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

हालिया आधिकारिक आँकड़ों द्वारा पता चलता है कि वर्ष 2023-24 में भारत को अपने शीर्ष 10 व्यापारिक साझेदारों में से 9 के साथ व्यापार घाटा होगा, जिनमें चीन, रूस, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया शामिल हैं।

  • व्यापार घाटा तब होता है जब किसी देश के आयात का मूल्य उसके निर्यात के मूल्य से अधिक हो जाता है, आयात और निर्यात से तात्पर्य भौतिक वस्तुओं और सेवाओं दोनों से है।

 भारत के व्यापार घाटे की वर्तमान स्थिति क्या है?

  • पिछले वित्त वर्ष में भारत का कुल व्यापार घाटा घटकर 238.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में यह 264.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
    • चीन, रूस, दक्षिण कोरिया और हॉन्गकॉन्ग के साथ व्यापार घाटा 2022-23 की तुलना में पिछले वित्त वर्ष में बढ़ गया, जबकि संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, रूस, इंडोनेशिया और इराक के साथ व्यापार घाटा कम हो गया।
  • चीन वर्ष  2023-24 में 118.4 बिलियन डॉलर के दोतरफा वाणिज्य के साथ अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बनकर उभरा है।
    • हालाँकि, वर्ष 2021-22 और 2022-23 के दौरान अमेरिका भारत का शीर्ष व्यापारिक साझेदार था।
  • वर्ष 2023-24 में भारत का अमेरिका के साथ 36.74 बिलियन डॉलर का व्यापार अधिशेष होगा तथा ब्रिटेन, बेल्जियम, इटली, फ्राँस और बांग्लादेश के साथ भी यह अधिशेष रहेगा।
  • भारत का अपने चार शीर्ष व्यापारिक साझेदारों - सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात, कोरिया और इंडोनेशिया (एशियाई ब्लॉक (Asian Bloc) के भाग के रूप में) के साथ मुक्त व्यापार समझौता है।

भारत के व्यापार घाटे के पीछे क्या कारण हैं?

  • ऊर्जा आयात पर निर्भरता:
    • भारत अपनी कच्चे तेल की 85% से अधिक जरूरत को आयात करता है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव के प्रति सुभेद्य हो जाती है, जिससे व्यापार घाटे पर काफी प्रभाव पड़ता है।
  • प्रमुख इनपुट पर निर्भरता:
    • कुछ भारतीय उद्योग, जैसे फार्मास्यूटिकल्स (Pharmaceuticals), सेमीकंडक्टर (Semiconductors) आदि आयातित कच्चे माल और मध्यवर्ती वस्तुओं पर बहुत अधिक निर्भर हैं। इससे आयात मूल्य बढ़ता है और घाटा बढ़ता है।
    • उदाहरण के लिये, फार्मास्युटिकल क्षेत्र चीन से सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (Active Pharmaceutical Ingredients- APIs) का भारी मात्रा में आयात करता है।
  • विनिर्मित वस्तुओं के निर्यात में कमी: 
    • चीन व अमेरिका जैसे देशों की तुलना में अल्प विनिर्माण क्षमता और वैश्विक बाज़ार में अल्प प्रतिस्पर्द्धात्मकता जैसे कारकों के कारण भारत से निर्यातित निर्मित वस्तुओं की मात्रा अक्सर आयातित वस्तुओं की मात्रा से अपेक्षाकृत कम रह जाती है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर व्यापार घाटे के प्रमुख प्रभाव क्या हैं? 

  •  लाभ:
    • यदि कोई राष्ट्र मध्यवर्ती वस्तुओं या कच्चे माल का आयात कर रहा है, तो ऐसा व्यापार असंतुलन स्वाभाविक रूप से हानिकारक नहीं है, क्योंकि इससे निर्यात और विनिर्माण में वृद्धि होगी।
    • व्यापार घाटे का एक अल्पकालिक लाभ यह है कि आयात वृद्धि से नागरिकों को विविध प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित होती है, जिससे उन्हें अधिक विकल्प प्राप्त होते हैं तथा उनके जीवन स्तर में भी सुधार होता है।
    • व्यापार घाटे के कारण मुद्रा का अवमूल्यन भी होता है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक प्रतिस्पर्द्धी कीमतों के कारण भारतीय निर्यात को प्राथमिकता मिलती है।
    • कुछ मामलों में, व्यापार घाटा घरेलू व्यवसायों को नवाचार में निवेश करने और आयातित वस्तुओं के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने हेतु दक्षता में सुधार करने के लिये प्रोत्साहित कर सकता है। इससे पैकेजिंग, शिपिंग, लॉजिस्टिक्स आदि जैसे निर्यात-उन्मुख क्षेत्रों में रोज़गार सृजन हो सकता है।
  • चुनौतियाँ:
    • आयात पर अत्यधिक निर्भरता कुछ क्षेत्रों में घरेलू नवाचार और उत्पादन को बाधित कर सकती है, जिससे घरेलू स्तर पर उत्पादित वस्तुओं की उपलब्धता सीमित हो सकती है। 
    • उच्च व्यापार घाटा, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ आयात की मात्रा उच्च है, उस विशेष क्षेत्र से संबंधित उद्योगों में रोज़गार के कम होने का कारण बन सकता है।
      • उदाहरण के लिये, बांग्लादेश से सस्ती दरों पर वस्त्र उत्पादों के आयात के कारण कुछ उद्योग बंद हो गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप देश में नौकरियाँ समाप्त हो गई हैं।
    • निरंतर व्यापार घाटा रुपए के मूल्य पर दबाव डाल सकता है, जिससे घरेलू मुद्रा कमज़ोर हो सकती है। इससे आयात और भी महँगा हो सकता है।
    • निर्यात में कमी होने से निर्यात शुल्क से सरकार को मिलने वाला राजस्व कम हो सकता है। इससे सरकार की सामाजिक कार्यक्रमों और बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये धन जुटाने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
    • व्यापार घाटे को वित्तपोषित करने के लिये भारत को विदेशी स्रोतों से ऋण लेने की आवश्यकता हो सकती है, जिससे बाह्य ऋण और ब्याज भुगतान में वृद्धि होगी।
      • इससे विदेशी मुद्रा भंडार और भी कम हो जाता है तथा निवेशकों को आर्थिक अस्थिरता का संकेत मिलता है, जिससे विदेशी निवेश में कमी आती है।

व्यापार घाटे को नियंत्रित करने के लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं?

  • व्यापार समझौते: प्रमुख साझेदारों के साथ FTA पर बातचीत और क्रियान्वयन से भारतीय निर्यात पर टैरिफ एवं अन्य बाधाएँ कम हो सकती हैं, जिससे वे विदेशी बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धा कर सकेंगे।
    • उदाहरण: भारत-यूएई CEPA का उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार में होने वाले 80% से अधिक टैरिफ को कम करना है, जिससे भारतीय वस्त्रों, फार्मास्यूटिकल्स और कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
  • निर्यात अवसंरचना में सुधार: बंदरगाहों, सड़कों और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क के आधुनिकीकरण जैसे बुनियादी ढाँचे के विकास में निवेश से निर्यात प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जा सकता है और परिवहन लागत को कम किया जा सकता है।
  • आयात प्रतिस्थापन: सरकार सार्वजनिक खरीद नीतियों और स्थानीय स्तर पर निर्मित वस्तुओं को बढ़ावा देने वाले अभियानों के माध्यम से आयातित उत्पादों के लिये घरेलू विकल्पों के उपयोग को प्रोत्साहित करेगी।
    • उदाहरण: सरकारी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में घरेलू स्तर पर उत्पादित इस्पात के उपयोग को बढ़ावा देने से आयातित इस्पात पर निर्भरता कम हो सकती है और घरेलू इस्पात उद्योग को बढ़ावा मिल सकता है।
  • आयात को तर्कसंगत बनाना: आयात डेटा का विश्लेषण करने से गैर-आवश्यक या विलासिता की वस्तुओं की पहचान की जा सकती है, जिन्हें घरेलू स्तर पर उत्पादित विकल्पों के साथ प्रतिस्थापित किया जा सकता है।
    • उदाहरण: सरकार को उच्च टैरिफ के माध्यम से कुछ इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के आयात को हतोत्साहित करना चाहिये तथा उपभोक्ताओं को घरेलू स्तर पर उत्पादित विकल्प चुनने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये।
  • कार्यबल को कुशल बनाना: कौशल विकास कार्यक्रमों में निवेश करके आधुनिक उद्योगों के लिये  आवश्यक विशेषज्ञता से युक्त कार्यबल तैयार किया जा सकता है, जिससे घरेलू उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी और आयात पर निर्भरता कम होगी।
  • मुद्रा और ऋण स्तर का प्रभावी प्रबंधन: RBI को रुपये की विनिमय दर का प्रभावी प्रबंधन करना चाहिये तथा ऐसा संतुलन स्थापित करना चाहिये जो अत्यधिक मूल्यह्रास किये बिना निर्यात को बढ़ावा दे।
    • सरकार को अपने ऋण भार को निम्न करने के लिये राजकोषीय समेकन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये, ताकि घरेलू उद्योगों के विकास हेतु अधिक स्थिर आर्थिक वातावरण का निर्माण हो सके।

निष्कर्ष

यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि सभी के लिये एक जैसा समाधान नहीं है, और इन उपायों की प्रभावशीलता विशिष्ट व्यापार साझेदार, आयात और निर्यात की प्रकृति तथा वैश्विक आर्थिक माहौल जैसे विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है। भारत सरकार को स्थिति का सावधानीपूर्वक आकलन करने और व्यापार घाटे को प्रभावी ढंग से संबोधित करने तथा सतत् आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए इन रणनीतियों के संयोजन को लागू करने की आवश्यकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत के अधिकांश प्रमुख व्यापारिक साझेदारों के साथ वर्तमान व्यापार घाटे की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए, भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभावों पर चर्चा कीजिये। साथ ही भारत के व्यापार घाटे को कम करने के उपाय भी सुझाएँ।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स :

प्रश्न. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये:(2018)

  1. ऑस्ट्रेलिया
  2. कनाडा
  3. चीन
  4. भारत
  5. जापान
  6. यू.एस.ए.

उपर्युक्त में से कौन-से देश आसियान (ASEAN) के ‘मुक्त-व्यापार साझेदार’ हैं?

(a) 1, 2, 4 और 5
(b) 3, 4, 5 और 6
(c) 1, 3, 4 और 5
(d) 2, 3, 4 और 6

उत्तर: (c)


प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन सा 'आयात कवर' शब्द का सबसे अच्छा वर्णन करता है, जो कभी-कभी समाचारों में देखा जाता है? (वर्ष 2016)

(A) यह किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद के आयात के मूल्य का अनुपात है।
(B) यह एक वर्ष में देश के आयात का कुल मूल्य है।
(C) यह निर्यात के मूल्य और दो देशों के बीच आयात के बीच का अनुपात है।
(D) यह उतने महीनों की संख्या है जितने महीने तक आयात का भुगतान किसी देश के अंतर्राष्ट्रीय भंडार द्वारा किया जा सकता है।

उत्तर: D


मेन्स:

प्रश्न. सामान्यतः देश कृषि से उद्योग और बाद में सेवाओं को अन्तरित होते हैं पर भारत सीधे ही कृषि से सेवाओं को अन्तरित हो गया है। देश में उद्योग के मुक़ाबले सेवाओं की विशाल संवृद्धि के क्या कारण हैं? क्या भारत सशक्त औद्योगिक आधार के बिना एक विकसित देश बन सकता है? (2014)


भारत में तंबाकू महामारी

प्रिलिम्स के लिये:

तंबाकू उपभोग, वैश्विक युवा तंबाकू सर्वेक्षण, तंबाकू नियंत्रण पर WHO फ्रेमवर्क कन्वेंशन (WHO FCTC), वस्तु एवं सेवा कर (GST), सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA), 2003।

मेन्स के लिये:

तंबाकू का प्रभाव और उन्मूलन उपाय, भारत में तंबाकू उपभोग का परिदृश्य, तंबाकू उत्पादों पर कराधान, वैश्विक युवा तंबाकू सर्वेक्षण के निष्कर्ष।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

विश्व भर में बीमारी और मृत्यु का सबसे व्यापक कारण तंबाकू है।

  • भारत में तंबाकू उपभोक्ताओं की संख्या विश्व में दूसरे स्थान पर है (चीन के बाद), जिनकी संख्या लगभग 26 करोड़ है।

तंबाकू के उपयोग के संबंध में मुख्य तथ्य:

  • आधे से अधिक तंबाकू का सेवन करने वाले व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है।
  • तंबाकू के कारण प्रतिवर्ष 8 मिलियन से अधिक लोग मरते हैं, जिनमें अनुमानतः 1.3 मिलियन वे लोग भी शामिल हैं जो धूम्रपान न करने वाले हैं तथा जो अप्रत्यक्ष धूम्रपान के संपर्क में आते हैं।
  • भारत में प्रतिवर्ष लगभग 1.35 मिलियन लोग तंबाकू के सेवन के कारण मरते हैं।
  • विश्व के 1.3 बिलियन तंबाकू उपयोगकर्त्ताओं में से लगभग 80% निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं।
  • वर्ष 2020 में विश्व की 22.3% आबादी ने तंबाकू का सेवन किया।

भारत में तंबाकू उपभोग के आँकड़े क्या हैं?

तंबाकू की खपत में कोई उल्लेखनीय कमी नहीं: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Surve- NFHS) के अनुसार, राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (National Tobacco Control Programme- NTCP) और गैर-NTCP ज़िलों के बीच बीड़ी या सिगरेट की खपत में कमी में कोई विशेष अंतर नहीं है।

  • इसके संभावित कारण अपर्याप्त भर्ती, संसाधन आवंटन एवं उपयोग तथा प्रभावी निगरानी तंत्र का अभाव हो सकते हैं।

  • सिगरेट और बीड़ी हुई सस्ती: पिछले 10 वर्षों में सिगरेट, बीड़ी और धुआँ रहित तंबाकू (Smokeless Tobacco) उत्पाद सस्ते हो गए हैं।
    • वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली ने एकीकृत कर प्रणाली के कारण इन्हें और भी अधिक किफायती बना दिया है, जिससे कीमतें कम हो गई हैं।

  • महिलाओं में तंबाकू के उपयोग में वृद्धि: महिलाओं को छोड़कर सभी वर्गों में तंबाकू का उपयोग कम हुआ है, किंतु वर्ष 2015 और 2021 के बीच महिलाओं द्वारा तंबाकू के उपयोग में 2.1% की वृद्धि हुई है। 

विश्व तंबाकू निषेध दिवस:

  • विश्व तंबाकू निषेध दिवस 31 मई को मनाया जाता है।
  • विश्व तंबाकू निषेध दिवस की घोषणा विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य राष्ट्रों द्वारा वर्ष 1987 में तंबाकू से होने वाली मृत्यु तथा बीमारियों पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से की गई। 
    • इस दिवस का उद्देश्य जनता को तंबाकू के उपयोग के खतरों के बारे में जानकारी देना है।
    • यह विश्व भर के लोगों को स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवन के अपने अधिकार का दावा करने तथा भावी पीढ़ियों की सुरक्षा करने के लिये भी प्रोत्साहित करता है।
  • 2024 का थीम “Protecting Children from Tobacco Industry Interference” बच्चों को तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बचाना” है
  • यह दिन तंबाकू के उपयोग से होने वाली रोकी जा सकने वाली मृत्यु और बीमारी की याद दिलाता है तथा तंबाकू नियंत्रण नीतियों एवं हस्तक्षेपों के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।

अहिल्याबाई होल्कर: 

  • 31 मई को महारानी अहिल्याबाई होल्कर की जयंती भी मनाई जाती है। अहिल्याबाई होल्कर का जन्म 31 मई, 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले के चोंडी गांव में हुआ था।
    • वर्ष 1733 में उन्होंने मराठा साम्राज्य के होलकर वंश के संस्थापक मल्हार राव होलकर के पुत्र खांडेराव होलकर से विवाह किया।
  • वर्ष 1754 में अपने पति की मृत्यु के बाद वह मालवा राज्य की शासक बनीं।
  • उन्होंने वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर सहित कई मंदिरों के निर्माण में योगदान दिया।
  • उन्होंने अपने राज्य में सती प्रथा को समाप्त किया तथा शिक्षा और महिला अधिकारों को बढ़ावा दिया।
  • अहिल्याबाई होल्कर की मृत्यु 13 अगस्त, 1795 को हुई।

भारत तंबाकू के खिलाफ कैसे लड़ रहा है?

  • अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता:
    • तंबाकू नियंत्रण पर WHO फ्रेमवर्क कन्वेंशन (Framework Convention on Tobacco Control- FCTC): 
      • भारत इस कन्वेंशन के 182 हस्ताक्षरकर्त्ताओं में से एक है, जो वैश्विक तंबाकू नियंत्रण प्रयासों के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
      • इसका उद्देश्य देशों को मांग और आपूर्ति में कमी लाने की रणनीतियाँ एवं प्रभावी राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण नीतियाँ विकसित करने में सहायता देकर विश्व भर में तंबाकू के उपयोग को कम करना है।
    • विश्व तंबाकू निषेध दिवस:
      • तंबाकू सेवन के घातक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये प्रतिवर्ष 31 मई को ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
  • राष्ट्रीय कानून:

स्वास्थ्य जोखिमों के अलावा तंबाकू के छिपे हुए नुकसान क्या हैं?

  • मृदा क्षरण: तंबाकू की खेती से मृदा के पोषक तत्व तेज़ी से नष्ट हो जाते हैं, उन्हें अधिक उर्वरक की आवश्यकता होती है, जिससे मृदा की गुणवत्ता को और अधिक हानि पहुँचती है।
  • वनों की कटाईः तंबाकू उत्पादन वनों की कटाई में योगदान देता है, जिसके प्रसंस्करण के लिये लकड़ी की आवश्यकता होती है। 1 किलो तंबाकू को संसाधित करने के लिये 5.4 किलो लकड़ी की आवश्यकता होती है।
  • अपशिष्ट उत्पादन: तंबाकू के उत्पादन और उपभोग से अत्यधिक मात्रा में अपशिष्ट उत्पन्न होता है (भारत में प्रतिवर्ष 1.7 लाख टन)।
  • आर्थिक बोझ: तंबाकू के उपयोग से स्वास्थ्य देखभाल पर अत्यधिक व्यय आता है (वर्ष 2017-18 में भारत में अनुमानित 1.7 लाख करोड़ रुपए का नुकसान), जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य बजट (48,000 करोड़ रुपए) से भी अधिक है।
    • तंबाकू उद्योग में कार्यरत 6 मिलियन से अधिक लोगों को त्वचा के माध्यम से तंबाकू के अवशोषण के कारण संभावित स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा है।
  • अपशिष्ट प्रबंधन लागत: तंबाकू अपशिष्ट की सफाई एक महत्त्वपूर्ण अतिरिक्त लागत है (भारत में अनुमानित 6,367 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष)।

 भारत में तंबाकू के प्रभावी नियंत्रण हेतु क्या चुनौतियाँ हैं?

  • गैर-अनुपालन उत्पाद: धूम्ररहित तंबाकू (जैसे गुटखा) और तस्करी वाले उत्पाद COTPA (सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम) विनियमों से बचते हैं, जिससे उनके उत्पादन, बिक्री एवं विपणन को नियंत्रित करना कठिन हो जाता है। 
  • मामूली ज़ुर्माना: COTPA उल्लंघनों के लिये मामूली ज़ुर्माना (जैसे: पहली बार पैकेजिंग प्रतिबंधों का उल्लंघन करने पर अधिकतम ज़ुर्माना केवल 5,000 रुपए) (2003 से अद्यतन नहीं किया गया) उल्लंघनकर्त्ताओं के लिये पर्याप्त निवारक के रूप में कार्य नहीं करता है।
  • सरोगेट विज्ञापन: तंबाकू कंपनियाँ अपने ब्रांड को अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा देने के लिये चालाकी से अन्य उत्पादों (जैसे इलायची) के विज्ञापनों का उपयोग करती हैं, जिससे उनकी मार्केटिंग पहुँच को विनियमित करना कठिन हो जाता है। ये विज्ञापन अप्रत्यक्ष रूप से तंबाकू के उपयोग को बढ़ावा देते हैं।
    • ICC पुरुष क्रिकेट विश्व कप 2023 में कम से कम दो तंबाकू ब्रांडों के लिये सरोगेट विज्ञापन प्रदर्शित किये गए।
  • अवरुद्ध संशोधन: भारत सरकार ने वर्ष 2015 और 2020 में COTPA को मज़बूत करने के लिये प्रस्तावित संशोधनों को पारित नहीं किया है, जो इन समस्याओं को दूर कर सकते थे।
  • सीमित प्रवर्तन क्षमता: राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (National Tobacco Control Programme- NTCP) में देश भर में COTPA को पूरी तरह से लागू करने के लिये कर्मचारियों, संसाधनों और उचित निगरानी प्रणालियों का अभाव है।
  • तंबाकू उद्योग में प्रभावी लॉबिंग:
    • हालाँकि, ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन समस्या अभी भी बनी हुई है और इस नीति (ई-सिगरेट पर प्रतिबंध) का पूरी तरह से क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है।
    • छोटी तंबाकू कंपनियों के लिये कर में छूट: सरकार सभी तंबाकू उत्पादों पर समान कर नहीं लगा रही है, जिससे कुछ लोगों के लिये हानिकारक उत्पादों को बेचना सरल हो रहा है।
    • सरकार के साथ हितों का टकराव: यह तंबाकू नियंत्रण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता के संबंध में चिंता उत्पन्न करता है।
      • भारत की सबसे बड़ी तंबाकू कंपनी ITC Ltd. में केंद्र सरकार की 7.8% हिस्सेदारी है।

आगे की राह 

  • मज़बूत आधार की आवश्यकता: तंबाकू नियंत्रण प्रयासों के लिये भारत को सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA) तथा राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (NTCP) का अद्यतन करने की आवश्यकता है।
  • तंबाकू पर अधिक कर: तंबाकू उत्पादों, विशेष रूप से बीड़ी और धुआँ रहित तंबाकू पर कर, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित 75% के लक्ष्य से काफी कम है। करों में वृद्धि से उपभोग में कमी आएगी और सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों हेतु राजस्व उत्पन्न हो सकेगा।
  • प्रभावी निगरानी: तंबाकू उपयोग की प्रवृत्तियों पर नज़र रखने, COTPA का उल्लंघन किये जा रहे क्षेत्रों की पहचान करने तथा तंबाकू विरोधी अभियानों की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिये नियमित निगरानी आवश्यक है।
  • तंबाकू किसानों का समर्थन: तंबाकू किसानों को वैकल्पिक फसलों की ओर बढ़ने में सहायता करने के लिये सार्वजनिक कार्यक्रम शुरू किये जाने चाहिये। इससे तंबाकू की खेती कम होने से होने वाली आर्थिक कठिनाई कम हो जाएगी।
  • डेटा-संचालित दृष्टिकोण: तंबाकू उपयोग प्रतिरूप पर डेटा का समय पर संग्रह यह समझने के लिये आवश्यक है कि ये प्रतिरूप कैसे बदल रहे हैं और तंबाकू उद्योग द्वारा नियोजित नई रणनीतियों की पहचान करना महत्त्वपूर्ण है। यह डेटा प्रभावी तंबाकू नियंत्रण नीतियों को तैयार करने के लिये भी आवश्यक है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

भारत में तंबाकू उपभोग के प्रभाव पर चर्चा कीजिये। इसके अलावा, तंबाकू उत्पादों को विनियमित करने में आने वाली चुनौतियों और वैश्विक ढाँचे के महत्त्व पर प्रकाश डालिये।

  UPSC सिविल सेवा प्रश्न, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2012)

  1. मृदा की प्रकृति और फसलों की गुणवत्ता के आधार पर भू-राजस्व का आकलन 
  2. युद्ध में चलती फिरती तोपों का उपयोग
  3.  तंबाकू और लाल मिर्च की खेती

उपर्युक्त में से कौन-सा/से अंग्रेज़ों की भारत को देन थी/थे?

(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) कोई भी नहीं

उत्तर: (d)


प्रश्न. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिये और सूचियों के नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:(2008)

सूची-I (बोर्ड)

सूची-II (मुख्यालय)

A.

कॉफी बोर्ड

1.

बंगलूरू

B.

रबर बोर्ड

2.

गुँटूर

C.

चाय बोर्ड

3.

कोट्टयम

D.

तंबाकू बोर्ड

4.

कोलकाता

कूट: A B C D

(a) 2 4 3 1
(b) 1 3 4 2
(c) 2 3 4 1
(d) 1 4 3 2

उत्तर: (b)


प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से कारक/कारण बेंजीन प्रदूषण उत्पन्न करते हैं? (2020)

  1. स्वचालित वाहन द्वारा निष्कासित पदार्थ
  2.  तंबाकू का धुआँ
  3.  लकड़ी जलना
  4.  रोगन किये गए लकड़ी के फर्नीचर का उपयोग
  5.  पॉलीयुरेथेन से बने उत्पादों का उपयोग करना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(A) केवल 1, 2 और 3                  
(B) केवल 2 और 4
(C) केवल 1, 3 और 4
(D) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (A)


प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा एक पादप-समूह ‘नवीन विश्व (न्यू वर्ल्ड)’ में कृषि-योग्य बनाया गया तथा इसका प्रचलन ‘प्राचीन विश्व (ओल्ड वर्ल्ड)’ में था?(2019)

(a) तंबाकू, कोको और रबड़
(b) तंबाकू, कपास और रबड़
(c) कपास, कॉफी और गन्ना
(d) रबड़, कॉफी और गेहूँ

उत्तर: (a)