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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक बलों की मौतें

  • 11 Oct 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक बल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, ब्लू हेलमेट

मेन्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक बल और इससे संबंधित मुद्दे, जैसे शांतिरक्षक बल के सैनिकों की मौत की संख्या में वृद्धि

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र के अवर महासचिव के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक बलों (UNPKF) में सीधे-सीधे हमलों में मरने वालों की संख्या बढ़ रही है।

  • उन्होंने बेहतर प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और उपकरणों की नितांत आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला।

संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक बल:

  • विषय:
    • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा वर्ष 1948 में मध्य-पूर्व में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षकों की तैनाती को मंज़ूरी दिए जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक बल की स्थापना की गई।
    • इसका आरंभ 1948 में किया गया था और इसने अपने पहले ही मिशन, 1948 में हुए अरब-इज़राइल युद्ध के दौरान युद्धविराम का पालन करवाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
    • संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक बल युद्ध से शांति की ओर संक्रमण पर बातचीत करने में राष्ट्रों की सहायता करती है।
    • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) और संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अनुमोदित कई मिशनों को अंजाम देने के लिये यह दुनिया भर के सैनिकों और पुलिस को तैनात करता है और उन्हें नागरिक शांतिरक्षकों के साथ जोड़ता है।
    • संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस प्रत्येक वर्ष 29 मई को मनाया जाता है।
      • 2022 के लिये थीम: लोग, शांति, प्रगति: साझेदारी की शक्ति।

भारत और संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक बल (UNPKF):

  • भारत उन राष्ट्रों में शामिल है जो संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में सबसे अधिक सैनिक भेजते हैं।
    • उदाहरण: कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (MONUSCO) में संयुक्त राष्ट्र संगठन स्थिरीकरण मिशन में भारत दूसरा सबसे बड़ा सैन्य और पाँचवा सबसे बड़ा पुलिस योगदान देने वाला देश है।
  • वर्ष 1948 से अब तक 2,60,000 से अधिक भारतीयों ने संयुक्त राष्ट्र के 49 शांति अभियानों में सेवा दी है।
  • वर्ष 2007 में भारत संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में एक महिला दल को तैनात करने वाला पहला देश बन गया।
  • पिछले छह दशकों में संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में 179 भारतीय सैनिक मारे गए हैं।
  • यह "ब्लू हेलमेट" में किसी भी राष्ट्र के सैनिकों की मृत्यु का सबसे बड़ा आँकड़ा है।
    • ब्लू हेलमेट संयुक्त राष्ट्र के सैन्यकर्मी हैं जो "स्थिरता, सुरक्षा और शांति प्रक्रियाओं" को बढ़ावा देने के लिये संयुक्त राष्ट्र पुलिस और नागरिक सहयोगियों के साथ कार्य करते हैं।

मृत्यु के संभावित कारण:

  • जिस माहौल में शांति अभियान चल रहे हैं, वह राजनीतिक और सुरक्षा दोनों दृष्टि से बिगड़ता जा रहा है।
  • कई ऑपरेशन, विशेष रूप से अफ्रीका में बड़े ऑपरेशन, आपराधिक या आतंकवादी संगठन के खिलाफ सैनिकों को शामिल करते हैं जो शांति और स्थिरता पर उथल-पुथल पसंद करते हैं।

मौतों पर नियंत्रण:

  • शांति रक्षा अभियानों में भौगोलिक संतुलन और समानता बनाए रखी जानी चाहिये।
  • पुलिस और शांति सेना प्रदान करने वाले देशों के भौगोलिक विविधीकरण को बढ़ाने के लिये अधिक प्रयास की आवश्यकता है।
  • भारत ने दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों के समक्ष आने वाली सुरक्षा और परिचालन चुनौतियों से निपटने के लिये 10 सूत्री फॉर्मूला पेश किया है।
    • अभियानों के उद्देश्यों को पूरा करने के लिये शांति सेना के नेतृत्व को आत्मविश्वास का निर्माण करना चाहिये तथा मेज़बान राज्य के साथ कुशल सहयोग सुनिश्चित करना चाहिये।
    • शांति अभियानों में भाग लेने वाले देशों द्वारा एजेंडा तय होना चाहिये न कि सुरक्षा परिषद द्वारा।
    • उनकी सीमाओं की गहन समझ के साथ, शांति अभियानों को सतर्कता से तैनात किया जाना चाहिये।
    • स्पष्ट रूप से परिभाषित उद्देश्य जो पर्याप्त संसाधनों द्वारा समर्थित हो।
    • शांतिरक्षकों के खिलाफ अत्याचार के लिये ज़िम्मेदार लोगों पर मुकदमा चलाने हेतु हर संभव प्रयास किये जाने चाहिये।
    • हिंसक संघर्षों को समाप्त करने और बाहरी खतरों के खिलाफ वैश्विक सुरक्षा के निर्माण के लिये यह आवश्यक है।
    • शांति अभियानों में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करने से सुरक्षा मुद्दों को दूर करने में मदद मिल सकती है।
    • मिशन का मूल्यांकन करते समय सैन्य, नागरिक और मिशन नेतृत्व सभी पर विचार किया जाना चाहिये।
    • शांति स्थापना के लिये शुरू से ही "निकास रणनीति" पर विचार किया जाना चाहिये।
    • लोगों को उनकी धरती पर काम करने वाले गैर-राज्य समूहों से बचाने का प्राथमिक कर्तव्य मेज़बान सरकार का होगा।

स्रोत: द हिंदू

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