जैव विविधता और पर्यावरण
इकोसिस्टम-आधारित अनुकूलन
- 31 Jan 2020
- 7 min read
चर्चा में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UN Environment Programme-UNEP) और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (International Union for Conservation of Nature-IUCN) इकोसिस्टम-आधारित अनुकूलन (2020-2024) के लिये संयुक्त रूप से ग्लोबल फंड (Global Fund for Ecosystem-based Adaptation) लॉन्च कर रहे हैं।
उद्देश्य
- इस फंड का उद्देश्य अभिनव दृष्टिकोण के साथ पारिस्थितिकी तंत्र आधारित अनुकूलन के लिये लक्षित और तीव्र समर्थन तंत्र प्रदान करना है।
प्रमुख बिंदु
- हाल ही में मैड्रिड में संपन्न संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP 25) में जर्मनी के संघीय पर्यावरण मंत्रालय ने घोषणा की कि यह नए UNEP-IUCN कार्यक्रम के लिये 20 मिलियन यूरो प्रदान करेगा।
- इस कार्यक्रम के अंतर्गत संबंधित गैर-सरकारी संगठनों और INGOs के साथ मिलकर काम करने पर विशेष बल दिया जाएगा, साथ ही इसमें तकनीकी ज्ञान और समझ में विशिष्ट अंतराल को ध्यान में रखते हुए सरकारों के साथ काम करने पर विशेष ध्यान होगा।
EbA क्या है?
- पारिस्थितिक तंत्र-आधारित अनुकूलन (Ecosystem-based adaptation-EbA) ऐसे दृष्टिकोणों के समूह को संदर्भित करता है जो मानव समुदायों की जलवायु परिवर्तन की भेद्यता को कम करने के लिये पारिस्थितिक तंत्र के प्रबंधन को शामिल करते हैं।
- उदाहरण के लिये, मैंग्रोव और प्रवाल भित्तियों की पुनर्स्थापना तटीय क्षेत्रों को बढ़ते समुद्री स्तर के प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करती है, जबकि पहाड़ियों और पहाड़ों पर वनस्पतियों को रोपित करने तथा उनकी बहाली करने से इन क्षेत्रों की अत्यधिक वर्षा के दौरान होने वाले कटाव और भूस्खलन से रक्षा होती है।
- EbA पारिस्थितिक तंत्र-आधारित या प्रकृति-आधारित जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के उपायों को बढ़ावा देने की गतिविधि का एक प्रमुख स्तंभ है, पिछले कुछ वर्षों में व्यापक स्तर पर लोगों और वैज्ञानिकों का ध्यान गया है।
- हालाँकि यह एक अंतर्राष्ट्रीय जलवायु पहल (International Climate Initiative-IKI) है, तथापि जर्मनी पारिस्थितिकी तंत्र आधारित अनुकूलन के लिये अपनी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को तकरीबन €60 मिलियन तक बढ़ाने का प्रयास कर रहा है, जिसमें नया UNEP-IUCN कार्यक्रम भी शामिल है।
- प्रकृति अक्सर जलवायु संबंधी कार्रवाई और जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन के लिये सबसे बेहतर समाधान उपलब्ध कराती है। जलवायु संबंधी कार्रवाई और प्रकृति संरक्षण के अलावा ऐसी परियोजनाओं के सामाजिक लाभ भी होते हैं; ये जलवायु परिवर्तन के प्रति सुभेद्य विकासशील देशों के लिये भी लाभकारी साबित होती हैं। इसका एक पमुख कारण यह है कि विकासशील देशों के लोग प्रकृति पर बहुत अधिक सीधे निर्भर होते हैं। कृषि और तटीय संरक्षण के संबंध में भी यही तथ्य सामने आता है।
प्रकृति-आधारित समाधान
- जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पिछले कुछ समय से वैश्विक जलवायु कार्रवाई के अभिन्न अंग के रूप में प्रकृति आधारित समाधानों को तीव्रता से महत्त्व मिल रहा है, ऐसे में इस कार्यक्रम के अंतर्गत इस प्रकार के समाधानों पर विशेष रूप से बल दिया जाना चाहिये। इस नए कार्यक्रम के अंतर्गत पारिस्थितिक तंत्र में निहित सकारात्मक ऊर्जा का उपयोग मानव समाज को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने और आवश्यक कार्यवाही करने में किया जा सकता है।
- पारिस्थितिकी-आधारित अनुकूलन सहित प्रकृति-आधारित समाधान सितंबर 2019 में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन के एक केंद्रीय बिंदु थे। इस दिशा में यूनेप भी निरंतर कार्य कर रहा है।
- इतना ही नहीं वर्ष 2009 में आईयूसीएन ने भी पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित अनुकूलन की अवधारणा का प्रारूप तैयार किया था और तब से वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन के प्रति समाज में लोचशीलता को बढ़ाने के लिए इसके उपयोग को बढ़ावा दे रहा है। पारिस्थितिकी तंत्र आधारित सेवाएँ और जैव-विविधता जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध सबसे अच्छे सहयोगी उपाय हैं, यदि इन उपायों को बुद्धिमानीपूर्वक इस्तेमाल किया जाता हैं तो ये जलवायु परिवर्तन शमन की दिशा में बहुत लाभकारी साबित हो सकते हैं।
UNEP और IUCN अपनी वैश्विक योजनाओं और प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिये EbA उपायों को लागू करने की दिशा में निरंतर कार्य कर रहे हैं। इस कार्यक्रम द्वारा वित्त पोषित उपायों को विशिष्ट विशेषज्ञता और क्षमता-निर्माण द्वाराa आवश्यक समर्थन प्रदान किया जाएगा, जबकि अनुकूलन के लिये प्रकृति-आधारित समाधानों हेतु सूचना, ज्ञान और राजनीतिक इच्छाशक्ति को भी सुदृढ़ बनाने का भरपूर प्रयास किया जाएगा। इसके लिये आईयूसीएन और यूनेप अपने व्यापक मौजूदा नेटवर्क, उपकरण और विशेषज्ञता को इस कार्यक्रम के साथ संबद्ध करेंगे, जिसमें फ्रेंड्स ऑफ इकोसिस्टम-आधारित अनुकूलन (Friends of Ecosystem-based Adaptation-FEBA), यह आईयूसीएन द्वारा समर्थित है, और ग्लोबल एडेप्टेशन नेटवर्क (Global Adaptation Network), यूएनईपी द्वारा समर्थित, को शामिल किया गया है।