इन्फोग्राफिक्स
भारतीय अर्थव्यवस्था
चलनिधि समायोजन सुविधा
प्रिलिम्स के लिये:चलनिधि (तरलता) समायोजन सुविधा (LAF), मौद्रिक नीति, नरसिंहम समिति मेन्स के लिये:चलनिधि समायोजन सुविधा (LAF) |
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अक्तूबर 2022 में बैंकिंग प्रणाली में तरलता को बढ़ावा देने के लिये 72,860.7 करोड़ रुपए का निवेश किया। त्योहारी सीज़न के दौरान क्रेडिट की अधिक मांग के चलते तरलता की स्थिति सख्त होने के बाद यह अप्रैल 2019 के बाद से सबसे अधिक है।
- रुपए की अस्थिरता को कम करने के लिये यह विदेशी मुद्रा बाज़ार में केंद्रीय बैंक का हस्तक्षेप है।
तरलता:
- बैंकिंग प्रणाली में तरलता आसानी से उपलब्ध नकदी को संदर्भित करती है जिससे बैंक अल्पकालिक व्यापार और वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करते हैं।
- किसी निश्चित दिन पर यदि बैंकिंग प्रणाली तरलता समायोजन सुविधा (LAF) के तहत RBI से एक शुद्ध उधारकर्त्ता है, तो इसे तरलता के घाटे की स्थिति कहा जाता है और यदि बैंकिंग प्रणाली RBI के लिये एक शुद्ध ऋणदाता है तो इसे तरलता अधिशेष कहा जाता है।
तरलता समायोजन सुविधा (LAF):
- LAF भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति के तहत प्रयोग किया जाने वाला उपकरण है जो बैंकों को पुनर्खरीद समझौतों, रेपो एग्रीमेंट के माध्यम से ऋण प्राप्त करने या रिवर्स रेपो एग्रीमेंट के माध्यम से RBI को ऋण प्रदान करने की अनुमति प्रदान करता है।
- इसे वर्ष 1998 के बैंकिंग क्षेत्र सुधारों पर नरसिंहम समिति के परिणाम के एक भाग के रूप में पेश किया गया था।
- तरलता समायोजन सुविधा के दो घटक रेपो (पुनर्खरीद समझौता) और रिवर्स रेपो हैं। जब बैंकों को अपनी दैनिक आवश्यकता को पूरा करने के लिये तरलता की आवश्यकता होती है, तो वे रेपो के माध्यम से RBI से उधार लेते हैं। जब बैंकों के पास धन की अधिकता होती है, तो वे रिवर्स रेपो प्रणाली के माध्यम से रिवर्स रेपो दर पर RBI को उधार देते हैं।
- इससे मुद्रा आपूर्ति को बढ़ाकर व घटाकर अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति का प्रबंधन किया जा सकता है।
- LAF का उपयोग बैंकों को आर्थिक अस्थिरता की अवधि के दौरान या उनके नियंत्रण से परे होने वाले उतार-चढ़ाव की स्थिति में अल्पकालिक नकदी की कमी को पूरा करने के लिये किया जाता है।
- विभिन्न बैंक रेपो समझौते के माध्यम से पात्र प्रतिभूतियों को बंधक के रूप में उपयोग करते हैं और अपनी अल्पकालिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये धन का उपयोग करते हैं, इस प्रकार इनकी स्थिरता बनी रहती है।
- इस सुविधा को दिन-प्रतिदिन के आधार पर लागू किया जाता है क्योंकि बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान सुनिश्चित करते हैं कि उनके पास ओवरनाइट बाज़ार में पर्याप्त पूंजी है।
- चलनिधि समायोजन सुविधाओं का लेन-देन नीलामी के माध्यम से दिन के एक निर्धारित समय पर होता है।
मौद्रिक नीति:
- मौद्रिक नीति का तात्पर्य निर्दिष्ट लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये केंद्रीय बैंक द्वारा अपने नियंत्रण में मौद्रिक साधनों का उपयोग करना है।
- RBI की मौद्रिक नीति का प्राथमिक उद्देश्य, विकास को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना है।
- सतत् विकास के लिये मूल्य स्थिरता एक आवश्यक पूर्व शर्त है।
- संशोधित RBI अधिनियम, 1934 में हर पाँच साल में एक बार रिज़र्व बैंक के परामर्श से भारत सरकार द्वारा निर्धारित मुद्रास्फीति लक्ष्य (4% + -2%) रखने का भी प्रावधान है।
- मौद्रिक नीति के उपकरण:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)प्रश्न. यदि भारतीय रिज़र्व बैंक एक विस्तारवादी मौद्रिक नीति अपनाने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) व्याख्या:
प्रश्न: क्या आप इस विचार से सहमत हैं कि स्थिर GDP वृद्धि और कम मुद्रास्फीति ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अच्छी स्थिति प्रदान की है? अपने तर्कों के समर्थन में कारण दीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2019) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
सामाजिक न्याय
विश्व क्षयरोग रिपोर्ट 2022: WHO
प्रिलिम्स के लिये:तपेदिक, विश्व TB रिपोर्ट, विश्व स्वास्थ्य संगठन, पीएम TB मुक्त भारत अभियान, बीसीजी वैक्सीन, डीआर-TB, एमडीआर-TB मेन्स के लिये:विश्व तपेदिक/क्षयरोग रिपोर्ट में भारत का प्रदर्शन, TB को खत्म करने की चुनौतियाँ, TB को खत्म करने में भारत की प्रगति |
चर्चा में क्यों?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में विश्व क्षयरोग रिपोर्ट 2022 जारी की, जिसमें दुनिया भर में तपेदिक/क्षयरोग (TB) के निदान, उपचार और बीमारी के बोझ पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव को बताया गया है।
- वर्ष 2022 की रिपोर्ट में WHO के सभी 194 सदस्य राज्यों सहित 215 देशों और क्षेत्रों से बीमारी के रुझान और महामारी की प्रतिक्रिया पर डेटा शामिल है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:
- वैश्विक स्तर पर निदान और मृत्यु दर:
- वर्ष 2021 में दुनिया भर में लगभग 6 मिलियन लोगों के क्षयरोग का निदान किया गया था, जो वर्ष 2020 की तुलना में 4.5% अधिक था, जबकि इस बीमारी से पीड़ित 1.6 मिलियन रोगियों की मृत्यु हो गई थी।
- TB से होने वाली कुल मौतों में 187,000 मरीज़ एचआईवी (ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस) पॉजिटिव थे।
- एचआईवी निगेटिव लोगों में वैश्विक TB से होने वाली मौतों में से लगभग 82% अफ्रीकी और दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रों में हुईं।
- TB से पीड़ित रिपोर्ट की गई लोगों की संख्या वर्ष 2019 के 7.1 मिलियन से घटकर वर्ष 2020 में 5.8 मिलियन हो गई।
- वर्ष 2021 में आंशिक रिकवरी 6.4 मिलियन थी, लेकिन यह अभी भी पूर्व-महामारी के स्तर से काफी नीचे थी।
- भारत और TB:
- 28% मामलों के साथ भारत उन आठ देशों में शामिल था, जहाँ कुल TB रोगियों की संख्या के दो-तिहाई (68.3%) से अधिक थे।
- अन्य देशों में इंडोनेशिया (9.2%), चीन (7.4%), फिलीपींस (7%), पाकिस्तान (5.8%), नाइजीरिया (4.4%), बांग्लादेश (3.6%) और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (2.9%) शामिल थे।
- एचआईवी निगेटिव लोगों में वैश्विक TB से संबंधित मौतों का 36% हिस्सा भारत का है।
- भारत उन तीन देशों (इंडोनेशिया और फिलीपींस के साथ) में से एक था, जिसने वर्ष 2020 में इस रोग में सबसे अधिक कमी (वैश्विक का 67%) और 2021 में आंशिक रिकवरी की।
- रिपोर्ट पर भारत का रुख: भारत ने समय के साथ अन्य देशों की तुलना में प्रमुख मीट्रिक्स पर बेहतर प्रदर्शन किया है।
- वर्ष 2021 में भारत में TB मरीज़ों की संख्या प्रति 100,000 जनसंख्या पर 210 रही जो कि वर्ष 2015 में ( प्रति 100,000 जनसंख्या पर 256 थी)।
- इस संबंध में भारत में 18% की गिरावट (7 अंक) हुई है; घटना दर के मामले में भारत का 36वाँ स्थान, 11% के वैश्विक औसत से बेहतर है।
- 28% मामलों के साथ भारत उन आठ देशों में शामिल था, जहाँ कुल TB रोगियों की संख्या के दो-तिहाई (68.3%) से अधिक थे।
- TB उन्मूलन के लिये प्रमुख चुनौतियाँ:
- दवा प्रतिरोधी TB में वृद्धि:
- दवा प्रतिरोधी TB (डीआर-TB) का दबाव वर्ष 2020 और 2021 के बीच वैश्विक स्तर पर 3% बढ़ गया, वर्ष 2021 में रिफैम्पिसिन-प्रतिरोधी TB (आरआर-TB) के 450,000 नए मामले सामने आए।
- कोविड-19 के कारण व्यवधान:
- कई वर्षों में यह पहली बार है कि TB और डीआर-TB दोनों ही में लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है। विशेषज्ञ इस प्रवृत्ति का कारण कोविड-19 महामारी को मानते हैं।
- वर्ष 2021 में कोविड-19 के कारण कई सेवाएँ बाधित हुईं लेकिन TB प्रतिक्रिया पर इसका प्रभाव विशेष रूप से गंभीर रहा है।
- कम रिपोर्ट दर्ज होना मुख्य चिंता:
- TB के अनुमानित मरीज़ों की संख्या और बीमारी से पीड़ित लोगों की रिपोर्ट की गई संख्या के बीच वैश्विक अंतर का 75% सामूहिक रूप से दस देशों का है। इस अंतर का कारण हैैं:
- कम रिपोर्टिंग (TB से पीड़ित लोगों की)।
- अंडरडायग्नोसिस (TB वाले लोग स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँचने में असमर्थ होते हैं या ब वे ऐसा करते हैं तो उनका निदान नहीं किया जाता है)।
- भारत में कम रिपोर्टिंग एक समस्या है; भारत शीर्ष पाँच योगदानकर्त्ताओं में शामिल है - भारत (24%), इंडोनेशिया (13%), फिलीपींस (10%), पाकिस्तान (6.6%) और नाइजीरिया (6.3%)
- निदान और व्यय में गिरावट:
- रिपोर्ट किये गए TB के मामलों में कमी से पता चलता है कि गैर-निदान और अनुपचारित TB वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है।
- वर्ष 2019 और 2020 के बीच RR-TB एवं मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट TB (MDR-TB) के इलाज के लिये उपलब्ध कराए गए लोगों की संख्या में भी गिरावट आई है।
- वर्ष 2021 में RR-TB के लिये उपचार प्राप्त करने वाले लोगों की संख्या 161,746 थी, जो कि ज़रूरतमंद लोगों में से तीन में से केवल एक है।
- रिपोर्ट में आवश्यक TB सेवाओं पर वैश्विक खर्च वर्ष 2019 के 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से गिरकर वर्ष 2021 में 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का भी उल्लेख किया गया है, जो वर्ष 2022 तक सालाना 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर के वैश्विक लक्ष्य के आधे से भी कम है।
- दवा प्रतिरोधी TB में वृद्धि:
तपेदिक (Tuberculosis-TB):
- परिचय:
- TB माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है, जो लगभग 200 सदस्यों वाले माइकोबैक्टीरियासी परिवार से संबंधित है।
- मनुष्यों में TB सबसे अधिक फेफड़ों (फुफ्फुसीय TB) को प्रभावित करता है, लेकिन यह अन्य अंगों (अतिरिक्त-फुफ्फुसीय TB) को भी प्रभावित कर सकता है। यह हवा के ज़रिये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है।
- बीमारी विकसित होने वाले अधिकांश लोग वयस्क हैं- 2021 में TB के बोझ में पुरुषों ने 56.5%, वयस्क महिलाओं ने 32.5% और बच्चों ने 11% का योगदान था।
- TB को रोका जा सकता है और इसका इलाज किया जा सकता है, लगभग 85% लोग जो इस बीमारी को विकसित करते हैं, उनका 4/6-महीने की दवा के साथ सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है।
- TB उन्मूलन हेतु भारत की पहल:
- प्रधानमंत्री TB मुक्त भारत अभियान के तहत भारत का लक्ष्य वर्ष 2025 तक देश से TB को खत्म करना है (2030 के वैश्विक लक्ष्य से 5 साल पहले)।
- नि-क्षय मित्र इस पहल का एक घटक है जो TB के इलाज के लिये अतिरिक्त निदान, पोषण और व्यावसायिक सहायता सुनिश्चित करता है।
- भारत देश में TB के वास्तविक बोझ का आकलन करने के लिये अपना स्वयं का राष्ट्रीय TB प्रसार सर्वेक्षण आयोजित करता है जो कि दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा ऐसा सर्वेक्षण है।
- केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सर्वेक्षण के साथ-साथ 'TB हारेगा देश जीतेगा अभियान' भी शुरू किया।
- वर्तमान में TB के लिये दो टीके VPM (Vakzine Projekt Management) 1002 और MIP (Mycobacterium Indicus Pranii) विकसित और पहचाने गए हैं, जिनका नैदानिक परीक्षण चल रहा है।
- प्रधानमंत्री TB मुक्त भारत अभियान के तहत भारत का लक्ष्य वर्ष 2025 तक देश से TB को खत्म करना है (2030 के वैश्विक लक्ष्य से 5 साल पहले)।
नोट:
- TB के विनाशकारी स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक परिणामों के बारे में जागरूकता फैलाने और विश्व स्तर पर TB महामारी को समाप्त करने के प्रयास के लिये 24 मार्च को विश्व तपेदिक (TB) दिवस मनाया जाता है।
- बैसिल कैलमेट-गुएरिन (बीसीजी) वैक्सीन वर्तमान में TB की रोकथाम के लिये उपलब्ध एकमात्र टीका है।
आगे की राह
- रिपोर्ट में देशों से आवश्यक TB सेवाओं तक पहुँच बहाल करने के लिये तत्काल उपाय करने के आह्वान को दोहराया गया है।
- इसमें TB महामारी और उसके सामाजिक आर्थिक प्रभाव को प्रभावित करने वाले व्यापक निर्धारकों को संबोधित करने के लिये निवेश बढ़ाने, बहु-क्षेत्रीय कार्रवाई के साथ-साथ नए निदान, दवाओं और टीकों की आवश्यकता का भी आह्वान किया गया है।
- TB शमन रणनीति को प्रभावी बनाने के लिये, बीमारी के बारे में लोगों की जागरूकता के स्तर को बढ़ाना और यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है कि TB से प्रभावित लोग अपनी सामाजिक असुरक्षाओं को दूर करें तथा TB देखभाल तक पहुँच बनाएँ।
स्त्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
सामाजिक न्याय
क्रिकेट में वेतन समानता
प्रिलिम्स के लिये:समान वेतन समानता वाले देश और खेल, ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स मेन्स के लिये:खेलों में समान वेतन लाने में चुनौतियाँ, ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स की मुख्य विशेषताएँ, जेंडर गैप को कम करने के लिये सरकार की पहल |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने "पे इक्विटी पॉलिसी" की घोषणा करते हुए कहा कि केंद्रीय अनुबंधित पुरुष और महिला खिलाड़ियों को मैच में समान फीस मिलेगी।
- यह कदम लैंगिक वेतन समानता लाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2022 के अनुसार, प्रगति की वर्तमान दर पर पूर्ण समता तक पहुँचने में 132 साल लगेंगे।
महिला खिलाड़ियों की फीस में वृद्धि:
- महिला खिलाड़ियों को अब प्रति टेस्ट मैच के लिये 15 लाख रुपए, एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच (ODI) के लिये 6 लाख रुपए और T20 अंतर्राष्ट्रीय मैच के लिये 3 लाख रुपए मिलेंगे। अब तक उन्हें एक दिवसीय मैच के लिये 1 लाख रुपए और एक टेस्ट के लिये 4 लाख रुपए का भुगतान किया जाता था।
- महिला क्रिकेटरों के लिये वार्षिक रिटेनरशिप समान रहती है - ग्रेड ए के लिये 50 लाख रुपए, ग्रेड B के लिये 30 लाख रुपए और ग्रेड C के लिये 10 लाख रुपए।
- बेहतर खेलने वाले पुरुषों को उनके ग्रेड के आधार पर 1-7 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाता है।
अन्य देश में खेलों में समान वेतन:
- भारत अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में समान वेतन लागू करने वाला दूसरा देश बन गया है।
- न्यूज़ीलैंड क्रिकेट (NZC) ने वर्षं 2022 में देश के खिलाड़ियों के संघ के साथ एक समझौता किया था, जिससे महिला क्रिकेटरों को पुरुष खिलाड़ियों के बराबर कमाई करने में मदद मिली।
- यह संयुक्त राज्य अमेरिका की महिला राष्ट्रीय फुटबॉलरों द्वारा समान मुआवज़ा सुरक्षित करने के लिये अपने महासंघ के साथ छह वर्ष लंबी लड़ाई जीतने के चार महीने बाद आया था।
- टेनिस ने अपने पुरुष और महिला खिलाड़ियों के बीच समान वेतन बढ़ाने के लिये कदम उठाए हैं, और आज सभी चार प्रमुख टेनिस टूर्नामेंट (ऑस्ट्रेलियाई ओपन, रोलैंड गैरोस, विंबलडन और यूएस ओपन) समान पुरस्कार राशि प्रदान करते हैं।
खेलों में लैंगिक स्तर पर समान वेतन संबंधी चुनौतियाँ:
- राजस्व सृजन:
- तर्क यह है कि पुरुष खिलाड़ियों द्वारा उत्पन्न प्रतिफल महिलाओं की तुलना में अधिक है।
- खेलों में मौद्रिक लाभों का आकलन करते समय कुछ बातों पर ध्यान दिया जाता है, जिसमें विज्ञापन, स्पोर्ट्स मर्चेंडाइजिंग और टिकटों की बिक्री आदि शामिल हैं। हालाँकि यह दर्शकों की संख्या और फैनबेस पर आधारित है जो किसी भी खेल की एंड्रोसेंट्रिक प्रकृति से प्रभावित है।
- खेल जगत में महिलाओं का प्रवेश सामाजिक प्रतिबंधों के कारण पुरुषों की तुलना में बहुत बाद में हुआ। इसके परिणामस्वरूप महिलाओं के खेल का 'मनोरंजन मूल्य' कम हो गया है।
- प्रदर्शन में अंतर:
- यह भी तर्क दिया जाता है कि चूँकि पुरुष 'मज़बूत' हैं और महिलाओं की तुलना में खेलों में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं, इसलिये उन्हें अधिक राशि का भुगतान किया जाना चाहिये।
- अच्छे स्तर के (प्रोफेशनल) टेनिस में, पुरुष प्रति मैच पाँच सेट खेलते हैं और महिलाएँ प्रति मैच तीन सेट खेलती हैं, यह नियम इस धारणा पर आधारित है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएँ शारीरिक रूप से कमज़ोर हैं।
- महिलाओं की पाँच सेट खेलने की इच्छा और क्षमता के बावज़ूद निर्णय लेने वालों (जो ज़्यादातर पुरुष थे) का मानना था कि अगर महिलाएँ पांच सेट खेलती हैं तो खेल की गुणवत्ता खराब हो जाएगी।
- प्रतिनिधित्व संबंधी समस्या:
- खेल प्रशासन संरचनाओं में महिलाओं का कमज़ोर प्रतिनिधित्व भी खेल उद्योग में वेतन अंतर के बने रहने का एक कारण है। कुछ शासन संरचनाओं में महिला प्रतिनिधित्व में सुधार हुआ है, लेकिन यह हाल ही में हुआ है। इसके अलावा अधिकांश शासी निकायों को अभी भी महिला सदस्यता बढ़ाने हेतु इस दिशा में सुदृढ़ रूप से कार्य करने की आवश्यकता है।
ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2022 के प्रमुख बिंदु:
- परिचय:
- ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स उप मैट्रिक्स के साथ चार प्रमुख आयामों में लैंगिक समानता की दिशा में उनकी प्रगति पर देशों को बेंचमार्क प्रदान करता है:
- आर्थिक भागीदारी और अवसर, शैक्षिक प्राप्ति, स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता, राजनीतिक सश।
- भारत का प्रदर्शन:
- भारत को कुल 146 देशों में 135वें स्थान पर रखा गया है।
- भारत का कुल स्कोर 0.625 (2021 में) से सुधरकर 0.629 हो गया है, जो पिछले 16 वर्षों में इसका सातवाँ सर्वोच्च स्कोर है।
- वर्ष 2021 में भारत 156 देशों में से 140वें स्थान पर था।
- आर्थिक भागीदारी और अवसर (श्रम बल में महिलाओं का प्रतिशत, समान कार्य के लिये समान मज़दूरी एवं अर्जित आय):
- भारत 146 देशों में से 143वें स्थान पर है, भले ही इसका स्कोर वर्ष 2021 में 0.326 से बढ़कर 0.350 हो गया है।
- वर्ष 2021 में भारत 156 देशों में से 151वें स्थान पर था।
- भारत का स्कोर वैश्विक औसत से काफी कम है और इस मामले में केवल ईरान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान ही भारत से पीछे हैं।
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन में लैंगिक अंतराल को कम करने हेतु भारत की पहल:
- आर्थिक भागीदारी एवं स्वास्थ्य तथा जीवन रक्षा:
- राजनीतिक आरक्षण:
- सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिये 33% सीटें आरक्षित की हैं।
- निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों का क्षमता निर्माण:
- यह शासन प्रक्रियाओं में प्रभावी ढंग से भाग लेने के लिये महिलाओं को सशक्त बनाने की दृष्टि से आयोजित किया जाता है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन दुनिया के देशों को 'ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स' रैंकिंग प्रदान करता है? (2017) (a) वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम उत्तर: (a) व्याख्या:
प्रश्न. क्या लैंगिक असमानता, गरीबी और कुपोषण के दुश्चक्र को महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को सूक्ष्म वित्त (माइक्रोफाइनेंस) प्रदान करके तोड़ा जा सकता है? सोदाहरण स्पष्ट कीजिये। (मेन्स- 2021) प्रश्न. पितृसत्ता भारत में मध्यम वर्ग की कामकाजी महिलाओं की स्थिति को कैसे प्रभावित करती है? (मेन्स-2014) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
जैव विविधता और पर्यावरण
वन घोषणा आकलन 2022
प्रिलिम्स के लिये:COP-26, वनों की कटाई, भारतीय वन नीति, 1952, वन संरक्षण अधिनियम, 1980। मेन्स के लिये:वन घोषणा आकलन 2022 के निष्कर्ष और सिफारिशें। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वन घोषणा आकलन 2022 को प्रकाशित किया गया, जिसमें दर्शाया गया है कि वर्ष 2018-20 आधार वर्ष की तुलना में दुनिया भर में वनों की कटाई की दर में केवल वर्ष 2021 में 6.3% की गिरावट आई है।
- कुल 145 देशों ने ग्लासगो (वर्ष 2021) में पार्टियों के 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) में वर्ष 2030 तक वन हानि और भूमि क्षरण को रोकने तथा पुनर्प्राप्ति की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
- वन घोषणा आकलन वैश्विक वन लक्ष्यों की दिशा में प्रगति पर वार्षिक अद्यतन प्रकाशित करता है।
- वर्ष 2014 में वनों पर न्यूयॉर्क घोषणा (NYDF) को एक राजनीतिक घोषणा के रूप में अपनाया गया था जिसमें प्राकृतिक वन हानि को रोकने और वर्ष 2030 तक 350 मिलियन हेक्टेयर परिदृश्य एवं वनभूमि की बहाली का आह्वान किया गया था।
प्रमुख बिंदु
- अवलोकन:
- वर्ष 2030 तक वनों की कटाई को रोकने के लिये एक भी वैश्विक संकेतक ट्रैक पर नहीं है।
- वर्ष 2030 तक वनों की कटाई को पूरी तरह से रोकने के लिये इसमें 10% वार्षिक कटौती किये जाने की आवश्यकता है।
- जबकि वनीकरण और बहाली के प्रयास सराहनीय रहे हैं, प्राप्ति की तुलना में अधिक वन क्षेत्र का नुक्सान हो रहा है।
- वर्ष 2021 में वैश्विक वन हानि में कमी आई, लेकिन वर्ष 2030 तक वनों की कटाई को रोकने का महत्त्वपूर्ण जलवायु लक्ष्य के अब भी पिछड़ने की आशंका है।
- वनों की कटाई में योगदानकर्त्ता:
- वर्ष 2021 में वनों की कटाई में ब्राज़ील दुनिया का सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता था।
- आधार वर्ष 2018-2020 की तुलना में देश ने वर्ष 2021 में वनों की कटाई की दर में 3% की वृद्धि दर्ज की।
- हालाँकि ब्राज़ील ने बड़ी वृद्धि नहीं दिखाई, लेकिन प्रत्येक वर्ष इसकी कुल वनों की कटाई दर उच्च बनी रही, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता बन गया।
- बोलीविया और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में क्रमशः 6% और 3% वनों की कटाई हुई।
- वर्ष 2021 में वनों की कटाई में ब्राज़ील दुनिया का सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता था।
- वृक्षावरण में वृद्धि:
- पिछले दो दशकों में वैश्विक वृक्ष आवरण में 130.9 मिलियन हेक्टेयर की वृद्धि हुई है।
- वैश्विक लाभ का तीन-चौथाई हिस्सा मुख्य रूप से 13 देशों ने प्राप्त किया।
- सबसे महत्त्वपूर्ण सुधार रूस (28.4%), कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राज़ील और चीन में देखे गए।
- चीन ने वृक्षों के आवरण में सबसे बड़ी वृद्धि- 2.1 मिलियन हेक्टेयर (Mha) दर्ज की। भारत ने भी वृक्षों के आवरण में 0.87 एमएचए का लाभ दर्ज किया।
- विश्व स्तर पर कुल वृक्ष आवरण वृद्धि का 118.6 एमएचए प्राकृतिक पुनर्जनन और वृक्षारोपण के साझे सहयोग से होने की संभावना है।
- वनों की कटाई में कमी:
- गैबॉन ने 2018-20 की तुलना में 2021 में वनों की कटाई में 28% की कमी की।
- इस देश ने अवैध कटाई और संरक्षित क्षेत्रों के प्रवर्तन से निपटने के उपायों को लागू किया।
- इंडोनेशिया ने वन अधिस्थगन को लागू करने और प्रवर्तन उपायों में सुधार के बाद वनों की कटाई को कम किया।
- यह अधिस्थगन, जो लगभग 66 मिलियन हेक्टेयर के प्राथमिक वन और पीटलैंड (स्थलीय आर्द्रभूमि पारिस्थितिक तंत्र) को कवर करता है, को पहली बार वर्ष 2011 में पेश किया गया था और वनों की कटाई के कारण होने वाली आग से उत्सर्जन को कम करने के प्रयासों के तहत नियमित रूप से नवीनीकृत किया गया है।
- ब्राज़ील में वर्ष 2004 और 2012 के बीच वनों की कटाई की दर में गिरावट के लिये आंशिक रूप से अमेज़न में वनों की कटाई की रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु कार्ययोजना के समन्वित कार्यान्वयन को उत्तरदायी माना जा सकता है।
- इससे संरक्षित क्षेत्रों और प्रभावी निगरानी प्रणालियों का निर्माण हुआ।
- हाल के वर्षों में वनों की रक्षा के लिये यूरोपीय संघ, इक्वाडोर और भारत में कानूनी हस्तक्षेप देखा गया है।
- वर्ष 2021 में, इक्वाडोर की एक संवैधानिक अदालत ने देश के संविधान में निहित प्रकृति के अधिकारों को बरकरार रखा।
- गैबॉन ने 2018-20 की तुलना में 2021 में वनों की कटाई में 28% की कमी की।
- सिफारिश:
- यह ध्यान रखना आवश्यक है कि पेड़ कवर लाभ पेड़ के नुकसान को रद्द नहीं करता है।
- वन आवरण लाभ कार्बन भंडारण, जैवविविधता या पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के संदर्भ में वन हानि के प्रभावों को नकारते नहीं हैं। सर्वोच् च प्राथमिकता वाले प्रयासों को प्राथमिक वनों को नुकसान से बचाने की दिशा में निर्देशित किया जाना चाहिये।
- वर्ष 2030 तक वनों की कटाई को रोकने और रिवर्स करने के वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करने के लिये वन वित्त को ट्रैक पर लाने की आवश्यकता है।
- वैश्विक स्तर पर वनों की रक्षा, पुनर्स्थापना और वृद्धि के लिये प्रतिवर्ष 460 बिलियन अमेरिकी डॅालर तक की लागत आएगी।
- वर्तमान में वनों के लिये घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय शमन वित्त प्रतिवर्ष औसतन 2.3 बिलियन अमेरिकी डॅालर है- आवश्यकता के 1% से भी कम।
- वर्ष 2030 के लक्ष्यों को पूरा करने के लिये वन वित्तपोषण में 200 गुना तक की वृद्धि होनी चाहिये।
- वन हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और हमारी भलाई के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। वनों की कटाई को रोकने तथा बहाली को बढ़ाने के लिये कार्रवाई एवं ठोस प्रयासों में तेज़ी लाना अब पहले से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण है ताकि लोगों, प्रकृति और जलवायु को लाभान्वित किया जा सके।
- इसका मतलब है कि अधिक ज़मीनी समावेशी समाधान, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों एवं नागरिक समाज के बीच मज़बूत सहयोग व समन्वय, प्रतिबद्धताओं से कार्यान्वयन की ओर बढ़ा जा सके।
निर्वनीकरण:
- परिचय:
- निर्वनीकरण वन/जंगल के अलावा किसी अन्य कार्य हेतु स्थान (जगह) प्राप्त करने के लिये पेड़ों को स्थायी रूप से काटना/हटाना है। इसमें कृषि या चराई के लिये भूमि को साफ करना, या ईंधन, निर्माण या विनिर्माण के लिये लकड़ी का उपयोग करना शामिल हो सकता है।
- वर्तमान में सबसे अधिक वनों की कटाई उष्णकटिबंध क्षेत्र में हो रही है।
- प्रभाव:
- उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में वनों की कटाई कैनोपी (canopy) पर जल वाष्प के उत्पादन के तरीके को भी प्रभावित कर सकती है, जिससे वर्षा कम होगी।
- वनों की कटाई न केवल उन वनस्पतियों को समाप्त करती है जो हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, बल्कि जंगलों को समाप्त करने से ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन होता है।
- यह जैवविविधता और पशु जीवन को भी नुकसान पहुँचाता है।
- संबंधित भारत की पहल:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारत में मृदा अपक्षय की समस्या निम्नलिखित में से किससे/किनसे संबंधित है/हैं?
निचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
सुरक्षा
UNSC आतंकवाद निरोधक समिति की बैठक
प्रिलिम्स के लिये:संयुक्त राष्ट्र, FATF, मुंबई हमला, क्रिप्टो करेंसी, UNODC। मेन्स के लिये:आतंकवाद जैसी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिये पहल। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने वर्तमान आतंकवाद में क्रिप्टो- करेंसी और ड्रोन के उपयोग के माध्यम से आतंक-वित्तपोषण पर चर्चा करने के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद निरोधक समिति (CTC) की एक विशेष बैठक की मेज़बानी की।
- वर्ष 2001 में यूएनएससी-सीटीसी की स्थापना के बाद से भारत में इस तरह की यह पहली बैठक होगी। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि (रुचिरा कंबोज) वर्ष 2022 के लिये सीटीसी की अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।
- थीम: आतंकवादी उद्देश्यों के लिये नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग का मुकाबला करना।
UNSC-CTC:
- यह सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1373 द्वारा स्थापित किया गया था जिसे अमेरिका में 9/11 के आतंकी हमलों के मद्देनज़र 28 सितंबर, 2001 को सर्वसम्मति से अपनाया गया था।
- समिति में सुरक्षा परिषद के सभी 15 सदस्य शामिल हैं।
- पाँच स्थायी सदस्य: चीन, फ्राँस, रूसी संघ, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका तथा दस गैर-स्थायी सदस्य महासभा द्वारा दो साल के कार्यकाल के लिये चुने जाते हैं।
- इस समिति को संकल्प 1373 के कार्यान्वयन की निगरानी का काम सौंपा गया था, जिसमें देशों से घरेलू और दुनिया भर में आतंकवादी गतिविधियों का मुकाबला करने के लिये अपनी कानूनी एवं संस्थागत क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से कई उपायों को लागू करने का अनुरोध किया गया था।
- इसमें आतंकवाद के वित्तपोषण का अपराधीकरण करना, आतंकवाद के कृत्यों में शामिल व्यक्तियों से संबंधित किसी भी धन को जमा करना, आतंकवादी समूहों के लिये सभी प्रकार की वित्तीय सहायता से इनकार करना, आतंकवादियों के लिये सुरक्षित आश्रय, जीविका या समर्थन के प्रावधान को रोकना तथा आतंकवादी कृत्यों का अभ्यास या योजना बनाने वाले किसी भी समूह पर अन्य सरकारों के साथ जानकारी साझा करने से रोकना जैसे आवश्यक कदम शामिल हैं।
बैठक की मुख्य बातें
- भारत ने CTC पर विचार के लिये पाँच बिंदु सूचीबद्ध किये:
- आतंक-वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिये प्रभावी और निरंतर प्रयास।
- संयुक्त राष्ट्र के सामान्य प्रयासों को वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) जैसे अन्य मंचों के साथ समन्वयित करने की आवश्यकता है।
- यह सुनिश्चित करना कि सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध व्यवस्था राजनीतिक कारणों से अप्रभावी न हो।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और आतंकवादियों तथा उनके प्रायोजकों के खिलाफ ठोस कार्रवाई, जिसमें आतंकवादी सुरक्षित पनाहगाहों को खत्म करना अनिवार्यताएँ शामिल हैं।
- इन संबंधों को पहचानें और हथियारों एवं अवैध मादक पदार्थों की तस्करी जैसे एक अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के साथ आतंकवाद की सांठगाँठ को तोड़ने के लिये बहुपक्षीय प्रयासों को मज़बूत करना।
भारत के सामने उभरती चुनौतियाँ:
- आतंक फैलाने के लिये उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग दुनिया भर में बढ़ती चिंता का विषय है।
- जबकि 26/11 हमले के आतंकवादियों में से एक के ऊपर भारत में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मुकदमा चलाया गया तथा दोषी ठहराया गया 26/11 हमलों के प्रमुख षड्यंत्रकारियों और योजनाकारों को अभी भी दंडित नहीं किया गया है।
- चीन द्वारा कई मौकों पर पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों के खिलाफ UNSC प्रतिबंधों पर रोक लगाने से सुरक्षा परिषद कुछ मामलों में कार्रवाई करने के लिये कमज़ोर हो जाती है।
- इन वर्षों में आतंकवादी समूह अपने वित्तपोषण पोर्टफोलियो में विविधता लाए हैं। उन्होंने धन जुटाने और वित्त के लिये आभासी मुद्राओं जैसी नई और उभरती प्रौद्योगिकियों की गुमनामी का फायदा उठाना शुरू कर दिया है।
- मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग का मुकाबला करने में ढीली व्यवस्था के लिये पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ की तथाकथित ग्रे सूची में डाल दिया गया था। FATF ने अक्तूबर 2022 में प्लेनरी में चार साल से अधिक समय के बाद पाकिस्तान को हटा दिया था।
- पिछले साल से पाकिस्तान को समूह से बाहर करने पर चर्चा कश्मीर में बढ़ते आतंकी हमलों की प्रवृत्ति के साथ हुई।
आतंकवाद
- परिचय:
- कोई भी व्यक्ति जोअपराध करता है, आबादी को डराता है या किसी सरकार या अंतर्राष्ट्रीय संगठन को किसी भी कार्य को करने या उससे दूर रहने के लिये मज़बूर करता है, जिसके कारण है::
- किसी भी व्यक्ति की मृत्यु या गंभीर शारीरिक चोट
- सार्वजनिक या निजी संपत्ति को गंभीर नुकसान, जिसमें सार्वजनिक उपयोग का स्थान, एक राज्य या सरकारी सुविधा, एक सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, एक बुनियादी ढाँचा सुविधा या पर्यावरण शामिल है;
- संपत्ति, स्थानों, सुविधाओं या प्रणालियों को नुकसान जिसके परिणामस्वरूप बड़ा आर्थिक नुकसान होने की संभावना हो।
- कोई भी व्यक्ति जोअपराध करता है, आबादी को डराता है या किसी सरकार या अंतर्राष्ट्रीय संगठन को किसी भी कार्य को करने या उससे दूर रहने के लिये मज़बूर करता है, जिसके कारण है::
- आतंकवाद से निपटने के लिये भारत की पहल:
- आतंकी हमले के मद्देनज़र सुरक्षा व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने के लिये कई कदम उठाए गए।
- तटीय सुरक्षा को उच्च प्राथमिकता दी गई और यह नौसेना/तट रक्षक/समुद्री पुलिस के पास है।
- आतंकवादी अपराधों से निपटने के लिये राष्ट्रीय जाँच एजेंसी की स्थापना की गई थी जो जनवरी 2009 से काम कर रही है।
- राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड (NATGRID) का गठन सुरक्षा संबंधी सूचनाओं का एक उपयुक्त डेटाबेस बनाने के लिये किया गया है।
- आतंकी हमलों का तेज़ी से जवाब सुनिश्चित करने के लिये राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के लिये चार नए ऑपरेशनल हब बनाए गए हैं।
- इंटेलिजेंस ब्यूरो के तहत काम करने वाले मल्टी एजेंसी सेंटर को और मज़बूत किया गया एवं इसकी गतिविधियों का विस्तार किया गया।
- नौसेना ने भारत के विस्तारित समुद्र तट पर निगरानी रखने के लिये संयुक्त अभियान केंद्र का गठन किया।
- वैश्विक प्रयास:
- आतंकवाद विरोधी संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNOCT) आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद को रोकने एवं उसका मुकाबला करने के लिये संयुक्त राष्ट्र के दृष्टिकोण का नेतृत्व तथा समन्वय करता है।
- UNOCT के तहत UN आतंकवाद निरोधक केंद्र(UNCCT), आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है और वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति को लागू करने में सदस्य राज्यों का समर्थन करता है।
- ड्रग्स एंड क्राइम पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) की आतंकवाद रोकथाम शाखा (TPB) अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- यह अनुरोध पर सदस्य राज्यों की सहायता के लिये अनुसमर्थन, विधायी समावेश और आतंकवाद के खिलाफ सार्वभौमिक कानूनी ढाँचे के कार्यान्वयन के साथ काम करता है।
- फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जो एक वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण निगरानी संस्था है, अंतर्राष्ट्रीय मानकों को निर्धारित करती है जिसका उद्देश्य इन अवैध गतिविधियों एवं समाज को होने वाले नुकसान को रोकना है।
- आतंकवाद विरोधी संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNOCT) आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद को रोकने एवं उसका मुकाबला करने के लिये संयुक्त राष्ट्र के दृष्टिकोण का नेतृत्व तथा समन्वय करता है।
आगे की राह
- आतंकवाद का मुकाबला करने का एक अनिवार्य पहलू आतंकवाद के वित्तपोषण को प्रभावी ढंग से रोकना है।
- आतंकवादी समूहों को सूचीबद्ध करने के लिये उद्देश्य और साक्ष्य-आधारित प्रस्तावों, विशेष रूप से उन लोगों को जो वित्तीय संसाधनों तक उनकी पहुँच पर अंकुश लगाते हैं
- अंतररास्ट्रीयय समुदाय को राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर आतंकवाद की चुनौती को हराना चाहिये।
- सीमा की रक्षा के पारंपरिक तरीकों को बढ़ाने और पूरक करने के लिये तकनीकी समाधान आवश्यक हैं। वे न केवल सीमा की रक्षा करने वाले बलों की निगरानी और पहचान क्षमताओं को बढ़ाते हैं, बल्कि घुसपैठ और सीमा पार अपराधों के खिलाफ सीमा की रक्षा करने वाले कर्मियों के प्रभाव में भी सुधार करते हैं।
- भारत को सीमा पार आतंकवाद से लड़ने के लिये सेना की विशेषज्ञता की दिशा में आगे बढ़ना चाहिये।
- सेना को प्रेसिजन इंगेजमेंट कैपेबिलिटी जैसे तंत्र के माध्यम से LOC और LLC के पार आतंकी शिविरों पर हमला करने के वैकल्पिक तरीकों पर भी विचार करना चाहिये।
- ठीक से प्रशिक्षित जनशक्ति और किफायती व परीक्षण की गई प्रौद्योगिकी के विवेकपूर्ण मिश्रण से बेहतर परिणाम मिलने की संभावना है।
- आतंकवाद के खिलाफ युद्ध एक कम तीव्रता वाला संघर्ष या स्थानीय युद्ध है और इसे समाज के पूर्ण व निर्बाध समर्थन के बिना नहीं छेड़ा जा सकता है, यदि आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिये समाज का मनोबल और संकल्प लड़खड़ाता है तो इसे आसानी से खो दिया जा सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न: आतंकवाद का संकट राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये एक गंभीर चुनौती है। इस बढ़ते खतरे को रोकने के लिये आप क्या उपाय सुझाते हैं? आतंकवादी फंडिंग के प्रमुख स्रोत क्या हैं? (मुख्य परीक्षा, 2017) |
स्रोत: द हिंदू
भारतीय राजनीति
लाभ का पद
प्रिलिम्स के लिये: लाभ का पद, चुनाव आयोग, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, सर्वोच्च न्यायालय, अनुच्छेद 102 (1), अनुच्छेद 191 (1), अनुच्छेद 164 (4), उच्च न्यायालय।
मेन्स के लिये: लाभ का पद और संबंधित संवैधानिक प्रावधान
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘लाभ का पद’ के आरोपी झारखंड के मुख्यमंत्री ने सरकार से अपने अपराध को सार्वजनिक करने के साथ-साथ उन्हें त्वरित रूप से दंड दिये जाने का अनुरोध किया था।
'लाभ के पद' की अवधारणा:
- विधायिका के सदस्य के रूप में सांसद और विधायक सरकार को उसके काम के लिये जवाबदेह ठहराते हैं।
- लाभ के पद का कानून के तहत अयोग्यता का अर्थ है कि यदि विधायक सरकार के तहत 'लाभ का पद' धारण करते हैं, तो वे सरकारी प्रभाव के लिये अतिसंवेदनशील हो सकते हैं और अपने संवैधानिक जनादेश का निष्पक्ष रूप से निर्वहन नहीं कर सकते हैं।
- जिसका आशय यह है कि निर्वाचित सदस्य के कर्तव्यों और हितों के बीच कोई टकराव नहीं होना चाहिये।
- इसलिये लाभ का पद कानून केवल संविधान की बुनियादी विशेषता को लागू करने का प्रयास करता है-विधायिका और कार्यपालिका के बीच शक्ति के पृथक्करण का सिद्धांत।
लाभ का पद:
- परिचय:
- संविधान में लाभ का पद स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन विभिन्न न्यायालयी फैसलों में की गई व्याख्याओं द्वारा इसका अर्थ अवश्य स्पष्ट हुआ है।
- लाभ के पद की व्याख्या के अनुसार, पद-धारक को कुछ वित्तीय लाभ या बढ़त या हितलाभ प्राप्त होते हैं।
- ऐसे मामलों में इस तरह के लाभ की राशि महत्त्वहीन है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 1964 में फैसला सुनाया कि कोई व्यक्ति लाभ का पद रखता है या नहीं, इसका निर्धारण उसकी नियुक्ति की जाँच द्वारा होगी।
- निर्धारक कारक:
- क्या सरकार नियुक्ति प्राधिकारी है
- क्या सरकार के पास नियुक्ति समाप्त करने का अधिकार है
- क्या सरकार पारिश्रमिक निर्धारित करती है
- पारिश्रमिक का स्रोत क्या है
- शक्ति जो पद के साथ प्राप्त होती है
'लाभ का पद' धारण करने के संबंध में संवैधानिक प्रावधान:
- भारत के संविधान में अनुच्छेद 102(1)(a) तथा अनुच्छेद 191(1)(a) में लाभ के पद का उल्लेख किया गया है। अनुच्छेद 102(1)(a) के अंतर्गत संसद सदस्यों के लिये तथा अनुच्छेद 191(1)(a) के तहत राज्य विधानसभा के सदस्यों के लिये ऐसे किसी अन्य लाभ के पद को धारण करने की मनाही है।
- अनुच्छेद स्पष्ट करते हैं कि "किसी व्यक्ति को केवल इस कारण से भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन लाभ का पद धारण करने वाला नहीं माना जाएगा कि वह एक मंत्री है"।
- संविधान के अनुच्छेद 102 और 191 भी किसी सांसद या विधायक को सरकारी पद को ग्रहण करने की अनुमति देते हैं यदि कानून के माध्यम से उन पदों को लाभ के पद से उन्मुक्ति दी गई है।
- संसद ने भी संसद (अयोग्यता निवारण) अधिनियम, 1959 अधिनियमित किया है। जिसमें उन पदों की सूची दी गई है जिन्हें लाभ के पद से बाहर रखा गया है। संसद ने समय-समय पर इस सूची में विस्तार भी किया है।
सर्वोच्च न्यायालय के संबंधित फैसले:
- सर्वोच्च न्यायालय के तीन निर्णयों के मद्देनज़र जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9ए के तहत मुख्यमंत्री को अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
- इस धारा के तहत माल की आपूर्ति या सरकार द्वारा किये गए किसी भी कार्य के निष्पादन के लिये अनुबंध करना होता है।
- वर्ष 1964 में सीवीके राव बनाम दंतु भास्कर राव के मामले में सर्वोच्च न्यायालय की एक संविधान पीठ ने माना है कि एक खनन पट्टा माल की आपूर्ति के अनुबंध की राशि नहीं है।
- वर्ष 2001 में करतार सिंह भड़ाना बनाम हरि सिंह नलवा और अन्य के मामले में शीर्ष न्यायालय की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि खनन पट्टा सरकार द्वारा किये गए कार्य के निष्पादन की राशि नहीं है।
- यदि मुख्यमंत्री को किसी प्राधिकारी द्वारा अयोग्य घोषित किया जाता है, तो भी वह इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकता है और यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार चार महीने के भीतर पूरा किया जाना चाहिये।
- अनुच्छेद 164(4) के तहत एक व्यक्ति बिना सदस्य बने छह महीने तक मंत्री रह सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
- संसद (निरर्हता निवारण) अधिनियम, 1959 'लाभ के पद' के आधार पर कई पदों को अयोग्यता से छूट देती है।
- उपर्युक्त अधिनियम में पाँच बार संशोधन किया गया है।
- ‘लाभ का पद' शब्द भारत के संविधान में अच्छी तरह से परिभाषित है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (A)
- संसद (निरर्हता निवारण) अधिनियम, 1959 कई पदों को अयोग्यता से मुक्त करता है, जैसे: राज्य मंत्री और उप मंत्री संसदीय सचिव व संसदीय अवर सचिव संसद में उप मुख्य सचेतक विश्वविद्यालयों के कुलपति राष्ट्रीय कैडेट कोर एवं प्रादेशिक सेना में अधिकारी तथा सरकार द्वारा गठित सलाहकार समितियों के अध्यक्ष व सदस्य जब वे प्रतिपूरक के अलावा किसी भी शुल्क या पारिश्रमिक आदि के हकदार नहीं होते हैं। अतः कथन 1 सही है।
- इस अधिनियम को इसके निर्माण के बाद से 5 बार- वर्ष 1960, 1992, 1993, 2006 और 2013 में संशोधित किया गया है। अतः कथन 2 सही है।
- भारत का संविधान लाभ के पद को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं करता है, लेकिन विभिन्न न्यायालयों के निर्णयों में की गई व्याख्याओं के साथ इसकी परिभाषा वर्षों में विकसित हुई है। अत: कथन 3 सही नहीं है।
- अतः विकल्प (A) सही उत्तर है।