शासन व्यवस्था
प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान
- 10 Sep 2022
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान, क्षय रोग (TB), आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन, सतत् विकास लक्ष्य (SDG)। मेन्स के लिये:प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान, स्वास्थ्य, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में क्षय रोग (TB) के खिलाफ देश की लड़ाई में तेज़ी लाने और वर्ष 2025 तक रोग को खत्म करने के प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान का शुभारंभ किया।
‘क्षय रोग’ (TB)
- परिचय: टीबी या क्षय रोग ‘माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस’ नामक जीवाणु के कारण होता है,
- यह आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है।
- यह एक इलाज योग्य और साध्य रोग है।
- संचरण: टीबी रोग हवा के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। जब ‘पल्मोनरी टीबी’ से पीड़ित कोई व्यक्ति खाँसता, छींकता या थूकता है, तो वह टीबी के कीटाणुओं को हवा में फैला देता है।
- लक्षण: ‘पल्मोनरी टीबी’ के सामान्य लक्षणों में बलगम, कई बार खून के साथ खाँसी और सीने में दर्द, कमज़ोरी, वज़न कम होना, बुखार और रात को पसीना आना शामिल है।
- वैक्सीन: बैसिल कैलमेट-गुएरिन (BCG) टीबी रोग के लिये एक टीका है।
- संबंधित आँकड़े:
- वर्ष 2020 में टीबी से कुल 1.5 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई और अनुमानित 10 मिलियन लोग दुनिया भर में तपेदिक (टीबी) से बीमार हुए।
- भारत में दुनिया का सबसे अधिक तपेदिक का बोझ है, अनुमानित 26 लाख लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं और लगभग 4 लाख लोग प्रत्येक वर्ष इस बीमारी से मरते हैं।
- भारत के लिये चुनौतियाँ:
- भारत में टीबी को नियंत्रित करने के लिये प्रमुख चुनौतियों में शामिल हैं:
- कई राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में खराब प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढाँचा।
- अनियमित निजी स्वास्थ्य देखभाल के कारण पहली पंक्ति और दूसरी पंक्ति की टीबी रोधी दवाओं का व्यापक तर्कहीन उपयोग।
- कई राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में खराब प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढाँचा।
- गरीबी:
- राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और इसके अतिरिक्त, भ्रष्ट प्रशासन।
- भारत में टीबी को नियंत्रित करने के लिये प्रमुख चुनौतियों में शामिल हैं:
प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान:
- परिचय:
- यह वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन की दिशा में देश की प्रगति में तेज़ी लाने के लिये स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) की एक पहल है।
- उद्देश्य:
- टीबी रोगियों के उपचार परिणामों में सुधार के लिये अतिरिक्त रोगी सहायता प्रदान करना।
- 2025 तक टीबी को समाप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता को पूरा करने में समुदाय की भागीदारी बढ़ाना।
- कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (Corporate Social Responsibility-CSR) गतिविधियों का लाभ उठाना।
- घटक:
- नि-क्षय मित्र पहल: यह टीबी के इलाज के लिये अतिरिक्त निदान, पोषण और व्यावसायिक सहायता सुनिश्चित करता है।
- नि-क्षय मित्र (दाता) सरकारी प्रयासों के पूरक के लिये टीबी के खिलाफ प्रतिक्रिया में तेज़ी लाने हेतु स्वास्थ्य सुविधाओं के लिये (व्यक्तिगत दाता के लिये ), ब्लॉक/शहरी वार्डों/ज़िलों/राज्यों के स्तर पर सहायता करते हैं।
- नि-क्षय डिजिटल पोर्टल: यह टीबी से पीड़ित व्यक्तियों के लिये सामुदायिक सहायता के लिये एक मंच प्रदान करेगा।
- नि-क्षय मित्र पहल: यह टीबी के इलाज के लिये अतिरिक्त निदान, पोषण और व्यावसायिक सहायता सुनिश्चित करता है।
टीबी के इलाज से संबंधित अन्य पहलें:
- वैश्विक प्रयास:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation-WHO) ने ग्लोबल फंड और स्टॉप टीबी पार्टनरशिप के साथ एक “Find. Treat. All. #EndTB” संयुक्त पहल शुरू की है।
- WHO, ग्लोबल ट्यूबरकुलोसिस रिपोर्ट भी जारी करता है।
- भारत के प्रयास:
- भारत के राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals-SDGs) में निर्धारित वर्ष 2030 की अवधि से पाँच वर्ष पूर्व देश से वर्ष 2025 तक टीबी महामारी को समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- क्षय रोग उन्मूलन (वर्ष 2017-2025), निक्षय पारिस्थितिकी तंत्र (राष्ट्रीय टीबी सूचना प्रणाली), निक्षय पोषण योजना- वित्तीय सहायता, टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान के लिये राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (NSP) आदि।
- वर्तमान में टीबी के लिये दो टीके वैक्सीन प्रोजेक्ट मैनेजमेंट (Vaccine Projekt Management- VPM) 1002 और माइकोबैक्टीरियम इंडिकस प्रणी (Mycobacterium indicus pranii) विकसित और पहचाने गए हैं जो नैदानिक परीक्षण के तीसरे चरण से गुजर रहे हैं।
- नि-क्षय पोषण योजना: यह रोगियों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से 500 रुपए की सहायता प्रदान करती है।
- आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन: सरकार ने आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के तहत टीबी रोगियों के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग करने और डिजिटल स्वास्थ्य पहचान पत्र बनाने पर भी ध्यान केंद्रित किया है ताकि उचित निदान और उपचार सुनिश्चित किया जा सके।
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अतः विकल्प A सही है। |