CPEC प्राधिकरण
प्रिलिम्स के लिये:चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC), वन बेल्ट वन रोड (OBOR) मेन्स के लिये:चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) और भारत पर इसके प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में चीन ने 60 अरब अमेरिकी डॉलर की परियोजना चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) की धीमी गति को लेकर सभी करीबी मित्र देशों के मध्य बढ़ती दरार की खबरों के बीच CPEC प्राधिकरण को खत्म करने के पाकिस्तान के फैसले को मंज़ूरी दे दी।
CPEC प्राधिकरण:
- परिचय:
- चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) प्राधिकरण वर्ष 2019 में अध्यादेश के माध्यम से स्थापित किया गया था।
- इसका उद्देश्य CPEC से संबंधित गतिविधियों को तेज़ करना, विकास के नए चालकों को खोजना, क्षेत्रीय और वैश्विक कनेक्टिविटी के माध्यम से परस्पर जुड़े उत्पादन नेटवर्क एवं वैश्विक मूल्य शृंखलाओं की संभावनाओं को खोजना था।
- चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) प्राधिकरण वर्ष 2019 में अध्यादेश के माध्यम से स्थापित किया गया था।
- निलंबन का कारण:
- पाकिस्तान अधिकृत गिलगित बाल्टिस्तान में ज़मीन के मुद्दों को लेकर पाकिस्तानी सेना के खिलाफ स्थानीय विरोध में तेज़ी देखी जा रही है।
- स्थानीय आबादी CPEC के नाम पर सेना द्वारा"भूमि हड़पने" की नीति से नाराज़ है।
- अप्रैल 2022 में बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) द्वारा कराची विश्वविद्यालय में किये गए आत्मघाती बम विस्फोट में तीन चीनी नागरिक मारे गए, यह प्रतिक्रिया बलूचिस्तान में चीेनी निवेश के विरोध का संकेत थी।
- चीन कथित तौर पर पाकिस्तान पर दबाव बना रहा है कि वह चीनी एजेंसियों को अपने कर्मियों को सुरक्षा प्रदान करने की अनुमति दे, जबकि इस्लामाबाद इसका विरोध कर रहा है क्योंकि वह चीनी सशस्त्र बलों का नियंत्रण पाकिस्तानी ज़मीन में नहीं चाहता है।
- पिछली सरकार द्वारा चीन से की गई प्रतिबद्धताओं का पालन न हो पाने एवं कराधान नीतियों में बदलाव के कारण CPEC परियोजनाओं को भी देरी का सामना करना पड़ रहा था।
- पाकिस्तान अधिकृत गिलगित बाल्टिस्तान में ज़मीन के मुद्दों को लेकर पाकिस्तानी सेना के खिलाफ स्थानीय विरोध में तेज़ी देखी जा रही है।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC):
- परिचय:
- CPEC चीन के उत्तर-पश्चिमी झिंजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र और पाकिस्तान के पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को जोड़ने वाली बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का 3,000 किलोमीटर लंबा मार्ग है।
- यह पाकिस्तान और चीन के बीच एक द्विपक्षीय परियोजना है, जिसका उद्देश्य ऊर्जा, औद्योगिक और अन्य बुनियादी ढाँचा विकास परियोजनाओं के साथ राजमार्गों, रेलवे एवं पाइपलाइन्स के नेटवर्क द्वारा पूरे पाकिस्तान में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना है।
- यह चीन के लिये ग्वादर बंदरगाह से मध्य-पूर्व और अफ्रीका तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त करेगा ताकि चीन हिंद महासागर तक पहुँच प्राप्त कर सके तथा चीन बदले में पाकिस्तान के ऊर्जा संकट को दूर करने और लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिये पाकिस्तान में विकास परियोजनाओं का समर्थन करेगा।
- CPEC, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक हिस्सा है।
- वर्ष 2013 में शुरू किये गए ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ का उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि एवं समुद्री मार्गों के नेटवर्क से जोड़ना है।
- CPEC का भारत हेतु निहितार्थ:
- भारत की संप्रभुता:
- भारत CPEC की लगातार आलोचना करता रहा है, क्योंकि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान से होकर गुज़रता है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच एक विवादित क्षेत्र है।
- कॉरिडोर को भारत की सीमा पर स्थित कश्मीर घाटी के लिये वैकल्पिक आर्थिक सड़क संपर्क के रूप में भी माना जाता है।
- सागर के माध्यम से व्यापार पर चीनी नियंत्रण:
- पूर्वी तट पर प्रमुख अमेरिकी बंदरगाह चीन के साथ व्यापार करने के लिये पनामा नहर पर निर्भर हैं।
- एक बार CPEC के पूरी तरह कार्यात्मक हो जाने के बाद चीन अधिकांश उत्तरी और लैटिन अमेरिकी उद्यमों के लिये एक 'छोटा एवं अधिक किफायती' व्यापार मार्ग की पेशकश करने की स्थिति में होगा।
- यह चीन को उन शर्तों को निर्धारित करने की शक्ति देगा जिनके द्वारा अटलांटिक और प्रशांत महासागरों के बीच माल की अंतर्राष्ट्रीय आवाजाही होगी।
- स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स:
- चीन ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ की नीति द्वारा हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है। ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ अमेरिका द्वारा गढ़ा गया एक शब्द है जो अक्सर भारतीय रक्षा विश्लेषकों द्वारा हवाई क्षेत्रों और बंदरगाहों के नेटवर्क के माध्यम से भारत को घेरने की चीनी रणनीति का उल्लेख करने के लिये उपयोग किया जाता है।
- भारत की संप्रभुता:
चटगाँव बंदरगाह (बांग्लादेश), हंबनटोटा बंदरगाह (श्रीलंका), पोर्ट सूडान (सूडान), मालदीव, सोमालिया और सेशेल्स में मौजूदा उपस्थिति के साथ ग्वादर बंदरगाह पर नियंत्रण कर साम्यवादी राष्ट्र द्वारा हिंद महासागर पर पूर्ण प्रभुत्व स्थापित करना है।
BRI द्वारा मज़बूत व्यापार और चीन का प्रभुत्व:
चीन की BRI परियोजना, जो बंदरगाहों, सड़कों और रेलवे के नेटवर्क के माध्यम से चीन तथा शेष यूरेशिया के बीच व्यापार संपर्क पर केंद्रित है, को अक्सर इस क्षेत्र पर राजनीतिक रूप से हावी होने की चीन की योजना के रूप में देखा जाता है।
CPEC उसी दिशा में एक बड़ा कदम है।
वन बेल्ट वन रोड (OBOR):
- परिचय:
- वन बेल्ट वन रोड वर्ष 2013 में शुरू की गई एक मल्टी-मिलियन डॉलर की पहल है।
- इसका उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि एवं समुद्री मार्गों के नेटवर्क से जोड़ना है।
- इसका उद्देश्य विश्व में बड़ी बुनियादी ढांँचा परियोजनाओं को शुरू करना है जो बदले में चीन के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाएगी।
- संरचना:
- इनमें निम्नलिखित छह आर्थिक गलियारे शामिल हैं:
- न्यू यूरेशियन लैंड ब्रिज, जो पश्चिमी चीन को पश्चिमी रूस से जोड़ता है।
- चीन-मंगोलिया-रूस गलियारा, जो मंगोलिया के माध्यम से उत्तरी चीन को पूर्वी रूस से जोड़ता है।
- चीन-मध्य एशिया-पश्चिम एशिया गलियारा, जो मध्य और पश्चिम एशिया के माध्यम से पश्चिमी चीन को तुर्की से जोड़ता है।
- चीन-इंडोचीन प्रायद्वीप गलियारा, जो भारत-चीन के माध्यम से दक्षिणी चीन को सिंगापुर से जोड़ता है।
- चीन-पाकिस्तान गलियारा, जो दक्षिण-पश्चिमी चीन को पाकिस्तान के माध्यम से अरब सागर के मार्गों से जोड़ता है।
- बांग्लादेश-चीन-भारत-म्याँमार गलियारा, जो बांग्लादेश और म्याँमार के रास्ते दक्षिणी चीन को भारत से जोड़ता है।
- इसके अतिरिक्त समुद्री सिल्क रोड सिंगापुर-मलेशिया, हिंद महासागर, अरब सागर और होर्मुज़ जलडमरूमध्य के माध्यम से तटीय चीन को भूमध्य सागर से जोड़ता है।
- इनमें निम्नलिखित छह आर्थिक गलियारे शामिल हैं:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:प्रिलिम्स के लिये: प्रश्न: कभी-कभी समाचारों में देखा जाने वाला बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (2016) का उल्लेख किसके संदर्भ में किया जाता है? (a) अफ्रीकी संघ उत्तर: D व्याख्या:
प्रश्न: चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) को चीन की बड़ी 'वन बेल्ट वन रोड' पहल के मुख्य उपसमुच्चय के रूप में देखा जाता है। CPEC का संक्षिप्त विवरण दीजिये और उन कारणों का उल्लेख कीजिये जिनकी वजह से भारत ने खुद को इससे दूर किया है। (मुख्य परीक्षा, 2018) प्रश्न: चीन और पाकिस्तान ने आर्थिक गलियारे के विकास हेतु एक समझौता किया है। यह भारत की सुरक्षा के लिये क्या खतरा उत्पन्न करता है? समालोचनात्मक चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2014) प्रश्न: "चीन एशिया में संभावित सैन्य शक्ति की स्थिति विकसित करने के लिये अपने आर्थिक संबंधों और सकारात्मक व्यापार अधिशेष का उपयोग उपकरण के रूप में कर रहा है"। इस कथन के आलोक में भारत पर पड़ोसी देश के रूप में इसके प्रभाव की चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2017) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित HFC बस
प्रिलिम्स के लिये:नेशनल हाइड्रोजन मिशन, ग्रीन हाइड्रोजन, हाइड्रोजन ईंधन सेल, जलवायु परिवर्तन लक्ष्य, ग्रीन हाइड्रोजन/ग्रीन अमोनिया पॉलिसी, FAME India, EV30@30 कैंपेन, एथेनॉल ब्लेंडिंग। मेन्स के लिये:हाइड्रोजन ईंधन सेल - भारत के नवाचार, राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन, जलवायु परिवर्तन और हरित ईंधन संक्रमण |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने भारत की पहली हाइड्रोजन ईंधन सेल (HFC) बस का शुभारंभ किया।
- एपॉक्सी रेजिन, पॉली कार्बोनेट और अन्य इंजीनियरिंग प्लास्टिक के उत्पादन के लिये एक महत्त्वपूर्ण फीडस्टॉक CSIR-राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (एनसीएल) में बिस्फेनॉल-एक पायलट संयंत्र का भी उद्घाटन किया गया।
हाइड्रोजन ईंधन सेल (HFC):
- परिचय:
- हाइड्रोजन ईंधन सेल एक विद्युत रासायनिक उपकरण है जो हाइड्रोजन को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
- ईंधन सेल इलेक्ट्रिक वाहनों में पाई जाने वाली पारंपरिक बैटरियों की तरह ही काम करते हैं, लेकिन वे डिस्चार्ज नहीं होते हैं और उन्हें बिजली से रिचार्ज करने की आवश्यकता नहीं होती है।
- जब तक हाइड्रोजन की उपलब्धता रहती है, तब तक वे बिजली का उत्पादन जारी रखते हैं।
- सबसे सफल ईंधन सेल में से एक पानी बनाने के लिये ऑक्सीजन के साथ हाइड्रोजन की प्रतिक्रिया का उपयोग करता है।
- HFC संचालित वाहनों के लाभ:
- वे कोई टेलपाइप उत्सर्जन (गैसीय और कण प्रदूषकों का उत्सर्जन) नहीं करते हैं और केवल जल वाष्प एवं गर्म हवा का उत्सर्जन करते हैं।
- वे आंतरिक दहन इंजन वाहनों की तुलना में बेहतर होते हैं।
- ईंधन भरने में लगने वाले समय के मामले में हाइड्रोजन FCEV को बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहनों की तुलना में लाभ होता है; एक ईंधन सेल वाहन में हाइड्रोजन को मिनटों में रिफिल किया जा सकता है, लगभग उतनी ही तेज़ी से जितनी तेज़ी से एक आंतरिक दहन इंजन को जीवाश्म ईंधन से भरा जा सकता है।
नवाचार की मुख्य विशेषताएँ:
- HFC बस को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) तथा KPIT, भारतीय बहुराष्ट्रीय निगम द्वारा विकसित किया गया है।
- सही मायने में भारत की इस पहली स्वदेशी रूप से विकसित HFC बस का शुभारंभ राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन के अनुरूप है।
- ईंधन सेल बस के लिये बिजली उत्पन्न करने हेतु हाइड्रोजन और वायु का उपयोग करता है तथा बस से निकलने वाला एकमात्र अपशिष्ट पानी है। इस प्रकार यह संभवतः परिवहन का सबसे पर्यावरण के अनुकूल साधन है।
- ईंधन सेल वाहनों की उच्च दक्षता डीज़ल चालित वाहनों की तुलना में प्रति किलोमीटर कम परिचालन लागत सुनिश्चित करती है और भारत में माल ढुलाई क्रांति ला सकती है।
राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन:
- केंद्रीय बजट 2021-22 के तहत एक राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन (National Hydrogen Energy Mission-NHM) की घोषणा की गई थी, जो हाइड्रोजन को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के रूप में उपयोग करने के लिये एक रोडमैप तैयार करता है।
- इसके तहत स्वच्छ वैकल्पिक ईंधन विकल्प के लिये पृथ्वी पर सबसे प्रचुर तत्त्वों (हाइड्रोजन) का उपयोग किया जाएगा।
- इस पहल में परिवहन क्षेत्र में बदलाव लाने की क्षमता है।
- केंद्र बिंदु:
- हरित ऊर्जा संसाधनों से हाइड्रोजन उत्पादन पर ज़ोर।
- भारत की बढ़ती अक्षय ऊर्जा क्षमता को हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना।
- हाइड्रोजन का उपयोग न केवल भारत को पेरिस समझौते के तहत अपने उत्सर्जन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करेगा, बल्कि यह जीवाश्म ईंधन के आयात पर भारत की निर्भरता को भी कम करेगा।
नवाचार का महत्त्व:
- यह नवाचार प्रधानमंत्री के हाइड्रोजन विज़न का एक हिस्सा है जो वहनीय, सुलभ और स्वच्छ ऊर्जा के आत्मनिर्भर साधनों को सुनिश्चित कर जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को पूरा करेगा तथा नए उद्यमियों एवं रोज़गार का सृजन करेगा।
- ग्रीन हाइड्रोजन एक उत्कृष्ट स्वच्छ ऊर्जा का वाहक है जो वाणिज्यिक परिवहन क्षेत्र से उत्सर्जित होने वाले भारी प्रदूषकों के डीकार्बोनाइज़ेशन को सक्षम बनाता है।
- लंबी दूरी के मार्गों पर चलने वाली एक डीज़ल बस आमतौर पर वार्षिक स्तर पर 100 टन CO2 का उत्सर्जन करती है और भारत में ऐसी दस लाख से अधिक बसें हैं। लगभग 12-14% CO2 का उत्सर्जन डीज़ल चालित भारी वाणिज्यिक वाहनों से होता है, जो विकेंद्रीकृत स्वरुप में होने वाले उत्सर्जन हैं और इसलिये इन्हें कैप्चर करना एक कठिन कार्य है।
- फ्यूल सेल वाहन शून्य ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन करते हैं। इसके अलावा प्रति किलोमीटर में उनकी परिचालन लागत डीज़ल से चलने वाले वाहनों की तुलना में कम है।
- इस तरह के नवाचारों के माध्यम से भारत जीवाश्म ऊर्जा के शुद्ध आयातक से स्वच्छ हाइड्रोजन ऊर्जा का शुद्ध निर्यातक बनने का प्रयास कर सकता है।
- यह एक बड़े हरित हाइड्रोजन उत्पादक और हरित हाइड्रोजन के लिये उपकरणों का आपूर्तिकर्त्ता बनकर भारत को हाइड्रोजन ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व प्रदान कर सकता है।
ग्रीन हाइड्रोजन:
- परिचय:
- यह पवन और सौर जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों द्वारा संचालित इलेक्ट्रोलाइज़र का उपयोग करके H20 को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विखंडित करके उत्पादित किया जाता है।
- ईंधन को भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिये गेम-चेंजर माना जाता है, जो अपने तेल का 85% और गैस आवश्यकताओं का 53% आयात करता है।
- फरवरी 2022 में ऊर्जा मंत्रालय ने ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करके ग्रीन हाइड्रोजन या ग्रीन अमोनिया के उत्पादन के लिये ग्रीन हाइड्रोजन/ग्रीन अमोनिया नीति को अधिसूचित किया है।
- महत्त्व:
- भारत के लिये अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (INDC) लक्ष्यों को पूरा करने और क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा, पहुँच तथा उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु हरित हाइड्रोजन ऊर्जा महत्त्वपूर्ण है।
- ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा भंडारण विकल्प के रूप में कार्य कर सकता है, जो भविष्य में (नवीकरणीय ऊर्जा के) अंतराल को पूरा करने के लिये आवश्यक होगा।
- गतिशीलता के संदर्भ में शहरों और राज्यों के भीतर शहरी माल ढुलाई या यात्रियों हेतु लंबी दूरी की यात्रा के लिये रेलवे, बड़े जहाज़ों , बसों या ट्रकों आदि में ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग किया जा सकता है।
- बुनियादी ढाँचे के समर्थन में हाइड्रोजन में प्रमुख नवीकरणीय क्षमता है।
भारत सरकार का अन्य तरीकों से स्वच्छ ईंधन संक्रमण को बढ़ावा देना:
- हाइड्रोजन ईंधन सेल इलेक्ट्रिक वाहनों (FCEV) हेतु एनटीपीसी की परियोजना
- फेम इंडिया स्कीम
- ग्रीन हाइड्रोजन ईंधन सेल इलेक्ट्रिक वाहन (एफसीईवी) टोयोटा मिराई
- EV30@30 अभियान
- 2025 तक भारत में इथेनॉल सम्मिश्रण के लिये रोडमैप
- जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018 में संशोधन
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (UPSC)प्रिलिम्स के लिये: प्रश्न. जैव ईंधन पर भारत की राष्ट्रीय नीति के अनुसार जैव ईंधन के उत्पादन के लिये निम्न में से किसका उपयोग कच्चे माल के रूप में किया जा सकता है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 5 और 6 उत्तर: (a) प्रश्न. 'ईंधन सेल' के संदर्भ में जिसमें हाइड्रोजन युक्त ईंधन और ऑक्सीजन का उपयोग बिजली उत्पन्न करने के लिए किया जाता है, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) |
स्रोत: पी.आई.बी.
फेसियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी
प्रिलिम्स के लिये:फेसियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी (FRT), सूचना का अधिकार, आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022, बायोमेट्रिक प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता मेन्स के लिये:फेसियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी , एफआरटी के उपयोग, एफआरटी में चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
नई दिल्ली स्थित डिजिटल अधिकार संगठन, इंटरनेट फ़्रीडम फ़ाउंडेशन द्वारा प्राप्त सूचना का अधिकार (RTI) प्रतिक्रियाओं से पता चलता है कि दिल्ली पुलिस अपनी फेसियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी (FRT) प्रणाली द्वारा 80% से अधिक फेस मैच वाले मामले को सकारात्मक परिणाम के रूप में चिह्नित करती है।
दिल्ली पुलिस द्वारा वर्ष 2022 के आरटीआई के जवाब से प्राप्त परिणाम:
- सूचना का अधिकार प्रतिक्रियाएँ:
- फेसियल रिकॉग्निशन की सीमा:
- दिल्ली पुलिस ने खुलासा किया है कि 80% से अधिक समानता वाले मामले को सकारात्मक परिणाम के रूप में माना जाता है, जबकि 80% समानता से कम समानता वाले मामले को झूठे सकारात्मक परिणाम के रूप में माना जाता है, जिसके लिये अतिरिक्त सबूत की आवश्यकता होती है।
- डेटा का संग्रहण:
- दिल्ली पुलिस कैदियों की पहचान अधिनियम, 1920 की धारा 3 और 4 के तहत एकत्र की गई तस्वीरों/वीडियो का मिलान करती है, जिसे अब आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया है।
- फेसियल रिकॉग्निशन की सीमा:
- उत्पन्न चिंताएँ:
- 80% की सीमा:
- यह स्पष्ट नहीं है कि 80% को सकारात्मक और झूठे सकारात्मक के बीच की सीमा के रूप में क्यों चुना गया है।
- 80% से कम परिणामों के वर्गीकरण को नकारात्मक के बजाय झूठे सकारात्मक के रूप में दर्शाता है इसका अर्थ है कि दिल्ली पुलिस अभी भी 80% से कम परिणामों की जाँच कर सकती है
- इससे एक ही परिवार के समान चेहरे वाले सदस्यों जैसे कि विस्तारित परिवारों या समुदायों को गलत आरोपों में लक्षित किया जा सकता है।
- इसका परिणाम उन समुदायों को लक्षित करना हो सकता है जिन पर पहले से कोई आपराधिक आरोप है (जो अभी तक साबित नही हुआ है) और जो कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा भेदभाव का सामना कर चुके हैं।
- आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022:
- यह आशंका है कि आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 डेटा के संग्रह और प्रसंस्करण के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सर्वोत्तम प्रथाओं के उल्लंघन में व्यक्तिगत डेटा के व्यापक संग्रह को बढ़ावा देगा।
- 80% की सीमा:
फेसियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी:
- परिचय:
- फेशियल रिकग्निशन एक एल्गोरिथम-आधारित तकनीक है जो किसी व्यक्ति के चेहरे की विशेषताओं की पहचान और मानचित्रण करके चेहरे का एक डिजिटल नक्शा बनाता है, जो तब उस डेटाबेस से मिलान करती है जिस तक उसकी पहुँच होती है।
- ऑटोमेटेड फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (AFRS) में बड़े डेटाबेस (जिसमें लोगों के चेहरों की तस्वीरें और वीडियो होते हैं) का इस्तेमाल व्यक्ति के चेहरे का मिलान करने और उसकी पहचान करने के लिये किया जाता है।
- सीसीटीवी फुटेज से ली गई एक अज्ञात व्यक्ति की छवि की तुलना मौजूदा डेटाबेस से की जाती है, जो पैटर्न-खोज और मिलान के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का उपयोग करती है।
- कार्य:
- चेहरे की पहचान प्रणाली मुख्य रूप से कैमरे के माध्यम से चेहरे और उसकी विशेषताओं को कैप्चर करके और फिर विभिन्न प्रकार के सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके काम करती है।
- इसकी विशेषताओं के साथ कैप्चर किया गया चेहरा एक डेटाबेस में संग्रहीत किया जाता है जिसे किसी भी प्रकार के सॉफ़्टवेयर के साथ एकीकृत किया जा सकता है जिसका उपयोग सुरक्षा उद्देश्यों, बैंकिंग सेवाओं आदि के लिये किया जा सकता है।
- उपयोग:
- 1:1 सत्यापन:
- चेहरे का मानचित्र उनकी पहचान को प्रमाणित करने के लिये डेटाबेस पर व्यक्ति की तस्वीर के साथ मिलान करने के उद्देश्य से प्राप्त किया जाता है।
- उदाहरण के लिये, फ़ोन को अनलॉक करने हेतु 1:1 सत्यापन का उपयोग किया जाता है।
- चेहरे का मानचित्र उनकी पहचान को प्रमाणित करने के लिये डेटाबेस पर व्यक्ति की तस्वीर के साथ मिलान करने के उद्देश्य से प्राप्त किया जाता है।
- 1: n सत्यापन:
- चेहरे का मानचित्र एक तस्वीर या वीडियो से प्राप्त किया जाता है और फिर तस्वीर या वीडियो में व्यक्ति की पहचान करने के लिये पूरे डेटाबेस के साथ मिलान किया जाता है।
- दिल्ली पुलिस जैसी कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ आमतौर पर 1: n सत्यापन के लिये FRT खरीदती हैं।
- चेहरे का मानचित्र एक तस्वीर या वीडियो से प्राप्त किया जाता है और फिर तस्वीर या वीडियो में व्यक्ति की पहचान करने के लिये पूरे डेटाबेस के साथ मिलान किया जाता है।
- 1:1 सत्यापन:
- आवश्यकता:
- प्रमाणीकरण:
- इसे प्रमाणिकता एवं पहचान के लिये उपयोग में लाया जाता है एवं इसकी सफलता दर लगभग 75% है।
- फोर्स मल्टीप्लायर:
- भारत में प्रति एक लाख नागरिकों पर 144 पुलिसकर्मी हैं। अत: फेस रिकॉग्निशन प्रणाली यहाँ बल गुणक (Force Multiplier) के रूप में कार्य कर सकती है।
- क्योंकि इसे न तो अधिक कार्यबल की आवश्यकता है और न ही नियमित उन्नयन की।
- अतः यह तकनीक वर्तमान जनशक्ति/कार्यबल के साथ मिलकर एक गेम चेंजर के रूप में कार्य कर सकती है।
- भारत में प्रति एक लाख नागरिकों पर 144 पुलिसकर्मी हैं। अत: फेस रिकॉग्निशन प्रणाली यहाँ बल गुणक (Force Multiplier) के रूप में कार्य कर सकती है।
- प्रमाणीकरण:
दिल्ली पुलिस द्वारा फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी का उपयोग:
- लापता बच्चों का पता लगाने और उनकी पहचान करने के उद्देश्य से दिल्ली पुलिस ने सबसे पहले FRT का उपयोग किया।
- साधन हलदर बनाम एनसीटी दिल्ली में दिल्ली उच्च न्यायालय के वर्ष 2018 के निर्देश के अनुसार खरीद को अधिकृत किया गया था।
- वर्ष 2020 में दिल्ली पुलिस ने कहा कि "हालाँकि उन्होंने साधना हलदर निर्देश के अनुसार FRT प्राप्त किया जो विशेष रूप से लापता बच्चों को खोजने से संबंधित था, वे पुलिस जाँच के लिये FRT का उपयोग कर रहे थे"।
- FRT उपयोग के लिये उद्देश्य का विस्तार स्पष्ट रूप से 'फ़ंक्शन क्रीप' का एक उदाहरण प्रदर्शित करता है जिसमें तकनीक या प्रणाली धीरे-धीरे अपने मूल उद्देश्य से व्यापक कार्यों को शामिल करने और पूरा करने हेतु अपने दायरे को विस्तृत करती है।
- इसके परिणामस्वरूप दिल्ली पुलिस ने FRT का उपयोग जाँच उद्देश्यों के लिये किया है और विशेष रूप से वर्ष 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों, वर्ष 2021 में लाल किले की हिंसा और वर्ष 2022 जहाँगीरपुरी दंगों के दौरान भी किया है।
फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी की चुनौतियाँ:
- त्रुटिपूर्ण और दुरुपयोग:
- प्रौद्योगिकी के त्रुटिपूर्ण होने के कारण "गलत पहचान" से संबंधित मुद्दे।
- प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग के कारण "बड़े पैमाने पर निगरानी" से संबंधित मुद्दे।
- नस्ल और लिंग:
- यह भी बताया गया है कि नस्ल और लिंग के आधार पर इसकी सटीकता दर में भारी गिरावट आई है।
- इसका परिणाम असत्य सकारात्मक (False Positive) हो सकता है, जहाँ किसी व्यक्ति को किसी और के रूप में गलत पहचाना जाता है, या असत्य नकारात्मक (False Negative) जहाँ एक व्यक्ति को स्वयं के रूप में सत्यापित नहीं किया जाता है।
- असत्य सकारात्मक परिणाम के मामले गलत पहचान वाले व्यक्ति के प्रति पूर्वाग्रह पैदा कर सकते हैं।
- यह भी बताया गया है कि नस्ल और लिंग के आधार पर इसकी सटीकता दर में भारी गिरावट आई है।
- बहिष्करण:
- असत्य नकारात्मक परिणामों के मामले भी व्यक्ति को आवश्यक योजनाओं तक पहुँचने से बाहर कर सकते हैं जो FRT को पहुँच प्रदान करने के साधन के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
- उदाहरण के लिये, आधार के तहत बायोमेट्रिक आधारित प्रमाणीकरण की विफलता जिसके कारण कई लोगों को आवश्यक सरकारी सेवाएँ प्राप्त करने से बाहर रखा गया है, जिसके कारण भुखमरी से मौतें हुई हैं।
- गोपनीयता का उल्लंघन:
- हालांँकि सरकार डेटा गोपनीयता व्यवस्था जैसे कानूनी ढांँचे के माध्यम से गोपनीयता के मुद्दे को संबोधित करने की योजना बना रही है, लेकिन इस प्रकार की तकनीक के उपयोग से प्राप्त होने वाले उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए यह आपसी हितों में टकराव उत्पन्न कर सकता है।
- विश्वसनीयता और प्रामाणिकता:
- चूंँकि एकत्र किये गए डेटा का उपयोग आपराधिक मुकदमे के दौरान न्यायालय में किया जा सकता है, इसलिये मानकों और प्रक्रिया के साथ-साथ डेटा की विश्वसनीयता एवं स्वीकार्यता को भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है।
- डेटा सुरक्षा कानून की अनुपस्थिति:
- डेटा सुरक्षा कानूनों (Data Protection Laws) की अनुपस्थिति में FRT सिस्टम, जो उपयोगकर्त्ता द्वारा डेटा के संग्रह और भंडारण में आवश्यक सुरक्षा उपायों के लिये अनिवार्य होगा, भी चिंता का विषय है।
आगे की राह
- वर्तमान डिजिटल युग में डेटा एक मूल्यवान संसाधन है जिसे अनियंत्रित या स्वतंत्र नहीं छोड़ा जा सकता। इस संदर्भ में भारत को एक मज़बूत डेटा संरक्षण व्यवस्था स्थापित करनी चाहिये।
- सरकार को सूचना के अधिकार को मज़बूत बनाने के साथ ही नागरिकों की निजता का भी सम्मान करना होगा।
- इसके अतिरिक्त, पिछले दो से तीन वर्षों में हुई तकनीकी उन्नयन को भी यह जानते हुए संबोधित करने की आवश्यकता है कि उनमें कानून को निरर्थक बनाने की क्षमता है।
- हर देश की अपनी चुनौतियाँ होती हैं जो अतुलनीय होती हैं।
- भारत की आबादी के आकार और तुलनात्मक रूप से कम कर्मचारियों को देखते हुए, इस तरह की नवजात तकनीक का सुनियोजित उपयोग एक संभावित समाधान है, बशर्ते गोपनीयता के मुद्दे सहित इसकी अंतर्निहित चिंताओं को दूर करने के लिये पर्याप्त सुरक्षा उपाय हों।
- भारत की आबादी के आकार और तुलनात्मक रूप से कम कर्मचारियों को देखते हुए, इस तरह की नवजात तकनीक का सुनियोजित उपयोग एक संभावित समाधान है, बशर्ते गोपनीयता के मुद्दे सहित इसकी अंतर्निहित चिंताओं को दूर करने के लिये पर्याप्त सुरक्षा उपाय हों।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्स: प्रश्न. पहचान मंच 'आधार' ओपन "एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई)" प्रदान करता है। इसका क्या तात्पर्य है? (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) व्याख्या:
अतः विकल्प (c) सही उत्तर है। Q. फिंगरप्रिंट स्कैनिंग के अलावा किसी व्यक्ति की बायोमेट्रिक पहचान में निम्नलिखित में से किसका उपयोग किया जा सकता है? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिये : (a) केवल 1 उत्तर: (d) व्याख्या:
अतः विकल्प (d) सही उत्तर है। मेन्स: प्र. ई-गवर्नेंस न केवल नई प्रौद्योगिकी की शक्ति के उपयोग के बारे में है, बल्कि सूचना के 'उपयोग मूल्य' के महत्त्व के बारे में भी है। व्याख्या कीजिये। (2018) प्र. सरकार की दो समानांतर योजनाएँ, आधार कार्ड और एनपीआर, एक स्वैच्छिक और दूसरी अनिवार्य के रूप में, ने राष्ट्रीय स्तर पर बहस और मुकदमेबाजी भी की है। गुण-दोष के आधार पर चर्चा कीजिये कि क्या दोनों योजनाओं को एक साथ चलाने की आवश्यकता है। विकासात्मक लाभ और समान विकास हासिल करने के लिये योजनाओं की क्षमता का विश्लेषण कीजिये। (2014) |