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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी

  • 06 Dec 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

फेस रिकॉग्निशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा सुरक्षा कानून

मेन्स के लिये:

फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी : आवश्यकता एवं चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?

तीन वर्षों की विलंबता के बाद, वर्ष 2022 से यात्री देश के चार हवाई अड्डों (वाराणसी, पुणे, कोलकाता और विजयवाड़ा) पर अपने बोर्डिंग पास के रूप में ‘फेस स्कैन’ (Face Scan) का उपयोग कर सकेंगे।

प्रमुख बिंदु

  • फेशियल रिकॉग्निशन  (Facial Recognition):
    • यह एक बायोमेट्रिक तकनीक है जो किसी व्यक्ति की पहचान और व्यक्तियों के बीच अंतर करने के लिये चेहरे की विशिष्ट विशेषताओं का उपयोग करती है। 
      • लगभग छह दशकों में स्किन पैटर्न को पहचानने से लेकर चेहरे की 3D आकृति को बनाने तक यह प्रणाली कई मायनों में विकसित हुई है।
    • ऑटोमेटेड फेसियल रिकॉग्निशन सिस्टम (Automated Facial Recognition System- AFRS) व्यक्तियों के चेहरों की छवियों और वीडियो के व्यापक डेटाबेस के आधार पर कार्य करती है। इसमें मौजूद डेटाबेस में उपलब्ध छवियों से मिलान ​करके व्यक्ति की पहचान की जाती है।
    • सीसीटीवी फुटेज़ से प्राप्त अज्ञात व्यक्ति के चेहरे के पैटर्न की तुलना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक की सहायता से डेटाबेस में उपलब्ध पैटर्न से की जाती है।
  • कार्यप्रणाली:
    • प्रारंभिक स्तर पर फेस रिकॉग्निशन प्रणाली में कैमरे द्वारा चेहरे और उसकी विशेषताओं को कैप्चर किया जाता है। पुन: विभिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर का उपयोग कर उन विशेषताओं का पुनर्निर्माण किया जाता है।
    • चेहरे और उनकी विशेषताओं को एक साथ एक डेटाबेस में संगृहीत किया जाता है तथा इसे किसी भी प्रकार के सॉफ्टवेयर के साथ एकीकृत किया जा सकता है। इसका उपयोग बैंकिग सेवा, सुरक्षा उद्देश्यों की पूर्ति इत्यादि में किया जा सकता है।

Facial-Recognition-Technology

  • आवश्यकता:
    • प्रमाणीकरण: 
      • इसे प्रमाणिकता एवं पहचान के लिये उपयोग में लाया जाता है एवं इसकी सफलता दर लगभग 75% है।
    • फोर्स मल्टीप्लायर:
      • भारत में प्रति एक लाख नागरिकों पर 144 पुलिसकर्मी हैं। अत: फेस रिकॉग्निशन प्रणाली यहाँ बल गुणक (Force Multiplier) के रूप में कार्य कर सकती है क्योंकि  इसे न तो अधिक कार्यबल की आवश्यकता है और न ही नियमित उन्नयन की।
      •  यह तकनीक वर्तमान जनशक्ति/कार्यबल के साथ मिलकर एक गेम चेंजर के रूप में कार्य कर सकती है।
  • चुनौतियाँ:
    • अवसंरचनात्मक लागत:
      • कृत्रिम बुद्धिमत्ता और बिग डेटा जैसी प्रौद्योगिकियों का क्रियान्वयन महँगा होता है।  
      • संगृहीत सूचनाओं की मात्रा बहुत बड़ी होती है और इसके लिये विशाल नेटवर्क एवं डेटाभंडारण सुविधा की आवश्यकता होती हैं जो वर्तमान में भारत के पास उपलब्ध नहीं है।  
    • गोपनीयता का उल्लंघन:
      • हालांँकि सरकार डेटा गोपनीयता व्यवस्था जैसे कानूनी ढांँचे के माध्यम से गोपनीयता के मुद्दे को संबोधित करने की योजना बना रही है, लेकिन इस प्रकार की तकनीक के उपयोग से प्राप्त होने वाले उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए, यह आपसी हितों में टकराव उत्पन्न कर सकता है।
    • विश्वसनीयता और प्रामाणिकता:
      • चूंँकि एकत्र किये गए डेटा का उपयोग आपराधिक मुकदमे के दौरान न्यायालय में किया जा सकता है, इसलिये मानकों और प्रक्रिया के साथ-साथ डेटा की विश्वसनीयता एवं स्वीकार्यता को भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है।
    • डेटा सुरक्षा कानून की अनुपस्थिति:
      • डेटा सुरक्षा कानूनों (Data Protection Laws) की अनुपस्थिति में FRT सिस्टम, जो उपयोगकर्त्ता द्वारा डेटा के संग्रह और भंडारण में आवश्यक सुरक्षा उपायों के लिये अनिवार्य होगा, भी चिंता का विषय है।
    • अंतर्निहित चुनौतियांँ:
      • समय के साथ चेहरे में परिवर्तन भी हो सकता है, यह भी चिंता का विषय है।

आगे की राह: 

  • वर्तमान डिजिटल युग में डेटा एक मूल्यवान संसाधन है जिसे अनियंत्रित या स्वतंत्र नहीं छोड़ा जा सकता। इस संदर्भ में भारत को एक मजबूत डेटा संरक्षण व्यवस्था स्थापित करनी चाहिये।
  • अब समय आ गया है कि व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 में आवश्यक परिवर्तन जाएँ। इन परिवर्तनों को सुनिश्चित करने हेतु इसमें आवश्यक सुधारों की आवश्यकता है। यह उपयोगकर्त्ता के अधिकारों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ उपयोगकर्त्ता की गोपनीयता पर भी ज़ोर देता है। इन अधिकारों को लागू करने हेतु एक गोपनीयता आयोग की स्थापना की जानी चाहिये।
  • सरकार को सूचना के अधिकार को मज़बूत बनाने के साथ ही नागरिकों की निजता का भी सम्मान करना होगा। इसके अतिरिक्त पिछले दो से तीन वर्षों में हुए तकनीकी विकास को देखते हुए यह संबोधित करने की भी आवश्यकता है ये कानून तकनीकी विकास  की सीमा को भी निर्धारित करते हैं।

स्रोत: द हिंदू 

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