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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

‘गिलगित-बाल्टिस्तान’ को प्रांतीय दर्जा

  • 02 Aug 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये

गिलगित-बाल्टिस्तान की भौगौलिक अवस्थिति

मेन्स के लिये

गिलगित-बाल्टिस्तान विवाद और प्रांतीय दर्जे के निहितार्थ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पाकिस्तानी अधिकारियों ने रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण ‘गिलगित-बाल्टिस्तान’ को अनंतिम प्रांतीय दर्जा देने के लिये एक कानून (26वें संविधान संशोधन विधेयक) को अंतिम रूप दिया है।

Gilgit-Baltistan

प्रमुख बिंदु

गिलगित-बाल्टिस्तान के विषय में

  • गिलगित-बाल्टिस्तान भारत के विवादित क्षेत्रों में से एक है।
  • यह केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के उत्तर-पश्चिम में स्थित अत्यधिक ऊँचाई वाला एक पहाड़ी क्षेत्र है।
  • पाकिस्तान, अफगानिस्तान और चीन के साथ सीमा साझा करने के कारण इसे रणनीतिक रूप से काफी महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

गिलगित-बाल्टिस्तान विवाद की पृष्ठभूमि:

  • इस क्षेत्र पर भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर की पूर्ववर्ती रियासत के हिस्से के रूप में दावा किया जाता है, क्योंकि यह वर्ष 1947 में जम्मू-कश्मीर के भारत में प्रवेश के समय अस्तित्व में था
    • जम्मू-कश्मीर के अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्तूबर, 1947 को भारत के साथ ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन’ पर हस्ताक्षर किये थे।
  • हालाँकि 04 नवंबर, 1947 को कबायली हमलावरों और पाकिस्तानी सेना द्वारा कश्मीर पर किये गए आक्रमण के बाद से यह क्षेत्र पाकिस्तान के नियंत्रण में है।
  • इसके पश्चात् भारत ने 01 जनवरी, 1948 को पाकिस्तानी आक्रमण के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के समक्ष उठाया।
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर से बाहर जाने और भारत से अपनी सेना को न्यूनतम स्तर तक कम करने का आह्वान किया गया, इसके पश्चात् लोगों का मत जानने के लिये जनमत संग्रह का प्रावधान किया गया था। 
  • हालाँकि दोनों ही देशों द्वारा वापसी नहीं की गई, जो कि दोनों देशों के बीच विवाद का विषय बना हुआ है।

वर्तमान स्थिति: 

  • गिलगित-बाल्टिस्तान अब एक स्वायत्त क्षेत्र है और विधेयक पारित होने के बाद यह देश का 5वाँ प्रांत बन जाएगा।
    • वर्तमान समय में पाकिस्तान में चार प्रांत हैं, बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, पंजाब और सिंध।
  • वर्तमान में यह अधिकांशतः कार्यकारी आदेशों द्वारा शासित है।
  • वर्ष 2009 तक इस क्षेत्र को केवल उत्तरी क्षेत्र कहा जाता था।
  • इसे वर्तमान नाम गिलगित-बाल्टिस्तान (सशक्तीकरण और स्व-शासन) आदेश, 2009 के लागू होने के साथ मिला, जिसने उत्तरी क्षेत्र विधानपरिषद (Northern Areas Legislative Council) को विधानसभा (Legislative Assembly) में बदल दिया।

गिलगित-बाल्टिस्तान को प्रांत बनाने का कारण:

  • गिलगित-बाल्टिस्तान पाकिस्तान द्वारा प्रशासित सबसे उत्तरी क्षेत्र है। यह पाकिस्तान की एकमात्र प्रादेशिक सीमा है तथा चीन के साथ एक स्थल मार्ग है।
    • गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र 65 अरब अमेरिकी डॉलर की चीन-पाक आर्थिक गलियारा (CPEC) अवसंरचना विकास योजना का केंद्रबिंदु है।
    • CPEC ने इस क्षेत्र को दोनों देशों के लिये महत्त्वपूर्ण  बना दिया है। CPEC जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित ग्वादर पोर्ट को चीन के झिंजियांग प्रांत से जोड़ता है, चीन की महत्त्वाकांक्षी बहु-अरब डॉलर की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की प्रमुख परियोजना है।
  • भारत-पाकिस्तान संबंधों को लेकर कुछ विशेषज्ञ यह दावा भी प्रस्तुत करते हैं कि पाकिस्तान का यह निर्णय 5 अगस्त, 2019 को किये गये जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद भारत द्वारा अपना दावा प्रस्तुत करने के कारण भी हो सकता है।

भारत का रुख:

  • भारत का कहना है कि पाकिस्तान की सरकार या उसकी न्यायपालिका का अवैध रूप से उसके द्वारा जबरन कब्ज़ा किये गए क्षेत्रों पर कोई अधिकार नहीं है।
    • भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट रूप से बता दिया है कि जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश, जिसमें गिलगित और बाल्टिस्तान के क्षेत्र भी शामिल हैं, पूरी तरह से कानूनी व अपरिवर्तनीय परिग्रहण के आधार पर भारत का अभिन्न अंग हैं।
    • CPEC को लेकर भारत ने चीन के सामने विरोध जताया है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर से गुज़रता है।

स्रोत: द हिंदू 

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