डेली न्यूज़ (22 May, 2021)



भारत- ओमान समझौता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत और ओमान ने सैन्य सहयोग के साथ-साथ समुद्री सुरक्षा पर समझौता ज्ञापन (Memoranda of Understanding- MoUs) का नवीनीकरण किया।

Saudi-Arabia

प्रमुख बिंदु:

भारत- ओमान संबंध:

  • सल्तनत ऑफ ओमान (ओमान) खाड़ी देशों में भारत का रणनीतिक साझेदार है और खाड़ी सहयोग परिषद (Gulf Cooperation Council- GCC), अरब लीग तथा हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (Indian Ocean Rim Association- IORA) के लिये एक महत्त्वपूर्ण वार्ताकार है।
    • भारत  IORA का सदस्य है परंतु GCC और अरब लीग का सदस्य नहीं है।
  • अरब सागर के दोनों देश एक-दूसरे से भौगोलिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से जुड़े हुए हैं तथा दोनों के बीच सकारात्मक एवं सौहार्दपूर्ण संबंध हैं, जिसका श्रेय ऐतिहासिक समुद्री व्यापार संबंधों और भारत के साथ शाही परिवार की घनिष्ठता व ओमान के निर्माण में भारतीय प्रवासी समुदाय द्वारा निभाई गई मौलिक भूमिका जिसे ओमान की सरकार ने स्वीकार किया है, को दिया जाता है। 
  • संयुक्त आयोग की बैठक (JCM) और संयुक्त व्यापार परिषद (JBC) जैसे संस्थागत तंत्र दोनों के बीच आर्थिक सहयोग की देख-रेख करते हैं।
  • रक्षा क्षेत्र सहयोग में प्रमुख द्विपक्षीय समझौते/MoUs में शामिल हैं; बाह्य अंतरिक्ष का शांतिपूर्ण उपयोग; प्रत्यर्पण; नागरिक और वाणिज्यिक मामलों में कानूनी तथा न्यायिक सहयोग; कृषि; नागरिक उड्डयन; दोहरे कराधान से बचाव; समुद्री मुद्दे आदि।

रक्षा समझौते:

  • पश्चिम-एशिया में ओमान, भारत के सबसे पुराने रक्षा भागीदारों में से एक है और समुद्री डकैती विरोधी अभियानों में सहयोगी है।
  • भारत ने ओमान को राइफलों की आपूर्ति की है। साथ ही भारत, ओमान में एक रक्षा उत्पादन इकाई स्थापित करने पर विचार कर रहा है।
  • भारत और ओमान द्वारा अपनी तीनों सैन्य सेवाओं के बीच नियमित द्विवार्षिक द्विपक्षीय अभ्यास किया जाता है।
    • सेना अभ्यास: अल नजाह
    • वायु सेना अभ्यास: ईस्टर्न ब्रिज
    • नौसेना अभ्यास: नसीम-अल-बहर

समुद्री सहयोग

  • ओमान होर्मुज जलडमरूमध्य के प्रवेश द्वार पर स्थित है जिसके माध्यम से भारत अपने तेल आयात का पांचवाँ हिस्सा आयात करता है।
  • भारतीय जहाज़ों को ओमान द्वारा दिये गए बर्थ अधिकार (Berth Rights), भारतीय नौसेना के लिये अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती रोधी अभियानों को अंजाम देने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • भारत ने ओमान के दुकम बंदरगाह तक पहुँचने के लिये ओमान के साथ वर्ष 2018 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
  • भारत इस क्षेत्र में रणनीतिक गहराई बढ़ाने और हिंद महासागर के पश्चिमी तथा दक्षिणी भाग में अपनी इंडो-पैसिफिक पहुँच को बढ़ाने के लिये ओमान के साथ मिलकर कार्य कर रहा है।
  • इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती पकड़ का मुकाबला करने के लिये भारत को ओमान के समर्थन की आवश्यकता है।
    • भारत, जिबूती में पोर्ट ऑफ डोरालेह में अपना आधार स्थापित करने सहित इस क्षेत्र में चीन द्वारा रणनीतिक संपत्ति के अधिग्रहण से चिंतित है।

स्रोत: पीआईबी


ट्रांसजेंडर को तत्काल निर्वाह सहायता

चर्चा में क्यों?

कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ट्रांसजेंडर व्यक्ति को 1,500 रुपए की एकमुश्त वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।

प्रमुख बिंदु

सहायता के बारे में:

  • ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को तत्काल निर्वाह सहायता प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer- DBT) के माध्यम से दी जाएगी, जिसके लिये लाभार्थी राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान (National Institute of Social Defence) में पंजीकरण करा सकते हैं।

राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान (NISD):

  • NISD एक स्वायत्त निकाय है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Territory- NCT) दिल्ली सरकार के साथ 1860 के सोसायटी अधिनियम XXI (Societies Act XXI of 1860) के तहत पंजीकृत है।
  • यह सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के लिए एक केंद्रीय सलाहकार निकाय है।
  • यह सामाजिक रक्षा के क्षेत्र में नोडल प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान है।
  • यह वर्तमान में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की रोकथाम, वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण, भिक्षावृत्ति रोकथाम, ट्रांसजेंडर और अन्य सामाजिक रक्षा मुद्दों के क्षेत्रों में मानव संसाधन विकास पर केंद्रित है।

ट्रांसजेंडर से संबंधित प्रमुख पहल:

  • सर्वोच्च न्यायालय के फैसले:
    • राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority- NALSA) बनाम भारत संघ, 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडर लोगों को 'थर्ड जेंडर' घोषित किया था।
    • भारतीय दंड संहिता (2018) की धारा 377 के प्रावधानों में सर्वोच्च न्यायालय ने समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया।
  • ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019:
    • एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति वह होता है जिसका लिंग जन्म के समय निर्धारित लिंग से मेल नहीं खाता है। इसमें ट्रांसमेन और ट्रांस-महिला (Transmen and Trans-Women), इंटरसेक्स भिन्नता वाले व्यक्ति, लिंग-क्वीर (Gender-Queers) और सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान वाले व्यक्ति जैसे- किन्नर और हिजड़ा शामिल हैं।
    • यह अधिनियम ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये एक राष्ट्रीय परिषद (National Council for Transgender persons- NCT) की स्थापना का प्रावधान करता है।
    • यह अधिनियम ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पहचान प्रमाण पत्र प्राप्त करने का अधिकार देता है।
    • माता-पिता और परिवार के सदस्यों के साथ निवास का अधिकार प्रदान करता है।
    • शिक्षा, रोज़गार और स्वास्थ्य सेवा आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति के खिलाफ भेदभाव को रोकता है।
    • ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के खिलाफ अपराध करने पर जुर्माना के अलावा, छह महीने से दो वर्ष तक का कारावास की सज़ा हो सकती है।
  • ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये राष्ट्रीय पोर्टल और 'ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए आश्रय गृह' की योजना है।

स्रोत: द हिंदू


कोविसेल्फ : सेल्फ टेस्टिंग किट

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कोविड -19 की जाँच के लिये भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भारत के  पहले  स्व-परीक्षण (सेल्फ-टेस्टिंग) रैपिड एंटीजन टेस्ट (RAT) को मंज़ूरी प्रदान की, जिसे कोविसेल्फ (CoviSelf) नाम दिया गया है।

  • इस किट को पुणे स्थित मॉलिक्यूलर कंपनी मायलैब डिस्कवरी सॉल्यूशन्स (MyLab Discovery Solutions) ने विकसित किया है।
  • ICMR जैव चिकित्सा अनुसंधान के निर्माण, समन्वय और प्रचार के लिये भारत में शीर्ष निकाय है तथा यह दुनिया के सबसे पुराने चिकित्सा अनुसंधान निकायों में से एक है।

प्रमुख बिंदु 

परिचय:

  • रैपिड एंटीजन टेस्ट (RAT) उपयोग करने के 15 मिनट के भीतर परिणाम देता है। यह परीक्षण एक मोबाइल एप CoviSelf के साथ समन्वित है, जो ICMR पोर्टल पर सकारात्मक (Positive) मामले की रिपोर्ट को सीधे फीड करने में मदद करेगा।
  • ICMR ने यह परीक्षण केवल उन लोगों को करने की सलाह दी है जिनमें लक्षण हैं या वे सकारात्मक रोगियों के उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के संपर्क में हैं और जिन्हें घर पर परीक्षण करने की आवश्यकता है। 
  • इस परीक्षण के तहत फेरीवालों, शो मालिकों या यात्रियों के लिये सार्वजनिक स्थानों पर सामान्य स्क्रीनिंग की सलाह नहीं दी जाती है।

रैपिड एंटीजन टेस्ट (RAT)

  • यह नाक से लिये गए स्वैब (Swab) नमूने का एक परीक्षण है जो एंटीजन (शरीर में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रेरित करने वाले बाहरी पदार्थ) की पहचान करता है जो SARS-CoV-2 वायरस पर या उसके भीतर पाए जाते हैं।
  • यह एक प्वाइंट-ऑफ-केयर परीक्षण है, जिसका उपयोग पारंपरिक प्रयोगशाला प्रणाली के बाहर तत्काल नैदानिक परिणाम प्राप्त करने के लिये किया जाता है।
  • आरटी-पीसीआर (Reverse Transcription Polymerase Chain Reaction) की तरह रैपिड एंटीजन टेस्ट (RAT) भी शरीर द्वारा उत्पादित एंटीबॉडी (Antibodies) के बजाय वायरस का पता लगाने का प्रयास करता है।
    • जबकि इसकी प्रणाली (Mechanism) भिन्न है, इन दोनों परीक्षण  के मध्य सबसे प्रमुख अंतर समय का है।
    • आरटी-पीसीआर परीक्षण में आरएनए (राइबोन्यूक्लिक एसिड) को रोगी से एकत्र किये गए स्वैब (Swab) से निकाला जाता है फिर इसे डीएनए (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) में परिवर्तित कर  दिया जाता है, जिसे बाद में परिवर्द्धित (Amplified) किया जाता है।
    • आरटी-पीसीआर परीक्षण में न्यूनतम 2-5 घंटे का समय लगता है, जबकि रैपिड एंटीजन टेस्ट में परीक्षण करने में अधिकतम 30 मिनट का समय लगता है।

सेल्फ-परीक्षण के लाभ:

  • प्रभावी लागत:
    • इस परीक्षण में स्वैब (Swab) को त्वरित एकत्रित करना बहुत सरल होता  है और इससे परीक्षण पर होने वाले व्यय तथा ‘लैब’ में अपॉइंटमेंट आदि का भार कम होता है।
    • कोविसेल्फ , प्रयोगशाला परीक्षण RT-PCR और RAT से सस्ता है।
  • संक्रमण का कम खतरा:
    • संक्रमण की जाँच के लिये किसी अस्पताल अथवा ‘प्रयोगशाला’ में जाने या किसी तकनीशियन को घर पर बुलाने के बजाय किसी व्यक्ति द्वारा घर पर स्वयं ही अपनी जाँच करने से दूसरों में वायरस फैलने का जोखिम कम होता है।
    • स्व-संग्रह की विश्वसनीयता और स्व-परीक्षण लोगों की आवागमन गतिविधियों को कम करने के साथ कोविड -19 के संचरण जोखिम को कम करेगा।
  • प्रयोगशालाओं के परीक्षण बोझ में कमी:
    • स्व-परीक्षण वर्तमान में 24 घंटे कार्यरत रहने वाले उन प्रयोगशालाओं पर से बोझ या दबाव को कम करेगा जिनमें कार्यरत लोग पूरी क्षमता के साथ काम कर रहे हैं।
  • समुदाय की निगरानी: 
    • किफायती रैपिड टेस्ट बड़े पैमाने पर जनसमुदाय की निगरानी के उद्देश्य को पूरा करने में मदद कर सकते हैं, फिर चाहे अन्य परीक्षणों की तुलना में सटीक परिणाम प्राप्त करने में इनकी संवेदनशीलता कम हो।

चिंताएँ:

  • विश्वसनीयता:
    • इस प्रकार की गई जाँचों के परिणामों की विश्वसनीयता चिंता का एक प्रमुख विषय बनी हुई है। इसमें सही ढंग से नमूना एकत्र नहीं होने या स्वैब स्टिक के दूषित होने की संभावना अधिक होती है।
  • सुरक्षा की गलत धारणा:
    • इसके अलावा त्वरित एंटीजन परीक्षणों के ‘गलत – नकारात्मक’ (False Negatives) होने की संभावना अधिक होती है। यदि कोई कोविड-संक्रमित व्यक्ति लक्षणहीन (Asymptomatic) है और इसके परीक्षण का परिणाम ‘नकारात्मक’ आ जाता है, तो इससे उस व्यक्ति के अंदर सुरक्षा की गलत धारणा बन सकती है।
  • प्रतिक्रिया उपायों को चुनौती:
    • स्वास्थ्य पेशेवरों और प्रयोगशालाओं से व्यक्तियों के परीक्षण परिणामों की रिपोर्ट करने की ज़िम्मेदारी को स्थानांतरित किये जाने से रिपोर्टिंग में कमी आ  सकती है जो संक्रमित व्यक्ति की पहचान और संपर्क के बाद संगरोध या क्वारंटाइन (Quarantine) जैसे प्रतिक्रिया उपायों को अधिक  चुनौतीपूर्ण बना सकता है।

आगे की राह

  • यदि रोगी आइसोलेशन के मानदंडों का पालन करता है, सही डेटा फीड करता है तथा परिणामों की सही व्याख्या करने में सक्षम है तो सेल्फ-टेस्टिंग प्रभावी हो सकता है।
  • हालाँकि RTA एक त्वरित जन निगरानी उपकरण के रूप में कार्य करता है, लेकिन परीक्षण के लिये इस पर सर्वाधिक निर्भरता ठीक नहीं है। यह व्यक्तिगत के लिये बेहतर हो सकता है, लेकिन बड़े पैमाने पर परीक्षण के लिये नहीं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


चीन का नया सामरिक राजमार्ग

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में चीन ने भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य के साथ विवादित सीमा को लेकर दूरदराज़ के क्षेत्रों में अपनी पहुंँच को और अधिक मज़बूत करने हेतु सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण राजमार्ग के निर्माण कार्य को पूरा कर लिया है।

China-Highway

प्रमुख बिंदु: 

  • इस राजमार्ग के निर्माण कार्य को वर्ष 2014 में शुरू किया गया था तथा यह तिब्बत के सीमावर्ती क्षेत्रों में व्यापक बुनियादी ढांँचे को आगे बढ़ाने के हिस्से के रूप में है।
  • यह राजमार्ग ब्रह्मपुत्र नदी (तिब्बत में यारलंग झांग्‍बो) की घाटी से होकर गुज़रता है।
    • ब्रह्मपुत्र तिब्बत की सबसे लंबी नदी है और इसकी घाटी विश्व की सबसे गहरी घाटी है, जिसमें सबसे ऊँचे पर्वत शिखर से लेकर सबसे निचले बेसिन ( 7,000 मीटर ) पाए जाते हैं।
  • यह राजमार्ग पैड टाउनशिप (Pad Township) को न्यिंगची ( Nyingchi) और मेडोग काउंटी (Medog County) से जोड़ता है।
    •  न्यिंगची और मेडोग काउंटी दोनों ही तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (Tibet Autonomous Region- TAR), चीन में स्थित हैं।
    • मेडोग तिब्बत का अंतिम प्रांत है, जो अरुणाचल प्रदेश (भारत ) की सीमा के करीब स्थित है।
    • चीन दक्षिणी तिब्बत के हिस्से के रूप में अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता है, जिसे भारत ने खारिज़ कर दिया है। भारत-चीन सीमा विवाद में 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC) शामिल है।
      •  इस राजमार्ग से न्यिंगची और मेडोग काउंटी के बीच यात्रा का समय आठ घंटे कम हो जाएगा।

चीन द्वारा अन्य  सामरिक निर्माण कार्य:

  • रेलवे लाइन:
    • इससे पहले वर्ष 2020 में चीन ने रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण एक रेलवे लाइन पर काम शुरू किया था जो सिचुआन प्रांत को तिब्बत में न्यिंगची से जोड़ेगा, यह रेलवे लाइन भारत के अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास है।
      • वर्ष 2006 में  शुरू किये गए  चिंगहई-तिब्बत रेलमार्ग (Qinghai-Tibet railway) के बाद यह तिब्बत के लिये दूसरा प्रमुख रेल लिंक है।
  • नए गाँवों का निर्माण:
  • जनवरी 2021 में अरुणाचल प्रदेश में बुमला दर्रे से 5 किलोमीटर दूर चीन द्वारा तीन गांँवों के निर्माण किये जाने की खबरें आई थीं।
    • वर्ष 2020 के कुछ उपग्रह चित्रों में भूटान की सीमा के अंतर्गत 2-3 किमी में निर्मित ‘पंगडा’ नामक एक नया गांँव देखा गया।
    • वर्ष 2017 में TAR सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में मध्यम रूप से संपन्न गाँव बनाने की योजना शुरू की।
      • इस योजना के तहत भारत, भूटान, नेपाल और चीन की सीमाओं के साथ नगारी, शिगात्से, शन्नान और न्यिंगची प्रांतों तथा अन्य दूरदराज़ के इलाकों में 628 गाँव विकसित किये जाएंगे। 

भारत की चिंताएँ:

  • ‘मेगा यारलुंग ज़ांगबो हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट’ के सर्वेक्षण और इस संबंध में योजना बनाने हेतु एक राजमार्ग द्वारा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है, जिसे चीन‘मेडोग काउंटी’ घाटी में बनाने की योजना बना रहा है, इससे भारत जैसा देश चिंतित है।
  • सीमा से संबंधित राजमार्ग से सीमा क्षेत्र में सैन्यकर्मियों, सामग्री परिवहन और रसद आपूर्ति की दक्षता  तथा आपूर्ति में काफी सुधार होगा।

भारत द्वारा उठाए गए कदम:

  • भारत सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (BADP) के 10 प्रतिशत कोष को केवल चीन सीमा पर बुनियादी ढाँचे में सुधार के लिये खर्च करेगा।
  • सीमा सड़क संगठन (BRO) ने अरुणाचल प्रदेश में सुबनसिरी नदी पर दापोरिजो पुल का निर्माण किया है।
    • यह भारत और चीन के बीच LAC तक जाने वाली सड़कों को जोड़ता है।
  • अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग ज़िले के नेचिफू में एक सुरंग की नींव रखी गई है, जो तवांग से LAC तक सैनिकों हेतु यात्रा के समय को कम कर देगी, जिसे चीन अपना क्षेत्र होने का दावा करता है।
  • अरुणाचल प्रदेश में ‘से ला’ दर्रा के नीचे एक सुरंग का निर्माण किया जा रहा है जो तवांग को अरुणाचल प्रदेश और गुवाहाटी से जोड़ती है।
  • अरुणाचल प्रदेश की राज्य सरकार ने भारत-चीन सीमा पर 10 शहरों के बुनियादी विकास के लिये पायलट परियोजनाओं के रूप में चुनने की वकालत की है, ताकि राज्य में दूर शहरी केंद्रों में प्रवास करने वाले विशेष रूप से चीन से आने वाले लोगों को रोका जा सके।
  • अरुणाचल प्रदेश में निचली दिबांग घाटी में स्थित सिसेरी नदी पुल, दिबांग घाटी और सियांग को जोड़ता है।
  • वर्ष 2019 में भारतीय वायु सेना ने अरुणाचल प्रदेश में भारत के सबसे पूर्वी गांँव-विजयनगर (चांगलांग ज़िला) में रनवे का उद्घाटन किया।
  •  वर्ष 2019 में भारतीय सेना ने अपने नव-निर्मित एकीकृत युद्ध समूहों (IBG) के साथ अरुणाचल प्रदेश और असम में 'हिमविजय' अभ्यास किया।
  • बोगीबील पुल, जो असम के डिब्रूगढ़ को अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट से जोड़ने वाला भारत का सबसे लंबा सड़क-रेल पुल है, का उद्घाटन वर्ष 2018 में किया गया था।
    • यह भारत-चीन सीमा के पास के क्षेत्रों में सैनिकों और उपकरणों की त्वरित आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगा।

आगे की राह:

  • भारत को अपने हितों की कुशलता से रक्षा करने के लिये अपनी सीमा के पास चीन द्वारा किसी नए निर्माण के संबंध में सतर्क रहने की आवश्यकता है। इसके अलावा इसे कुशल तरीके से कर्मियों और अन्य रसद आपूर्ति की आवाजाही सुनिश्चित करने हेतु अपने दुर्गम सीमा क्षेत्रों में मज़बूत बुनियादी ढाँचे का निर्माण करने की आवश्यकता है।

स्रोत-द हिंदू


A-76: विश्व का सबसे बड़ा हिमखंड

चर्चा में क्यों?

अंटार्कटिका में वेडेल सागर में स्थित रॉन आइस शेल्फ (Ronne Ice Shelf) के पश्चिमी हिस्से से एक विशाल हिमखंड/हिमशैल 'ए-76' (A-76) का खंडन हुआ है। 

  • इसका आकार लगभग 4320 वर्ग किमी है तथा यह वर्तमान में विश्व का सबसे बड़ा हिमखंड है।

Weddell-Sea

प्रमुख बिंदु:

A-76 के संदर्भ में:

  • हाल ही में कोपरनिकस सेंटिनल-1 मिशन द्वारा कैप्चर की गई उपग्रह छवियों में 'A-76' को देखा गया था।
    • सेंटिनल-1, कोपरनिकस पहल (एक पृथ्वी अवलोकन कार्यक्रम) के तहत यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के मिशनों में से एक है।
  • यह अब दूसरे स्थान पर मौजूद A-23A से आगे निकल गया है, जो आकार में लगभग 3,380 वर्ग किमी है और वेडेल सागर में तैर रहा है।

हिमशैल/आईसबर्ग (Iceberg):

  • एक हिमशैल वह बर्फ होती है जो ग्लेशियरों या आइसशेल्फ से टूटकर खुले जल में तैरती है।
  • आईसबर्ग समुद्र की धाराओं के साथ तैरते हैं और या तो उथले पानी में फँस जाते हैं या स्थल के समीप रुक जाते हैं।
  • यूएस नेशनल आइस सेंटर (US National Ice Center- USNIC) एकमात्र ऐसा संगठन है जो अंटार्कटिक आइसबर्ग का नामकरण करता है और उन्हें ट्रैक करता है।
    • आईसबर्ग का नाम अंटार्कटिक चतुर्थांश (Antarctic Quadrant) के अनुसार रखा गया है जिसमें उन्हें देखा जाता है।

आइसशेल्फ (Ice Shelves):

  • आइसशेल्फ एक प्रकार का लैंड आइस का तैरता हुआ विस्तार है। अंटार्कटिक महाद्वीप आइसशेल्फ से घिरा हुआ है।
  • यह अंटार्कटिक प्रायद्वीप के किनारे पर ‘रॉन आइस शेल्फ’ बर्फ की कई विशाल तैरती हुई परतों में से एक है, जो महाद्वीप को भूभाग से जोड़ती है और आसपास के समुद्री क्षेत्रों में फैली हुई हैं।

हिमनद का खंडन

  • अर्थ
    • खंडन (Calving) एक ग्लेशियोलॉजिकल शब्द है, जिसका आशय ग्लेशियर के किनारे की बर्फ के टूटने से है।
    • जब कोई ग्लेशियर पानी (यानी झीलों या समुद्र) में बहता है तो हिमनद का खंडन सबसे आम होता है, लेकिन यह शुष्क भूमि पर भी हो सकता है, जहाँ इसे ‘शुष्क खंडन’ के रूप में जाना जाता है।
  • खंडन हालिया मामले
    • 20वीं सदी के अंत तक ‘लार्सन आइस शेल्फ’ (पश्चिम अंटार्कटिक प्रायद्वीप पर) लगभग बीते 10000 से अधिक वर्षों से स्थिर था।
      • हालाँकि वर्ष 1995 में इसका एक बड़ा हिस्सा टूट गया, जिसके बाद वर्ष 2002 में इसका दूसरा हिस्सा टूटा।
      • इसके पास स्थित विल्किंस आइस शेल्फ (Wilkins Ice Shelf) का खंडन वर्ष 2008 और वर्ष 2009 में तथा A68a का खंडन वर्ष 2017 में हुआ।

Antarctica-glacier

चिंताएँ

  • शेल्फ के बड़े हिस्से को समय-समय पर खंडित करना प्राकृतिक चक्र का हिस्सा है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण इस प्रक्रिया में तेज़ी आई है।
    • वर्ष 1880 के बाद से औसत समुद्र स्तर में लगभग नौ इंच की बढ़ोतरी हुई है और इस वृद्धि का लगभग एक-चौथाई हिस्सा ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका की बर्फ की परतों के पिघलने से हुआ है।
    • एक हालिया अध्ययन की मानें तो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती और हाल ही में निर्धारित जलवायु परिवर्तन को धीमा करने संबंधी महत्त्वाकांक्षी राष्ट्रीय लक्ष्य समुद्र के स्तर को बढ़ने से रोकने के लिये पर्याप्त नहीं है।
  • वास्तव में यदि सभी देश पेरिस समझौते के तहत अपने लक्ष्यों को पूरा भी करते हैं तो ग्लेशियरों और बर्फ की परतों के पिघलने से समुद्र का स्तर दोगुना तेज़ी से बढ़ेगा। 

स्रोत: द हिंदू