सामाजिक न्याय
ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये राष्ट्रीय परिषद
- 24 Aug 2020
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये राष्ट्रीय परिषद, ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम- 2019 मेन्स के लिये:ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम- 2019 |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में 'सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय' (Ministry of Social Justice and Empowerment) द्वारा एक अधिसूचना के माध्यम से ‘ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये राष्ट्रीय परिषद’ (National Council for Transgender Persons- NCT) का गठन किया गया।
प्रमुख बिंदु:
- NCT का गठन 'ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम’ [Transgender Persons (Protection of Rights) Act], 2019 के तहत किया गया है।
- इस अधिनियम में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक सशक्तीकरण की दिशा में एक मज़बूत कार्य प्रणाली उपलब्ध कराने के प्रावधान शामिल किये गए हैं।
पृष्ठभूमि:
- वर्ष 2014 में ‘राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ मामले’ में सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडर लोगों को 'तीसरे लिंग' (Third Gender) के रूप में मान्यता प्रदान की गई।
- वर्ष 2014 में एक निजी सदस्य विधेयक, 'ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकार विधेयक' को राज्यसभा में पेश किया गया।
- वर्ष 2019 में संसद में ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक पारित किया।
ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019:
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परिषद की संरचना:
अध्यक्ष |
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उपाध्यक्ष |
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पदेन सदस्य |
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मनोनीत सदस्य |
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परिषद के उदेश्य:
- राज्यों के साथ मिलकर सभी राज्यों में 'ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड' (Transgender Welfare Boards) स्थापना की दिशा में कार्य करना।
- ट्रांसजेंडर समुदाय से जुड़ी विशेष आवश्यकताओं यथा- आवास, भोजन, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा जैसी ज़रूरतों को पूरा करना।
परिषद के कार्य:
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के संबंध में नीतियों, कार्यक्रमों, कानून और परियोजनाओं के निर्माण पर केंद्र सरकार को सलाह देना;
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को समान अधिकार प्रदान करने और पूर्ण भागीदारी प्राप्त करने की दिशा में निर्मित नीतियों और कार्यक्रमों के प्रभावशीलता की निगरानी और मूल्यांकन करना;
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण की दिशा में कार्य करने वाले संबंधित सरकारी विभागों तथा अन्य गैर-सरकारी संगठनों की गतिविधियों की समीक्षा और समन्वय करना;
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की शिकायतों का निवारण करना;
- केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किये गए अन्य कार्य करना।
आगे की राह:
- ट्रांसजेंडर समुदाय के समक्ष आने वाले मुद्दों की पहचान करने और तदनुसार सरकार को सलाह देने में परिषद सक्षम है या नहीं इसका निर्धारण परिषद की कार्यप्रणाली को देखने के बाद ही किया जा सकेगा।
- नीतियों और नियमों के अलावा, विशेष रूप से ट्रांसजेंडर समुदाय के मुद्दों के प्रति कानूनी और कानून प्रवर्तन प्रणालियों को संवेदनशील बनाने के लिये एक समावेशी दृष्टिकोण की आवश्यकता भी है।