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डेली न्यूज़

  • 17 Nov, 2023
  • 32 min read
भूगोल

आइसलैंड में भूकंप

प्रिलिम्स के लिये:

ज्वालामुखी, भूकंप, आइसलैंड, रेक्जाविक, मध्य-अटलांटिक कटक, अटलांटिक महासागर, यूरेशियन और उत्तरी अमेरिकी विवर्तनिक प्लेटें।

मेन्स के लिये:

भूकंप और ज्वालामुखी की घटना, भूकंप एवं ज्वालामुखी के बीच संबंध।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

आइसलैंड ने 14 घंटे से भी कम समय में दक्षिण-पश्चिमी रेक्जेन्स (Reykjanes) प्रायद्वीप में आए 800 भूकंपों की शृंखला के बाद आपात स्थिति की घोषणा कर दी है।

  • आइसलैंड में एक ही दिन में लगभग 1,400 भूकंप आए। उल्लेखनीय है कि अक्तूबर 2023 के अंत से अब तक प्रायद्वीप में 24,000 से अधिक भूकंपीय घटनाएँ घटित हुई हैं। इनमें से सबसे शक्तिशाली भूकंप, 5.2 की तीव्रता के साथ, आइसलैंड की राजधानी रेक्जाविक (Reykjavík) से लगभग 40 किमी. की दूरी पर दर्ज़ किया गया।

आइसलैंड में क्या हो रहा है?

  • आइसलैंड के बारे में:
    • आइसलैंड मध्य-अटलांटिक कटक (Mid-Atlantic Ridge) पर अवस्थित है, जो तकनीकी रूप से विश्व की सबसे लंबी पर्वत शृंखला है, लेकिन यह अटलांटिक महासागर के तल पर स्थित है। यह कटक यूरेशियाई और उत्तरी अमेरिकी विवर्तनिक प्लेटों को एक-दूसरे से अलग करती है जिसके परिणामस्वरूप यह क्षेत्र भूकंपीय गतिविधि का केंद्र बन जाता है।
      • मध्य-अटलांटिक कटक एक अपसारी या निर्माणात्मक प्लेट सीमा है जहाँ विवर्तनिक प्लेटें एक-दूसरे से दूर चली जाती हैं, जिसके फलस्वरूप नई महासागरीय पर्पटी का निर्माण होता है।
    • रेक्जाविक में स्थित पेरलान नामक प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के अनुसार, इस भूवैज्ञानिक समायोजन के चलते ही क्षेत्र में बार-बार भूकंप आने का खतरा बना रहता है। इन भूकंपीय घटनाओं की बारंबारता का वार्षिक औसत लगभग 26,000 है।
    • हालाँकि इनमें से अधिकांश भूकंपीय झटकों पर ध्यान नहीं दिया जाता है लेकिन श्रेणी भूकंप /भूकंप झुंड /भूकंपों की शृंखला (Earthquake Swarms) की घटना, जिसमें बिना किसी मुख्य झटके के कई निम्न परिमाण वाले भूकंप शामिल हैं, आसन्न ज्वालामुखी विस्फोट की संभावना को इंगित करती है।
      • ये श्रेणी भूकंप विशिष्ट क्षेत्रों में बढ़े हुए विवर्तनिक तनाव का संकेत देते हैं।
  • आइसलैंड में प्रमुख ज्वालामुखी घटनाएँ:
    • आइसलैंड में कुल 33 सक्रिय ज्वालामुखी हैं।
    • आइसलैंड के सबसे प्रसिद्ध ज्वालामुखियों में से एक, आईजफजल्लाजोकुल (Eyjafjallajökull), में वर्ष 2010 में विस्फोट हुआ था जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर राख के बादल छा गए थे।
      • अन्य उल्लेखनीय ज्वालामुखियों में हेक्ला (Hekla), ग्रिम्सवोटन (Grímsvötn), होलुह्रौन (Hóluhraun) और लिटली-ह्रुतूर (Litli-Hrútur) शामिल हैं, जो फाग्राडल्सफजाल (Fagradalsfjall) प्रणाली का हिस्सा हैं।

किस प्रकार श्रेणी भूकंप ज्वालामुखीय गतिविधि का संकेत हैं?

  • मैग्मा का निर्माण और संचलन:
    • पृथ्वी की सतह के नीचे अत्यधिक गर्मी के कारण चट्टानें पिघलती हैं, जिसके परिणामस्वरूप मैग्मा बनता है, यह ठोस चट्टान की तुलना में हल्का तरल पदार्थ है।
    • मैग्मा की उत्प्लावाकता इसे ऊपर की ओर ले जाती है, जिसका अधिकांश हिस्सा मुख्य रूप से गहरे भूमिगत मैग्मा कक्षों तक सीमित होता है।
  • ज्वालामुखी विस्फोट:
    • हालाँकि अधिकांश मैग्मा समय के साथ ठंडा और ठोस हो जाता है लेकिन इसका एक अंश पृथ्वी की सतह पर छिद्रों एवं दरारों के माध्यम से ऊपर निकलने लगता है।
    • यह उद्गार सतह के नीचे होने वाली भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं का दृश्यमान परिणाम है।
  • श्रेणी भूकंप संकेतक के रूप में:
    • पृथ्वी की सतह के निकट मैग्मा की गति आसपास की चट्टानी परतों पर बल आरोपित करती है।
    • इस बल के कारण अक्सर किसी विशेष क्षेत्र में श्रेणी भूकंप/भूकंपीय गतिविधि की शृंखलाबद्ध घटना जैसी स्थिति उत्पन्न होती है।
  • विस्फोट से निकटता:
    • मैग्मा का भूमिगत संचलन हमेशा ज्वालामुखी विस्फोट के रूप में ही परिणत नहीं होता है।
    • मैग्मा पृथ्वी की सतह के जितना निकट आता है, विस्फोट की संभावना उतनी ही अधिक होती है, साथ ही अधिक बारंबारता वाले सांकेतिक श्रेणी भूकंप भी आते हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये:

  1. विद्युत-चुंबकीय विकिरण
  2. भू-तापीय ऊर्जा
  3. गुरूत्वीय बल
  4. प्लेट संचलन
  5. पृथ्वी का घूर्णन
  6. पृथ्वी का परिक्रमण

उपर्युक्त में से कौन पृथ्वी के पृष्ठ पर गतिक परिवर्तन लाने के लिये ज़िम्मेदार हैं?

(a) केवल 1, 2, 3 और 4
(b) केवल 1, 3, 5 और 6
(c) केवल 2, 4, 5 और 6
(d) 1, 2, 3, 4, 5 और 6

उत्तर: (d)

मेन्स:

प्रश्न. 2021 में घटित ज्वालामुखी विस्फोटों की वैश्विक घटनाओं का उल्लेख करते हुए क्षेत्रीय पर्यावरण पर उनके द्वारा पड़े प्रभावों को बताइए। (2021)

प्रश्न. क्या कारण है कि संसार का वलित पर्वत (फोल्ड माउंटेन) तंत्र महाद्वीपों के सीमांतों के साथ-साथ अवस्थित है? वलित पर्वतों के वैश्विक वितरण और भूकंपों एवं ज्वालामुखियों के बीच साहचर्य को उजागर कीजिये। (2014)


शासन व्यवस्था

डिजिटल विज्ञापन नीति, 2023

प्रिलिम्स के लिये:

डिजिटल विज्ञापन नीति, 2023, केंद्रीय संचार ब्यूरो (CBC), डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया, ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म।

मेन्स के लिये:

डिजिटल विज्ञापन नीति, 2023, विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्दे।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सूचना और प्रसारण मंत्रालय (Ministry of Information and Broadcasting) ने केंद्रीय संचार ब्यूरो (Central Bureau of Communication- CBC) को डिजिटल मीडिया क्षेत्र में अभियानों का संचालन करने के लिये डिजिटल विज्ञापन नीति (Digital Advertisement Policy), 2023 को स्वीकृति दे दी है।

  • CBC सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत कार्यों का संचालन करता है तथा भारत में विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों, योजनाओं एवं नीतियों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने व जानकारी प्रसारित करने हेतु उत्तरदायी है।
  • CBC बदलते मीडिया परिदृश्य में अधिक-से-अधिक दर्शकों तक पहुँच स्थापित करने हेतु नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिये प्रतिबद्ध है।

डिजिटल विज्ञापन नीति, 2023 के तहत प्रमुख नीतियाँ क्या हैं?

  • डिजिटल प्लेटफॉर्म तक विस्तार:
    • CBC सोशल मीडिया, ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म, डिजिटल ऑडियो प्लेटफॉर्म, मोबाइल एप्लीकेशन और वेबसाइट्स के माध्यम से विज्ञापन जारी कर सकता है।
    • यह अनिवार्य करता है कि योजना के तहत आवेदन करने हेतु पात्रता के लिये वेबसाइट, मोबाइल एप, OTT प्लेटफॉर्म और डिजिटल ऑडियो प्लेटफॉर्म को कम-से-कम एक वर्ष पुराना होना चाहिये।
  • विज्ञापन दरें और पारदर्शिता:
    • पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिये विज्ञापन दरें ग्राहक (Subscriber) आधार और दर्शकों की संख्या से जुड़ी होंगी, जिनका निर्धारण प्रतिस्पर्द्धी बोली के माध्यम से किया जाएगा।
    • इस प्रक्रिया के माध्यम से प्राप्त की गई दरें तीन वर्षों तक वैध रहेंगी।
  • OTT प्लेटफॉर्म की भागीदारी:
    • OTT प्लेटफॉर्मों को न केवल नियमित कॉन्टेंट के दौरान विज्ञापन देने के लिये बल्कि CBC के आशय-पत्र के अनुसार एम्बेडेड/इन-फिल्म विज्ञापनों, प्रचार या ब्रांडिंग गतिविधियों के प्रस्तुतीकरण के लिये भी सूचीबद्ध किया जा सकता है।
  • फंडिंग स्रोत:
    • CBC आमतौर पर प्रचार और आउटरीच गतिविधियों के लिये सरकारी योजनाओं के कुल परिव्यय के 2% उपयोग करता है तथा इस फंड का उपयोग विज्ञापनों एवं अभियानों के लिये किया जाता है।

डिजिटल विज्ञापन नीति, 2023 का क्या महत्त्व है?

  • यह नीति उभरते मीडिया परिदृश्य तथा मीडिया उपयोग के बढ़ते डिजिटलीकरण के परिप्रेक्ष्य में भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों और नीतियों के बारे में जानकारी के प्रसारण एवं जागरूकता उत्पन्न करने के CBC के मिशन में एक महत्त्वपूर्ण अभियान को चिह्नित करती है।
  • यह नीति डिजिटल दुनिया में विशाल ग्राहक (Subscriber) आधार, डिजिटल विज्ञापनों के माध्यम से प्रौद्योगिकी सक्षम संदेश विकल्पों के साथ लक्षित नागरिक केंद्रित संदेशों को प्रभावी तरीके से उपलब्ध कराने की सुविधा प्रदान करेगी जिसके परिणामस्वरूप जन उन्मुख अभियानों का संचालन लागत दक्षता के साथ किया जा सकेगा।
  • हाल के वर्षों में दर्शकों द्वारा किये जाने वाले मीडिया उपयोग को देखते हुए यह डिजिटल क्षेत्र की ओर एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाता है।
  • भारत सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के परिणामस्वरूप देश भर में इंटरनेट, सोशल और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्मों से जुड़ने वाले लोगों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
    • भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India- TRAI) के भारतीय दूरसंचार सेवा प्रदर्शन संकेतक जनवरी-मार्च 2023 के अनुसार, मार्च 2023 तक भारत में इंटरनेट की पहुँच 880 मिलियन से अधिक लोगों तक थी और दूरसंचार ग्राहकों की संख्या 1172 मिलियन से अधिक थी।


सामाजिक न्याय

अंग प्रत्यारोपण में लैंगिक असमानता

प्रिलिम्स के लिये:

मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम 1994, राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण दिशा-निर्देश, राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन

मेन्स के लिये:

अंग प्रत्यारोपण में लैंगिक असमानता हेतु उत्तरदायी कारक

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (National Organ and Tissue Transplant Organisation- NOTTO) से प्राप्त आँकड़ों से भारत में अंग प्रत्यारोपण में व्यापक लैंगिक असमानता का खुलासा हुआ है। वर्ष 1995 से 2021 के बीच प्रत्येक पाँच अंग प्राप्तकर्त्ताओं में से चार पुरुष थे। यह स्थिति महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल में असंतुलन का संकेत देती है।

  • सभी के लिये स्वास्थ्य देखभाल तक समान पहुँच की आवश्यकता एवं महत्त्व को देखते हुए अंग प्रत्यारोपण में महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व असमानता को उजागर करता है।

नोट:

  • NOTTO की स्थापना स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (Directorate General of Health Services) के अंतर्गत की गई है। यह दिल्ली में अवस्थित है।
  • NOTTO का राष्ट्रीय नेटवर्क प्रभाग (National Network Division) देश में अंग एवं ऊतक दान तथा प्रत्यारोपण हेतु अंगों की खरीद, वितरण व रजिस्ट्री के लिये सभी भारतीय गतिविधियों के शीर्ष केंद्र के रूप में कार्य करता है।

भारत में अंग प्रत्यारोपण के रुझान क्या हैं?

  • भारत में अंग एवं ऊतक दान और प्रत्यारोपण के लिये नोडल एजेंसी NOTTO द्वारा संग्रहीत आँकड़ों के अनुसार, देश में अंग प्राप्तकर्त्ताओं और दाताओं के बीच एक व्यापक लैंगिक असमानता विद्यमान है।
    • आँकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 1995 से 2021 के बीच अंग प्रत्यारोपण कराने वाले कुल 36,640 रोगियों में से 29,695 पुरुष और केवल 6,945 महिलाएँ थीं
      • हालाँकि अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि अंगदान के मामले में महिलाओं की संख्या पुरुषों की तुलना में अधिक है।
    • इससे पता चलता है कि जिन महिलाओं को अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है, उन्हें विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक कारकों के चलते स्वास्थ्य देखभाल एवं उपचार तक पर्याप्त पहुँच प्राप्त नहीं हो पाती है।
  • NOTTO के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 में 16,041 अंग प्रत्यारोपण के रिकॉर्ड उच्च स्तर के साथ भारत में अंग प्रत्यारोपण की संख्या में समग्र रूप से वृद्धि दर्ज की गई है।
  • विभिन्न प्रकार के अंग प्रत्यारोपणों में किडनी प्रत्यारोपण सर्वाधिक प्रचलित है, इसके बाद यकृत, हृदय और फेफड़े के प्रत्यारोपण होते हैं।
  • विभिन्न राज्यों में दिल्ली जीवित दाता प्रत्यारोपण (Living Donor Transplants) के मामले में शीर्ष स्थान पर है, जबकि तमिलनाडु मृत दाता प्रत्यारोपण, जिसमें मस्तिष्क-मृत (brain-dead) रोगियों के अंग भी शामिल हैं, के मामले में अग्रणी है।
  • इसके अलावा विश्व में सर्वाधिक अंग प्रत्यारोपण करने के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है।

अंग प्रत्यारोपण में लैंगिक असमानता के कारण और परिणाम क्या हैं?

  • अंग प्रत्यारोपण में लैंगिक असमानता के कारण:
    • अंग प्रत्यारोपण में लैंगिक असमानता भारतीय समाज में प्रचलित लैंगिक असमानता और भेदभाव को दर्शाती है, जहाँ महिलाओं के स्वास्थ्य एवं कल्याण को प्रायः उपेक्षित कर दिया जाता है या संकट में डाल दिया जाता है।
    • अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता एवं लाभों के बारे में महिलाओं तथा उनके परिवारों के बीच जागरूकता और शिक्षा का अभाव है।
    • प्राप्तकर्त्ता के रूप में पुरुष सदस्यों को प्राथमिकता, विशेष रूप से जीवित दाता प्रत्यारोपण के मामलों में, जहाँ परिवार के सदस्यों के अंगों का उपयोग किया जाता है।
    • अंग दान और प्रत्यारोपण से जुड़ा भय और बदनामी, विशेषकर महिलाओं में, जिन्हें सामाजिक बहिष्कार या वैवाहिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
    • वित्तीय बाधाएँ और सामर्थ्य के मुद्दे, क्योंकि अंग प्रत्यारोपण महँगा कोने के साथ ही इसमें लंबे समय तक फॉलो-अप/निगरानी और दवा की आवश्यकता होती है।
  • अंग प्रत्यारोपण में लैंगिक असमानता के परिणाम:
    • स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में लैंगिक पक्षपात और भेदभाव, जहाँ महिलाओं को चिकित्सा कर्मचारियों या अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न, लापरवाही या इलाज से इनकार जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

भारत में अंग दान से संबंधित कानून:

  • मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994:
    • इसे चिकित्सीय उद्देश्यों हेतु मानव अंगों के पृथकत्व, भंडारण और प्रत्यारोपण के लिये एक प्रणाली को लागू करने के साथ-साथ मानव अंगों से जुड़े व्यावसायिक लेन-देन की रोकथाम हेतु अधिनियमित किया गया था।
  • राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण दिशा-निर्देश:
    • ऊपरी आयु सीमा में परिवर्तन: अधिक अवधि तक के जीवन के उद्देश्य से ऊपरी आयु सीमा को हटा दिया गया है। अब 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग प्रत्यारोपण के लिये मृत दाताओं से अंग प्राप्त कर सकते हैं।
    • डोमिसाइल/अधिवास की कोई आवश्यकता नहीं: अब कोई भी ज़रूरतमंद मरीज़ अपनी पसंद के किसी भी राज्य में अंग प्राप्त करने के लिये पंजीकरण करा सकता है और वहाँ सर्जरी भी करवा सकेगा।
    • पंजीकरण हेतु कोई शुल्क नहीं: केंद्र ने ऐसे पंजीकरण हेतु शुल्क लेने वाले राज्यों से कहा है कि वे ऐसा न करें।

आगे की राह

  • विभिन्न मीडिया और प्लेटफॉर्मों के माध्यम से महिलाओं व उनके परिवारों को लक्षित करते हुए अंग दान और प्रत्यारोपण पर जागरूकता एवं सूचना अभियान आयोजित किये जाने चाहिये।
  • महिलाओं और उनके परिवारों को अंग दान तथा प्रत्यारोपण के संबंध में उनकी शंकाओं, भय तथा चिंताओं को दूर करने के लिये परामर्श एवं सहायता सेवाएँ प्रदान की जानी चाहिये।
  • अंगों एवं सेवाओं तक समयबद्ध और न्यायसंगत पहुँच तथा उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये अंग व ऊतक दान एवं प्रत्यारोपण के नेटवर्क के साथ-साथ अवसंरचना को मज़बूत और विस्तारित किया जाना चाहिये।
  • किसी भी कदाचार या उल्लंघन को रोकने तथा दंडित करने के लिये अंग एवं ऊतक दान और प्रत्यारोपण हेतु कानूनी व नैतिक मानदंडों और दिशा-निर्देशों को लागू करना चाहिये।
  • अंग दाताओं एवं प्राप्तकर्त्ताओं की भूमिकाओं में महिलाओं की भागीदारी और सशक्तीकरण को बढ़ावा दिया जाना चाहिये, साथ ही उनके योगदान व उपलब्धियों को मान्यता तथा सराहना के माध्यम से सक्षम बनाना चाहिये।

सुरक्षा

क्राउडफंडिंग फॉर टेरर फाइनेंसिंग: FATF

प्रिलिम्स के लिये:

क्राउडफंडिंग फॉर टेरर फाइनेंसिंग, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF), पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI), आतंकवाद

मेन्स के लिये:

क्राउडफंडिंग फॉर टेरर फाइनेंसिंग, धन-शोधन और इसकी रोकथाम, आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) ने  "क्राउडफंडिंग फॉर टेरर फाइनेंसिंग" शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि हिंसक चरमपंथी संगठनों ने धन जुटाने के उद्देश्यों के चलते सुव्यवस्थित तरीके से संरचित नेटवर्क को नियोजित किया है।

  • इस रिपोर्ट में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का संदर्भ दिया गया है, इसने मस्जिदों तथा सार्वजनिक स्थानों के माध्यम से धन जुटाने का सहारा लिया था, जिसका उपयोग अंततः हथियार एवं गोला-बारूद खरीदने व कर्मियों को प्रशिक्षण देने के लिये किया गया था।

क्राउडफंडिंग क्या है?

  • परिचय:
    • क्राउडफंडिंग धन जुटाने की एक गतिशील विधि है जो विभिन्न उद्देश्यों के लिये व्यक्तियों के एक बड़े समूह से धन की छोटी राशि एकत्रित करने के लिये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का लाभ उठाती है जैसे कि धर्मार्थ कारणों का समर्थन करना, स्टार्टअप उद्यमों को वित्तपोषित करना, अथवा रचनात्मक परियोजनाओं को वित्तपोषित करना।
    • हालाँकि क्राउडफंडिंग का उपयोग मुख्य रूप से वैध उद्देश्यों के लिये किया जाता है, हाल की घटनाओं ने अवैध गतिविधियों के लिये इसके संभावित उपयोग को उजागर किया है, विशेष रूप से आतंकवादियों एवं आतंकवादी समूहों द्वारा
    • ये संस्थाएँ अपने चरमपंथी उद्देश्यों के लिये विश्व स्तर पर वित्तीय सहायता के लिये धन जुटाने वाले प्लेटफॉर्मों और सोशल मीडिया का उपयोग करती हैं।
  • टेरर फाइनेंसिंग के लिये क्राउडफंडिंग के दुरुपयोग के तरीके:
    • मानवीय, धर्मार्थ तथा गैर-लाभकारी कारणों से धन जुटाकर उसका दुरुपयोग करना जो आतंकवाद के लिये धन जुटाने के मुखौटे के रूप में कार्य कर सकता है
    • क्राउडफंडिंग के लिये समर्पित वेबसाइट अथवा प्लेटफॉर्म, जो गतिविधियों और विविधता के कारण अवैध गतिविधि की पहचान करना चुनौतीपूर्ण बनाते हैं।
    • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और मैसेजिंग एप्स चरमपंथियों को अपने संदेशों को प्रेषित करने तथा उपयोगकर्त्ताओं को धन जुटाने के विशिष्ट उद्देश्यों में मदद करते हैं।
    • डिजिटल परिसंपत्तियों के माध्यम से क्राउडफंडिंग में गोपनीय सिक्कों का उपयोग तथा टंबलर एवं मिक्सर जैसी गोपनीयता बरकरार रखने वाली सेवाएँ शामिल हैं।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • मिश्रित अनुदान संचयन हेतु रणनीतियाँ:
    • PFI ने मस्जिदों और सार्वजनिक स्थानों जैसे धार्मिक स्थानों पर प्रार्थना (Solicitation) के माध्यम से धन एकत्र किया।
    • इसके अतिरिक्त समूह ने दान को प्रोत्साहित करने के लिये क्यूआर कोड और बैंक खाते के विवरण सहित आधुनिक डिजिटल तरीकों का इस्तेमाल किया।
    • संगठन द्वारा एकत्र किये गए धन में घरेलू और विदेशी दोनों लेन-देन शामिल थे, जिससे वित्तीय प्रवाह की बहुआयामी प्रकृति के कारण जाँच चुनौतीपूर्ण हो गई थी।
  • निधियों का विविध उपयोग:
    • क्राउडफंडिंग के माध्यम से जुटाई गई धनराशि किसी एक उद्देश्य तक सीमित नहीं थी। एकत्रित धन का एक हिस्सा व्यवसायों और रियल एस्टेट परियोजनाओं में निवेश किया गया था, जिसका उद्देश्य संगठन की आतंकवादी गतिविधियों के लिये नियमित आय उत्पन्न करना था।
  • वैश्विक संदर्भ:
    • रिपोर्ट आतंकवाद के वित्तपोषण के लिये क्राउडफंडिंग के मुद्दे को वैश्विक संदर्भ में देखती है। यह इस बात को उजागर करता है, जबकि अधिकांश क्राउडफंडिंग गतिविधियाँ वैध हैं, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट (ISIL) और अल-कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों ने अपनी गतिविधियों के लिये धन जुटाने हेतु इन प्लेटफॉर्मों का फायदा उठाया है।
  • सिफारिशें:
    • FATF रिपोर्ट वैश्विक स्तर पर लगातार एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और काउंटर-टेररिस्ट फाइनेंसिंग (AML/CFT) नियमों की आवश्यकता पर ज़ोर देती है। 
    • इसमें बताया गया है कि कई देश क्राउडफंडिंग गतिविधियों से जुड़े जोखिमों का व्यवस्थित रूप से आकलन नहीं करते हैं, जिससे इसके दुरुपयोग के बारे में व्यापक डेटा की कमी है।
    • FATF क्राउडफंडिंग अभियानों और संबंधित वित्तीय हस्तांतरण की सीमा पार प्रकृति पर प्रकाश डालता है।
    • देशों से यह पहचानने का आग्रह किया जाता है कि भले ही उनके अधिकार क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण घरेलू आतंकवाद गतिविधि न हो, फिर भी इसका उपयोग वित्तीय प्रवाह के मार्ग के रूप में किया जा सकता है।

पुलर फ्रंट ऑफ इंडिया क्या है?

  • PFI का गठन वर्ष 2007 में दक्षिण भारत के तमिलनाडु में तीन मुस्लिम संगठनों के  विलय से हुआ था। यह स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) पर प्रतिबंध के बाद उभरा और मुसलमानों के बीच विभिन्न सामाजिक और इस्लामी धार्मिक गतिविधियों में शामिल रहा है।
  • PFI ने खुद को अल्पसंख्यकों, दलितों और हाशिये पर रहने वाले समुदायों के अधिकारों का समर्थन करने वाले संगठन के रूप में प्रस्तुत किया है लेकिन उसे चरमपंथी गतिविधियों में शामिल होने के आरोपों का सामना करना पड़ा है।
  • वर्ष 2022 में गृह मंत्रालय ने PFI और उसके सहयोगियों को "गैरकानूनी संघ" घोषित किया था।

नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए ऐसे संगठनों से कैसे निपटें?

  • स्पष्ट कानूनी ढाँचा:
    • एक स्पष्ट और व्यापक कानूनी ढाँचा स्थापित करना जो उन स्थितियों की रूपरेखा तैयार करे जिनके तहत किसी संगठन को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरे के रूप में नामित किया जा सकता है।
    • यह रूपरेखा संवैधानिक सिद्धांतों, अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों और उचित प्रक्रिया पर आधारित होनी चाहिये।
  • न्यायिक निरीक्षण:
    • न्यायपालिका यह आकलन कर सकती है कि सरकार के कार्य कानून के अनुसार हैं और व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं या नहीं
  • पारदर्शिता और जवाबदेही:
    • संगठनों को गैरकानूनी घोषित करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखना और ऐसे कार्यों के कारणों का खुलासा करना।
    • कानूनी ढाँचे के दुरुपयोग को रोकने के लिये जवाबदेही और निगरानी के लिये तंत्र स्थापित करना।
  • लक्षित कार्रवाइयाँ:
    • मोटे तौर पर पूरे संगठन को निशाना बनाने के बजाय सीधे तौर पर आपराधिक या आतंकवादी गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों या संस्थाओं को निशाना बनाने पर ध्यान केंद्रित करना। यह दृष्टिकोण निर्दोष सदस्यों और समर्थकों पर प्रभाव को कम करता है।
  • खुफिया एवं निगरानी:
    • संभावित खतनाक गतिविधियों पर नज़र रखकर खुफिया जानकारी एकत्र करना और निगरानी क्षमताओं को बढ़ाना। यह सुनिश्चित करना कि कार्रवाइयाँ कानून के अनुसार और निरीक्षण के अधीन हों।
  • जन जागरूकता:
    • चरमपंथी विचारधाराओं के खतरों और संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करने के महत्त्व के विषय में सार्वजनिक जागरूकता को बढ़ावा देना। जनता को राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सक्रिय होने के लिये प्रोत्साहित करना।

FATF

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. चर्चा कीजिये कि किस प्रकार उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान करते हैं। राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने के लिये किये जाने वाले उपायों को विस्तार से समझाइये। (2021)

प्रश्न. आतंकवाद की जटिलता और तीव्रता, इसके कारणों, संबंधों और अप्रिय गठजोड़ का विश्लेषण कीजिये। आतंकवाद के खतरे के उन्मूलन के लिये किये जाने वाले उपायों का भी सुझाव दीजिये। (2021)


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