भारत की स्वास्थ्य अवसंरचना
प्रिलिम्स के लिये:PM-ABHIM, ADB, विश्व बैंक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, नीति आयोग। मेन्स के लिये:भारत 'स्वास्थ्य बुनियादी अवसंरचना’। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत सरकार ने स्वास्थ्य बुनियादी अवसंरचना को मज़बूत करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से 13,879 करोड़ रुपए उधार लेने हेतु ऋण समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं।
- ऋण समझौतों पर हस्ताक्षर प्रधानमंत्री-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (PM-ABHIM) को बढ़ावा देने के लिये किये गए हैं, जिसे अक्तूबर 2021 (वित्त वर्ष 2025-26 हेतु) में लॉन्च किया गया था।
समझौते के प्रमुख बिंदु:
- एशियाई विकास बैंक (ADB) के साथ 300 मिलियन अमेरिकी डाॅलर और जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (JICA) के साथ 50 बिलियन जापानी येन के लिये ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
- विश्व बैंक ने PM-ABHIM के लिये IBRD (इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट) के माध्यम से 1 बिलियन अमेरिकी डाॅलर की मंज़ूरी दी है।
- IBRD विश्व बैंक की उधार देने वाली शाखा है।
प्रधानमंत्री-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (PM-ABHIM):
- परिचय:
- यह देश भर में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने के लिये सबसे बड़ी अखिल भारतीय योजनाओं में से एक है।
- यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अतिरिक्त है।
- यह 10 'उच्च फोकस' वाले राज्यों में 17,788 ग्रामीण स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों को सहायता प्रदान करेगा और देश भर में 11,024 शहरी स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र स्थापित करेगा।
- उद्देश्य:
- शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में एक मज़बूत सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचा सुनिश्चित करना।
- एक आईटी-सक्षम रोग निगरानी प्रणाली स्थापित करना।
- सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं को एकीकृत स्वास्थ्य सूचना पोर्टल के माध्यम से जोड़ा जाएगा, जिसका विस्तार सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में किया जाएगा।
- प्रमुख पहलें:
- यह राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC), पाँच नए क्षेत्रीय NCDCs, 10 जैव सुरक्षा स्तर (BSL)- III और एक BSL-IV तथा 20 मेट्रोपॉलिटन निगरानी इकाइयों (MSUs) को मज़बूत बनाने के लिये 12 केंद्रीय अस्पतालों में 602 क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक, स्थापित करने में मदद करेगा।
भारत में हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार की आवश्यकता:
- कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (Primary Healthcare Centres- PHC) में बिस्तर, कमरे, शौचालय और पीने के पानी की सुविधा, शिशुओं को जन्म देने के लिये स्वच्छ लेबर रूम और नियमित रूप से बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare -MoHFW) के 2021 ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी के अनुसार, शहरी और जनजातीय क्षेत्रों में PHCs की कुल संख्या क्रमशः 5439 एवं 3966 है।
- नीति आयोग की वर्ष 2021 की रिपोर्ट 'रिइमेजिनिंग हेल्थकेयर इन इंडिया थ्रू ब्लेंडेड फाइनेंस' में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारत में 35% अस्पतालों के बिस्तर/बेड्स 50% आबादी की ज़रूरतों को पूरा करते हैं। इस प्रकार सभी के लिये स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिये स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने की आवश्यकता है।
हेल्थकेयर से संबंधित हालिया सरकारी पहल:
आगे की राह
- स्वास्थ्य सेवा से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने के लिये भारत में बेहतर स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता है, जिसमें नई स्वास्थ्य सुविधाओं हेतु निवेश में वृद्धि, मौजूदा सुविधाओं में सुधार, साथ ही और अधिक चिकित्सा पेशेवरों की भर्ती एवं उनका प्रशिक्षण शामिल है।
- इससे गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा देखभाल तक पहुँच में सुधार और रोगियों पर वित्तीय बोझ को कम करने में मदद मिलेगी।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से 'राष्ट्रीय पोषण मिशन (नेशनल न्यूट्रिशन मिशन)' के उद्देश्य हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) व्याख्या:
प्रश्न. "एक कल्याणकारी राज्य की नैतिक अनिवार्यता के अलावा, प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना धारणीय विकास की एक आवश्यक पूर्व शर्त है।" विश्लेषण कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2021) |
स्रोत: द हिंदू
भारत-मंगोलिया संबंध
प्रिलिम्स के लिये:भारत-मंगोलिया संबंध, कोविड-19 महामारी, बौद्ध धर्म, एक्ट ईस्ट नीति। मेन्स के लिये:भारत-मंगोलिया संबंध। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में 11वीं भारत-मंगोलिया संयुक्त कार्य समूह बैठक भारत में आयोजित हुई।
- भारत-मंगोलिया के बीच बढ़ते संबंधों को देखते हुए दोनों पक्षों ने कोविड-19 महामारी से जुड़ी बाधाओं के बावजूद दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग पर संतोष व्यक्त किया।
भारत-मंगोलिया संबंध:
- ऐतिहासिक संबंध:
- भारत और मंगोलिया बौद्ध धर्म के माध्यम से ऐतिहासिक रूप से एक-दूसरे से जुड़े हैं।
- मंगोलिया भारत को अमेरिका, जापान एवं जर्मनी के साथ अपना "तीसरा" पड़ोसी मानता है और वह भी "आध्यात्मिक पड़ोसी"।
- राजनयिक संबंध:
- भारत ने वर्ष 1955 में मंगोलिया के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किये और सोवियत संघ के बाहर मंगोलिया के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाला यह पहला देश था।
- उलानबटार में वर्ष 1971 में भारतीय रेजिडेंट मिशन खोला गया।
- वर्ष 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री के मंगोलिया दौरे के बाद इस संबंध को "रणनीतिक साझेदारी" में तब्दील किया गया था और इसे 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' के एक आवश्यक घटक के रूप में घोषित किया।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
- मंगोलिया ने विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की स्थायी सीट के लिये भारत की सदस्यता हेतु सार्वजनिक रूप से समर्थन प्रदर्शित किया है।
- चीन और ताइवान के कड़े विरोध के बावजूद भारत ने संयुक्त राष्ट्र (UN) सहित प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मंगोलिया को सदस्यता दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- भारत ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन में मंगोलिया को शामिल किये जाने का भी समर्थन किया।
- बदले में मंगोलिया ने नव-मुक्त बांग्लादेश की मान्यता के लिये भारत और भूटान के साथ वर्ष 1972 के संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया।
- आर्थिक सहयोग:
- वर्ष 2022 में 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की लागत के साथ 1.5 मिलियन मीट्रिक टन की क्षमता वाली भारत द्वारा निर्मित तेल रिफाइनरी मंगोलिया के दक्षिणी डोर्नोगोवी प्रांत में साइनशंड के पास खोली गई थी।
- यह रिफाइनरी मंगोलिया की 75% तेल रिफाइनिंग ज़रूरतों को पूरा रखेगी।
- वर्ष 2019 के 38.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारत-मंगोलिया द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2020 में 35.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था।
- वर्ष 2022 में 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की लागत के साथ 1.5 मिलियन मीट्रिक टन की क्षमता वाली भारत द्वारा निर्मित तेल रिफाइनरी मंगोलिया के दक्षिणी डोर्नोगोवी प्रांत में साइनशंड के पास खोली गई थी।
- सांस्कृतिक सहयोग:
- भारत और मंगोलिया के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (SEP) सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-मंगोलियाई समझौते द्वारा विनियमित है, जिस पर वर्ष 1961 में हस्ताक्षर किये गए थे।
- इस समझौते में छात्रवृत्ति, विशेषज्ञों के आदान-प्रदान, सम्मेलनों में भागीदारी आदि के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग की परिकल्पना की गई है।
- रक्षा सहयोग:
- भारत और मंगोलिया के बीच संयुक्त रक्षा अभ्यास का कोड नाम नोमेडिक एलीफैंट है।
- भारत मंगोलिया के द्विवार्षिक खान क्वेस्ट (Khan Quest) में भी सक्रिय रूप से भाग लेता है, जो कि एक सप्ताह तक चलने वाला संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास है।
- पर्यावरणीय मुद्दों पर सहयोग:
- दोनों देश बिश्केक घोषणा (हिम तेंदुआ) का हिस्सा हैं।
मंगोलिया से संबंधित प्रमुख तथ्य:
- मंगोलिया पूर्व और मध्य एशिया में स्थित एक भू-आबद्ध देश है। यह उत्तर में रूस तथा दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में चीन से घिरा है।
- यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा भू-आबद्ध (Landlocked) देश है और विश्व में सबसे विरल आबादी वाला देश है।
- इसकी बहुसंख्यक आबादी अभी भी पारंपरिक खानाबदोश चरवाहे संस्कृति का पालन करती है और यहाँ मंगोलिया मंगोल, कज़ाख और तुवन सहित विभिन्न जातीय समूह निवास करते हैं।
- देश को "अनंत नीले आकाश की भूमि" और "घोड़ों की भूमि" के रूप में जाना जाता है।
- मंगोलिया के परिदृश्य पर दक्षिण में गोबी रेगिस्तान और पश्चिम में विशाल अल्ताई पर्वत का प्रभुत्त्व है।
- हाल के वर्षों में अपने तेज़ी से आधुनिकीकरण के बावजूद उलानबटार अब भी कई ऐतिहासिक मंदिरों, मठों और अन्य सांस्कृतिक स्थलों के साथ एक मज़बूत पारंपरिक मंगोलियाई पहचान बनाए हुए है।
- यह देश कभी मंगोल साम्राज्य का केंद्र था, जो यूरोप से एशिया तक फैला ऐतिहासिक रूप से सबसे बड़ा सन्निहित साम्राज्य था।
आगे की राह
- भारत-मंगोलिया संबंधों का भविष्य ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों की मौजूदा नींव पर निर्भर करेगा, साथ भी राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक सहयोग का विस्तार करने का भी प्रयास किया जाएगा।
- मध्य एशिया, पूर्वोत्तर एशिया, सुदूर पूर्व, चीन और रूस के चौराहे पर मंगोलिया की सामरिक स्थिति प्रमुख शक्तियों को आकर्षित करती है। भारत द्वारा मंगोलिया को आर्थिक विकास के एक हरित क्षेत्र के रूप में देखा जाना चाहिये, जो आधुनिकीकरण प्रक्रिया के हिस्से के रूप में हाई-टेक सुविधाओं एवं उत्पादन कौशल को समाहित करता है।
- चूँकि दोनों देश इस क्षेत्र में समान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, इसलिये आगामी वर्षों में संबंधों को और मज़बूत किये जाने की संभावना है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. "जलवायु चरम है, वर्षा कम है और लोग चलवासी पशुचारक हुआ करते थे।" (2013) उपर्युक्त कथन निम्नलिखित क्षेत्र में से किसका सबसे अच्छा वर्णन करता है? (a) अफ्रीकी सवाना उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। |
स्रोत: पी.आई.बी.
भारत की भूकंप हेतु तैयारी
प्रिलिम्स के लिये:तुर्किये-सीरिया भूकंप, रिक्टर स्केल, हिमालयन प्लेट, टेक्टोनिक प्लेट्स। मेन्स के लिये:भूकंप का कारण, भारत में और उसके आसपास भूकंप, भूकंप हेतु भारत की तैयारी। |
चर्चा में क्यों?
6 फरवरी, 2023 को दक्षिण-पूर्वी तुर्किये और सीरिया में लगभग समान परिमाण के आफ्टरशॉक के साथ गंभीर भूकंप आया, जिससे व्यापक विनाश और जीवन की हानि हुई।
- तुर्किये-सीरिया भूकंप को ध्यान में रखते हुए भूकंप हेतु भारत को अपनी तैयारियों को मज़बूत करना चाहिये क्योंकि देश में ज़ोनिंग और निर्माण नियमों का खराब प्रवर्तन प्रचलित है।
भारत भूकंप के प्रति संवेदनशील:
- परिचय:
- भारत का भू-भाग बड़े भूकंपों हेतु प्रवण/संवेदनशील है, विशेष रूप से हिमालयी प्लेट सीमा, जिसमें बड़ी भूकंपीय घटना (7 और अधिक परिमाण) की क्षमता है।
- भारत में भूकंप मुख्य रूप से भारतीय प्लेट के यूरेशियन प्लेट से टकराने के कारण उत्पन्न होते हैं।
- इस अभिसरण के परिणामस्वरूप हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ है, साथ ही इस क्षेत्र में लगातार भूकंप आते रहे हैं।
भूकंपीय क्षेत्र/ज़ोन:
- बड़े भूकंपों के प्रति संवेदनशील:
- वैज्ञानिक हिमालयी क्षेत्र में भूकंपीय घटना अंतराल के संदर्भ में परिचित हैं जहाँ भूगर्भीय घटनाओं का ऐतिहासिक परिदृश्य वर्तमान भूकंपीय घटनाओं हेतु पूर्ण रूप से ज़िम्मेदार नहीं है।
- उदाहरण के लिये अन्य क्षेत्रों की तुलना में मध्य हिमालय में ऐतिहासिक रूप से कम भूकंप देखे गए हैं। इसलिये यह एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ भविष्य में एक बड़े भूकंप आने का अनुमान लगाया जा सकता है।
- वैज्ञानिक हिमालयी क्षेत्र में भूकंपीय घटना अंतराल के संदर्भ में परिचित हैं जहाँ भूगर्भीय घटनाओं का ऐतिहासिक परिदृश्य वर्तमान भूकंपीय घटनाओं हेतु पूर्ण रूप से ज़िम्मेदार नहीं है।
- भारत/आसपास के क्षेत्रों में भूकंप:
- भारत ने पिछले कुछ वर्षों में कई महत्त्वपूर्ण भूकंपों का अनुभव किया है, यहाँ कुछ उदाहरण दिये गए हैं:
- नेपाल भूकंप 2015: 25 अप्रैल, 2015 को नेपाल में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था। उत्तर भारत में भी भूकंप का खासा असर रहा।
- इंफाल भूकंप 2016: 4 जनवरी, 2016 को पूर्वोत्तर भारतीय राज्य मणिपुर में 6.7 तीव्रता का भूकंप आया, जिसके कारण व्यापक क्षति हुई।
- उत्तराखंड भूकंप 2017: 6 फरवरी, 2017 को उत्तर भारतीय राज्य उत्तराखंड में 6.7 तीव्रता का भूकंप आया।
- भारत ने पिछले कुछ वर्षों में कई महत्त्वपूर्ण भूकंपों का अनुभव किया है, यहाँ कुछ उदाहरण दिये गए हैं:
भारत में भूकंप की तैयारी हेतु उठाए जाने वाले कदम:
- बिल्डिंग कोड और मानक: भारत ने भूकंप प्रतिरोधी निर्माण के लिये बिल्डिंग कोड और मानक स्थापित किये हैं।
- यह सुनिश्चित करने के लिये इन कोड और मानकों को सख्ती से लागू करना महत्त्वपूर्ण है कि भूकंप का सामना करने हेतु नई इमारतों का निर्माण किया जाए। इसके लिये नियमित निरीक्षण एवं मौजूदा बिल्डिंग कोड के प्रवर्तन की भी आवश्यकता होगी।
- पुनः संयोजन एवं सुदृढीकरण: पुरानी इमारतें वर्तमान भूकंप प्रतिरोधी मानकों को पूरा नहीं करती हैं और उनमें से कई को उनके भूकंपीय प्रदर्शन में सुधार के लिये पुनः संयोजन या सुदृढीकृत किया जा सकता है।
- आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना: भूकंप के प्रभाव को कम करने के लिये आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना महत्त्वपूर्ण है। इसमें निकासी योजना विकसित करना, आपातकालीन आश्रयों की स्थापना और भूकंप का सामना करने के तरीके पर कर्मियों को प्रशिक्षित करना शामिल है।
- अनुसंधान एवं निगरानी: अनुसंधान एवं निगरानी में निवेश किये जाने से भूकंप तथा उसके कारणों की हमारी समझ में सुधार करने में मदद मिल सकती है और प्रभाव का अनुमान लगाने एवं उसे कम करने हेतु बेहतर तरीके विकसित करने में भी मदद मिल सकती है।
- भूमि-उपयोग योजना: भूमि-उपयोग नीतियों की योजना बनाने और उन्हें विकसित करते समय भूकंप के संभावित प्रभावों पर विचार करना महत्त्वपूर्ण है। इसमें भूकंप की संभावना वाले क्षेत्रों में विकास को सीमित करना शामिल है तथा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि नए विकास को इस तरह से डिज़ाइन एवं निर्मित किया जाए जो क्षति के जोखिम को कम करता हो।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंपों की आवृत्ति बढ़ती हुई प्रतीत होती है। फिर भी इनके प्रभाव के न्यूनीकरण हेतु भारत की तैयारी (तत्परता) में महत्त्वपूर्ण कमियाँ है। विभिन्न पहलुओं पर चर्चा कीजिये। (2015) प्रश्न. भूकंप से संबंधित संकटों के लिये भारत की भेद्यता की विवेचना कीजिये। पिछले तीन दशकों में भारत के विभिन्न भागों में भूकंपों द्वारा उत्पन्न बड़ी आपदाओं के उदाहरण प्रमुख विशेषताओं के साथ कीजिये। (2021) |
स्रोत: द हिंदू
आसियान डिजिटल मंत्रियों की तीसरी बैठक
प्रिलिम्स के लिये:आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, भारत-आसियान डिजिटल कार्ययोजना- 2023, आसियान घोषणा, लुक ईस्ट पॉलिसी, आसियान-इंडिया ट्रेड इन गुड्स एग्रीमेंट (AITIGA), व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता, आसियान इंडिया फ्रेंडशिप ईयर, आसियान-इंडिया ग्रीन फंड। मेन्स के लिये:भारत-आसियान संबंध, व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता। |
चर्चा में क्यों?
आसियान डिजिटल मंत्रियों (ADGMIN) की तीसरी बैठक हाल ही में आयोजित की गई।
- बैठक का विषय "एक सतत् डिजिटल भविष्य की ओर सहक्रियता" (Synergy Towards a Sustainable Digital Future) था।
बैठक के प्रमुख बिंदु:
बैठक सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के क्षेत्र में भारत और आसियान (Association of Southeast Asian Nations) के बीच संबंधों को मज़बूत करने पर केंद्रित थी।
भारत ने निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देने और ब्रॉडबैंड तथा दूरसंचार कनेक्टिविटी बढ़ाने हेतु सुधारों पर ज़ोर दिया।
बैठक में एक समावेशी एवं न्यायसंगत समाज बनाने, सतत् विकास को बढ़ावा देने तथा डिजिटल माध्यमों से नागरिकों को सशक्त बनाने के साधन के रूप में डिजिटल परिवर्तन के महत्त्व पर भी प्रकाश डाला गया।
भारत-आसियान डिजिटल कार्ययोजना 2023 को मंज़ूरी दी गई, जिसमें साइबर सुरक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, अगली पीढ़ी के स्मार्ट शहरों में IoT एवं AI तथा डिजिटल स्वास्थ्य तथा सुरक्षा को लागू करने में ICT की भूमिका जैसे क्षेत्रों में क्षमता निर्माण और ज्ञान साझा करने की पहल शामिल है।
आसियान (ASEAN) समूह:
- परिचय:
- यह एक क्षेत्रीय समूह है जो आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देता है।
- इसकी स्थापना अगस्त 1967 में बैंकॉक, थाईलैंड में आसियान के संस्थापकों अर्थात् इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर एवं थाईलैंड द्वारा आसियान घोषणा (बैंकॉक घोषणा) पर हस्ताक्षर के साथ की गई थी।
- इसकी अध्यक्षता सदस्य राष्ट्रों द्वारा अंग्रेज़ी के वर्णानुक्रम के आधार पर वार्षिक रूप से की जाती है।
सदस्य:
ASEAN के साथ भारत का संबंध:
- परिचय:
- भारत और आसियान के बीच संबंध दीर्घकालिक और बहुआयामी हैं जिसमें राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा सुरक्षा आयाम शामिल हैं।
- द्विपक्षीय संबंधों का विकास:
- 1990 के दशक में भारत द्वारा 'लुक ईस्ट पॉलिसी' शुरू किये जाने के बाद से भारत-आसियान द्विपक्षीय संबंध में काफी विकास देखा गया है।
- वर्ष 2014 में मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को विकसित करने के लिये इस पहल को 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' में बदल दिया गया था।
- भारत वर्ष 1992 में आसियान के एक क्षेत्रीय भागीदार के रूप में उभरा, जिसके बाद वे वर्ष 1996 में संवाद भागीदार और वर्ष 2002 में एक शिखर-स्तरीय भागीदार बने।
- वर्ष 2009 में आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौता (ASEAN-India Trade in Goods Agreement-AITIGA) पर हस्ताक्षर किये गए जो 1 जनवरी, 2010 को लागू हुआ।
- इसके अलावा भारत का आसियान क्षेत्र के विभिन्न देशों (सिंगापुर, मलेशिया और थाईलैंड) के साथ एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (CECA) है, जिसके परिणामस्वरूप रियायती व्यापार एवं निवेश में वृद्धि हुई है।
- भारत ने आसियान देशों के साथ संबंधो को मज़बूत करने के लिये वर्ष 2015 में जकार्ता में आसियान और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के लिये एक अलग मिशन भी शुरू किया।
- वर्ष 2022 में आसियान और भारत के बीच संवाद संबंधों की स्थापना के 30 वर्ष की साझेदारी के उपलक्ष्य में आसियान-भारत मैत्री वर्ष मनाया गया, जिससे इनकी रणनीतिक साझेदारी को काफी बढ़ावा मिला।
- 1990 के दशक में भारत द्वारा 'लुक ईस्ट पॉलिसी' शुरू किये जाने के बाद से भारत-आसियान द्विपक्षीय संबंध में काफी विकास देखा गया है।
- अन्य क्षेत्र:
- वित्तीय सहायता:
- आसियान-भारत सहयोग कोष, आसियान-भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास कोष तथा आसियान-भारत ग्रीन फंड जैसे विभिन्न चैनलों के माध्यम से भारत, आसियान देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
- कनेक्टिविटी:
- भारत कई कनेक्टिविटी पहलों को लागू कर रहा है, जैसे कि भारत-म्याँमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और कलादान मल्टीमॉडल परियोजना।
- इसके अतिरिक्त आसियान के साथ भारत एक समुद्री परिवहन समझौता स्थापित करने की दिशा में काम कर रहा है और नई दिल्ली, भारत एवं हनोई, वियतनाम के बीच रेलवे कनेक्शन की योजना भी प्रस्तावित है।
- वित्तीय सहायता:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त में से कौन-कौन आसियान (ए.एस.ई.ए.एन) के 'मुक्त-व्यापार भागीदारों' में से हैं? (a) केवल 1, 2, 4 और 5 उत्तर: (c) प्रश्न. 'रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनाॅमिक पार्टनरशिप' पद प्रायः समाचारों में देशों के एक समूह के मामलों के संदर्भ में आता है। देशों के उस समूह को क्या कहा जाता है? (2016) (a) G20 उत्तर: (b) प्रश्न. मेकांग-गंगा सहयोग में छह देशों की पहल, निम्नलिखित में से कौन-सा/से देश प्रतिभागी नहीं है/हैं? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. शीतयुद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य के संदर्भ में भारत की पूर्वोन्मुखी नीति के आर्थिक और सामरिक आयामों का मूल्याकंन कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2016) |
स्रोत: पी.आई.बी.
सीमा अवसंरचना को बढ़ाना
प्रिलिम्स के लिये:सीमा अवसंरचना और प्रबंधन, सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम। मेन्स के लिये:सीमाओं को सुरक्षित करने में सीमा बुनियादी अवसंरचना एवं प्रबंधन का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विदेश मंत्री ने सीमा अवसंरचना और कनेक्टिविटी पर सरकार की परियोजनाओं के बारे में संसद को जानकारी दी।
- यह रिपोर्ट सुरक्षा सम्मेलन की एक आधिकारिक रिपोर्ट के मद्देनज़र जारी की गई थी, जिसमें कहा गया था कि भारतीय बलों ने वर्ष 2020 के बाद से LAC पर 65 गश्त बिंदुओं में से 26 पर पहुँच खो दी है।
सीमा अवसंरचना विकास:
- बहु-आयामी दृष्टिकोण:
- सड़कों, पुलों एवं सुरंगों के माध्यम से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर कनेक्टिविटी में सुधार करना।
- उदाहरण के लिये वर्ष 2014 से 2022 की अवधि में चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में निर्मित सड़कों की लंबाई (6,806 किमी.), वर्ष 2008-2014 (3,610 किमी.) के दौरान निर्मित सड़कों की लंबाई से लगभग दोगुनी है।
- राजमार्गों, पुलों, अंतर्देशीय जलमार्गों, रेलमार्गों, विद्युत लाइनों और ईंधन पाइपलाइनों के माध्यम से पड़ोसी देशों के लिये सीमा पार कनेक्टिविटी में सुधार।
- पड़ोसी देशों में व्यापार एवं वित्तपोषण तथा बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं के निर्माण को सुचारु बनाने हेतु सभी सीमा क्रॉसिंग पर एकीकृत चेक पोस्ट (ICP) का आधुनिकीकरण तथा निर्माण करना।
- सड़कों, पुलों एवं सुरंगों के माध्यम से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर कनेक्टिविटी में सुधार करना।
- पड़ोसी परियोजनाएँ:
- नेपाल:
- दक्षिण एशिया की पहली सीमा पार पेट्रोलियम उत्पाद पाइपलाइन मोतिहारी-अमलेखगंज पाइपलाइन।
- भारतीय अनुदान सहायता के अंतर्गत धारचूला (भारत) को दार्चुला (नेपाल) से जोड़ने वाली महाकाली नदी पर महाकाली मोटर योग्य पुल।
- बांग्लादेश:
- मैत्री सेतु, बांग्लादेश के साथ हाई स्पीड डीज़ल पाइपलाइन जो पेट्रोल की कीमतों और सड़क की भीड़ को कम करेगी।
- म्याँमार:
- भूटान:
- पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे पसाखा में शुष्क बंदरगाह को भारत सरकार के अनुदान के तहत विकसित किया जा रहा है।
- नेपाल:
सीमा अवसंरचना का महत्त्व:
- चीन तथा पाकिस्तान के साथ भारत लंबे समय से क्षेत्रीय और सीमा विवादों का सामना कर रहा है।
- उदाहरण के लिये वर्ष 2014 में चुमार, वर्ष 2017 में डोकलाम में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ लगातार झड़पें।
- अप्रैल 2020 से जब चीनी सेना ने सीमा पर सैनिकों को इकट्ठा कर लिया था तब से पूरे LAC पर गतिरोध जारी है जिसके परिणामस्वरूप गलवान में झड़प हुई थी।
- सीमा युद्धों और संघर्षों के बावजूद भारत की सीमाओं पर अपर्याप्त बुनियादी अवसंरचना की स्थिति है तथा सीमाओं पर विभिन्न सैन्य, अर्द्ध-सैन्य एवं पुलिस बलों के बीच निगरानी हेतु समन्वय की कमी है।
- तस्कर, ड्रग तस्कर और आतंकवादी अक्सर सीमाओं पर खराब निगरानी और बुनियादी अवसंरचना का फायदा उठाते हैं।
सीमाओं को सुरक्षित करने हेतु पहलें:
- वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम:
- बजट 2022-23 में घोषित नए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत विरल आबादी, सीमित कनेक्टिविटी और बुनियादी ढाँचे वाले सीमावर्ती गाँवों को कवर किया जाएगा।
- इन गतिविधियों में गाँव के बुनियादी ढाँचे का निर्माण, आवास, पर्यटन केंद्र, सड़क संपर्क, विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा का प्रावधान, दूरदर्शन और शैक्षिक चैनलों की सीधे घर तक पहुँच और आजीविका सृजन के लिये समर्थन शामिल होगा।
- यह कदम LAC के करीब चीन के 'मॉडल गाँवों' का मुकाबला करने के लिये उठाया गया है।
- सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (Border Area Development Programme- BADC):
- BADP को सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-90) के दौरान पश्चिमी क्षेत्र के सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे के विकास और सीमावर्ती आबादी के बीच सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देने के माध्यम से इन क्षेत्रों के संतुलित विकास को सुनिश्चित करने के लिये शुरू किया गया था।
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास स्थित दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की विशेष विकास आवश्यकताओं को पूरा करना है।
- भारत में स्मार्ट फेंसिंग:
- व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (Comprehensive Integrated Border Management System- CIBMS) के तहत भारत-पाकिस्तान सीमा (10 किलोमीटर) और भारत-बांग्लादेश सीमा (61 किलोमीटर) पर लगभग 71 किलोमीटर की दो पायलट परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं।
- CIBMS में सीमाओं को सुरक्षित करने के लिये थर्मल इमेजर्स, इन्फ्रा-रेड और लेज़र अलार्म, एयरोस्टैट्स, ग्राउंड सेंसर, रडार, सोनार सिस्टम, फाइबर-ऑप्टिक सेंसर और रीयल-टाइम कमांड-एंड-कंट्रोल सिस्टम जैसी उन्नत निगरानी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाना शामिल है।
- असम के धुबरी ज़िले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर CIBMS के तहत BOLD-QIT (बॉर्डर इलेक्ट्रॉनिकली डोमिनेटेड QRT इंटरसेप्शन तकनीक) का भी उपयोग किया जा रहा है।
- व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (Comprehensive Integrated Border Management System- CIBMS) के तहत भारत-पाकिस्तान सीमा (10 किलोमीटर) और भारत-बांग्लादेश सीमा (61 किलोमीटर) पर लगभग 71 किलोमीटर की दो पायलट परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं।
- सीमा सड़क संगठन:
- वर्ष 1960 में स्थापित यह संगठन सड़कों, पुलों, राजमार्गों, हवाई अड्डों, सुरंगों, इमारतों और ऐसी अन्य संरचनाओं सहित रक्षा अवसंरचना प्रदान करने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है।
सीमा अवसंरचना विकास का सार |
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प्रमुख खतरे |
आवश्यक कदम |
बीते समय में किये गए प्रयास |
पकिस्तान |
युद्ध, विद्रोह, तस्करी |
अच्छी तरह से प्रशिक्षित और वृहत BOLD-QIT के साथ C.I.B.M.S. निगरानी, दूरदराज़ के क्षेत्रों, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर को जोड़ने वाले एक से अधिक मार्ग |
C.I.B.M.S., कुछ हिस्सों में लेह का तीसरा मार्ग वर्ष 2023 तक खोला जाना अपेक्षित |
चीन |
युद्ध |
बख्तरबंद वाहन सक्षम बुनियादी ढाँचा, उच्च ऊँचाई वाले हवाई क्षेत्र |
डौलेट बेग ओल्डी हवाई परिचालन जारी, कुछ पुल और सुरंगें बख्तरबंद वाहन सक्षम |
बांग्लादेश |
तस्करी, मानव तस्करी |
नदी के पूरे विस्तृत क्षेत्र में C.I.B.M.S. और BOLD-QIT निगरानी |
ब्रह्मपुत्र नदी क्षेत्र कवर किया जा चुका है, अत्यंत छोटी नदी क्षेत्र अभी बाकी |
नेपाल |
तस्करी, मानव तस्करी |
BOLD-QIT के साथ C.I.B.M.S. निगरानी |
नियोजन के स्तर में |
भूटान |
तस्करी |
भूटान-चीन सीमा तक बख्तरबंद वाहन सक्षम सड़क संपर्क |
सीमा सड़क संगठन द्वारा इस दिशा में कार्य जारी |
म्याँमार |
तस्करी, विद्रोह |
उग्रवाद से निपटने के लिये बड़े और अधिक कुशल BOLD-QIT के साथ C.I.B.M.S. निगरानी, सैनिकों की त्वरित आवाजाही के लिये सड़कें |
कुछ सड़कें मौजूद हैं, C.I.B.M.S. नियोजन के स्तर पर |
आगे की राह
- चीन की सीमा से सटे क्षेत्रों में भौतिक अवसंरचना जैसे- सड़क, पुल और अन्य सीमा अवसंरचना में निरंतर निवेश किया जाना चाहिये।
- पड़ोसी देशों के साथ कनेक्टिविटी में सुधार हेतु दूरसंचार और परिवहन नेटवर्क में निवेश को बढ़ावा देना चाहिये।
- प्रौद्योगिकी उन्नयन के माध्यम से प्रभावी ढंग से गश्त और सीमा क्षेत्र की निगरानी हेतु सीमा सुरक्षा बलों की क्षमता में वृद्धि करना।
- पारस्परिक रूप से लाभप्रद बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को विकसित करने हेतु पड़ोसी देशों के साथ सहयोग और संबंधों को मज़बूत करने एवं विश्वास बढ़ाने के लिये पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ाना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. सीमा प्रबंधन विभाग निम्नलिखित में से किस केंद्रीय मंत्रालय का एक विभाग है? (2008) (a) रक्षा मंत्रालय उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही है। प्रश्न: भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिये बाह्य राज्य और गैर-राज्य कारकों द्वारा प्रस्तुत बहुआयामी चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। इन संकटों का मुकाबला करने के लिये आवश्यक उपायों पर भी चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2021) प्रश्न: प्रभावी सीमावर्ती क्षेत्र प्रबंधन हेतु हिंसावादियों को स्थानीय समर्थन से वंचित करने के आवश्यक उपायों की विवेचना कीजिये और स्थानीय लोगों में अनुकूल धारणा प्रबंधन के तरीके भी सुझाइये। (मुख्य परीक्षा, 2020) प्रश्न: आंतरिक सुरक्षा खतरों तथा नियंत्रण रेखा (LoC) सहित म्याँमार, बांग्लादेश और पाकिस्तान सीमाओं पर सीमा पार अपराधों का विश्लेषण कीजिये। विभिन्न सुरक्षा बलों द्वारा इस संदर्भ में निभाई गई भूमिका की भी चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2020) प्रश्न: दुर्गम क्षेत्र एवं कुछ देशों के साथ शत्रुतापूर्ण संबंधों के कारण सीमा प्रबंधन एक कठिन कार्य है। प्रभावशाली सीमा प्रबन्धन की चुनौतियों एवं रणनीतियों पर प्रकाश डालिये। (मुख्य परीक्षा, 2016) |