अंतर्राष्ट्रीय संबंध
नया पुल: भारत और नेपाल
- 08 Jan 2022
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प्रिलिम्स के लिये:काली नदी, 1950 की शांति और मित्रता की भारत-नेपाल संधि, धारचूला ब्रिज़। मेन्स के लिये:भारत-नेपाल संबंधों का महत्त्व और चुनौतियाँ। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महाकाली नदी पर भारत और नेपाल को जोड़ने वाले एक नए पुल के निर्माण और उत्तराखंड के धारचूला को नेपाल के धारचूला से जोड़ने की योजना को मंजूरी दी है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- तीन वर्ष में पुल बनकर तैयार हो जाएगा। इससे दोनों देशों के बीच संबंध मज़बूत होंगे।
- भारत और नेपाल मित्रता एवं सहयोग के अनूठे संबंध साझा करते हैं।
- पुल के निर्माण से उत्तराखंड के धारचूला और नेपाल के क्षेत्र में रहने वाले लोगों को मदद मिलेगी।
- महाकाली नदी:
- इसे उत्तराखंड में शारदा नदी या काली गंगा के नाम से भी जाना जाता है।
- यह उत्तर प्रदेश में घाघरा नदी में मिलती है, जो गंगा की एक सहायक नदी है।
- नदी परियोजनाएंँ: टनकपुर हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट, चमेली हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट, शारदा बैराज।
भारत-नेपाल संबंध
- ऐतिहासिक संबंध:
- नेपाल और भारत दुनिया के दो प्रमुख धर्मों-हिंदू और बौद्ध धर्म के विकास के आसपास एक सांस्कृतिक इतिहास साझा करते हैं।
- बुद्ध का जन्म वर्तमान नेपाल में स्थित लुम्बिनी में हुआ था। बाद में बुद्ध ज्ञान की खोज में वर्तमान भारतीय क्षेत्र बोधगया आए, जहाँ उन्हें आत्मज्ञान प्राप्त हुआ। बोधगया से महात्मा बुद्ध और उनके अनुयायियों ने विश्व के कोने-कोने तक बौद्ध धर्म का प्रसार किया।
- भारत व नेपाल दोनों ही देशों में हिंदू व बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग हैं।
- रामायण सर्किट की योजना दोनों देशों के मज़बूत सांस्कृतिक व धार्मिक संबंधों का प्रतीक है।
- दोनों देशों के नागरिकों के बीच आजीविका के साथ-साथ विवाह और पारिवारिक संबंधों की मज़बूत नींव है। इस नींव को ही ‘रोटी-बेटी का रिश्ता’ नाम दिया गया है।
- वर्ष 1950 की ‘भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि’ दोनों देशों के बीच मौजूद विशेष संबंधों का आधार है।
- भारत के लिये महत्त्व का दो अलग-अलग तरीकों से अध्ययन किया जा सकता है:( a) भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये उनका रणनीतिक महत्त्व और (b) अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में भारत की भूमिका की धारणा में उनका स्थान।
- नेपाल में उत्पन्न होने वाली नदियाँ पारिस्थितिकी और जलविद्युत क्षमता के संदर्भ में भारत की बारहमासी नदी प्रणालियों को पोषित करती हैं।
- व्यापार और अर्थव्यवस्था:
- भारत, नेपाल का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार होने के साथ-साथ विदेशी निवेश का सबसे बड़ा स्रोत भी है।
- कनेक्टिविटी:
- नेपाल एक लैंडलॉक देश है जो तीन तरफ से भारत और एक तरफ तिब्बत से घिरा हुआ है।
- भारत-नेपाल ने अपने नागरिकों के मध्य संपर्क बढ़ाने और आर्थिक वृद्धि एवं विकास को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न कनेक्टिविटी कार्यक्रम शुरू किये हैं।
- हाल ही में भारत के रक्सौल को काठमांडू से जोड़ने के लिये इलेक्ट्रिक रेल ट्रैक बिछाने हेतु दोनों सरकारों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- भारत व्यापार और पारगमन व्यवस्था के ढाँचे के भीतर कार्गो की आवाजाही के लिये अंतर्देशीय जलमार्ग विकसित करना चाहता है, नेपाल को सागर (हिंद महासागर) के साथ सागरमाथा (माउंट एवरेस्ट) को जोड़ने के लिये समुद्र तक अतिरिक्त पहुंच प्रदान करता है।
- रक्षा सहयोग:
- द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के तहत उपकरण और प्रशिक्षण के माध्यम से नेपाल की सेना का आधुनिकीकरण शामिल है।
- भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंट का गठन आंशिक रूप से नेपाल के पहाड़ी जिलों से भर्ती करके किया जाता है।
- भारत वर्ष 2011 से हर वर्ष नेपाल के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास करता है जिसे सूर्य किरण के नाम से जाना जाता है।
- सांस्कृतिक:
- नेपाल के विभिन्न स्थानीय निकायों के साथ कला और संस्कृति, शिक्षाविदों और मीडिया के क्षेत्र में लोगों से लोगों के संपर्क को बढ़ावा देने की पहल की गई है।
- भारत ने काठमांडू-वाराणसी, लुंबिनी-बोधगया और जनकपुर-अयोध्या को जोड़ने के लिये तीन ‘सिस्टर-सिटी’ समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं।
- एक ‘सिस्टर-सिटी’ संबंध दो भौगोलिक और राजनीतिक रूप से अलग स्थानों के बीच कानूनी या सामाजिक समझौते का एक रूप है
- मानवीय सहायता:
- नेपाल एक संवेदनशील पारिस्थितिक क्षेत्र में स्थित है, जहाँ भूकंप, बाढ़ से जीवन और धन दोनों को भारी नुकसान होता है, जिसकी वजह से यह भारत की मानवीय सहायता का सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता बना हुआ है।
- बहुपक्षीय साझेदारी:
- भारत और नेपाल कई बहुपक्षीय मंचों जैसे- BBIN (बांग्लादेश, भूटान, भारत व नेपाल), बिम्सटेक (बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल), गुटनिरपेक्ष आंदोलन एवं सार्क (क्षेत्रीय सहयोग के लिये दक्षिण एशियाई संघ) साझा करते हैं, आदि।
- मुद्दे और चुनौतियाँ:
- चीन का हस्तक्षेप:
- एक भूमि से घिरे राष्ट्र के रूप में नेपाल कई वर्षों तक भारतीय आयात पर निर्भर रहा, और भारत ने नेपाल के मामलों में सक्रिय भूमिका निभाई।
- हालाँकि हाल के वर्षों में नेपाल भारत के प्रभाव से दूर हो गया है और चीन ने धीरे-धीरे नेपाल में निवेश, सहायता और ऋण प्रदान करने में वृद्धि की है।
- चीन नेपाल को अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में एक प्रमुख भागीदार मानता है और वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने की अपनी योजनाओं के हिस्से के रूप में नेपाल की बुनियादी अवसंरचना में निवेश करना चाहता है।
- नेपाल और चीन का बढ़ता सहयोग भारत तथा चीन के बीच नेपाल की ‘बफर स्टेट’ की स्थिति को कमज़ोर कर सकता है।
- दूसरी ओर चीन नेपाल में रहने वाले तिब्बतियों के बीच किसी भी चीन विरोधी भावना को रोकना चाहता है।
- सीमा विवाद
- यह मुद्दा नवंबर 2019 में तब उठा जब नेपाल ने एक नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था, जो कि उत्तराखंड के कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को नेपाल के हिस्से के रूप में प्रस्तुत करता है। नए नक्शे में ‘सुस्ता’ (पश्चिम चंपारण ज़िला, बिहार) को भी नेपाल के क्षेत्र के रूप में दिखाया गया है।
- चीन का हस्तक्षेप:
आगे की राह
- भारत को सीमापार जल विवादों पर अंतर्राष्ट्रीय कानून के तत्त्वावधान में नेपाल के साथ सीमा विवाद को हल करने हेतु कूटनीतिक रूप से वार्ता करनी चाहिये। इस मामले में भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा विवाद समाधान एक मॉडल के रूप में काम कर सकता है।
- भारत को लोगों से लोगों के जुड़ाव, नौकरशाही के जुड़ाव के साथ-साथ राजनीतिक वार्ता के मामले में नेपाल के साथ अधिक सक्रिय रूप से जुड़ना चाहिये।
- कहीं मतभेद विवाद में न बदल जाएं, अतः ऐसे में दोनों देशों को शांति से सभी मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करना चाहिये।