अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-बांग्लादेश संबंधों का विकास
- 02 Apr 2021
- 13 min read
यह एडिटोरियल 31/03/2021 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित लेख “Good neighbours: On India-Bangladesh ties” पर आधारित है। इसमें भारत-बांग्लादेश संबंधों में नए रुझानों की बात की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।
26-27 मार्च, 2021 को भारत के प्रधानमंत्री बांग्लादेश की आज़ादी के स्वर्ण जयंती समारोह में शामिल होने के लिये आधिकारिक दौरे पर रहे। ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम (Bangladesh’s Liberation War) के दौरान भारत ने इसे राजनीतिक, राजनयिक, सैन्य और मानवीय समर्थन प्रदान कर इसके निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्म शताब्दी और भारत व बांग्लादेश के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के 50 वर्ष भी इसी साल पूरे हुए हैं। प्रधानमंत्री की यह यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच 50 वर्षों के मज़बूत संबंधों को प्रदर्शित करती है, जो द्विपक्षीय संबंधों की दृष्टि से पूरे क्षेत्र के लिये एक आदर्श के रूप में विकसित हुए हैं।
कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली विदेश यात्रा है जो यह दर्शाती है कि भारत अपने पूर्वी पड़ोसी के साथ संबंधों को बहुत अधिक महत्त्व देता है।
इसके अलावा कुछ हालिया घटनाक्रम भारत-बांग्लादेश संबंधों पर दोनों पक्षों की गहरी समझ को उजागर करते हैं। तथापि दोनों देशों के बीच लाभप्रद संबंधों के विकास में कुछ ऐसी चुनौतियाँ भी विद्यमान हैं जिन्हें हल किये जाने की आवश्यकता है।
भारत-बांग्लादेश संबंधों में नए रुझान:
पिछले एक दशक में भारत-बांग्लादेश संबंधों को बढ़ावा मिला है, दोनों देश सहयोग के एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं तथा ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संबंधों से आगे बढ़ते हुए व्यापार, कनेक्टिविटी, ऊर्जा और रक्षा जैसे क्षेत्रों में अधिक सहयोग कर हैं। संबंधों में यह विस्तार निम्नलिखित घटनाक्रमों में परिलक्षित होता है:
- सैन्य सहयोग: प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली बांग्लादेश सरकार ने अपनी सीमाओं से भारत विरोधी उग्रवादी तत्त्वों को समाप्त करने का कार्य किया है जिसके परिणामस्वरूप भारत-बांग्लादेश सीमा क्षेत्र के सबसे शांतिपूर्ण क्षेत्रों में से एक बन गई है।
- भारत-बांग्लादेश सीमा पर उग्रवादी तत्त्वों के समाप्त होने से भारत को अपने संसाधनों का पुनर्वितरण करने का अवसर प्राप्त हुआ है यानी यह अपने सैन्य संसाधनों को उन सीमाओं पर स्थानांतरित कर सकता है जो अधिक विवादास्पद हैं।
- इसके अलावा बांग्लादेश ने कई "सर्वाधिक वांछित" अपराधी भी भारत को सौंपे हैं।
- भारत ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण द्वारा बांग्लादेश के पक्ष में दिये गए निर्णय को भी स्वीकार किया है, जिसने 40 साल पुराने समुद्री विवाद को सुलझाने के साथ-साथ दोनों देशों के बीच विश्वास पैदा करने का कार्य किया है।
- भूमि सीमा समझौता: वर्ष 2015 में बांग्लादेश और भारत ने ऐतिहासिक भूमि सीमा समझौते (Land Boundary Agreement) की पुष्टि कर अपनी सीमाओं से संबंधित मुद्दों को शांतिपूर्वक हल करने के क्रम में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।
- इस समझौते के तहत विदेशी अंतःक्षेत्र (Enclave) के निवासियों को निवास हेतु अपना देश चुनने और भारत या बांग्लादेश (दोनों में से किसी एक) का नागरिक बनने का विकल्प प्रदान किया गया।
- व्यापार संबंध: बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में भारत से बांग्लादेश को किया जाने वाला निर्यात 9.21 बिलियन डॉलर और आयात 1.04 बिलियन डॉलर का था।
- इसके साथ ही भारत ने कई बांग्लादेशी उत्पादों को शुल्क मुक्त पहुँच प्रदान करने की पेशकश भी की है।
- विकास के क्षेत्र: विकास के मोर्चे पर भी दोनों देशों के बीच सहयोग में वृद्धि हुई है। हाल के वर्षों में भारत ने सड़कों, रेलवे, पुलों और बंदरगाहों के निर्माण हेतु बांग्लादेश को 8 बिलियन डॉलर की राशि लाइन ऑफ क्रेडिट (एक प्रकार का ऋण) के रूप में प्रदान की है।
क्या है लाइन ऑफ क्रेडिट?
- लाइन ऑफ क्रेडिट (Line of Credit-LOC) एक प्रकार का ‘सुलभ ऋण’ (Soft Loan) होता है जो एक देश की सरकार द्वारा किसी अन्य देश की सरकार को रियायती ब्याज दरों पर दिया जाता है। आमतौर पर LOC इस प्रकार की शर्तों से जुड़ी होती है कि उधार लेने वाला देश उधार देने वाले देश से कुल LOC का निश्चित हिस्सा आयात करेगा। इस प्रकार दोनों देशों को अपने व्यापार और निवेश संबंधों को मज़बूत करने का अवसर मिलता है।
- बेहतर कनेक्टिविटी: दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी में बहुत अधिक सुधार हुआ है।
- कोलकाता और अगरतला के बीच एक सीधी बस सेवा (ढाका से होते हुए) शुरू होने से दोनों स्थानों के बीच यात्रा के लिये केवल 500 किमी. की दूरी तय करनी पड़ती है, जबकि चिकेन नेक के माध्यम से यात्रा करने पर 1,650 किमी. की दूरी तय करनी पड़ती है।
- चिकन नेक (Chicken's Neck) अथवा सिलीगुड़ी कॉरिडोर भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित भूमि की एक संकीर्ण पट्टी है, जो पूर्वोत्तर भारत को शेष भारत से जोड़ती है।
- बांग्लादेश अपने मोंगला और चटोग्राम (चटगाँव) बंदरगाह से माल की ढुलाई की अनुमति देता है, जहाँ से सड़क, रेल और जलमार्ग के माध्यम से माल को अगरतला तक पहुँचाया जाता है।
- कोलकाता और अगरतला के बीच एक सीधी बस सेवा (ढाका से होते हुए) शुरू होने से दोनों स्थानों के बीच यात्रा के लिये केवल 500 किमी. की दूरी तय करनी पड़ती है, जबकि चिकेन नेक के माध्यम से यात्रा करने पर 1,650 किमी. की दूरी तय करनी पड़ती है।
- सहयोग के नए क्षेत्र: भारत आने वाले पर्यटकों में एक बड़ा हिस्सा बांग्लादेशी पर्यटकों का है, वर्ष 2017 में पश्चिमी यूरोप से आने वाले पर्यटकों के आँकड़ों को पीछे छोड़ते हुए भारत आने वाले पर्यटकों में से प्रत्येक पाँचवाँ पर्यटक बांग्लादेश से था।
- भारत के अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा रोगियों (ईलाज हेतु अन्य देशों से भारत आने वाले मरीज़) में 35% से अधिक हिस्सेदारी बांग्लादेश की है और भारत के राजस्व में 50% से अधिक योगदान चिकित्सा यात्रा का है।
भारत-बांग्लादेश संबंधों के समक्ष चुनौतियाँ:
- तीस्ता नदी विवाद: उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद तीस्ता नदी के जल बँटवारे का मुद्दा दोनों देशों के बीच विवाद का एक बड़ा कारण बना हुआ है।
- अवैध प्रवासन: सीमा पर बांग्लादेशी नागरिकों के मारे जाने की वजह से भी दोनों देशों के बीच संबंध प्रभावित हुए हैं। वर्ष 2020 में सीमा सुरक्षा बल द्वारा सीमा पर गोलीबारी की सबसे अधिक घटनाएँ देखी गईं।
- सीमा सुरक्षा बल द्वारा गोलीबारी तब की जाती है जब बांग्लादेशी अवैध तरीके से भारत में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं।
- NRC और CAA: भारत सरकार द्वारा पूरे भारत में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens- NRC) को लागू करने के प्रस्ताव और नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizen Amendment Act- CAA) को लागू किये जाने से भी भारत-बांग्लादेश संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
- चीन फैक्टर: ‘नेबरहुड फर्स्ट’ की नीति अपनाने के बावजूद चीन के क्षेत्र में भारत का प्रभाव कम हो रहा है।
- भारत के पारंपरिक सहयोगी माने जाने वाले श्रीलंका, नेपाल और मालदीव जैसे देशों का झुकाव भी चीन के प्रति बढ़ रहा है क्योंकि चीन द्वारा इन देशों में व्यापार, अवसंरचना और रक्षा क्षेत्र में व्यापक निवेश किया जा रहा है।
- चीन, अपनी चेक-बुक डिप्लोमेसी के आधार पर दक्षिण एशिया में अच्छी पहुँच स्थापित करने में सफल रहा है। दक्षिण एशिया के जिन देशों में चीन अपनी पहुँच बढ़ाने में सफल हुआ है उनमें बांग्लादेश भी शामिल है जिसके साथ इसने महत्त्वपूर्ण आर्थिक और रक्षा संबंध स्थापित किये हैं।
- चेक डिप्लोमेसी का तात्पर्य किसी देश द्वारा अपनी वैदेशिक रणनीति की सहायता से दूसरे देशों को आर्थिक सहायता प्रदान करने तथा बदले में उस देश की आर्थिक नीति एवं राजनीति में अपने हित/स्वार्थ के अनुसार बदलाव करने से है।
आगे की राह
- भारत को बांग्लादेश से सीख: बांग्लादेश सामाजिक संकेतकों के साथ क्षेत्र की सबसे तेज़ी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है, जिससे भारत सहित अन्य देश सीख प्राप्त कर हैं।
- यह एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है जिसके साथ भारत अपनी एक्ट ईस्ट नीति में निहित आर्थिक या रणनीतिक आधारों की पूर्ण क्षमता का एहसास कर सकता है।
- जल साझाकरण: जहाँ एक ओर सभी देश समानता की इच्छा रखते हैं, वहीं दूसरी ओर यह इच्छा भी रखते हैं कि बड़े देश इस समानता की रक्षा हेतु अधिक ज़िम्मेदारी लें। अतः भारत-बांग्लादेश संबंधों में भारत को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिये।
- इस प्रकार एक बड़े देश के रूप में भारत पर यह दायित्व है कि वह अत्यंत उदारता के साथ तीस्ता तथा अन्य छः नदियों से संबंधित विवाद का समाधान करे।
- व्यापार संतुलन: यदि भारतीय पक्ष से गैर-टैरिफ बाधाओं को हटाया जाए तो दोनों देशों के बीच व्यापार अधिक संतुलित हो सकता है।
निष्कर्ष
बांग्लादेश अपनी आज़ादी की स्वर्ण जयंती मना रहा है और भारत इसके सबसे महत्त्वपूर्ण पड़ोसियों तथा रणनीतिक साझेदारों में से एक है। अतः दोनों देशों के बीच संबंधों के हालिया विकास को अपरिवर्तनीय बनाने हेतु इन्हें सहयोग (Cooperation), सहकार्यता (Collaboration) और समेकन (Consolidation) पर काम जारी रखने की आवश्यकता है।
प्रश्न- हालिया घटनाक्रम भारत-बांग्लादेश संबंधों पर दोनों पक्षों की गहरी समझ को उजागर करते हैं। विश्लेषण कीजिये।