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डेली न्यूज़

  • 10 Jul, 2024
  • 47 min read
अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत के प्रमुख सैन्य अभ्यास

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त अभ्यास, भारतीय सेना, आतंकवाद विरोधी अभियान, मानवीय सहायता और आपदा राहत, संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना, उच्च ऊँचाई वाले अभियान, रेगिस्तान युद्ध, शहरी युद्ध और जंगल युद्ध,  ग्रे ज़ोन युद्ध

मेन्स के लिये:

द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों में सैन्य अभ्यास का महत्त्व

स्रोत: पी. आई. बी.

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत-मंगोलिया संयुक्त सैन्य अभ्यास नोमैडिक एलीफेंट (NOMADIC ELEPHANT) का 16वाँ संस्करण विदेशी प्रशिक्षण नोड, उमरोई (मेघालय) में शुरू हुआ।

भारतीय सेना द्वारा आयोजित प्रमुख संयुक्त अभ्यास कौन-से हैं?

देश

युद्ध अभ्यास

ऑस्ट्रेलिया

AUSTRA HINDBAH 

बांग्लादेश

सम्प्रीति 

चीन

हैंड इन हैंड 

फ्राँस

शक्ति 

इंडोनेशिया

गरुड़ शक्ति

कजाखस्तान 

प्रबल दोस्त्यक

किर्गिज़स्तान 

खंजर

मालदीव

एकुवेरिन

मंगोलिया

नोमडिक एलीफैंट

म्याँमार

इंबेक्स(IMBEX)

नेपाल

सूर्य किरण

ओमान

अल-नागाह

रूस

इंद्र

सेशल्स

लामितिये (LAMITIYE)

श्रीलंका

मित्र शक्ति

थाईलैंड

मैत्री

ब्रिटेन

अजय वाॅरियर 

संयुक्त राज्य अमेरिका

युद्धाभ्यास

संयुक्त राज्य अमेरिका

वज्र प्रहार

भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित संयुक्त अभ्यास:

  • संयुक्त युद्ध अभ्यास:

अभ्यास

देश

मालाबार

भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया

वरुण

भारत, फ्राँस

ला पेरोस

भारत, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्राँस, जापान और यूनाइटेड किंगडम

समुद्री ड्रैगन 

भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, कनाडा, दक्षिण कोरिया

कोंकण

भारत, ब्रिटेन

AIME और IMDEX

भारत, आसियान देश

ब्राइट स्टार 

भारत, 34 देश

SALVEX

भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका

SLINEX 

भारत, श्रीलंका

समुद्र शक्ति

भारत, इंडोनेशिया

अल-मोहद अल-हिंदी

भारत, सऊदी अरब

भारत - फ्राँस - संयुक्त अरब अमीरात त्रिपक्षीय अभ्यास

भारत, फ्राँस, UAE

भारत -  फ्राँस - यूएई त्रिपक्षीय PASSEX

भारत, फ्राँस, UAE

KOMODO 

भारत, संयुक्त (36 देश)

AUSINDEX

भारत, ऑस्ट्रेलिया

SIMBEX

भारत, सिंगापुर

  • मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) तथा खोज एवं बचाव (SAR) ऑपरेशन :

ऑपरेशन का नाम

                        विवरण

          स्थान

ऑपरेशन कावेरी

सूडान से भारतीय नागरिकों की निकासी

लाल सागर

ऑपरेशन करुणा

म्याँमार को मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) (चक्रवात मोचा के बाद)

रंगून, म्याँमार

ब्रह्मपुरम अग्निशमन सहायता

ब्रह्मपुरम ठोस अपशिष्ट उपचार संयंत्र में अग्निशमन प्रयासों में स्थानीय अधिकारियों की सहायता की

कोच्चि, भारत

वायु सेना द्वारा आयोजित प्रमुख अभ्यास कौन-से हैं?

  • संयुक्त अभ्यास:

ऑपरेशन का नाम

                    विवरण

        स्थान

अभ्यास वीर गार्जियन

भारत और जापान के बीच पहला वायुसेना का संयुक्त अभ्यास

-

अभ्यास PASSEX फ्राँस के साथ

फ्राँस के लड़ाकू विमानों के साथ संयुक्त अभ्यास

हिंद महासागर क्षेत्र

संयुक्त अरब अमीरात में अभ्यास डेज़र्ट फ्लैग-8

किसी अंतर्राष्ट्रीय वायुसेना अभ्यास में तेजस की पहली भागीदारी

अल-धफरा, संयुक्त अरब अमीरात

अभ्यास कोबरा वारियर

एक बहुराष्ट्रीय वायुसेना अभ्यास

ब्रिटेन

अभ्यास कोप इंडिया

भारत का संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान के साथ संयुक्त अभ्यास (पर्यवेक्षक)

AFS कलाईकुंडा से पानागढ़, भारत

अभ्यास ओरियन

बहुराष्ट्रीय अभ्यास

फ्राँस

अभ्यास INIOCHOS

भारत और ग्रीस के बीच पहला वायु अभ्यास

ग्रीस

अभ्यास ब्राइट स्टार

मिस्र के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास

मिस्र

  • सहयोगी सेवाओं के साथ एकीकृत अभ्यास: 

अभ्यास 

विवरण

क्रांति महोत्सव

01 मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर (MLH)

चक्र दृष्टि

फाइटर एयरक्राफ्ट, रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट (RPA) और एयरबोर्न अर्ली वाॅर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AEW&C)

पश्चिमी कमान थियेटर

हेलीकॉप्टर, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, RPA और फाइटर एयरक्राफ्ट

लॉन्ग रेंज मैरीटाइम स्ट्राइक  

फाइटर एयरक्राफ्ट, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और एयरबोर्न वाॅर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AWACS)

एयरफोर्स स्टेशन नलिया में MiG-29K टुकड़ी

भारतीय नौसेना के MiG-29K लड़ाकू विमानों के साथ संयुक्त तैनाती 

  • मानवीय सहायता और आपदा राहत:

ऑपरेशन

स्थान

विवरण

ऑपरेशन दोस्त - तुर्किये और सीरिया

तुर्किये, सीरिया

भूकंप राहत

ऑपरेशन कावेरी - सूडान

सूडान

भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी 

ऑपरेशन अजय (इज़रायल - हमास संघर्ष)

इज़रायल, गाज़ा

चिकित्सा और आपदा राहत

सैन्य अभ्यास के क्या लाभ हैं?

  • उन्नत अंतरसंचालनीयता: अभ्यास सैनिकों के बीच साझा सामरिक भाषाओं और सांस्कृतिक समझ के विकास को बढ़ावा देते हैं। सफल बहुराष्ट्रीय ऑपरेशन सिर्फ तकनीकी अनुकूलता पर ही निर्भर नहीं करते, बल्कि ऐसी एकजुट टीमों पर भी निर्भर करते हैं जो एक-दूसरे की कार्रवाइयों का अनुमान लगा सकती हैं और उनके अनुसार खुद को ढाल सकती हैं।
  • ज्ञान का विनिमय: नाटो की डिफेंडर श्रृंखला जैसे अभ्यासों ने एक "सहयोगात्मक नवाचार वातावरण" को बढ़ावा दिया है जहाँ सेनाएँ वास्तविक दुनिया की समस्याओं के समाधान का सह-विकास करती हैं। इससे संयुक्त रचनात्मकता की संस्कृति को बढ़ावा मिलता है और तकनीकी प्रगति में तेजी आती है।
  • राजनयिक संबंधों: सैन्य अभ्यास रक्षा कूटनीति के एक रूप के रूप में कार्य करते हैं, तथा इसमें भाग लेने वाले देशों के बीच राजनीतिक संबंधों को मजबूत करते हैं।
    • उदाहरण के लिये, मालाबार नौसैनिक अभ्यास ने न केवल अंतर-संचालन क्षमता में सुधार किया है, बल्कि यह विश्वास-निर्माण उपाय के रूप में भी कार्य किया है, तथा क्षेत्रीय चुनौतियों के विरुद्ध एकजुट मोर्चे का संकेत दिया है।
  • क्षमता आकलन: अभ्यासों से सेनाओं के भीतर अंतर्निहित संरचनात्मक मुद्दों का पता चल सकता है।
    • 2022 रेंड (RAND) कॉर्पोरेशन की रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे हाल ही में अमेरिका-सहयोगी अभ्यास ने विशेष ऑपरेशन बलों और पारंपरिक इकाइयों के बीच संचार अंतराल को उजागर किया, जिससे अमेरिकी सेना के भीतर संचार प्रोटोकॉल का एक महत्त्वपूर्ण पुनर्गठन हुआ।
  • निवारण: संयुक्त अभ्यास संभावित शत्रुओं को सैन्य तत्परता और गठबंधन की ताकत का संकेत देते हैं।
    • उदाहरण के लिये, यूक्रेन पर आक्रमण से पहले रूस-बेलारूसी अभ्यास ने न केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया, बल्कि एक प्रकार का मनोवैज्ञानिक युद्ध भी किया, जिसका उद्देश्य संभवतः यूक्रेन और पश्चिम को भयभीत करना था।
  • मानवीय सहायता की तैयारी: अब कई अभ्यासों में नागरिक भागीदारी और मीडिया की उपस्थिति जैसी वास्तविक दुनिया की जटिलताएँ शामिल हो गई हैं।
    • संयुक्त राष्ट्र की 2023 विश्व मानवीय डेटा रिपोर्ट मानवीय संकटों के दौरान बेहतर अंतर-एजेंसी समन्वय की आवश्यकता पर बल देती है। नागरिक सहायता संगठनों को शामिल करने वाले अभ्यास इन अंतरालों को पाट सकते हैं।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भागीदार देशों के बीच रणनीतिक सहयोग और पारस्परिक विश्वास बढ़ाने में द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय अभ्यासों की भूमिका का मूल्यांकन कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों में कौन-सा एक, कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित सेनकाकू द्वीप विवाद को सर्वोत्तम रूप से प्रतिबिंबित करता है? (2022)

(a) आमतौर पर यह माना जाता है कि वे दक्षिणी चीन सागर के आस-पास किसी देश द्वारा निर्मित कृत्रिम द्वीप हैं।
(b) चीन और जापान के बीच पूर्वी चीन सागर में इन द्वीपों के विषय में समुद्री विवाद होता रहता है।
(c) वहाँ ताइवान को अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करने के लिये एक स्थायी अमेरिकी सैन्य अड्डा स्थापित किया गया है।
(d) यद्यपि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने इन्हें ‘नो मैन्स लैंड’ घोषित किया है, तथापि कुछ दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश उन पर दावा करते हैं।

उत्तर: (b)


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

22वाँ भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन

प्रिलिम्स के लिये:

ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल, कार्यक्रम-2030, मेक इन इंडिया, चेन्नई-व्लादिवोस्तोक पूर्वी समुद्री गलियारा, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, सकल राष्ट्रीय आय, विश्व बैंक, आत्मनिर्भर भारत, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा

मेन्स के लिये:

भारत-रूस संबंध, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और बहुपक्षीय मंचों का महत्त्व

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में मॉस्को में 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कई मुद्दों पर चर्चा की। इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को विशेष रूप से सामरिक भू-राजनीतिक तनाव के परिपेक्ष्य में मज़बूत करना था।

  • एक अन्य घटनाक्रम में, रूस ने एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक उपलब्धि हासिल की है, क्योंकि पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद विश्व बैंक ने उसे उच्च मध्यम आय वाले देश से उच्च आय वाले देश में अपग्रेड कर दिया है

22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • राजनयिक उपलब्धियाँ: राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल" से सम्मानित किया।
    • सेंट एंड्रयू द एपोस्टल ऑर्डर की स्थापना ज़ार पीटर द ग्रेट ने वर्ष 1698 में की थी और इसे वर्ष 1998 में पुनः स्थापित किया गया था, जिसमें दो सिर वाला ईगल प्रतीक एवं हल्के नीले रंग का रेशमी मौइर रिबन शामिल है।
      • इस पुरस्कार का नाम रूस और स्कॉटलैंड के संरक्षक संत सेंट एंड्रयू के नाम पर रखा गया है, जिन्हें यूरोप तथा एशिया में ईसाई धर्म के प्रचार के लिये जाना जाता है।
    • रूस और भारत के बीच रणनीतिक साझेदारी एवं मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देने के लिये प्रधानमंत्री मोदी को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था तथा इसकी घोषणा वर्ष 2019 में की गई थी, जिसमें द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने में मोदी की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया था।
      • चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पूर्व कजाख राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबायेव जैसे विदेशी नेताओं को भी इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

  • आर्थिक सहयोग: वर्ष 2030 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नया द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य निर्धारित किया गया, जो वर्ष 2025 तक 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर के पिछले लक्ष्य से काफी अधिक है, जिसे वर्ष 2023 में लगभग दोगुना कर दिया गया है।
    • इसका मुख्य कारण यूक्रेन पर आक्रमण के बाद अमेरिका और यूरोप द्वारा रूस पर तेल प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भारत द्वारा छूट पर रूसी कच्चे तेल का आयात बढ़ाना है।
    • आर्थिक सहयोग के आशाजनक क्षेत्रों के विकास के लिये एक व्यापक "कार्यक्रम-2030" तैयार करने पर सहमति।
      • इस कार्यक्रम का समन्वयन भारत-रूस अंतर-सरकारी व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग आयोग (India-Russia Intergovernmental Commission on Trade, Economic, Scientific, Technical and Cultural Cooperation- IRIGC-TEC) द्वारा किया जाएगा।
        • IRIGC-TEC द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग के लिये शीर्ष G2G मंच है जिसकी अध्यक्षता भारत के विदेश मंत्री और रूस के उप-प्रधानमंत्री करते हैं।
    • भारत और यूरेशियन आर्थिक संघ के बीच वस्तुओं पर मुक्त व्यापार समझौते के लिये वार्ता शुरू की जा चुकी है। वे सेवाओं और निवेश में भी द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते पर विचार कर रहे हैं। 
    • नेताओं ने "मेक इन इंडिया" और "आत्मनिर्भर भारत" कार्यक्रमों में रूसी व्यवसायों की भागीदारी तथा रूस में निवेश परियोजनाओं में भारतीय कंपनियों की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने पर सहमति व्यक्त की।
  • रक्षा और प्रौद्योगिकी: दोनों देशों के क्रेता-विक्रेता संबंध से आगे बढ़कर संयुक्त अनुसंधान, विकास, सह-विकास और उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी तथा प्रणालियों के संयुक्त विकास हेतु वार्ता की गई।
    • इनका उद्देश्य मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत में रूसी मूल के हथियारों और रक्षा उपकरणों के लिये स्पेयर पार्ट तथा घटकों के संयुक्त विनिर्माण को प्रोत्साहित करना भी है।
      • इसमें भारतीय सशस्त्र बलों की ज़रूरतों को पूरा करने और उसके पश्चात् मित्र देशों को इसका निर्यात करने के लिये संयुक्त उद्यम स्थापित करना शामिल है।
    • दोनों देशों नें सैन्य और सैन्य तकनीकी सहयोग पर अंतर-सरकारी आयोग (Intergovernmental Commission on Military and Military Technical Cooperation - IRIGC-M&MTC) की अगली बैठक में इसके प्रावधानों पर वार्ता करने के लिये एक नया कार्य समूह स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की।
    • रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेनी युद्ध मोर्चे पर रूसी सेना में सेवारत और भारत लौटने की इच्छा रखने वाले भारतीय सैन्य कर्मियों को सेवामुक्त करने के भारत के प्रधानमंत्री के अनुरोध को स्वीकार किया।
      • रूसी कानून में मानसिक और शारीरिक जाँच सहित अन्य गहन जाँच के बाद विदेशी सैनिकों की रूस की सेना में भर्ती का प्रावधान है।
  • परिवहन और कनेक्टिविटी: दोनों पक्षों ने यूरेशिया में स्थिर और कुशल परिवहन गलियारे विकसित करने पर विचार किया जिसमें चेन्नई-व्लादिवोस्तोक ईस्टर्न मैरीटाइम कॉरिडोर तथा इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) शामिल हैं।
    • चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारा, भारत के पूर्वी तट पर स्थित बंदरगाहों और रूस के सुदूर-पूर्वी क्षेत्र के बंदरगाहों के बीच एक समुद्री संपर्क है जिसे वर्ष 2019 में प्रस्तावित किया गया था और इसका उद्देश्य विभिन्न प्रकार के माल का परिवहन करना तथा भारत-रूस परिवहन समय को 40% तक कम करना है।
    • INSTC एक बहुविध परिवहन मार्ग है जिसकी अभिकल्पना सदस्य देशों के बीच परिवहन सहयोग को बढ़ावा देने के लिये ईरान, रूस और भारत द्वारा वर्ष 2000 में सेंट पीटर्सबर्ग में की गई थी।
      • यह गलियारा हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को ईरान के माध्यम से कैस्पियन सागर से जोड़ता है तथा रूसी संघ के माध्यम से सेंट पीटर्सबर्ग एवं उत्तरी यूरोप से जुड़ा हुआ है।
    • दोनों पक्षों का उद्देश्य बुनियादी ढाँचे की क्षमता में वृद्धि करना और उत्तरी समुद्री मार्ग का उपयोग करना है। दोनों पक्ष कार्गो परिवहन के समय और लागत को कम करने तथा यूरेशियाई क्षेत्र में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिये मिलकर कार्य करेंगे।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (2021-22) में भारत की अस्थायी सदस्यता की सराहना की और शांति स्थापना तथा आतंकवाद-रोधी प्रयासों में भारत का समर्थन किया।
  • वैश्विक मामले:
    • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन से निपटने और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) तथा पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये प्रतिबद्धता, जिसमें निम्न-कार्बन विकास एवं हरित वित्तपोषण पर सहयोग शामिल है।
    • बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था: बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की आवश्यकता तथा यूरेशियाई अंतरिक्ष और हिंद एवं प्रशांत महासागर क्षेत्रों में समान तथा अविभाज्य क्षेत्रीय सुरक्षा की संरचना के विकास पर बल दिया गया।
    • आतंकवाद का विरोध: नेताओं ने आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही और आतंकवाद के वित्तपोषण नेटवर्क सहित सभी रूपों तथा अभिव्यक्तियों में आतंकवाद एवं हिंसक उग्रवाद की स्पष्ट रूप से निंदा की।
      • दोनों पक्षों ने अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध, धन शोधन या मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering), आतंकवादी वित्तपोषण और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने में बहुपक्षीय सहयोग को मज़बूत करने के लिये अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

रूस को उच्च आय वाले देश का दर्जा दिलाने में किन कारकों का योगदान रहा?

  • विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक विकास: विश्व बैंक देशों को उनकी प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (Gross National Income- GNI) के आधार पर वर्गीकृत करता है, जिसे एटलस पद्धति (क्रय शक्ति समता के लिये लेखांकन) का उपयोग करके अमेरिकी डॉलर में व्यक्त किया जाता है।
    • जुलाई 2024 तक, "उच्च आय" की सीमा 14,005 अमेरिकी डॉलर है। रूस ने वर्ष 2023 में 14,250 अमेरिकी डॉलर प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय के साथ इस सीमा को पार कर लिया।
    • हाल के वर्षों में रूस ने व्यापार (+6.8%), वित्तीय क्षेत्र (+8.7%) और निर्माण (+6.6%) में उल्लेखनीय वृद्धि देखी, जिससे वास्तविक (3.6%) तथा नाममात्र (10.9%) सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि हुई।
  • सैन्य खर्च का प्रभाव: वर्ष 2023 में सैन्य-संबंधी गतिविधियों में पर्याप्त वृद्धि से आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा मिलेगा, हालाँकि विशेषज्ञों का सुझाव है कि यह वृद्धि टिकाऊ नहीं हो सकती है।
  • व्यापार विविधीकरण: पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण व्यापार पैटर्न में बदलाव आया, जिससे G7 और यूरोपीय संघ के देशों पर निर्भरता कम हो गई तथा चीन, भारत, तुर्की, मध्य एशिया एवं दक्षिण काकेशस के साथ लेन-देन में वृद्धि हुई।
  • लचीला ऊर्जा क्षेत्र: अपने ऊर्जा क्षेत्र पर प्रतिबंधों के बावजूद, रूस ने वैश्विक तेल की कीमतों और रणनीतिक व्यापार विविधीकरण का लाभ उठाते हुए, समग्र निर्यात मात्रा को स्थिर बनाए रखा।
  • राजकोषीय प्रोत्साहन और निवेश: राजकोषीय प्रोत्साहन और रक्षा व्यय में वृद्धि (GDP का अनुमानित 7%) सहित सरकारी पहलों ने आर्थिक सुधार तथा विकास को समर्थन दिया।
  • जॉब मार्केट और उपभोक्ता व्यय: कम बेरोज़गारी, बढ़ती मज़दूरी तथा मज़बूत निजी खपत ने आर्थिक स्थिरता एवं विकास में सकारात्मक योगदान दिया।
  • वर्ष 2014 के पहले के प्रतिबंधों से उबरते हुए, रूस ने मौजूदा चुनौतियों को कम करने के लिये अपनी आर्थिक नीतियों और बुनियादी ढाँचे में निवेश को अनुकूलित किया।

विश्व बैंक का राष्ट्रीय आय वर्गीकरण क्या है?

  • परिचय: विश्व बैंक समूह द्वारा विश्व की अर्थव्यवस्थाओं को चार आय वर्गों में विभाजित किया है: समूह: निम्न, निम्न-मध्य, उच्च-मध्य और उच्च।
    • यह वर्गीकरण पिछले कैलेंडर वर्ष की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय के आधार पर 1 जुलाई को प्रतिवर्ष अद्यतन किया जाता है।
    • विश्व बैंक के आय वर्गीकरण का उद्देश्य आर्थिक क्षमता के संकेतक के रूप में प्रति व्यक्ति एटलस GNI का उपयोग करते हुए किसी देश के विकास के स्तर को प्रतिबिंबित करना है।
  • वर्गीकरण की सीमाएँ:
    • निम्न आय: 1,145 अमेरिकी डॉलर या उससे कम;
    • निम्न-मध्यम आय: 1,146 अमेरिकी डॉलर से 4,515 अमेरिकी डॉलर;
    • उच्च-मध्यम-आय: 4,516 अमेरिकी डॉलर से 14,005 अमेरिकी डॉलर ;
    • उच्च आय: 14,005 अमेरिकी डॉलर से अधिक।
    • आर्थिक विकास, मुद्रास्फीति, विनिमय दर तथा जनसंख्या वृद्धि जैसे कारक किसी देश की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय को प्रभावित कर सकते हैं।
  • क्षेत्रीय मुख्य आकर्षण:
    • दक्षिण एशिया में निम्न आय वाले देशों की हिस्सेदारी वर्ष 1987 में 100% से घटकर वर्ष 2023 में मात्र 13% रह गयी है।
      • विश्व बैंक के अनुसार, भारत एक निम्न-मध्यम आय वाला देश है। भारत वर्ष 2007 से इस श्रेणी में है, जब यह निम्न-आय श्रेणी से ऊपर आया था।
        • वर्ष 2023 तक, PPP के संदर्भ में भारत की प्रति व्यक्ति GNI लगभग 10,030 अमेरिकी डॉलर है।
    • मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में, कम आय वाले देशों की हिस्सेदारी वर्ष 1987 में 0% से बढ़कर वर्ष 2023 में 10% हो गई है। 
    • लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में, उच्च आय वाले देशों की हिस्सेदारी वर्ष 1987 में 9% से बढ़कर वर्ष 2023 में 44% हो गई है। 
    • यूरोप और मध्य एशिया में वर्ष 2023 में उच्च आय वाले देशों की हिस्सेदारी वर्ष 1987 (71%) की तुलना में थोड़ी कम (69%) होगी।

नोट: GNI, एक निश्चित अवधि, आमतौर पर एक वर्ष में निवासियों द्वारा दावा किये गए कुल घरेलू और विदेशी मूल्य वर्धन को मापता है, जिसे क्रय शक्ति समता दरों का उपयोग करके अंतर्राष्ट्रीय डॉलर में व्यक्त किया जाता है।

  • इसमें सकल घरेलू उत्पाद के साथ-साथ गैर-निवासी स्रोतों से प्राथमिक आय की शुद्ध प्राप्तियाँ शामिल होती हैं तथा यह आय की समग्र माप प्रदान करता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. हाल के भू-राजनीतिक बदलावों जैसे बहुध्रुवीयता का उदय तथा बढ़ती वैश्विक रणनीतिक प्रतिस्पर्द्धा ने भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी को किस प्रकार प्रभावित किया है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. हाल ही में भारत ने निम्नलिखित में से किस देश के साथ ‘नाभिकीय क्षेत्र में सहयोग क्षेत्रों के प्राथमिकीकरण और कार्यान्वयन हेतु कार्ययोजना’ नामक सौदे पर हस्ताक्षर किये हैं? (2019)

(A) जापान
(B) रूस
(C) यूनाइटेड किंगडम
(D) संयुक्त राज्य अमेरिका

उत्तर: B


मेन्स:

प्रश्न. भारत-रूस रक्षा समझौतों की तुलना में भारत-अमेरिका रक्षा समझौतों की क्या महत्ता है? हिंद-प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में स्थायित्व के संदर्भ में चर्चा कीजिये। (2020)


भारतीय अर्थव्यवस्था

शास्त्रीय भाषा के लिये मानदंड

प्रिलिम्स के लिये:

शास्त्रीय भाषा, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, 8वीं अनुसूची 

मेन्स के लिये:

शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त होने से लाभ, समावेशन के मानदंड, शास्त्रीय भाषा सूची में समावेशन की मांग।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की भाषाविज्ञान विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के बाद, केंद्र सरकार ने शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान करने के मानदंडों को संशोधित करने का निर्णय लिया है। 

शास्त्रीय भाषाएँ क्या हैं?

  • परिचय:
    • वर्ष 2004 में भारत सरकार ने “शास्त्रीय भाषाएँ” नामक भाषाओं की एक नई श्रेणी बनाने का निर्णय लिया।
    • वर्ष 2006 में इसने शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के लिये मानदंड निर्धारित किये। अब तक 6 भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान किया जा चुका है।

क्रम. 

भाषा

घोषित करने का वर्ष 

1.

तमिल

    2004

2.

संस्कृत

    2005

3.

तेलुगु

    2008

4.

कन्नड़

    2008

5.

मलयालम

    2013

6.

ओड़िया

    2014

  • मानदंड:
    • प्रारंभिक लेखन और ऐतिहासिक विवरणों की प्राचीनता 1,500 से 2,000 BC की है।
    • प्राचीन साहित्य/ग्रंथों का संग्रह जिसे पीढ़ियों द्वारा मूल्यवान विरासत माने जाते है।
    • किसी अन्य भाषा समुदाय से उधार न ली गई एक मौलिक साहित्यिक परंपरा की उपस्थिति।
    • शास्त्रीय भाषा और साहित्य, आधुनिक भाषा से भिन्न होने के कारण, शास्त्रीय भाषा तथा उसके बाद के रूपों अथवा शाखाओं के बीच एक विसंगति से भी उत्पन्न हो सकती है।
  • लाभ:
    • जब किसी भाषा को शास्त्रीय घोषित कर दिया जाता है, तब उसे उस भाषा के अध्ययन के लिये उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है और साथ ही प्रतिष्ठित विद्वानों के लिये दो प्रमुख पुरस्कार प्राप्त करने के मार्ग भी खुल जाते है।
    • इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से अनुरोध किया जा सकता है कि वह केंद्रीय विश्वविद्यालयों से शुरुआत करते हुए शास्त्रीय भाषाओं के विद्वानों के लिये व्यावसायिक पीठ स्थापित करना।
  • हालिया घटनाक्रम:
    • केंद्र सरकार ने केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की भाषाविज्ञान विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के बाद शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के मानदंडों को संशोधित करने का निर्णय लिया है।
      • भाषाविज्ञान विशेषज्ञ समिति में केंद्रीय गृह मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय के प्रतिनिधि और साथ ही चार से पाँच भाषा विशेषज्ञ शामिल होते हैं। इसकी अध्यक्षता साहित्य अकादमी के अध्यक्ष द्वारा की जाती है।
    • केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदन के बाद नए मानदंडों को आधिकारिक रूप से अधिसूचित किया जाएगा।
      • इससे मराठी जैसी भाषाओं को शास्त्रीय दर्जा देने पर विचार करने में देरी हुई है।
    • अन्य भाषा समूहों की ओर से भी अपनी भाषाओं को शास्त्रीय भाषा के रूप में वर्गीकृत करने की मांग की जाती रही है। उदाहरण के लिये- बंगाली, तुलु आदि।

विभिन्न भाषाओं को शास्त्रीय भाषा के रूप में शामिल करने के तर्क क्या हैं?

  • बंगाली: भाषा परिवार के अनुसार, बंगाली को इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार की आधुनिक या नई इंडो-आर्यन भाषा के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    • बंगाली वर्णमाला और शब्द 10वीं शताब्दी ई. के आरंभिक वर्षों में ही साहित्य में दिखाई देने लगे थे। तब से लेकर अब तक यह विकास के महत्त्वपूर्ण चरणों से गुज़रते हुए अंततः वर्तमान स्वरूप में आ गया है।
    • हालाँकि बंगाल सरकार द्वारा गठित एक पैनल ने स्थापित किया कि बंगाली भाषा की उत्पत्ति 2,500 वर्ष पुरानी है तथा ठोस साक्ष्य दर्शाते हैं कि इसका लिखित अस्तित्त्व तीसरी-चौथी ईसा पूर्व तक पहुँच चुका था।
      • शोध से पता चलता है कि बंगाली ने अपनी मौलिक वाक्य रचना संरचना के साथ-साथ अपने विशिष्ट रूपात्मक और ध्वन्यात्मक पैटर्न को कम-से-कम तीसरी ईसा पूर्व से लेकर अब तक अपने विकास के दौरान बरकरार रखा है।
  • तुलु: तुलू (Tulu) एक द्रविड़ भाषा है, जिसे बोलने-समझने वाले लोग मुख्यतया कर्नाटक के दो तटीय ज़िलों और केरल के कासरागोड ज़िले में रहते हैं।
    • विद्वानों का मानना ​​है कि तुलु वह भाषा है जो लगभग 2,000 वर्ष पहले मूल द्रविड़ भाषाओं से अलग हो गई थी और यह द्रविड़ परिवार की सबसे विकसित भाषाओं में से एक है।
    • इस भाषा का उल्लेख तमिल के संगम साहित्य और ग्रीक पौराणिक कथाओं में भी किया गया है।
    • तुलु में मौखिक साहित्य की समृद्ध परंपरा है, जिसमें पद्दना (Paddana) जैसे लोकगीत और पारंपरिक लोकनाट्य यक्षगान शामिल हैं।

भाषा से संबंधित सांविधानिक प्रावधान क्या हैं?

  • आठवीं अनुसूची:
    • इसका उद्देश्य हिंदी के प्रगामी प्रयोग को बढ़ावा देना तथा भाषा को समृद्ध और संवर्धित करना था।
    • अनुच्छेद 344(1) में संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिये हिंदी के प्रगामी प्रयोग हेतु संविधान के प्रारंभ से पाँच वर्ष की समाप्ति पर राष्ट्रपति द्वारा एक आयोग के गठन का प्रावधान है।
    • संविधान के अनुच्छेद 351 के अनुसार हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार करना, उसका विकास करना ताकि वह भारत की सामासिक संस्कृति के सब तत्त्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके, संघ का कर्त्तव्य होगा।
    • आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाएँ: संविधान की आठवीं अनुसूची में निम्नलिखित 22 भाषाएँ शामिल हैं:
      • असमिया, बांगला, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी।
        • उक्त भाषाओं में से केवल 14 को ही प्रारंभ में आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था।
        • सिंधी भाषा को वर्ष 1967 (21वें संशोधन अधिनियम) में शामिल किया गया।
        • तीन और भाषाओं कोंकणी, मणिपुरी तथा नेपाली को वर्ष 1992 (71वें संशोधन अधिनियम) में शामिल किया गया।
        • बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली को वर्ष 2004 (92वें संशोधन अधिनियम) में शामिल गया।
    • आठवीं अनुसूची में अन्य भाषाओं को शामिल करने की मांग: वर्तमान में आठवीं अनुसूची में 38 और भाषाओं को शामिल करने की मांग की जा रही है। उदाहरण: अंगिका, बंजारा, बज्जिका, भोजपुरी आदि।
    • आठवीं अनुसूची में भाषाओं को शामिल करने की वर्तमान स्थिति: चूँकि बोलियों और भाषाओं का विकास गतिशील है जो सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक विकास से प्रभावित होते हैं इसलिये मामला अभी भी सरकार के विचाराधीन है और इसपर निर्णय पाहवा (1996) तथा सीताकांत महापात्र (2003) समिति की अनुशंसा के अनुरूप लिया जाएगा।
  • संघ की भाषा:
    • अनुच्छेद 120: यह संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा से संबंधित है।
    • अनुच्छेद 210: यह अनुच्छेद 120 के समान है किंतु यह राज्य विधानमंडल पर कार्यान्वित होता है।
    • अनुच्छेद 343: इसके अनुसार संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी।
  • क्षेत्रीय भाषाएँ:
    • अनुच्छेद 345: राज्य विधानमंडल को राज्य के लिये कोई भी आधिकारिक भाषा अपनाने की अनुमति देता है।
    • अनुच्छेद 346: राज्यों के बीच तथा राज्यों और संघ के बीच संचार के लिये आधिकारिक भाषा निर्दिष्ट करता है।
    • अनुच्छेद 347: यदि मांग की जाए तो राष्ट्रपति को किसी राज्य की आबादी के किसी वर्ग द्वारा बोली जाने वाली किसी भी भाषा को मान्यता देने का अधिकार है।
  • विशेष निर्देश:
    • अनुच्छेद 29: यह अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करता है। इसमें कहा गया है कि नागरिकों के किसी भी वर्ग को अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति को संरक्षित करने का अधिकार है।
    • अनुच्छेद 350: यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक व्यक्ति को संघ या राज्य में प्रयुक्त किसी भी भाषा में किसी भी शिकायत के निवारण के लिये अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का अधिकार है।
      • अनुच्छेद 350A: राज्यों को निर्देश दिया गया है कि वे भाषाई अल्पसंख्यक समूहों के बच्चों को शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा के लिये पर्याप्त सुविधाएँ प्रदान करें।
      • अनुच्छेद 350B: राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त भाषाई अल्पसंख्यकों के लिये एक विशेष अधिकारी की स्थापना की गई, जिसका कार्य संविधान के तहत भाषाई अल्पसंख्यकों के लिये प्रदान किये गए सुरक्षा उपायों से संबंधित मामलों की जाँच करना था।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत में विभिन्न भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिये जाने की चल रही मांग पर चर्चा कीजिये। साथ ही ऐसी मान्यता के निहितार्थों का विश्लेषण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा,विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिस्म:

प्रश्न. निम्नलिखित में से किसे शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया? (2015)

(a) उड़िया
(b) कोंकणी
(c) भोजपुरी
(d) असमिया

उत्तर: (a)


प्रश्न. निम्नलिखित भाषाओं पर विचार कीजिये: (2014)

  1. गुजराती
  2.  कन्नड़
  3.  तेलुगू

उपर्युक्त में से किसे/किन्हें सरकार द्वारा 'शास्त्रीय भाषा/भाषाएँ' घोषित किया गया है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. क्या आप सहमत हैं कि भारत में क्षेत्रीयता बढ़ती हुई सांस्कृतिक मुखरता का परिणाम प्रतीत होती है? तर्क कीजिये। (2020)


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