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डेली न्यूज़

  • 10 Apr, 2023
  • 69 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

वर्ष 2022 में पूर्वोत्तर शीर्ष पर्यटन स्थल

प्रिलिम्स के लिये:

पूर्वोत्तर के राष्ट्रीय उद्यान, मंदिर, मठ, झीलें तथा उनकी अवस्थिति।

मेन्स के लिये:

संरक्षण प्रयास, पूर्वोत्तर के पर्यटन स्थल, पूर्वोत्तर का महत्त्व।

चर्चा में क्यों? 

वर्ष 2022 के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र में वृहद् स्तर (रिकॉर्ड) पर पर्यटन दर्ज किया गया, जिसमें 11.8 मिलियन से अधिक घरेलू पर्यटक तथा 100,000 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय  पर्यटक शामिल थे। 

पूर्वोत्तर में रिकॉर्ड पर्यटन का कारण:

  • भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है तथा पहाड़ियों, पर्वतों एवं घाटियों सहित विविध परिदृश्यों का घर है।   
  • यह क्षेत्र अपेक्षाकृत अनावृत्त रहा है, लेकिन हाल में पर्यटन में वृद्धि के साथ अधिक लोग पूर्वोत्तर की सुंदरता और आकर्षण के प्रति आकर्षित हो रहे हैं।
  • यह भारत सरकार की डेस्टिनेशन नॉर्थ-ईस्ट इंडिया पहल का परिणाम है, जिसके तहत बड़े पैमाने पर बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा दिया जा रहा है।

शीर्ष गंतव्य:

  • अरुणाचल प्रदेश:
  • तवांग मठ: भारत के सबसे प्राचीन एवं सबसे बड़े बौद्ध मठों में से एक।
  • नामदफा राष्ट्रीय उद्यान: बाघ, उड़न गिलहरी और तेंदुओं सहित विविध वनस्पतियों एवं जीवों का घर।
  • असम: 
  • मणिपुर: 
  • मेघालय:
    • नोहकलिकाइ जलप्रपात: भारत का सबसे ऊँचा जलप्रपात।
    • लिविंग रूट ब्रिज़: खासी और जयंतिया जनजातियों द्वारा बनाया गया एक अनूठा प्राकृतिक आश्चर्य।
  • मिज़ोरम: 
    • फवंगपुई राष्ट्रीय उद्यान: मिज़ोरम की सबसे  ऊँची चोटी और विविध प्रकार की वनस्पतियों एवं जीवों का घर है।
    • सोलोमन का मंदिर: स्थानीय पादरी द्वारा निर्मित एक अनूठा धार्मिक स्थल, जो सोलोमन के बाइबिल मंदिर जैसा दिखता है।
  • नगालैंड: 
    • हॉर्नबिल फेस्टिवल: इस त्योहार का नाम हॉर्नबिल पक्षी के नाम पर रखा गया है, जो नगा जनजातियों के लोकगीत और परंपरा के प्रतीक के रूप में प्रतिष्ठित है।
    • जुकू घाटी: यह घाटी अपने आश्चर्यजनक परिदृश्य और विविध वनस्पतियों एवं जीवों के लिये प्रसिद्ध है। 
  • सिक्किम: 
    • त्सोमगो झील: स्थानीय लोगों द्वारा इसे एक पवित्र झील माना जाता है और इनके अनुसार इस झील के पानी में औषधीय गुण हैं। यह झील बर्फ के पहाड़ों से घिरी हुई है तथा पहाड़ों से पिघलने वाली बर्फ से पोषित होती है। 
    • रुमटेक मठ: यह सिक्किम का सबसे बड़ा प्रमुख बौद्ध मठ है। 
  • त्रिपुरा
    • नीरमहल पैलेस: रुद्रसागर झील के बीच में स्थित यह अनूठा पैलेस, हिंदू और इस्लामी स्थापत्य शैली के मिश्रण का एक अनूठा उदाहरण है। इसको अर्द्धचंद्राकार रूप में डिज़ाइन किया गया है जो तीन तरफ से जल से घिरा हुआ है।
    • उनाकोटी: शैलकृत मूर्तियों और नक्काशियों की विशेषता वाला यह एक महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। उनाकोटी में भगवान शिव की 30 फुट ऊँची प्रतिमा (सबसे बड़ी) है, जिसे उनाकोटिश्वर काल भैरव के नाम से जाना जाता है। इस स्थल पर कई झरने और प्राकृतिक चट्टानी संरचनाएँ हैं।

पूर्वोत्तर भारत में पर्यटन की संभावनाएँ:

  • साहसिक पर्यटन: पूर्वोत्तर क्षेत्र में ट्रेकिंग, पर्वतारोहण, रिवर राफ्टिंग और पैराग्लाइडिंग सहित साहसिक पर्यटन के कई अवसर उपलब्ध हैं। 
    • गंगटोक, शिलॉन्ग आदि स्थलों की ओर विश्व भर से साहसिक गतिविधियों को पसंद करने वाले लोग आकर्षित हो सकते हैं।
  • जनजातीय समुदाय: पूर्वोत्तर क्षेत्र कई स्वदेशी जनजातीय समुदायों जैसे- मिस्मी, गारो, खासी, जयंतिया आदि का आवास स्थल है इनमें से प्रत्येक को इनकी अनूठी संस्कृति, भाषा और परंपराओं के लिये जाना जाता है।  
    • पर्यटन से इन समुदायों को अपनी विरासत का प्रदर्शन करने के साथ आय के अवसर उपलब्ध हो सकते हैं।  
  • शीतकालीन पर्यटन: पूर्वोत्तर क्षेत्र में सर्दियों के महीनों के दौरान भारी हिमपात होता है जिससे यह शीतकालीन पर्यटन के लिये एक आदर्श स्थान बन जाता है। 
    • हालाँकि यह मौसम अपेक्षाकृत कम आकर्षण वाला रहता है तथा इसमें और भी विकास की संभावनाएँ हैं। 
  • सतत् पर्यटन: पर्यटन के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिये सतत् पर्यटन को बढ़ावा दिया जाना चाहिये। इसमें अपशिष्ट प्रबंधन के साथ पर्यावरण अनुकूल आवास को बढ़ावा देना और स्थानीय समुदायों की सांस्कृतिक प्रथाओं का सम्मान करना शामिल है।  

पूर्वोत्तर भारत में पर्यटन से संबंधित लाभ और चुनौतियाँ: 

  • लाभ:
    • पर्यटन द्वारा रोज़गार सृजन एवं आय प्रोत्साहन के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
    • इस क्षेत्र में अधिक पर्यटकों के आने से वस्तुओं और सेवाओं की मांग में वृद्धि होगी, जिससे यहाँ का विकास सुनिश्चित होगा। 
  • चुनौतियाँ: 
    • पर्यावरणीय प्रभाव: पर्यटन में वृद्धि के कारण प्रदूषण में वृद्धि हो सकती है, गंदगी एवं प्राकृतिक आवासों को नुकसान हो सकता है, जिसका पर्यावरण और वन्यजीवों पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
    • सांस्कृतिक प्रभाव: पर्यटन के कारण पारंपरिक सांस्कृतिक प्रथाओं और विश्वासों में परिवर्तन हो सकता है, साथ ही सांस्कृतिक कलाकृतियों एवं प्रथाओं का वस्तुकरण भी हो सकता है, जो स्थानीय समुदायों की सांस्कृतिक विरासत को नष्ट कर सकता है।
    • कनेक्टिविटी: पूर्वोत्तर के तात्कालिक ढाँचे में सुधार के बावजूद कनेक्टिविटी की समस्या बनी हुई है। इस क्षेत्र में बेहतर सड़क और हवाई संपर्क द्वारा सुगम यात्रा सुनिश्चित कर पर्यटकों की संख्या में वृद्धि की जा सकती है।

आगे की राह 

  • उत्तर-पूर्वी भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु इस क्षेत्र के आकर्षण, संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देकर प्रभावी विपणन अभियान विकसित किये जाने चाहिये।
  • अवसंरचना विकास और विविधीकरण पर्यटन प्रस्ताव अधिक पर्यटकों को आकर्षित कर सकते हैं, लेकिन पर्यावरण एवं स्थानीय संस्कृति की रक्षा के लिये स्थायी पर्यटन को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
  • समुदाय-आधारित पर्यटन और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने से भी आय उत्पन्न करने और सेवाओं में सुधार करने में मदद मिल सकती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2013) 

  1. नोक्रेक जीवमंडल रिज़र्व : गारो पहाड़ियाँ  
  2. लोगटक (लोकटक) झील : बरैल क्षेत्र  
  3. नामदफा राष्ट्रीय उद्यान : डफ्ला पहाड़ियाँ 

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? 

(a) केवल 1  
(b) केवल 2 और 3  
(c) 1, 2 और 3  
(d) कोई नहीं  

उत्तर: (a) 

व्याख्या: 

  • नोकरेक बायोस्फीयर रिज़र्व भारत के मेघालय के पश्चिम गारो हिल्स ज़िले में तुरा पीक के पास स्थित है। नोकरेक में लाल पांडा की बची-खुची आबादी है और यह एशियाई हाथियों का एक महत्त्वपूर्ण निवास स्थान भी है। अतः युग्म 1 सही सुमेलित है।
  • लोकटक झील उत्तर-पूर्वी भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है, जिस पर तैरती फुमडी (अपघटन के विभिन्न चरणों में वनस्पति, मिट्टी और कार्बनिक पदार्थों का विषम द्रव्यमान) के कारण इसे दुनिया की एकमात्र तैरती हुई झील भी कहा जाता है। यह भारत के मणिपुर राज्य में मोइरंग के पास स्थित है।अतः युग्म 2 सही सुमेलित नहीं है।
  • बरैल असम की सबसे ऊँची पहाड़ी शृंखला है और यह मणिपुर राज्य को नगालैंड राज्य से अलग करती है। नामदफा राष्ट्रीय उद्यान पूर्वी हिमालय जैवविविधता हॉटस्पॉट में सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र है और पूर्वोत्तर भारत में अरुणाचल प्रदेश में स्थित है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान भी है। यह मिशमी पहाड़ियों की दफा बम श्रेणी एवं पटकाई श्रेणी के बीच स्थित है। अतः युग्म 3 सही सुमेलित नहीं है।

अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।

स्रोत: पी.आई.बी.


शासन व्यवस्था

वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023

प्रिलिम्स के लिये:

वन (संरक्षण) अधिनियम, (FC) 1980, वनीकरण और वृक्षारोपण।  

मेन्स के लिये:

वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 में प्रस्तावित परिवर्तन।  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार ने लोकसभा में वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 पेश किये जाने के साथ ही वन (संरक्षण) अधिनियम, (FC) 1980 में कुछ परिवर्तन किये।

  • इन परिवर्तनों का उद्देश्य वृक्षारोपण कर वन कार्बन स्टॉक का निर्माण करना है। यह विधेयक प्रतिपूरक वनीकरण के लिये भूमि उपलब्ध कराता है।

वन संरक्षण अधिनियम, 1980 में प्रस्तावित परिवर्तन और पृष्ठभूमि:  

  • पृष्ठभूमि : 
    • स्वतंत्रता के पश्चात् वन भूमि के विशाल क्षेत्रों को आरक्षित और संरक्षित वनों के रूप में नामित किया गया था।
      • हालाँकि कई वन क्षेत्रों को छोड़कर बिना किसी स्थायी वन वाले क्षेत्रों को 'वन' भूमि में शामिल किया गया था।
    • वर्ष 1996 में सर्वोच्च न्यायालय ने देश भर में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाते हुए यह फैसला सुनाया कि वन संरक्षण अधिनियम उन सभी भूमियों पर लागू होगा जो या तो 'वन' के रूप में नामित हैं या वनों से मिलते-जुलते हैं।
    • जून 2022 में सरकार ने वन संरक्षण नियमों में संशोधन किया ताकि डेवलपर्स को "जिस भूमि पर (FC) अधिनियम लागू नहीं है" वृक्षारोपण करने की अनुमति देने के लिये और प्रतिपूरक वनीकरण की बाद की आवश्यकताओं के विरुद्ध ऐसे भूखंडों की अदला-बदली करने के लिये एक तंत्र बनाया जा सके।
  • प्रस्तावित परिवर्तन:
    • अधिनियम की प्रस्तावना:
      • यह वनों के संरक्षण, उनकी जैवविविधता और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिये देश की समृद्ध परंपरा को इसके दायरे में शामिल करता है।
    • वनीय गतिविधियों पर प्रतिबंध:
      • यह अधिनियम गैर-वन उद्देश्यों के लिये वनों के अनारक्षण या वन भूमि के उपयोग को प्रतिबंधित करता है। केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति से ऐसे प्रतिबंध हटाए जा सकते हैं। गैर-वानिकी उद्देश्यों में बागवानी फसलों की खेती या पुनर्वनीकरण के अतिरिक्त किसी अन्य उद्देश्य हेतु भूमि का उपयोग शामिल है।
      • विधेयक इस सूची में और अधिक गतिविधियों को शामिल करता है जैसे- (i) वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित क्षेत्रों के अलावा अन्य वन क्षेत्रों में सरकार या किसी प्राधिकरण के स्वामित्त्व वाले चिड़ियाघर तथा सफारी (ii) पर्यावरण-पर्यटन सुविधाएँ (iii) वन संवर्द्धन (वन विकास को बढ़ाना) तथा (iv) केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट कोई अन्य उद्देश्य।  
    • अधिनियम के दायरे में भूमि:
      • विधेयक में प्रावधान है कि दो प्रकार की भूमि अधिनियम के दायरे में होगी: (i) भारतीय वन अधिनियम, 1927 या किसी अन्य कानून के तहत वन के रूप में घोषित/अधिसूचित भूमि या (ii) पहली श्रेणी में कवर नहीं की गई भूमि लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में 25 अक्तूबर, 1980 को या उसके बाद वन के रूप में अधिसूचित भूमि।  
      • इसके अलावा अधिनियम 12 दिसंबर, 1996 को या उससे पहले किसी राज्य/ केंद्रशासित प्रदेश के अधिकृत प्राधिकरण द्वारा ‘वन उपयोग से गैर-वन उपयोग में परिवर्तित भूमि’ पर लागू नहीं होगा।
    • निर्देश जारी करने की शक्ति:
      • विधेयक में कहा गया है कि केंद्र सरकार केंद्र, राज्य या केंद्रशासित प्रदेश द्वारा मान्यता प्राप्त किसी अन्य प्राधिकरण/संगठन को अधिनियम के कार्यान्वयन हेतु निर्देश जारी कर सकती है। 
    • छूट:
      • यह अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं, LAC और LoC के 100 किलोमीटर के भीतर के "राष्ट्रीय महत्त्व और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित" सभी सामरिक रैखिक परियोजनाओं को छूट देने का प्रयास करता है। 
      • प्रस्तावित संशोधन में छूट के तहत 10 हेक्टेयर तक "सुरक्षा से संबंधित बुनियादी ढाँचे" के लिये तथा अतिरिक्त गतिविधियाँ जैसे- वन संवर्द्धन परिचालन, चिड़ियाघर एवं वन्यजीव सफारी का निर्माण, पर्यावरण-पर्यटन सुविधाएँ तथा केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट अन्य गतिविधियाँ शामिल हैं।
  • संबंधित मुद्दे:   
    • संशोधनों के साथ वे सभी वन भूमि जो आरक्षित क्षेत्र के अंतर्गत नहीं आती हैं, लेकिन वर्ष 1980 से पूर्व सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हैं, अधिनियम के दायरे में नहीं आएंगी।  
    • यह सर्वोच्च न्यायालय के वर्ष 1996 के निर्णय से अलग है, जो यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी रिकॉर्ड में उल्लिखित प्रत्येक वन को वनों की कटाई के खिलाफ कानूनी सुरक्षा प्राप्त हो।
    • आलोचकों का तर्क है कि इसमें 'प्रस्तावित', 'पारिस्थितिकी पर्यटन सुविधाएँ' और 'कोई अन्य उद्देश्य' जैसे शब्दों का वन भूमि में वनों एवं पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचाने वाली गतिविधियों हेतु दुरुपयोग किया जा सकता है।  
      • इनका यह भी तर्क है कि वृक्षारोपण, भारतीय वनों के लिये एक महत्त्वपूर्ण खतरा है क्योंकि इससे प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान होने के साथ मृदा की गुणवत्ता प्रभावित होती है जिससे स्थानीय जैवविविधता को खतरा उत्पन्न होता है।  

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. भारतीय वन अधिनियम, 1927 में हाल में हुए संशोधन के अनुसार, वन निवासियों को वन क्षेत्रों में उगने वाले बाँस को काट गिराने का अधिकार है। 
  2. अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के अनुसार, बाँस एक गौण वनोपज है। 
  3. अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006, वन निवासियों को गौण वनोपज के स्वामित्त्व की अनुमति देता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

 (a) केवल 1 और 2
 (b) केवल 2 और 3
 (c) केवल 3        
 (d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

  • भारतीय वन (संशोधन) विधेयक, 2017 गैर-वन क्षेत्रों में उगाए जाने वाले बाँस की कटाई और पारगमन की अनुमति देता है। हालाँकि वन भूमि पर उगाए गए बाँस को एक वृक्ष के रूप में वर्गीकृत किया जाना जारी रहेगा और मौजूदा कानूनी प्रतिबंधों द्वारा निर्देशित किया जाएगा। अत: कथन 1 सही नहीं है।
  • अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 बाँस को लघु वन उपज के रूप में मान्यता देता है तथा अनुसूचित जनजातियों एवं पारंपरिक वन निवासियों को "स्वामित्त्व, लघु वन उपज एकत्र करने, उपयोग और निपटान तक पहुँच" का अधिकार देता है। अत: कथन 2 और 3 सही हैं।
  • अत: विकल्प B सही उत्तर है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड, IN-SPACe, SAMVAD कार्यक्रम, डिफेंस स्पेस एजेंसी (DSA), स्टारलिंक-स्पेसएक्स, अंतरिक्ष मलबा, बाह्य अंतरिक्ष का शस्त्रीकरण, प्रोजेक्ट NETRA।

मेन्स के लिये:

अंतरिक्ष क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ, अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ाना, Space4Women परियोजना। 

चर्चा में क्यों?  

भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था। यह नीति अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को संस्थागत बनाने और इसरो के उन्नत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान एवं विकास पर ध्यान केंद्रित करने पर बल देती है।

भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023 के प्रमुख प्रावधान: 

  • परिचय:  
    • इस नीति से अंतरिक्ष सुधारों को बल मिलने के साथ देश की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में निजी उद्योग की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा।
  • भूमिकाओं का निर्धारण :  
  • निजी क्षेत्र का प्रवेश:  
    • इस नीति से अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भूमिका को प्रोत्साहन मिलेगा जिसमें उपग्रह निर्माण, रॉकेट और लॉन्च व्हीकल, डेटा संग्रह एवं प्रसार शामिल है।
    • काफी कम शुल्क पर निजी क्षेत्र इसरो की सुविधाओं का उपयोग कर सकेगा जिससे इस क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे में निवेश को प्रोत्साहन मिल सकता है। 
  •  प्रभाव: 
    • भविष्य में यह नीति भारत को वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में अपनी हिस्सेदारी को 2% से बढ़ाकर 10% करने में सहायक होगी।  

भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र की वर्तमान स्थिति: 

  • परिचय :   
    • लागत प्रभावी उपग्रहों के निर्माण के रूप में भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को विश्व स्तर पर मान्यता मिली है और अब भारत विदेशी उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में ले जाने में सक्षम है।
    • निरस्त्रीकरण पर जिनेवा सम्मेलन के प्रति भारत अपनी प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण और नागरिक उपयोग का समर्थन करता है और अंतरिक्ष क्षमताओं या कार्यक्रमों के किसी भी शस्त्रीकरण का विरोध करता है।
    • ISRO विश्व की छठी सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी है जिसकी सफलता की दर बहुत अधिक है।
      • 400 से अधिक निजी अंतरिक्ष कंपनियों की संख्या के मामले में भारत विश्व का पाँचवाँ सबसे बड़ा देश है।
  • भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में तात्कालिक विकास:
    • रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी: भारत ने हाल ही में रक्षा अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (DSRO) द्वारा समर्थित रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी (DSA) की स्थापना की है, जिसे ‘किसी प्रतिद्वंद्वी की अंतरिक्ष क्षमता को कमतर करने, बाधित करने, नष्ट करने या धोखा दे सकने’ हेतु आयुध निर्माण का कार्य सौंपा गया है।
      • साथ ही भारतीय प्रधानमंत्री ने डिफेंस एक्सपो 2022, गांधीनगर में रक्षा अंतरिक्ष मिशन का शुभारंभ किया।
    • उपग्रह निर्माण क्षमता में वृद्धि: वर्ष 2025 तक भारत का उपग्रह निर्माण बाज़ार 3.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हो जाएगा। (वर्ष 2020 में यह 2.1 अरब अमेरिकी डॉलर था)
    • संवाद (SAMVAD) कार्यक्रम: युवाओं के बीच अंतरिक्ष अनुसंधान को प्रोत्साहित करने और पोषित करने के लिये इसरो (ISRO) ने बंगलूरू में संवाद नामक अपना स्टूडेंट आउटरीच कार्यक्रम शुरू किया है। 

वर्तमान में अंतरिक्ष क्षेत्र से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ:   

  • व्यावसायीकरण पर विनियमन का अभाव: इंटरनेट सेवाओं (स्टारलिंक-स्पेसएक्स) और अंतरिक्ष पर्यटन के लिये निजी उपग्रह अभियानों के विकास के कारण बाह्य अंतरिक्ष का व्यावसायीकरण तेज़ी से हो रहा है।
    • यह संभव है कि यदि कोई नियामक ढाँचा स्थापित नहीं किया जाता है, तो बढ़ते व्यावसायीकरण से भविष्य में एकाधिकार स्थापित हो सकता है।
  • अंतरिक्ष मलबे में वृद्धि: जैसे-जैसे बाह्य अंतरिक्ष अभियानों में वृद्धि होगी, अंतरिक्ष मलबे में भी वृद्धि होगी। चूँकि वस्तुएँ इतनी तेज़ गति से पृथ्वी की परिक्रमा करती हैं कि अंतरिक्ष के मलबे का एक छोटा सा टुकड़ा भी अंतरिक्ष यान को नुकसान पहुँचा सकता है।
  • चीन की अंतरिक्ष छलाँग: दूसरे देशों की तुलना में चीन का अंतरिक्ष उद्योग तेज़ी से बढ़ा है। इसने अपनी स्वयं की पारगमन प्रणाली बेईदोउ का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है।
    • इस बात की बहुत संभावना है कि चीन के बेल्ट रोड इनिशिएटिव (BRI) के सदस्य चीनी अंतरिक्ष क्षेत्र में योगदान देंगे या इसमें शामिल होंगे, जिससे चीन की वैश्विक स्थिति मज़बूत होगी और इससे बाह्य अंतरिक्ष का शस्त्रीकरण हो सकता है। 
  • वैश्विक विश्वास में कमी: बाह्य अंतरिक्ष के शस्त्रीकरण के लिये शस्त्रों की होड़ विश्व भर में संदेह, प्रतिस्पर्द्धा और आक्रामकता का वातावरण उत्पन्न कर रहा है, जो संभावित रूप से संघर्ष का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।
    • यह उपग्रहों की पूरी शृंखला के साथ-साथ वैज्ञानिक अन्वेषणों और संचार सेवाओं में शामिल लोगों को भी जोखिम में डाल देगा।

आगे की राह 

  • भारत की अंतरिक्ष संपत्ति का बचाव: भारत को अंतरिक्ष यान और मलबे सहित अपनी अंतरिक्ष संपत्तियों की ठीक से रक्षा करने के लिये विश्वसनीय और सटीक ट्रैकिंग क्षमताओं की आवश्यकता है।
    • NETRA परियोजना अंतरिक्ष में स्थापित एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली है, यह भारतीय उपग्रहों के लिये मलबे और अन्य खतरों का पता लगाने की दिशा में एक अच्छा कदम है। 
  • अंतरिक्ष क्षेत्र में स्थायी स्थिति:  भारत को अंतर्राष्ट्रीय निकायों के साथ सहयोग करने की पहल के साथ ही आने वाले समय में एक ग्रह रक्षा कार्यक्रम और संयुक्त अंतरिक्ष मिशन की योजना बनानी चाहिये। 
    • इसके अतिरिक्त गगनयान मिशन के साथ भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र में उपस्थिति पर पुनर्विचार के हिस्से के रूप में इसरो ने मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान पर ध्यान केंद्रित करना आरंभ कर दिया है।
  • स्पेस4वीमेन बाहरी अंतरिक्ष मामलों के लिये संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (United Nations Office for Outer Space Affairs- UNOOSA) की एक पहल है जो अंतरिक्ष उद्योग में लैंगिक समता और महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देती है। स्पेस4वीमेन को भारत में लागू किये जाने पर विचार किया जा रहा है।
    • भारत में ग्रामीण स्तर पर अंतरिक्ष जागरूकता कार्यक्रम शुरू करना फायदेमंद हो सकता है और विशेष रूप से छात्राओं के लिये एक कॉलेज-इसरो इंटर्नशिप कॉरिडोर का भी निर्माण किया जा सकता है ताकि वे इस क्षेत्र में भावी संभावनाओं पर विचार कर सकें।
    • भारत की 750 विद्यालयी छात्राओं द्वारा तैयार किया गया AzaadiSAT इस दिशा में एक मज़बूत व महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • अंतरिक्ष स्वच्छता के लिये तकनीकी हस्तक्षेप: सेल्फ ईटिंग रॉकेट, सेल्फ वैनिशिंग सैटेलाइट्स और अंतरिक्ष के कचरे को एकत्रित करने के लिये रोबोटिक हथियार कुछ ऐसी तकनीकों का प्रयोग भारत को अंतरिक्ष अन्वेषणकर्त्ता के रूप में स्थापित कर सकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रारंभिक परीक्षा:

प्रश्न . अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संदर्भ में हाल ही में खबरों में रहा "भुवन" (Bhuvan) क्या है?  (वर्ष 2010) 

 (A) भारत में दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये इसरो द्वारा लॉन्च किया गया एक छोटा उपग्रह
 (B) चंद्रयान-द्वितीय के लिये अगले चंद्रमा प्रभाव की जाँच को दिया गया नाम
 (C) भारत की 3डी इमेजिंग क्षमताओं के साथ इसरो का एक जियोपोर्टल (Geoportal)
 (D) भारत द्वारा विकसित एक अंतरिक्ष दूरबीन

Ans: (C) 


मेन्स:  

प्रश्न. भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की क्या योजना है और इससे हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम को क्या लाभ होगा?  (वर्ष 2019)

प्रश्न. अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर चर्चा करें।  इस तकनीक के अनुप्रयोग ने भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायता की?  (वर्ष 2016)

स्रोत: द हिंदू बिज़नेस लाइन


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

AI और चैटबॉट्स पर नियमन करने वाले देश

प्रिलिम्स के लिये:

देशों द्वारा प्रतिबंधित चैट जीपीटी, जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हेतु राष्ट्रीय रणनीति।

मेन्स के लिये:

AI मॉडल से जुड़े मुद्दे,  AI और चैटबॉट्स का विनियमन करने वाले देश। 

चर्चा में क्यों?

व्यक्तिगत डेटा का संग्रह और बच्चों को AI चैटबॉट तक पहुँचने से रोकने के लिये सुरक्षा उपायों की अनुपस्थिति के कारण इटली ने हाल ही में चैटजीपीटी पर प्रतिबंध लगा दिया है।

 AI और चैटबॉट्स को विनियमित करने वाले अन्य देश:

  • भारत: 
    • नीति आयोग ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रिस्पॉन्सिबल एआई फॉर ऑल पर राष्ट्रीय रणनीति जैसे कुछ मार्गदर्शक दस्तावेज़ जारी किये हैं। 
    • सामाजिक और आर्थिक समावेशन, नवाचार एवं विश्वास पर ज़ोर देता है।
  • यूरोपीय संघ:
    •  AI के लिये एक सामान्य नियामक ढाँचा पेश करने हेतु प्रस्तावित कानून को यूरोपीय  AI अधिनियम कहा जाता है।
      • AI अधिनियम जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) जैसे अन्य कानूनों के साथ मिलकर कार्य करेगा।
    • यह कथित जोखिमों के आधार पर विभिन्न AI उपकरणों, विभिन्न दायित्त्वों और पारदर्शी आवश्यकताओं को लागू करता है।
    • सामान्य प्रयोजन  के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) प्रणाली श्रेणी के तहत चैटजीपीटी शामिल हो सकता है, यह ऐसे उपकरणों का वर्णन करता है जो कई कार्य कर सकते हैं।
  • यूनाइटेड किंगडम: 
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के लिये मौजूदा नियमों के कार्यान्वयन हेतु विभिन्न क्षेत्रों में नियामकों से परामर्श लेते हुए विभिन्न दृष्टिकोण को रेखांकित किया गया। 
    • कंपनियों द्वारा पालन किये जाने वाले पाँच सिद्धांतों को रेखांकित करते हुए एक श्वेतपत्र प्रकाशित किया गया, जिसमें सुरक्षा और मज़बूती; पारदर्शिता एवं व्याख्यात्मकता; निष्पक्षता; जवाबदेही तथा शासन एवं प्रतिस्पर्द्धात्मकता व निवारण शामिल है। 
  • चीन: 
    • हालाँकि चीन ने आधिकारिक तौर पर चैटजीपीटी को ब्लॉक नहीं किया है, ओपनएआई (OpenAI) उपयोगकर्त्ताओं को देश में चैटबॉट के लिये साइनअप करने की अनुमति नहीं देता है। 
      • ओपनएआई (OpenAI) रूस, उत्तर कोरिया, मिस्र, ईरान, यूक्रेन और कुछ अन्य भारी इंटरनेट सेंसरशिप वाले अन्य देशों के उपयोगकर्त्ताओं को भी ब्लॉक करता है। 

नोट: अभी तक अमेरिका के पास AI और चैटबॉट पर व्यापक संघीय कानून नहीं है।

AI सॉफ्टवेयर और चैटबॉट्स से संबंधित उभरती चिंताएँ:    

  • गोपनीयता: 
    • प्रशिक्षण AI मॉडल के लिये बड़ी मात्रा में डेटा तक पहुँच की आवश्यकता होती है, जिसमें व्यक्तिगत और संवेदनशील जानकारी शामिल हो सकती है। 
      • इस बात का जोखिम है कि इस डेटा का उपयोग अनैतिक उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है, जैसे- लक्षित विज्ञापन या राजनीतिक हेर-फेर के लिये।
  • उत्तरदायित्त्व: 
    • चूँकि AI मॉडल चित्र, ऑडियो या टेक्स्ट जैसी नई सामग्री/कंटेंट तैयार कर सकते हैं, इसका उपयोग नकली समाचार अथवा अन्य दुर्भावनापूर्ण सामग्री उत्पन्न करने के लिये किया जा सकता है और इसके आउटपुट के लिये ज़िम्मेदार कारक का पता लगाना कठिन हो सकता है।
      • इससे उत्तरदायित्त्व संबंधी नैतिक दुविधा उत्पन्न हो सकती है।
  • स्वचालन और रोज़गार में कमी: 
    • AI कई प्रक्रियाओं को स्वचालित करने में सक्षम होता है, इससे अनेक संबद्ध क्षेत्रों में कुशल लोगों की नौकरी का विस्थापन हो सकता है या यूँ कहें की रोज़गार छिन सकता है।
      • यह नौकरी के विस्थापन के लिये AI के उपयोग की नैतिकता और श्रमिकों तथा समाज पर संभावित प्रभाव पर प्रश्न उठाता है। 

निष्कर्ष: 

AI मॉडल का ज़िम्मेदारीपूर्ण और नैतिक तरीके से उपयोग सुनिश्चित करने के लिये विनियम एवं मानक स्थापित किये जाने चाहिये। AI मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिये उपयोग किया जाने वाला डेटा नैतिक तथा निष्पक्ष होना चाहिये क्योंकि ये मॉडल मात्र उतने प्रभावी होते हैं जितने डेटा के आधार पर उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है। इसमें यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि प्रशिक्षण के लिये उपयोग की जाने वाली सूचना इस प्रकार एकत्रित और लागू की जाए जो लोगों की गोपनीयता का सम्मान करती हो तथा पूर्वाग्रहों से मुक्त हो। 

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)

  1. औद्योगिक इकाइयों में विद्युत की खपत को कम करना
  2.  सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना
  3.  रोगों का निदान
  4.  टेक्स्ट से स्पीच में परिवर्तन
  5.  विद्युत ऊर्जा का बेतार संचरण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 3 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2018)

   कभी कभी समाचारों में आने वाले शब्द                  संदर्भ/विषय 

  1. बेल II प्रयोग                                          कृत्रिम बुद्धिमत्ता 
  2.  ब्लॉकचेन तकनीक                                    डिजिटल/क्रिप्टोकरेंसी
  3.  CRISPR-Cas9                                     कण भौतिकी

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?

(a) केवल 1 और 3 
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)  

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट

प्रिलिम्स के लिये:

जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट, ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट, जीनोम मैपिंग, डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड। 

मेन्स के लिये:

जैव प्रौद्योगिकी, कृषि और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट की क्षमता। 

चर्चा में क्यों?

सरकार का लक्ष्य जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट (GIP) के तहत वर्ष 2023 के अंत तक 10,000 जीनोम का अनुक्रमण करना है।

  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने लगभग 7,000 जीनोम का अनुक्रमण किया है और इनमें से 3,000 पहले से ही सार्वजनिक उपयोग के लिये उपलब्ध हैं। 

Road-to-future

जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट:  

  • आवश्यकता: 
    • भारत की 1.3 बिलियन की आबादी में 4,600 से अधिक विविध जनसंख्या समूह शामिल हैं, जिनमें से कई के बीच अंतर्विवाह (निकट जातीय समूहों में विवाह) की प्रथा है। इन समूहों में अद्वितीय आनुवंशिक विविधताएँ और बीमारी उत्पन्न करने वाले उत्परिवर्तन होते हैं जिनकी तुलना अन्य आबादी से नहीं की जा सकती है। भारतीय जीनोम का एक डेटाबेस बनाकर, शोधकर्त्ता इन अद्वितीय आनुवंशिक रूपों के बारे में जान सकते हैं तथा वैयक्तीकृत दवाओं और उपचारों को बनाने में इस जानकारी का उपयोग कर सकते हैं। यूनाइटेड किंगडम, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका उन देशों में से हैं जिनके पास अपने जीनोम के कम-से-कम 1,00,000 अनुक्रमण के लिये कार्यक्रम हैं।
  • परिचय:  
    • यह ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट (HGP) से प्रेरित एक वैज्ञानिक पहल है, जो कि एक अंतर्राष्ट्रीय प्रयास है जिसने वर्ष 1990 और वर्ष 2003 के बीच पूरे मानव जीनोम को सफलतापूर्वक डिकोड किया।
    • इस परियोजना को वर्ष 2020 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य भारतीय जनसंख्या के लिये विशिष्ट आनुवंशिक विविधताओं और रोग उत्पन्न करने वाले उत्परिवर्तनों को बेहतर ढंग से समझना है, जो कि विश्व में सबसे अधिक आनुवंशिक विविधताओं में से एक है। 
    • इन जीनोमों का अनुक्रमण और विश्लेषण करके शोधकर्त्ता रोगों के अंतर्निहित आनुवंशिक कारणों में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने और अधिक प्रभावी व्यक्तिगत चिकित्सा विकसित करने की उम्मीद करते हैं।  
    • इस परियोजना में भारत भर के 20 संस्थानों का सहयोग शामिल है और इसका नेतृत्त्व  बंगलूरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान में मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र द्वारा किया जा रहा है। 

महत्त्व

  • सटीकता के साथ स्वास्थ्य देखभाल:  
    • GIP का उद्देश्य रोगियों के जीनोम के आधार पर वैयक्तीकृत दवा विकसित करना है ताकि बीमारियों का अनुमान लगाया जा सके और उन्हें नियंत्रित किया जा सके।
    • आनुवंशिक विविधताओं के लिये रोग प्रवृत्तियों की मैपिंग करके हस्तक्षेपों को अधिक प्रभावी ढंग से लक्षित किया जा सकता है और रोगों के विकसित होने से पहले ही उनका अनुमान लगाया जा सकता है।
      • उदाहरण के लिये जीनोम में भिन्नता से यह पता लगाया जा सकता है कि किस प्रकार हृदय रोग दक्षिण एशियाई लोगों में दिल के दौरे का कारण बनता है परंतु अफ्रीका के अधिकांश हिस्सों में स्ट्रोक का कारण बनता है।
  • सतत् कृषि:  
    • यदि कीटों, कीड़ों और उत्पादकता को कम करने वाली अन्य समस्याओं के लिये पौधों की सुभेद्यता के आनुवंशिक आधार की समझ को बेहतर बनाया जाए तो कृषि क्षेत्र को भी समान रूप से लाभान्वित किया जा सकता है।
    • इससे रसायनों पर निर्भरता में कमी लाई जा सकती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:  
    • विविधता के उच्च स्तरीय जीन डेटाबेस में से एक, मैपिंग प्रोजेक्ट भी वैश्विक शोध के लिये फायदेमंद होगा।
    • इसके दायरे और विविधता के कारण इसका आनुवंशिक शोध में काफी योगदान होगा, विश्व में अपनी तरह की इस परियोजना को सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

चुनौतियाँ: 

  • वैज्ञानिक नस्लवाद: 
    • GIP वैज्ञानिक नस्लवाद की संभावना और आनुवंशिकता तथा नस्लीय शुद्धता के आधार पर रूढ़िवादिता के सुदृढ़ीकरण संबंधी चिंता व्यक्त करता है। बीते समय में दासता एवं अन्य प्रकार के भेदभाव को सही ठहराने के लिये इसी प्रकार के वैज्ञानिक अध्ययनों का इस्तेमाल किया गया है।
    • जेनेटिक मैपिंग पहचान की राजनीति को और बढ़ावा सकती है जिसका पहले से ही भारत जैसे देश में विभाजनकारी प्रभाव रहा है।
  •  डेटा निजता: 
    • यह परियोजना डेटा गोपनीयता और भंडारण पर भी एक प्रश्नचिह्न है। भारत में व्यापक डेटा गोपनीयता विधेयक के अभाव में GIP द्वारा एकत्रित आनुवंशिक जानकारी के संभावित दुरुपयोग के बारे में चिंताओं को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है।
  • नैतिक चिंताएँ: 
    • यह डॉक्टरों के निजी तौर पर जीन संशोधन अथवा चयनात्मक प्रजनन का अभ्यास करने की क्षमता पर नैतिक प्रश्न उठाता है।
    • इस तरह की प्रथाएँ हमेशा ही विवादास्पद रही हैं, वर्ष 2020 में दुनिया के पहले जीन-संपादित बच्चे का निर्माण करने वाले चीन के एक वैज्ञानिक को सज़ा सुनाई गई थी।

जीनोम:  

  • वर्ष 1953 में जेम्स वाटसन और फ्राँसिस क्रिक द्वारा "डबल हेलिक्स" के रूप में संरचित डीएनए की खोज की गई,जिससे यह समझने में मदद मिली कि जीन किस प्रकार जीवन, उसके लक्षणों एवं बीमारियों का कारण बनते हैं।  
  • किसी जीव का जीनोम उसकी आनुवंशिक सामग्री का संपूर्ण सेट होता है। इसमें जीव की वृद्धि और विकास से संबंधित सभी आवश्यक जानकारियाँ होती हैं।
  • मनुष्यों के जीनोम में 3 बिलियन से अधिक डीएनए बेस युग्म होते हैं जो एक डबल हेलिक्स संरचना में व्यवस्थित होते हैं।
  • जीनोमिक्स के अध्ययन (जिसमें जीनोम का विश्लेषण करना शामिल है) से रोग विज्ञान, दवा विकास, और फसलों तथा पशुधन के संबंध में नई अंतर्दृष्टि प्राप्त होने के साथ जैव प्रौद्योगिकी, चिकित्सा तथा कृषि सहित कई क्षेत्रों में क्रांति आई है।

जीनोम अनुक्रमण: 

  • जीनोम अनुक्रमण का आशय किसी जीनोम में डीएनए न्यूक्लियोटाइड्स या बेस युग्म के क्रम का पता लगाना है यानी एडेनिन (ए), थाइमिन (टी), साइटोसिन (सी) और गुआनिन (जी) का क्रम, जिससे किसी जीव के डीएनए का निर्माण होता है। 

आगे की राह 

  • GIP को पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ संचालित किया जाना आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह परियोजना नैतिक दृष्टिकोण के साथ व्यक्तिगत गोपनीयता और मानवाधिकारों का सम्मान करने वाले तरीके से संचालित की जाए।
  • इस परियोजना में भारत के जैव प्रौद्योगिकी, कृषि और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को मज़बूत करने की क्षमता है। हालाँकि इसमें यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि गोपनीयता संबंधी चिंताओं को दूर करने एवं डेटा के संभावित दुरुपयोग को रोकने के साथ चिकित्सा नैतिकता को बनाए रखा जाए।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रश्न. भारत में कृषि के संदर्भ में प्रायः समाचारों में आने वाले "जीनोम अनुक्रमण(जीनोम सिक्वेंसिंग)" की तकनीक का आसन्न भविष्य में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है? (2017) 

  1. विभिन्न फसली पौधों में रोग प्रतिरोध और सूखा सहिष्णुता के लिये आनुवंशिक सूचकों का अभिज्ञान करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया जा सकता है। 
  2. यह तकनीक, फसली पौधों की नई किस्मों को विकसित करने में लगने वाले आवश्यक समय को घटाने में मदद करती है। 
  3. इसका प्रयोग फसलों में पोषी रोगाणु-संबंधों को समझने के लिये किया जा सकता है। 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये :   

(a) केवल 1  
(b) केवल 2 और 3  
(c) केवल 1 और 3  
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (d) 

  • चीनी वैज्ञानिकों ने वर्ष 2002 में चावल के जीनोम को डिकोड किया। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों ने चावल की बेहतर किस्मों जैसे- पूसा बासमती-1 और पूसा बासमती -1121 को विकसित करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया, जिसने वर्तमान में भारत के चावल निर्यात में काफी हद तक वृद्धि की है। कई ट्रांसजेनिक किस्में भी विकसित की गई हैं, जिनमें कीट प्रतिरोधी कपास, शाकनाशी सहिष्णु सोयाबीन और वायरस प्रतिरोधी पपीता शामिल हैं। अत: कथन 1 सही है।
  • पारंपरिक प्रजनन में पादप प्रजनक अपने खेतों की जाँच करते हैं और उन पौधों की खोज करते हैं जो वांछनीय लक्षण प्रदर्शित करते हैं। ये लक्षण उत्परिवर्तन नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से उत्पन्न होते हैं, लेकिन उत्परिवर्तन की प्राकृतिक दर उन सभी पौधों में लक्षणों को उत्पन्न करने के लिये बहुत धीमी और अविश्वसनीय है जो कि प्रजनक चाहते हैं। हालाँकि जीनोम अनुक्रमण में कम समय लगता है, इस प्रकार यह अधिक बेहतर विकल्प है। अत:  कथन 2 सही है।
  • जीनोम अनुक्रमण एक फसल के संपूर्ण डीएनए अनुक्रम का अध्ययन करने में सक्षम बनाता है, इस प्रकार यह रोगजनकों के अस्तित्व या प्रजनन क्षेत्र को समझने में सहायता प्रदान करता है। अत:  कथन 3 सही है।
  • अतः विकल्प (D) सही उत्तर है।

स्रोत: द हिंदू


शासन व्यवस्था

ग्रामीण भारत की सांस्कृतिक संपत्तियों के मानचित्रण का मिशन

प्रिलिम्स के लिये:

मेरा गाँव मेरी धरोहर, सांस्कृतिक मानचित्रण के लिये राष्ट्रीय मिशन

मेन्स के लिये:

मेरा गाँव मेरी धरोहर का महत्त्व

चर्चा में क्यों? 

सरकार ने ग्रामीण भारत की विभिन्न सांस्कृतिक विरासत का दोहन करने के प्रयास में देश भर में अनूठी विशेषताओं वाले एक लाख से अधिक गाँवों की पहचान की है और उनका दस्तावेज़ीकरण किया है।

मेरा गाँव मेरी धरोहर:

  • परिचय:  
    • इस प्रक्रिया में राष्ट्र की सांस्कृतिक संपत्ति और कला भंडारों की पहचान तथा मानचित्रण  करना शामिल है, इसके अंतर्गत कला संबंधी अभिव्यक्ति, शिल्प तथा कौशल, ज्ञान परंपरा और मौखिक, श्रव्य, दृश्य या गतिज़ प्रकृति की सांस्कृतिक प्रथाएँ आती हैं।
    • सांस्कृतिक मानचित्रण के दौरान चिह्नित समुदाय के कलाकारों और शिल्पकारों के अनुष्ठान, सामाजिक और आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी पर ध्यान दिया जाना प्रस्तावित है।
  • गाँवों का वर्गीकरण: 
    • गाँवों को पारिस्थितिकी, विकासात्मक और ऐतिहासिक महत्त्व के साथ-साथ सांस्कृतिक पहलुओं जैसे- प्रसिद्ध वस्त्र या उत्पादों या कुछ ऐतिहासिक या पौराणिक घटनाओं जैसे- स्वतंत्रता संग्राम या महाभारत जैसे महाकाव्यों के आधार पर सात से आठ श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। 
    • पारिस्थितिकी श्रेणी: 
      • राजस्थान का बिश्नोई गाँव प्रकृति के समन्वय के साथ रहने का प्रमुख उदाहरण है।
      • रैणी गाँव, चिपको आंदोलन के लिये प्रसिद्ध है।
    • विकासात्मक महत्त्व:  
    • ऐतिहासिक गाँव:  
      • मध्य प्रदेश का कंडेल, प्रसिद्ध "जल सत्याग्रह" स्थल है।
      • उत्तराखंड का हनोल और कर्नाटक का विदुराश्वथर, महाभारत से संबंधित गाँव हैं।
      • हिमाचल प्रदेश का सुकेती, एशिया का सबसे पुराना जीवाश्म पार्क है।
      • कश्मीर का पंडरेथन (शैव रहस्यवादी लाल देद का गाँव) 
  • सर्वेक्षण प्रक्रिया: 
    • संस्कृति मंत्रालय और सामान्य सेवा केंद्र (CSC), इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की संयुक्त टीमों द्वारा क्षेत्र सर्वेक्षण के माध्यम से गाँवों की सांस्कृतिक संपत्ति का मानचित्रण किया गया।
    • इसमें गाँव, ब्लॉक या ज़िले की विशेष विशेषताओं को जनता द्वारा साझा किया गया।
    • सर्वेक्षण प्रक्रिया में एक CSC ग्राम स्तरीय उद्यमी (VLE) स्थानीय लोगों के साथ बैठकें आयोजित करता है और एक विशेष आवेदन पर उनके गाँव के बारे में दिलचस्प जानकारी अपलोड करता है।
  • भविष्य की योजनाएँ : 
    • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र योजना, देश के सभी 6.5 लाख गाँवों को कवर करने और 6,500 गाँवों के समूहों पर विशेष फिल्में बनाने से संबंधित है, जो उनकी अनूठी विरासत को प्रदर्शित करती हैं।
      • ड्रोन के माध्यम से 750 क्लस्टर गाँवों पर लघु फिल्में बनाई गई हैं।  
    • इन गाँवों पर विस्तृत डोजियर साथ ही फिल्मों को "द नेशनल कल्चरल वर्क प्लेस" नामक वेब पोर्टल पर उपलब्ध कराया जाएगा।
    • वेब पोर्टल में प्रलेखित सभी गाँवों का एक आभासी संग्रहालय होगा और क्राउड-सोर्सिंग के माध्यम से एक गाँव को अपलोड करने की सुविधा होगी तथा ग्रामीणों को स्वयं गाँव के डेटा को संपादित एवं अपलोड करने की अनुमति होगी। 

सांस्कृतिक मानचित्रण के लिये राष्ट्रीय मिशन:  

  • NMCM को देश भर में कला रूपों, कलाकारों और अन्य संसाधनों का एक व्यापक डेटाबेस विकसित करने के लिये वर्ष 2017 में संस्कृति मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था। 
  • यह कार्यक्रम धीमी गति से शुरू हुआ और वर्ष 2021 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) को सौंप दिया गया। 
  • मिशन हेतु तीन वर्ष की अवधि के लिये 469 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत था। 

स्रोत: द हिंदू  


जैव विविधता और पर्यावरण

ग्रेट निकोबार आइलैंड प्रोजेक्ट

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT), ग्रेट निकोबार द्वीप, तटीय विनियमन क्षेत्र, कछुए, डॉल्फिन, विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG), मैंग्रोव, ग्रेट निकोबार बायोस्फीयर रिज़र्व।  

मेन्स के लिये:

ग्रेट निकोबार आइलैंड प्रोजेक्ट का महत्त्व और इससे संबंधित मुद्दे।

चर्चा में क्यों? 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 72,000 करोड़ रुपए की ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना पर रोक लगा दी है तथा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दी गई पर्यावरण  मंज़ूरी की समीक्षा के लिये एक समिति बनाई है।

ग्रेट निकोबार आइलैंड प्रोजेक्ट: 

  • परिचय:  
  • उद्देश्य:  
    • आर्थिक कारण: 
      • नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, प्रस्तावित बंदरगाह कार्गो ट्रांसशिपमेंट में एक प्रमुख अभिकर्त्ता के रूप में ग्रेट निकोबार को क्षेत्रीय तथा वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था में भाग लेने की अनुमति प्रदान करेगा।
        • यह कोलंबो से दक्षिण-पश्चिम और पोर्ट क्लैंग (मलेशिया) तथा सिंगापुर से दक्षिण-पूर्व में समान दूरी पर है एवं पूर्व-पश्चिम अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग कॉरिडोर के करीब स्थित है जहाँ से विश्व के शिपिंग व्यापार के एक बहुत बड़े भाग की आवाजाही होती है।
    • सामरिक कारण: 
      • ग्रेट निकोबार को विकसित करने का प्रस्ताव पहली बार वर्ष 1970 के दशक में लाया गया था और राष्ट्रीय सुरक्षा तथा हिंद महासागर क्षेत्र के समेकन के लिये इसके महत्त्व को बार-बार रेखांकित किया गया है।
      • हिंद महासागर में बढ़ते चीनी दबदबे के कारण हालिया वर्षों में इसकी अनिवार्यता और बढ़ गई है
  • आलोचना:  
    • जैवविविधता पर प्रभाव:  
      • परियोजना की इस क्षेत्र की समृद्ध जैवविविधता पर इसके प्रतिकूल प्रभाव और लुप्तप्राय प्रजातियों के आवासों के नुकसान से संबंधित चिंताओं के कारण आलोचनाओं की जा रही है।  
        • यह परियोजना क्षेत्र, तटीय विनियमन क्षेत्र-IA और IB का हिस्सा है।
        • साथ ही कछुओं के नेस्टिंग स्थलों के साथ डॉल्फिन और अन्य प्रजातियों को ड्रेजिंग से नुकसान होगा। 
    • वृक्षों के आच्छादन और मैंग्रोव पर प्रभाव:  
      • पर्यावरणविदों ने विकास परियोजना के परिणामस्वरूप इस द्वीप पर वृक्षों के आवरण और मैंग्रोव के नुकसान के बारे में भी चिंताएँ जाहिर की हैं।
      • वृक्षों के आच्छादन में कमी से न केवल इस द्वीप पर वनस्पतियों और जीवों को नुकसान होगा बल्कि इससे समुद्र में तलछट के जमाव में भी वृद्धि होगी, जिससे इस क्षेत्र की प्रवाल भित्तियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 
    • पर्याप्त मूल्यांकन का अभाव:  
      • आलोचकों का दावा है कि व्यापक प्रभाव मूल्यांकन हेतु अधिक लंबी अवधि के डेटा का विश्लेषण करने की आवश्यकता है, इसके साथ ही यहाँ पर्यावरणीय प्रभाव आकलन रिपोर्ट को भी उचित मानदंडों के आधार पर तैयार नहीं किया गया है। 
    • जनजातीय क्षेत्र में अतिक्रमण:
      • आलोचकों का तर्क है कि विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) को स्थानीय प्रशासन द्वारा उच्चतम स्तर की सुरक्षा प्रदान की जाती है फिर भी विकास के नाम पर उनके क्षेत्रों में अतिक्रमण के कारण उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

ग्रेट निकोबार: 

  • परिचय
    • ग्रेट निकोबार, निकोबार द्वीप समूह का सबसे दक्षिणी द्वीप है। 
    • यह एक बहुत समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र का निवास स्थान है, जिसमें एंजियोस्पर्म, फर्न, जिम्नोस्पर्म, ब्रायोफाइट्स की 650 प्रजातियाँ शामिल हैं। 
      • जीवों के संदर्भ में यहाँ 1800 से अधिक प्रजातियाँ निवास करती हैं, जिनमें से कुछ इस क्षेत्र के लिये स्थानिक हैं। 
  • पारिस्थितिक विशेषताएँ: 
    • ग्रेट निकोबार बायोस्फीयर रिज़र्व पारिस्थितिक तंत्र के एक विस्तृत श्रेणी को आश्रय देता है जिसमें उष्णकटिबंधीय आर्द्र सदाबहार वन, समुद्र तल से 642 मीटर (माउंट थुलियर) की ऊँचाई वाली पर्वत शृंखलाएँ और तटीय मैदान शामिल हैं। 
  • जनजाति: 
    • लगभग 200 की संख्या में मंगोलॉयड शोम्पेन जनजाति (Mongoloid Shompen Tribe), विशेष रूप से नदियों और जलधाराओं के किनारे बायोस्फीयर रिज़र्व के वनों में निवास करती है।
      • ये शिकारी और खाद्य संग्राहक प्रवृत्ति के होते हैं, जो जीविका के लिये वन एवं समुद्री संसाधनों पर निर्भर हैं।
    • एक अन्य मंगोलियाई जनजाति, निकोबारी (Nicobarese), लगभग 300 की संख्या में पश्चिमी तट पर बस्तियों में रहती थी।
      • वर्ष 2004 में सुनामी ने जिन पश्चिमी तट की बस्तियों को नष्ट कर दिया था, उन्हें उत्तरी तट और कैम्पबेल खाड़ी में अफरा खाड़ी क्षेत्र में पुनःस्थापित कर दिया गया था।

Andaman

निष्कर्ष: 

ग्रेट निकोबार आइलैंड प्रोजेक्ट पर रोक लगाने और पर्यावरण मंज़ूरी की समीक्षा के लिये एक समिति गठित करने के NGT के आदेश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यह परियोजना द्वीप तटीय क्षेत्र विनियमन 2019 और आदिवासी अधिकारों के अनुरूप है। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन सा द्वीप युग्म 'दस डिग्री चैनल' द्वारा एक-दूसरे से विभाजित होता है? (2014)

(a) अंडमान और निकोबार
(b) निकोबार और सुमात्रा
(c) मालदीव और लक्षद्वीप
(d) सुमात्रा और जावा

उत्तर : (a) 


प्रश्न . निम्नलिखित में से किनमें प्रवाल-भित्तियाँ हैं? (2014) 

  1. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
  2. कच्छ की खाड़ी
  3. मन्नार की खाड़ी
  4. सुंदरबन 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c)  केवल 1 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर : (a) 


प्रश्न. निम्नलिखित में से  शोम्पेन जनजाति किस स्थान पर पाई जाती है? (2009)

(a) नीलगिरि पहाड़ियाँ  
(b) निकोबार द्वीप समूह
(c) स्पीति घाटी 
(d) लक्षद्वीप द्वीप समूह

उत्तर : (b) 

स्रोत: द हिंदू


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