प्रारंभिक परीक्षा
विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में तीन स्थल शामिल
हाल ही में गुजरात के वड़नगर शहर, मोढेरा में प्रतिष्ठित सूर्य मंदिर और त्रिपुरा में उनाकोटि की चट्टानों को काट कर बनाई गई मूर्तियों के रूप में इन तीन स्थलों को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन' (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization- UNESCO) की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- वड़नगर:
- यह गुजरात के मेहसाणा ज़िले में स्थित है और इसकी एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है।
- इसे चमत्कारपुर, आनंदपुर, स्नेहपुर और विमलपुर भी कहा जाता है, वड़नगर शहर का उल्लेख पुराणों में भी किया गया है।
- यहाँ कई पुरातात्त्विक संग्रह पाए गए हैं, वड़नगर अपने तोरणों के लिये प्रसिद्ध है, यहाँ 12वीं शताब्दी के सोलंकी युग के लाल और पीले बलुआ पत्थर से निर्मित 40 फीट लंबे स्तंभों की एक जोड़ी है जिसे युद्ध की जीत का जश्न मनाने के उपलक्ष्य में बनाया गया था।
- 640 ईस्वी में चीनी बौद्ध यात्री ह्वेन त्सांग ने इस शहर का दौरा किया और कहा जाता है कि उसने अपने यात्रा वृत्तांत में इसका उल्लेख किया है।
- वर्ष 2008-09 में खुदाई के दौरान वड़नगर में एक बौद्ध मठ के अवशेष भी मिले थे।
- ताना रीरी परफॉर्मिंग आर्ट्स कॉलेज वड़नगर में है, जिसका नाम दो बहनों, ताना और रीरी की वीरता के सम्मान में रखा गया था। अकबर द्वारा अपने दरबार में गाने के लिये कहने पर उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी क्योंकि यह उनके रिवाज के खिलाफ था।
- यह गुजरात के मेहसाणा ज़िले में स्थित है और इसकी एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है।
- मोढेरा का सूर्य मंदिर:
- मोढेरा का सूर्य मंदिर मेहसाणा ज़िले के बेचराजी तालुका में रूपन नदी की एक सहायक नदी पुष्पावती के बाएँ किनारे पर स्थित है।
- यह पूर्वमुखी मंदिर चमकीले पीले बलुआ पत्थरों से बना हुआ है।
- मंदिर के विवरण के अनुसार, यह मारू-गुर्जर स्थापत्य शैली में बनाया गया है, जिसमें मुख्य मंदिर (गर्भगृह), एक कक्ष (गढ़मंडप), एक बाहरी कक्ष अथवा सभाकक्ष (सभामंडप या रंगमंडप) और एक पवित्र जलाशय (सूर्य कुंड) जिसे अब रामकुंड कहा जाता है, शामिल हैं।
- रामकुंडा एक विशाल आयताकार सीढ़ीदार जलाशय है जो शायद भारत का सबसे भव्य मंदिर जलाशय है।
- प्रतिवर्ष विषुव (Equinoxes) के समय सूर्य की किरणें सीधे इस मंदिर के केंद्र/गर्भभाग पर पड़ती हैं।
- मोढेरा का सूर्य मंदिर मेहसाणा ज़िले के बेचराजी तालुका में रूपन नदी की एक सहायक नदी पुष्पावती के बाएँ किनारे पर स्थित है।
- उनाकोटि की पत्थरों को काट कर बनाई गई मूर्तियाँ:
- यह एक शैव तीर्थ स्थल है जो 7वीं अथवा 9वीं शताब्दी का है।
- उनाकोटि का अर्थ है एक करोड़ से एक कम और कहा जाता है कि इतनी ही संख्या में चट्टानों को काटकर बनाई गई नक्काशी यहाँ उपलब्ध है।
- हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव एक करोड़ देवी-देवताओं के साथ काशी जा रहे थे, तो उन्होंने इस स्थान पर रात्रि विश्राम किया था।
- उन्होंने सभी देवी-देवताओं को सूर्योदय से पहले जागने और काशी के लिये प्रस्थान करने को कहा।
- ऐसा कहा जाता है कि सुबह शिव के अलावा कोई और नहीं उठा, अतः भगवान शिव दूसरों को पत्थर की मूर्ति बनने का श्राप देते हुए स्वयं काशी के लिये निकल पड़े।
- नतीजतन, उनाकोटि में एक करोड़ से भी कम पत्थर की मूर्तियाँ और नक्काशियाँ हैं।
- उनाकोटी में पाए गए चित्र दो प्रकार के हैं, अर्थात् चट्टानों को काट कर बनाए गए नक्काशीदार चित्र और पत्थर से बने चित्र।
- चट्टानों को काट कर बनाए गए नक्काशीदार चित्रों के ठीक बीच में शिव का सिर और गणेश की विशाल आकृतियाँ उल्लेखनीय हैं।
- शिव के सिर को 'उनाकोटिश्वर कालभैरव' के रूप में जाना जाता है।
- शिव के मस्तक के दोनों तरफ दो महिलाओं की पूर्ण आकृतियाँ हैं - एक शेर पर खड़ी दुर्गा की और दूसरी ओर अन्य महिला आकृति।
- इसके अलावा नंदी बैल की तीन विशाल प्रतिमाएँ ज़मीन में आधी दबी हुई पाई गई हैं।
- चट्टानों को काट कर बनाए गए नक्काशीदार चित्रों के ठीक बीच में शिव का सिर और गणेश की विशाल आकृतियाँ उल्लेखनीय हैं।
- 'अशोकाष्टमी मेला' के नाम से प्रसिद्ध एक भव्य मेला प्रतिवर्ष अप्रैल के महीने में आयोजित किया जाता है, जिसमें हज़ारों तीर्थयात्री आते हैं।
यूनेस्को की अस्थायी सूची:
- यूनेस्को की अस्थायी सूची उन संपत्तियों की सूची है, जिन पर प्रत्येक पक्षकार नामांकन के लिये विचार करना चाहती है।
- यूनेस्को के संचालनात्मक दिशा-निर्देश (Operational Guidelines), 2019 के अनुसार, किसी भी स्मारक/स्थल को विश्व विरासत स्थल (World Heritage Site) की सूची में अंतिम रूप से शामिल करने से पहले उसे एक वर्ष के लिये इसकी अस्थायी सूची में रखना अनिवार्य है।
- इसमें नामांकन हो जाने के बाद इसे विश्व विरासत केंद्र (World Heritage Centre) को भेज दिया जाता है।
- भारत में अब अस्थायी सूची में 52 स्थल हैं।
विश्व विरासत स्थल:
- यूनेस्को की विश्व विरासत सूची (World Heritage List) में विभिन्न क्षेत्रों या वस्तुओं को शामिल किया गया है।
- यह सूची यूनेस्को द्वारा वर्ष 1972 में अपनाई गई ‘विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण से संबंधित कन्वेंशन’ नामक एक अंतर्राष्ट्रीय संधि में सन्निहित है।
- विश्व विरासत केंद्र वर्ष 1972 में हुए कन्वेंशन का सचिवालय है।
- यह पूरे विश्व में उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्यों के प्राकृतिक और सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण को बढ़ावा देता है।
- इसमें तीन प्रकार के स्थल शामिल हैं: सांस्कृतिक, प्राकृतिक और मिश्रित।
- सांस्कृतिक विरासत (Cultural Heritage) स्थलों में ऐतिहासिक इमारत, शहर स्थल, महत्त्वपूर्ण पुरातात्त्विक स्थल, स्मारकीय मूर्तिकला और पेंटिंग कार्य शामिल किये जाते हैं।
- प्राकृतिक विरासत (Natural Heritage) में उत्कृष्ट पारिस्थितिक और विकासवादी प्रक्रियाएँ, अद्वितीय प्राकृतिक घटनाएँ, दुर्लभ या लुप्तप्राय प्रजातियों के आवास स्थल आदि शामिल किये जाते हैं।
- मिश्रित विरासत (Mixed Heritage) स्थलों में प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों प्रकार के महत्त्वपूर्ण तत्त्व शामिल होते हैं।
- भारत में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त कुल 40 विरासत धरोहर स्थल (32 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित) हैं। इनमें शामिल धौलावीरा का हड़प्पा शहर और काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर सबसे नए हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा सही है? (2021) (a) अजंता की गुफाएँ वाघोरा नदी के घाट में स्थित हैं। उत्तर: (a) व्याख्या:
अतः विकल्प (a) सही है। प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2019) मशहूर स्थल नदी
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) व्याख्या:
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स्रोत: द हिंदू
प्रारंभिक परीक्षा
समुद्रयान मिशन
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, समुद्रयान मिशन को वर्ष 2026 तक पूरा किये जाने की उम्मीद है।
समुद्रयान मिशन:
- परिचय:
- मिशन का उद्देश्य गहरे समुद्र में अन्वेषण और दुर्लभ खनिज संसाधनों की खोज के लिये तीन व्यक्तियों को ‘मत्स्य 6000’ नामक वाहन में 6000 मीटर की गहराई तक समुद्र में भेजना है।
- 'मत्स्य 6000' वाहन को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT), चेन्नई द्वारा विकसित और डिज़ाइन किया जा रहा है।
- मानव सुरक्षा हेतु इसकी क्षमता सामान्य स्थितियों में 12 घंटे और आपात स्थिति में 96 घंटे है।
- यह भारत का पहला अनोखा मानवयुक्त समुद्रीय मिशन है जो 6000 करोड़ रुपए के डीप ओशन मिशन का हिस्सा है।
- मिशन का उद्देश्य गहरे समुद्र में अन्वेषण और दुर्लभ खनिज संसाधनों की खोज के लिये तीन व्यक्तियों को ‘मत्स्य 6000’ नामक वाहन में 6000 मीटर की गहराई तक समुद्र में भेजना है।
- महत्त्व:
- मानवयुक्त सबमर्सिबल वैज्ञानिक कर्मियों को प्रत्यक्ष परीक्षण द्वारा गहरे समुद्र के अस्पष्टीकृत क्षेत्रों को देखने और समझने में सक्षम बनता है।
- यह केंद्र सरकार के 'न्यू इंडिया’ कार्यक्रम के दृष्टिकोण को भी बढ़ावा देगा, जो विकास के दस प्रमुख आयामों में से एक के रूप में नीली अर्थव्यवस्था (ब्लू इकॉनमी) को उजागर करता है।
- भारत के पास 7517 कि.मी. लंबी तटरेखा के साथ अपनी एक अद्वितीय समुद्री स्थिति है जिसमे नौ तटीय राज्य और 1,382 द्वीप शामिल है।
- भारत तीनों ओर से समुद्र से घिरा हुआ है तथा तटीय क्षेत्रों और तटीय प्रदेशों में रहने वाली देश की लगभग 30% आबादी, एक प्रमुख आर्थिक कारक है।
- यह मत्स्य पालन और जलीय कृषि, पर्यटन, आजीविका और ‘ब्लू ट्रेड’ का समर्थन करता है।
डीप ओशन मिशन:
- इसे जून 2021 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किया गया था। इसका उद्देश्य संसाधनों के लिये गहरे समुद्र का अन्वेषण करना, महासागरीय संसाधनों के सतत् उपयोग के लिये गहरे समुद्र की प्रौद्योगिकियों का विकास करना और साथ ही भारत सरकार की नीली अर्थव्यवस्था संबंधी पहलों का समर्थन करना है।
- पाँच वर्ष की अवधि वाले इस मिशन की अनुमानित लागत 4,077 करोड़ रुपए है जिसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
अन्य संबंधित पहलें:
- सतत् विकास हेतु ‘ब्लू इकॉनमी’ पर भारत-नॉर्वे टास्क फोर्स: दोनों देशों के बीच संयुक्त पहल को विकसित करने और उसका पालन करने हेतु वर्ष 2020 में दोनों देशों द्वारा संयुक्त रूप से इसका उद्घाटन किया गया था।
- सागरमाला परियोजना: सागरमाला परियोजना बंदरगाहों के आधुनिकीकरण हेतु आईटी सक्षम सेवाओं के व्यापक उपयोग के माध्यम से बंदरगाह विकास के लिये एक रणनीतिक पहल है।
- ओ-स्मार्ट: ओ-स्मार्ट एक अम्ब्रेला योजना है जिसका उद्देश्य सतत् विकास के लिये महासागरों और समुद्री संसाधनों का विनियमित उपयोग करना है।
- एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन: यह तटीय और समुद्री संसाधनों के संरक्षण तथा तटीय समुदायों के लिये आजीविका के अवसरों में सुधार पर केंद्रित है।
- राष्ट्रीय मत्स्य नीति: भारत में समुद्री और अन्य जलीय संसाधनों से मत्स्य संपदा के सतत् उपयोग पर ध्यान केंद्रित कर 'ब्लू ग्रोथ इनिशिएटिव' को बढ़ावा देने हेतु एक राष्ट्रीय मत्स्य नीति मौजूद है।
स्रोत: पी.आई.बी.
प्रारंभिक परीक्षा
कोरोनावायरस का BF.7 वेरिएंट
चीन में कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों का कारण BF.7 को ओमिक्रोन का सब-वैरिएंट माना जा रहा है जो वहाँ पहले से उपस्थित है।
कोरोनावायरस का BF.7 संस्करण:
- चीन में प्रमुख वायरस स्ट्रेन BF.7 है, जो ओमिक्रोन का एक उप-संस्करण है, इसका संचरण एक साल से अधिक समय से हो रहा है।
- वर्तमान में ओमिक्रोन के 500 से अधिक सब-वेरिएंट प्रचलन में हैं।
- BF.7, BA.5.2.1.7 का नाम है, जो स्वयं BA.5 सब-वैरिएंट से विकसित हुआ है।
- BF.7 चीन के लिये अद्वितीय नहीं है।
- यह अक्तूबर 2022 में अमेरिका में 5% तथा यूके में 7% से अधिक मामलों के लिये ज़िम्मेदार था।
- जब वायरस उत्परिवर्तित होते हैं, तो वे संस्करण और उप-संस्करण बनाते हैं- जैसे SARS-CoV-2 पेड़ के मुख्य तने में शाखाएँ और उप-शाखाएँ निकलती हैं।
- एक शोध अध्ययन में बताया कि BF.7 सब-वैरिएंट में मूल D614G वैरिएंट की तुलना में 4.4 गुना अधिक न्यूट्रलाइज़ेशन प्रतिरोध क्षमता है, जिसका अर्थ है कि एक प्रयोगशाला में टीकाकृत या मूल वुहान वायरस, जो 2020 में दुनिया भर में फैल गया था, से संक्रमित व्यक्तियों के एंटीबॉडी में BF.7 को खत्म करने की संभावना कम थी।
- एक उच्च न्यूट्रलाइज़ेशन प्रतिरोध का मतलब है कि किसी आबादी में वैरिएंट के फैलने और अन्य वेरिएंट को बदलने की संभावना अधिक है।.
नए वेरिएंट कैसे बनते हैं?
- जब कोई वायरस गुणात्मक रूप से बढ़ता है, तो वह हमेशा अपनी एक सटीक प्रतिलिपि नहीं बना पाता है।
- इसका मतलब यह है कि समय के साथ वायरस अपने आनुवंशिक अनुक्रम के मामले में थोड़ा भिन्न हो सकता है।
- इस प्रक्रिया के दौरान वायरल अनुवांशिक अनुक्रम में कोई भी परिवर्तन उत्परिवर्तन के रूप में जाना जाता है।
- नए उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) वाले वायरस को कभी-कभी वेरिएंट कहा जाता है। वेरिएंट में एक या एक से अधिक म्यूटेशन का अंतर हो सकता है।
- जब एक नए वेरिएंट में मूल वायरस की तुलना में अलग-अलग कार्यात्मक गुण होते हैं और यह जन आबादी के बीच अपना स्थान बना लेता है, तो इसे कभी-कभी वायरस के नए स्ट्रेन के रूप में जाना जाता है।
- सभी स्ट्रेन, वेरिएंट होते हैं लेकिन सभी वेरिएंट स्ट्रेन नहीं होते।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न. कोविड-19 वैश्विक महामारी को रोकने के लिये बनाई जा रही वैक्सीनों के प्रसंग में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: B व्याख्या:
अत: विकल्प B सही है। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 22 दिसंबर, 2022
रामानुजन स्मृति दिवस
भारत में प्रतिवर्ष 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है। इसे रामानुजन स्मृति दिवस के नाम से भी जाना जाता है। यह देश के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन को समर्पित है जिनका जन्म 22 दिसंबर, 1887 को हुआ था। 22 दिसंबर, 2012 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने चेन्नई में महान गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर रामानुजन की 125वीं वर्षगाँठ पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए वर्ष 2012 को राष्ट्रीय गणित वर्ष एवं उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय गणित दिवस घोषित किया था। गणित का मानवता के विकास में बड़ा महत्त्व है। इस महत्त्व के प्रति लोगों के बीच जागरुकता पैदा करना राष्ट्रीय गणित दिवस का मुख्य उद्देश्य है। इलाहाबाद स्थित सबसे पुरानी विज्ञान अकादमी नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस इंडिया प्रत्येक वर्ष गणित के अनुप्रयोगों और रामानुजन पर कार्यशाला का आयोजन करती है।
कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र
रूसी सरकारी परमाणु ऊर्जा निगम, रोसेटम ने कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र को अधिक उन्नत ईंधन विकल्प प्रदान करने का प्रस्ताव किया है। कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र में TVS-2M फ्यूल एसेंबली के उपयोग से दूसरी इकाई में अभी उपयोग किये जा रहे UTVS फ्यूल एसेंबली के साथ 12 महीने के प्रचालन चक्र के स्थान पर 18 महीने का प्रचालन चक्र संचालित हो सकेगा। कुडनकुलम नाभिकीय विद्युत परियोजना (KKNPP) भारत के तमिलनाडु राज्य के कुडनकुलम में स्थित है। इस परियोजना में 1000 मेगावाट विद्युत क्षमता वाले दो यूनिट (KKNPP 1 तथा 2) हैं। पहले यूनिट ने 22 अक्तूबर, 2013 से विद्युत ग्रिड को विद्युत आपूर्ति करना आरंभ किया। दूसरी तरफ कुडनकुलम क्षेत्र में सैकड़ों पवन चक्कियाँ भी हैं, जिनमें से आठ परमाणु संयंत्र आधारित हैं। इन पवन टर्बाइनों की कुल क्षमता 2000 मेगावाट है और भारत में सबसे बड़े पवन फार्मों में से एक का प्रतिनिधित्व करती है।