इन्फोग्राफिक्स
इन्फोग्राफिक्स
शासन व्यवस्था
समग्र जल प्रबंधन प्रणाली
प्रिलिम्स के लिये:सतत् भूजल प्रबंधन, यूट्रोफिकेशन, स्वच्छ भारत मिशन, जल जीवन मिशन, खाद्य असुरक्षा। मेन्स के लिये:एकीकृत शहरी जल प्रबंधन प्रणाली, भारत में जल प्रबंधन के संबंध में चुनौतियाँ। |
चर्चा में क्यों?
शहरों के तेज़ी से विकसित होने के साथ ही जल की मांग में वृद्धि देखी गई है। भले ही आकांक्षाएँ , लोगों के शहरी क्षेत्रों में पलायन करने का कारण बनती हैं, लेकिन निकट भविष्य में लोगों के समक्ष पानी की कमी या न्यूनता एक बड़ी चुनौती बन सकती है।
समग्र जल प्रबंधन प्रणाली की आवश्यकता:
- वर्ष 2020 तक भारत की लगभग 35% आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती थी, वर्ष 2050 तक इसके दोगुना होने की संभावना है।
- शहरी क्षेत्रों में भूजल संसाधनों के उपयोग से केवल 45% मांग ही पूरी हो पाती है। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण ने भी जल संसाधनों पर दबाव बढ़ा दिया है।
- अधिकांश शहरों में जल की आपूर्ति की तुलना में मांग अधिक है, इसलिये जल प्रबंधन के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अधिकांश शहरी क्षेत्र जल के मामले में भविष्य में आत्मनिर्भर बन सकें।
- भारत में स्वच्छता, शहरी जल, वर्षा जल और अपशिष्ट जल जैसी उपयोगिताओं पर आधारित विभिन्न जल प्रबंधन प्रणालियाँ हैं जिनसे विभिन्न क्षेत्रों में पानी से संबंधित मुद्दों का समाधान होता है लेकिन अभी भी एकीकृत समाधान खोजना चुनौती बनी हुई है।
- इस प्रकार जल प्रबंधन के शेत्र में क्रांति आवश्यक है और भविष्य में जल के मामले में आत्मनिर्भरता के लिये अधिकांश शहरी क्षेत्रों में विश्वसनीय आपूर्ति हेतु एकीकृत शहरी जल प्रबंधन (IUWM) प्रणाली सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है।
‘एकीकृत शहरी जल प्रबंधन प्रणाली:
- परिचय:
- IUWM, जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें जल प्रबंधन और स्वच्छता योजना को आर्थिक विकास एवं भूमि उपयोग के अनुरूप तैयार किया जा सकता है।
- यह समग्र प्रक्रिया स्थानीय स्तर पर जल विभागों के बीच समन्वय को आसान बनाने के साथ शहरों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने तथा जल की आपूर्ति को अधिक कुशलता से प्रबंधित करने में भी मदद कर सकती है।
- जल प्रबंधन के उपागम:
- सहयोग-पूर्ण कार्रवाई::
- सभी हितधारकों के बीच स्पष्ट समन्वय होने से जवाबदेहिता को आसानी से परिभाषित किया जा सक्यता है।
- प्रभावी कानून स्थानीय अधिकारियों को मार्गदर्शन करने में मदद करेगा साथ ही जल प्रबंधन में स्थानीय समुदायों को शामिल करने समस्या का तेज़ी से समाधान होगा।
- जल के प्रति धारणा में बदलाव:
- यह समझना ज़रूरी है किस प्रकार आर्थिक विकास, शहर के बुनियादी ढाँचे और भूमि उपयोग के संबंध में ‘जल’ एक अभिन्न अंग है।
- जल को एक संसाधन के रूप में समझना:
- विभिन्न कार्यों के लिये ‘जल’ एक संसाधन है, इसलिये कृषि, औद्योगिक और पर्यावरणीय उद्देश्यों के आधार पर विभिन्न प्रकार के ‘जल’ का उपचार करना आसान हो जाएगा।
- विभिन्न शहरों के लिये अनुकूलित समाधान:
- IUWM का बल विशिष्ट संदर्भों और स्थानीय आवश्यकताओं पर रहता है तथा इसके तहत सभी के लिये एक ही उपाय अपनाने के बजाय समस्या के आधार पर भिन्न दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी जाती है।
- सहयोग-पूर्ण कार्रवाई::
भारत में जल प्रबंधन से संबद्ध चुनौतियाँ:
- ग्रामीण-शहरी संघर्ष:
- तेज़ी से हो रहे शहरीकरण के परिणामस्वरूप शहरों का विस्तार तेज़ी से हो रहा है और ग्रामीण क्षेत्रों से प्रवासियों की एक बड़ी संख्या ने शहरों में पानी के प्रति व्यक्ति उपयोग में वृद्धि की है जिससे इसकी कमी को पूरा करने के लिये ग्रामीण जलाशयों से शहरी क्षेत्रों में पानी स्थानांतरित किया जा रहा है।
- अप्रभावी अपशिष्ट जल प्रबंधन:
- अत्यधिक जल-तनाव के परिदृश्य में अपशिष्ट जल का अप्रभावी उपयोग भारत को अपने जल संसाधनों के इष्टतम उपयोग कर सकने में असमर्थ बना रहा है। शहरों में यह जल मुख्यतः ‘ग्रेवाटर’ के रूप में पाया जाता है।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट (मार्च 2021) के अनुसार, भारत की वर्तमान जल उपचार क्षमता 27.3% और सीवेज उपचार क्षमता 18.6% है (जहाँ अतिरिक्त 5.2% क्षमता जोड़ी जा रही है)।
- खाद्य सुरक्षा जोखिम:
- फसल और पशुधन उत्पादन के लिये जल आवश्यक है। कृषि में सिंचाई के लिये जल का वृहत उपयोग किया जाता है और जल घरेलू उपभोग का भी एक प्रमुख स्रोत है। तेज़ी से गिरते भूजल स्तर तथा अक्षम नदी जल प्रबंधन के संयोजन से खाद्य असुरक्षा की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- जल एवं खाद्य की कमी से उत्पन्न प्रभाव आधारभूत आजीविका को नष्ट कर सकते हैं एवं सामाजिक तनाव को बढ़ा सकते हैं।
- बढ़ता जल प्रदूषण:
- घरेलू, औद्योगिक और खनन अपशिष्टों की एक बड़ी मात्रा जल निकायों में बहाई जाती है, जिससे जलजनित रोग उत्पन्न हो सकते हैं। इसके अलावा जल प्रदूषण से सुपोषण या यूट्रोफिकेशन (Eutrophication) की स्थिति बन सकती है जो जलीय पारिस्थितिक तंत्र को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।
- भूजल का अत्यधिक दोहन:
- केंद्रीय भूजल बोर्ड के नवीनतम अध्ययन के अनुसार, भारत के 700 ज़िलों में से 256 ज़िलों ने गंभीर या अत्यधिक दोहित भूजल स्तर की सूचना दी है।
- नीति आयोग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अपने इतिहास के सबसे खराब जल संकट से जूझ रहा है, जिसमें कहा गया है कि 21 शहरों- जिनमें बंगलूरू, दिल्ली, हैदराबाद और चेन्नई शामिल हैं, ने शायद वर्ष 2021 में अपने भूजल संसाधनों को समाप्त कर दिया।
- अति-निर्भरता और निरंतर खपत के कारण भूजल संसाधनों पर दबाव बढ़ता ही जा रहा है तथा इसके परिणामस्वरूप कुएँ, पोखर, तालाब आदि सूख रहे हैं। इससे जल संकट गहरा होता जा रहा ह।
जल प्रबंधन से संबंधित वर्तमान सरकारी पहलें:
- राष्ट्रीय जल नीति, 2012
- स्वच्छ भारत मिशन
- जल जीवन मिशन
- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
- जलशक्ति अभियान- ‘कैच द रेन’ अभियान
- अटल भूजल योजना
- सुजलम 2.0
- अमृत सरोवर मिशन
आगे की राह
- जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या वृद्धि के कारण पानी के उपयोग में वृद्धि के कारण बेहतर शहरी जल प्रबंधन के लिये नए समाधानों को नियोजित किये जाने की आवश्यकता है। स्थानीय संदर्भों में अधिक से अधिक लोगों को इससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से अवगत कराने की आवश्यकता है।
- इसी प्रकार हमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्थानीय विभागों जैसे संस्थानों में बदलाव करने की आवश्यकता है अतः यह आवश्यक है कि पानी के मुद्दों को हल करने के लिये समग्र और प्रणालीगत समाधान लागू किये जाएँ।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:प्रिलिम्स:प्रश्न. 'एकीकृत जलसंभर विकास कार्यक्रम' को कार्यान्वित करने के क्या लाभ हैं?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) व्याख्या:
अतः विकल्प (c) सही है। प्रश्न. पृथ्वी ग्रह पर अधिकांश अलवण जल बर्फ छत्रक और हिमनद के रूप में मौजूद है। शेष अलवण जल का सबसे अधिक भाग है: (2013) (a) वातावरण में नमी और बादलों के रूप में पाया जाता है उत्तर: (c) प्रश्न. भारत की राष्ट्रीय जल नीति का आकलन कीजिये। गंगा नदी को एक उदाहरण के रूप में लेते हुए, उन रणनीतियों पर चर्चा कीजिये जिन्हें नदी जल प्रदूषण नियंत्रण और प्रबंधन के लिये अपनाया जा सकता है। भारत में खतरनाक कचरे के प्रबंधन के कानूनी प्रावधान क्या हैं? (2013) प्रश्न. "भारत में घटते भूजल संसाधनों का आदर्श समाधान जल संचयन प्रणाली है"। इसे शहरी क्षेत्रों में कैसे प्रभावी बनाया जा सकता है? (2018) प्रश्न. जल तनाव (Water Stress) क्या है? यह भारत में क्षेत्रीय रूप से कैसे और क्यों भिन्न है? (2019) |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
शासन व्यवस्था
स्वच्छ सर्वेक्षण अवार्ड 2022
प्रिलिम्स के लिये:स्वच्छ सर्वेक्षण 2022, स्वच्छ भारत मिशन. मेन्स के लिये:कल्याणकारी योजनाएँ, विकास. |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में,राष्ट्रपति ने स्वच्छ भारत मिशन- U (शहरी) के दूसरे चरण (2.0) के रूप में आयोजित Azadi@75 स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 के हिस्से के तौर पर इंदौर को लगातार छठे वर्ष सबसे स्वच्छ शहर के रूप में सम्मानित किया।
- इंदौर भारत के पहले 7-स्टार कचरा मुक्त शहर के रूप में उभरा, जबकि सूरत, भोपाल, मैसूर, नवी मुंबई, विशाखापत्तनम और तिरुपति ने 5-स्टार कचरा मुक्त प्रमाणपत्र अर्जित किये।
स्वच्छ सर्वेक्षण अवार्ड:
- विषय:
- स्वच्छ सर्वेक्षण का आयोजन वर्ष 2016 से किया जा रहा है और यह दुनिया का सबसे बड़ा शहरी सफाई और स्वच्छता सर्वेक्षण है।
- यह कस्बों और शहरों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा की भावना को बढ़ावा देने में सहायक रहा है ताकि नागरिकों को उनकी सेवा वितरण में सुधार किया जा सके और स्वच्छ शहरों का निर्माण किया जा सके।
- यह स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के अंतर्गत आयोजित किया जाता है।
- उद्देश्य: इस स्वच्छ सर्वेक्षण का प्राथमिक लक्ष्य बड़े पैमाने पर नागरिकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना और कस्बों एवं शहरों को रहने के लिये बेहतर स्थान बनाने की दिशा में मिलकर काम करने के महत्त्व के बारे में समाज के सभी वर्गों के बीच जागरूकता पैदा करना है।
- नोडल मंत्रालय: आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय (MoHUA)।
स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2022
- सबसे स्वच्छ शहर:
- 1 लाख से अधिक आबादी: झीलों और महलों के शहर इंदौर को सबसे स्वच्छ शहर का खिताब प्राप्त हुआ, जबकि सूरत को दूसरा सबसे स्वच्छ शहर चुना गया, लगातार दूसरी बार नवी मुंबई ने तीसरा स्थान हासिल किया।
- 1 लाख से कम आबादी: महाराष्ट्र के पंचगनी और कराड ने क्रमश: पहला एवं तीसरा स्थान हासिल किया, जबकि छत्तीसगढ़ के पाटन ने दूसरा स्थान हासिल किया।
- बेस्ट गंगा टाउन: उत्तराखंड के हरिद्वार को एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में सर्वश्रेष्ठ गंगा टाउन का पुरस्कार मिला।
- फास्ट मूवर सिटी अवार्ड: शिवमोग्गा, कर्नाटक।
- सबसे स्वच्छ राज्य:
- 100 से अधिक शहरी स्थानीय निकायों वाले राज्य: मध्य प्रदेश 'सबसे स्वच्छ राज्य' के रूप में उभरा, छत्तीसगढ़ दूसरे स्थान पर और महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर रहा।
- 100 से कम शहरी स्थानीय निकायों वाले राज्य: त्रिपुरा सबसे स्वच्छ राज्य के रूप में उभरा। झारखंड और उत्तराखंड को क्रमश: दूसरा एवं तीसरा स्थान मिला।
स्वच्छ भारत मिशन 2.0
- बजट 2021-22 में घोषित SBM-U 2.0, SBM-U के पहले चरण की निरंतरता है।
- इसके अंतर्गत भारत सरकार शौचालयों से मल, कीचड़ और सेप्टेज की सुरक्षित रोकथाम कर उनका परिवहन एवं उचित निपटान करने का प्रयास कर रही है। इसे 1.41 लाख करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ वर्ष 2021 से 2026 तक पाँच वर्षों की अवधि के लिये लागू किया गया है।
- यह कचरे का स्रोत पर पृथक्करण, एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक और वायु प्रदूषण में कमी, निर्माण एवं विध्वंस गतिविधियों से निकलने वाले कचरे का प्रभावी ढंग से प्रबंधन तथा सभी पुराने डंप साइट के बायोरेमेडिएशन पर केंद्रित है।
- इस मिशन के तहत अपशिष्ट जल को जल निकायों में छोड़ने से पहले ठीक से उपचारित किया जाएगा, और सरकार अधिकतम पुन: उपयोग को प्राथमिकता देने का प्रयास कर रही है।
स्रोत: द हिंदू
भारतीय इतिहास
लाल बहादुर शास्त्री के जीवन के नैतिक मूल्य
मेन्स के लिये:लाल बहादुर शास्त्री के जीवन के नैतिक मूल्य |
चर्चा में क्यों?
भारत ने 2 अक्तूबर, 2022 को देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 118वीं जयंती मनाई।
शास्त्री जी का जीवन एक संदेश:
- जाति व्यवस्था के खिलाफ:
- शास्त्री का जन्म रामदुलारी देवी और शारदा प्रसाद श्रीवास्तव के घर हुआ था। हालाँकि प्रचलित जाति व्यवस्था के खिलाफ होने के कारण उन्होंने अपना उपनाम छोड़ने का फैसला किया।
- वर्ष 1925 में वाराणसी के काशी विद्यापीठ से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें 'शास्त्री' की उपाधि दी गई।
- 'शास्त्री' शीर्षक 'विद्वान' या ऐसे व्यक्ति को संदर्भित करता है, जो पवित्र शास्त्रों का ज्ञाता होता है। इस प्रकार शास्त्री जी ने छोटी सी उम्र में ही व्यापक दृष्टिकोण अपनाया।
- प्रतिकूल समय के दौरान ज़िम्मेदारियाँ लेना:
- वह देश की असंख्य ज़िम्मेदारियों को उठाने वाले सार्वजनिक जीवन जीने वाले दिग्गजों में से एक थे।
- विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने खुद को जवाबदेह ठहराने के साथ एक सच्चे नेता के गुणों का प्रदर्शन किया।
- इतने कर्तव्यनिष्ठ थे कि जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में रेल मंत्री रहने के दौरान वर्ष 1956 में तमिलनाडु के अरियालुर में एक ट्रेन दुर्घटना के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
- इनके व्यक्तित्व की नेहरू सहित सभी ने सराहना की,गई जिन्हें वे अपना "हीरो" मानते थे।
- सार्वजनिक और निजी जीवन में एकरूपता:
- वर्ष 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान देश खाद्यान्न की भारी कमी का सामना कर रहा था।
- इस समय अमेरिका की तरफ से भी खाद्य आपूर्ति में कटौती का अतिरिक्त दबाव था।
- इस संकट का सामना करते हुए लाल बहादुर शास्त्री ने घोषणा की कि अगले कुछ दिनों के लिये वह अपने पूरे परिवार के साथ शाम का भोजन छोड़ देंगे।
- वर्ष 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान देश खाद्यान्न की भारी कमी का सामना कर रहा था।
- नैतिकता:
- ऐसा कहा जाता है कि उनके आधिकारिक उपयोग वाली कार का एक बार उनके बेटे ने इस्तेमाल कर लिया था।
- जब उन्हें इस बात का पता चला तब उन्होंने अपने ड्राइवर से यह पता करने को कहा कि गाड़ी कितनी दूर चली है और फिर बाद में उन्होंने सरकार के खाते में उतना पैसा जमा कर दिया।
- ऐसा कहा जाता है कि उनके आधिकारिक उपयोग वाली कार का एक बार उनके बेटे ने इस्तेमाल कर लिया था।
लाल बहादुर शास्त्री की प्रासंगिकता:
- भारतीयों को उनकी सादगी, विनम्रता, मानवतावाद, तपस्या, कड़ी मेहनत, समर्पण और राष्ट्रवाद का अनुकरण करना चाहिये।
- वर्ष 1964 में शास्त्री जी का पहला स्वतंत्रता दिवस भाषण आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि उस समय था। इसमें उन्होंने चरित्र निर्माण एवं नैतिक शक्ति पर ज़ोर दिया था, जिसका विशेष महत्त्व है, खासकर तब जब हम अपने आसपास मूल्यों के सर्वांगीण पतन को देख सकते हैं।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
कृषि
वनों द्वारा कृषि-खाद्य प्रणालियों का परिवर्तन
प्रिलिम्स के लिये:FAO, संयुक्त राष्ट्र, वनों की कटाई मेन्स के लिये:खाद्य सुरक्षा, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने वनों की कटाई, मवेशी चराई और फार्म स्कूलों पर एक रिपोर्ट जारी की है।
- FAO ने ग्लोबल लैंडस्केप फोरम डिजिटल फोरम ट्रांसफॉर्मिंग एग्रीफूड सिस्टम्स विद फॉरेस्ट्स में यह रिपोर्ट जारी की।
- एक फार्मर्स फील्ड स्कूल किसानों, पशुधन चरवाहों या मछुआरों के समूह को एकजुट करता है ताकि वे जटिल कृषि-पारिस्थितिकी प्रणालियों को बेहतर ढंग से समझकर और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बढ़ाकर अधिक टिकाऊ उत्पादन पद्धतियों में बदलने की प्रक्रिया को समझ सकेंं।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:
- वैश्विक आबादी की खाद्य सामग्रियों की मांग वर्ष 2050 में वर्ष 2012 की तुलना में 50% अधिक होगी।
- फसल और पशुधन उत्पादन के लिये 165 से 600 मिलियन हेक्टेयर अधिक भूमि की आवश्यकता होगी, जिसमें से अधिकांश वर्तमान में जंगलों और अन्य महपूर्ण पारिस्थितिकी प्रणालियों द्वारा कवर किये हुए हैं।
- वर्ष 2000 और 2018 के बीच वैश्विक वनों की कटाई का लगभग 90% कृषि विस्तार के कारण था।
- यह कार्बन अनुक्रमण और जैवविविधता जैसी संबद्ध पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
- FAO के ग्लोबल फॉरेस्ट रिसोर्सेज़ असेसमेंट 2022 के अनुसार, दुनिया ने पिछले दो दशकों में 420 मिलियन हेक्टेयर जंगलों का विनाश कर दिया है।
- वनोन्मूलन की दर को धीमा करने के लिये वन महपूर्ण हैं, जो 2000-2010 तक प्रतिवर्ष 11 मिलियन हेक्टेयर था।
सुझाव:
- 'वनोनुकूल' खाद्य उत्पादन:
- यही समय है कि कृषि और वनों के बीच तालमेल के आधार पर टिकाऊ वैश्विक कृषि खाद्य प्रणालियों का निर्माण किया जाए जो दोनों क्षेत्रों के को फायदेमंद परिणाम प्रदान करें।
- सरकारों को इस दिशा में प्रयास करने की आवश्यकता है कि वे इस प्रकार की कृषि को अधिक प्रोत्साहित करें जिसमे वनों और जैवविविधता पर प्रभाव कम पड़े तथा उत्पादन भी अच्छी हो।
- सरकारों को छोटे जोत वाले किसानों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, जो दुनिया के लगभग 35% खाद्यान का उत्पादन करते हैं, लेकिन अक्सर गरीबी में रहते हैं और अपने कृषि विधि के तरीके को बदलने के बाद होने वाली आय उनकी लागत को वहन करने हेतु पर्याप्त नहीं होती है।
- निम्नीकृत भूमि का पुनरूद्धार:
- उचित रूप से एकीकृत चराई खराब भूमि में वृक्षारोपण करने से मरुस्थलीकरण और शुष्क भूमि में वनाग्नि की रोकथाम में सुधार करने में महपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
- शुष्क भूमि, लगभग 25% वैश्विक जनसंख्या का घर है, जिसमें दुनिया के 50% पशुधन, दुनिया के 27% वन हैं और जहाँ दुनिया का लगभग 60% खाद्य उत्पादन होता है।
- Drylands are home to about 25% of the global population
- सिल्वोपास्ट्रोलिज़्म भूमि क्षरण को रोककर स्थानीय समुदायों की खाद्य सुरक्षा और आय को बढ़ाने में भी मदद कर सकता है।
- शुष्क भूमि में पौधे पशु चारा, लकड़ी और फल प्रदान करते हैं, साथ ही जैवविविधता को बढ़ाने एवं मृदा व जल चक्र को विनियमित करने में मदद करते हैं।
- साथ ही पशुओं को चराने से वनस्पति को नियंत्रित करने, जंगल की आग के जोखिम को कम करने, पोषक चक्र में तेज़ी लाने और मृदा की उर्वरता में सुधार करने में मदद मिलती है।
- उचित रूप से एकीकृत चराई खराब भूमि में वृक्षारोपण करने से मरुस्थलीकरण और शुष्क भूमि में वनाग्नि की रोकथाम में सुधार करने में महपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
- समाधान का हिस्सा:
- एग्रोफोरेस्ट्री का उपयोग करते हुए एक एकीकृत परिदृश्य दृष्टिकोण के हिस्से के रूप में परिदृश्य योजनाकारों और निर्णय निर्माताओं को पशुधन को समाधान के रूप में देखना चाहिये तथा वृक्ष आवरण (जब पेड़ का कवर 30 और 70% के बीच हो) को सावधानीपूर्वक बहाल करना चाहिये।
खाद्य और कृषि संगठन (FAO):
- परिचय:
- खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक विशेष एजेंसी है जो भूख को समाप्त करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत् करती है।
- प्रत्येक वर्ष विश्व में 16 अक्तूबर को विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है।
- खाद्य और कृषि संगठन की स्थापना वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ के तहत की गई थी।
- यह संयुक्त राष्ट्र के खाद्य सहायता संगठनों में से एक है जो रोम (इटली) में स्थित है। इसके अलावा विश्व खाद्य कार्यक्रम और कृषि विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय कोष (IFAD) भी इसमें शामिल हैं।
- पहल:
- विश्व स्तर पर महत्पूर्ण कृषि विरासत प्रणाली (GIAHS)।
- विश्व में मरुस्थलीय टिड्डी की स्थिति पर नज़र रखना।
- कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमीशन या CAC संयुुक्त रुप से FAO/WHO के खाद्य मानक कार्यक्रम के कार्यान्वयन के संबंध में सभी मामलों के लिये ज़िम्मेदार निकाय है।
- खाद्य और कृषि के लिये पादप आनुवंशिक संसाधनों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि।
फ्लैगशिप पब्लिकेशन (Flagship Publications):
- वैश्विक मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर की स्थिति (SOFIA)।
- विश्व के वनों की स्थिति (SOFO)।
- वैश्विक खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति (SOFI)।
- खाद्य और कृषि की स्थिति (SOFA)।
- कृषि कोमोडिटी बाज़ार की स्थिति (SOCO)।
- विश्व खाद्य मूल्य सूचकांक
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)Q. FAO पारम्परिक कृषि प्रणालियों को 'सार्वभौमिक रूप से महपूर्ण कृषि विरासत प्रणाली (Globally Important System 'GIAHS)' की हैसियत प्रदान करता है। इस पहल का संपूर्ण लक्ष्य क्या है?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (b) |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
सप्त कोसी उच्च बाँध परियोजना
प्रिलिम्स के लिये:भारत-नेपाल संबंध, सप्त कोसी उच्च बाँध परियोजना, महाकाली संधि, भारत-नेपाल सीमा मेन्स के लिये:भारत-नेपाल संबंध और हाल के घटनाक्रम, सप्त कोसी उच्च बाँध परियोजना, महाकाली संधि |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और नेपाल आगे के अध्ययन के माध्यम से सप्त कोसी उच्च बाँध परियोजना को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।
- दोनों पक्षों के वरिष्ठ अधिकारियों ने महाकाली संधि के कार्यान्वयन सहित द्विपक्षीय जल-क्षेत्र सहयोग की बैठक और समीक्षा की।
सप्त कोसी उच्च बाँध परियोजना और महाकाली संधि:
- सप्त कोसी उच्च बाँध परियोजना:
- सप्त कोसी उच्च बाँध नेपाल की सप्तकोशी नदी (भारत में कोसी नदी के रूप में जानी जाने वाली) पर निर्मित करने के लिये प्रस्तावित एक बहुउद्देश्यीय परियोजना है।
- इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य दक्षिण-पूर्व नेपाल और उत्तरी बिहार में बाढ़ को नियंत्रित करना तथा जलविद्युत उत्पन्न करना है।
- यह परियोजना सिंचाई की सुविधा प्रदान करेगी, बाढ़ को नियंत्रित करेगी और 3,000 मेगावाट विद्युत पैदा करेगी।
- महाकाली संधि:
- महाकाली नदी के एकीकृत विकास पर वर्ष 1996 में महाकाली संधि पर हस्ताक्षर किये गए थे, जिसमें सारदा बैराज, टनकपुर बैराज और पंचेश्वर परियोजना शामिल हैं।
- महाकाली नदी को उत्तराखंड में शारदा नदी या काली गंगा के नाम से भी जाना जाता है।
- यह उत्तर प्रदेश में घाघरा नदी में मिलती है, जो गंगा की एक सहायक नदी है।
कोसी नदी प्रणाली:
- कोसी एक सीमा-पारीय नदी है जो तिब्बत, नेपाल और भारत से होकर प्रवाहित होती है।
- इसका स्रोत तिब्बत में है जिसमें दुनिया की सबसे ऊँचाई पर स्थित भू-भाग शामिल है; इसके बाद यह गंगा के मैदानों में उतरने से पहले नेपाल के एक बड़े भाग से प्रवाहित होती है।
- इसकी तीन प्रमुख सहायक नदियाँ- सूर्य कोसी, अरुण और तैमूर हिमालय की तलहटी से कटी हुई 10 किमी की घाटी के ठीक ऊपर एक बिंदु पर मिलती हैं।
- यह नदी भारत के उत्तरी बिहार में कटिहार ज़िले के कुर्सेला के पास गंगा में मिलने से पहले कई शाखाओं में बँट जाती है।
- भारत में ब्रह्मपुत्र के बाद कोसी में अधिकतम मात्रा में गाद और रेत पाई जाती है।
- इसे "बिहार का शोक" के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि वार्षिक बाढ़ लगभग 21,000 वर्ग किमी. क्षेत्र को प्रभावित करती है। उपजाऊ कृषि भूमि के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है।
भारत-नेपाल संबंधों में हाल के कुछ अन्य घटनाक्रम:
- बिल्ड ऑन ऑपरेट एंड ट्रांसफर (BOOT):
- वर्ष 2008 में परियोजना के लिये नेपाल सरकार और सतलुज जल विकास निगम (SJVN) लिमिटेड के बीच पाँच साल की नर्म अवधि सहित 30 साल की अवधि ेकी बिल्ड ओन ऑपरेट एंड ट्रांसफर (BOOT) आधार पर निष्पादन हेतु एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- जल विद्युत परियोजनाएँ:
- नेपाल ने भारतीय कंपनियों को नेपाल में पश्चिम सेती जलविद्युत परियोजना में निवेश करने के लिये भी आमंत्रित किया।
- सीमा पार रेल लिंक :
- जयनगर (बिहार) से कुर्था (नेपाल) तक 35 किलोमीटर के क्रॉस-बॉर्डर रेल लिंक के संचालन को आगे बिजलपुरा और बर्दीबास तक बढ़ाया जाएगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (वर्ष 2016)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (A) केवल 1 और 2 उत्तर: C व्याख्या:
अतः विकल्प (c) सही है। |