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डेली न्यूज़

  • 01 Jun, 2021
  • 32 min read
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

बेबी स्क्विड्स और टार्डिग्रेड्स को अंतरिक्ष में भेजने की योजना

चर्चा में क्यों?

नासा (NASA) विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों के संचालन के लिये बेबी स्क्विड्स और टार्डिग्रेड्स (Baby Squids and Tardigrades- जिसे वाटर बियर भी कहा जाता है) को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station) में भेजने की योजना बना रहा है।

प्रमुख बिंदु

अध्ययन: ये दोनों जंतु अलग-अलग वैज्ञानिक अध्ययनों का हिस्सा हैं।

  • स्पेसफ्लाइट के वातावरण में टार्डिग्रेड्स (वाटर बियर) का व्यवहार।
    • टार्डिग्रेड पृथ्वी पर उच्च दबाव, तापमान और विकिरण जैसी चरम परिस्थितियों में अपने आप को बनाए रख सकते हैं।
  • सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण का स्क्विड और लाभकारी रोगाणुओं के बीच संबंधों पर प्रभाव।
    • स्क्विड उमामी (UMAMI- पशु-सूक्ष्मजीव के बीच परस्पर क्रिया पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण की समझ) इस अध्ययन का एक हिस्सा है जो लाभकारी रोगाणुओं और उनके पशु होस्ट (Host) के बीच परस्पर क्रिया पर स्पेसफ्लाइट के प्रभावों की जाँच करता है।

अध्ययन का महत्त्व:

  • होस्ट-सूक्ष्मजीव संबंध:
    • पृथ्वी पर यह जानवरों और लाभकारी रोगाणुओं के बीच जटिल संबंधों को बचाने और यहाँ तक ​​कि बेहतर मानव स्वास्थ्य तथा कल्याण सुनिश्चित करने के तरीके खोजने में मदद करेगा।
    • यह अंतरिक्ष एजेंसियों की लंबी अवधि के मिशनों पर पड़ने वाले प्रतिकूल होस्ट-सूक्ष्मजीव परिवर्तनों से अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा का बेहतर उपाय विकसित करने में मदद करेगा।
  • लंबी अंतरिक्ष उड़ानें:
    • टार्डिग्रेड्स पर किये गए अध्ययन से शोधकर्त्ताओं को उनकी कठोरता का करीब से अध्ययन करने और संभवतः उन जीनों की पहचान करने का अवसर मिलेगा जो इन्हें अत्यधिक लचीला बनाते हैं। यह अध्ययन सुरक्षित तथा लंबी अंतरिक्ष उड़ानों में मदद करेगा।
    • इसी तरह ज़ेब्राफिश (Zebrafish) पर हाल के एक शोध ने प्रदर्शित किया कि कैसे प्रेरित शीतनिद्रा अंतरिक्ष उड़ान के दौरान अंतरिक्ष के तत्त्वों, विशेषकर विकिरण से मनुष्यों की रक्षा कर सकती है।

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन

  • यह एक रहने योग्य कृत्रिम उपग्रह है, जिसे ‘लो-अर्थ ऑर्बिट’ में मानव निर्मित सबसे बड़ा ढाँचा माना जाता है। इसका पहला हिस्सा वर्ष 1998 में ‘लो-अर्थ ऑर्बिट’ में लॉन्च किया गया था।
  • यह लगभग 92 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर लगाता है और प्रतिदिन पृथ्वी की 15.5 परिक्रमाएँ पूरी करता है।
  • ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन’ कार्यक्रम पाँच प्रतिभागी अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच एक संयुक्त परियोजना है: नासा (अमेरिका), रॉसकॉसमॉस (रूस), जाक्सा (जापान), ESA (यूरोप) और CSA (कनाडा)। हालाँकि इसके स्वामित्व और उपयोग को अंतर-सरकारी संधियों और समझौतों के माध्यम से शासित किया जाता है।
  • यह एक माइक्रोग्रैविटी और अंतरिक्ष पर्यावरण अनुसंधान प्रयोगशाला के रूप में कार्य करता है जिसमें चालक दल के सदस्य जीव विज्ञान, मानव जीव विज्ञान, भौतिकी, खगोल विज्ञान, मौसम विज्ञान और अन्य विषयों से संबंधित प्रयोग करते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के कारण ही ‘लो-अर्थ ऑर्बिट’ में निरंतर मानवीय उपस्थिति संभव हो पाई है।
  • इसके वर्ष 2030 तक संचालित रहने की उम्मीद है।
  • हाल ही में चीन ने अपने स्थायी अंतरिक्ष स्टेशन का एक मानव रहित मॉड्यूल लॉन्च किया जिसे वर्ष 2022 के अंत तक पूरा करने की उसकी योजना है।
    • ‘तियानहे’ या ‘हॉर्मनी ऑफ द हैवन्स’ नामक इस मॉड्यूल को चीन के सबसे बड़े मालवाहक रॉकेट लॉन्ग मार्च 5 बी से लॉन्च किया गया है।
  • भारत भी आगामी 5 से 7 वर्षों में अंतरिक्ष में सूक्ष्म गुरुत्त्व संबंधी प्रयोगों का संचालन करने के लिये ‘लो अर्थ ऑर्बिट’ में अपने स्वयं के अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण की दिशा में कार्य कर रहा है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय राजव्यवस्था

मुख्य सचिव के स्थानांतरण संबंधी मुद्दा

प्रिलिम्स के लिये

कैबिनेट की नियुक्ति समिति, अखिल भारतीय सेवाएँ, मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ, संघ लोक सेवा आयोग

मेन्स के लिये

अखिल भारतीय सेवाओं की भूमिका, मुख्य सचिव की नियुक्ति,  पदास्थिति, कार्यकाल, संघ लोक सेवा आयोग की भूमिका एवं कार्य

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है, क्योंकि वह पूर्व-आदेशानुसार नई दिल्ली में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग  (DoPT) को रिपोर्ट करने में विफल रहे हैं।

  • कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (कैडर) नियम, 1954 के नियम 6(1) के प्रावधानों के अनुसार मुख्य सचिव की सेवाओं की नियुक्ति (Placement of Services) को मंज़ूरी दे दी है।
    • ACC का नेतृत्व प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है और गृह मंत्री इसका सदस्य होता है।

प्रमुख बिंदु 

राज्य का मुख्य सचिव:

  • नियुक्ति
    • मुख्य सचिव का चुनाव (Chosen) मुख्यमंत्री द्वारा किया जाता है।
    • चूँकि मुख्य सचिव की नियुक्ति मुख्यमंत्री की कार्यकारी आदेश से होती है, इसलिये इसे राज्य के राज्यपाल द्वारा नामित किया जाता है।
  • पदास्थिति: 
    • मुख्य सचिव (Chief Secretary)  भारतीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सिविल सेवाओं का वरिष्ठतम पद है।
    • यह पद भारतीय प्रशासनिक सेवा की संवर्ग या कॉडर (Cadre ) पद  है। 
    • मुख्य सचिव राज्य प्रशासन (मंत्रिमंडल) से जुड़े सभी मामलों में मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार के रूप में कार्य करता है ।
  • कार्यकाल: 
    •  मुख्य सचिव के पद को कार्यकाल प्रणाली के संचालन से बाहर रखा गया है।
    • इस पद के लिये कोई निश्चित कार्यकाल निर्धारित नहीं है।

अखिल भारतीय सेवाएँ (AIS):

  • स्वतंत्रता पूर्व
    • भारतीय सिविल सेवा (ICS) भारत में ब्रिटिश शासन (CROWN) की सेवाओं में सबसे वरिष्ठ थी।
    • भारतीय सिविल सेवा के अतिरिक्त ब्रिटिश शासन के दौरान यहाँ 'इंपीरियल पुलिस' व्यवस्था भी थी।
  • स्वतंत्रता-पश्चात् : 
    • स्वतंत्रता-पश्चात् राष्ट्र की एकता, अखंडता और स्थिरता बनाए रखने के लिये अखिल भारतीय सेवाओं की आवश्यकता थी। 
    • संवैधानिक प्रावधान:  केंद्र और राज्‍यों के लिये एक समान एक या अधिक अखिल भारतीय सेवाओं का सृजन करने हेतु संविधान के अनुच्‍छेद 312 में प्रावधान किया गया है। 
    • भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) का गठन को संविधान के अनुच्छेद 312 के तहत संसद द्वारा किया गया है।
    • संविधान की घोषणा के पश्चात् वर्ष 1966 में एक नई अखिल भारतीय सेवा, अर्थात् भारतीय वन सेवा (IFS) का गठन किया गया।
  • भर्ती और पोस्टिंग: 
    • केंद्र द्वारा इन सेवाओं हेतु सदस्यों की भर्ती की जाती है, परंतु उनकी सेवाएँ विभिन्‍न राज्‍य संवर्गों में दी जाती हैं और उनके लिये राज्‍य तथा केंद्र दोनों के अधीन सेवा देने का दायित्व होता है।
    • अखिल भारतीय सेवाओं का यह पहलू भारतीय संघ के एकात्मक चरित्र को मज़बूती प्रदान करता है।
  • नियंत्रण प्राधिकरण:
    • कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय IAS के लिये संवर्ग नियंत्रण प्राधिकरण है।
      • भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों के लिये केंद्रीय गृह मंत्रालय कैडर नियंत्रक प्राधिकरण (Controller Authority) है। 
    • तीनों अखिल सेवाओं में भर्ती प्रक्रिया संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित की जाती है।
    • इन अधिकारियों की भर्ती केंद्र सरकार द्वारा की जाती है और प्रशिक्षण के पश्चात् उन्हें राज्य संवर्ग आवंटित किया जाता है।
  • IAS संवर्ग (Cadre) नियम:
    • अखिल भारतीय सेवा अधिनियम, 1951 के प्रभावी होने के पश्चात् वर्ष 1954 में IAS संवर्ग (Cadre) के लिये नियम बनाया गया। 
    • संवर्ग अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति: आईएएस संवर्ग नियमों के अनुसार  एक अधिकारी को “संबंधित राज्य सरकार और केंद्र सरकार की सहमति से ही केंद्र सरकार या किसी अन्य राज्य सरकार के अधीन सेवा के लिये  प्रतिनियुक्त किया जा सकता है।
    • असहमति का प्रावधान:  किसी भी असहमति के मामले में प्रकरण पर केंद्र सरकार द्वारा निर्णय लिया जाएगा और राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार के निर्णय को लागू किया जाएगा।
      • केंद्र को अधिक विवेकाधीन अधिकार देने वाले प्रतिनियुक्ति के मामले में उक्त नियम मई 1969 में जोड़ा गया था।
  • सेवा का विस्तार:
    • मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ (DCRB) के नियम 16(1) में कहा गया है कि “सेवा का एक सदस्य जो बजट संबंधित कार्य करता है या एक समिति के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में काम करता है, जिसे एक छोटी अवधि के भीतर समाप्त किया जाना है। केंद्र सरकार के पूर्वानुमोदन से जनहित में तीन महीने से अनधिक अवधि के लिये सेवा विस्तार दिया जाए।” 
    • किसी राज्य के मुख्य सचिव के पद पर नियुक्त अधिकारी के लिये यह विस्तार छह महीने की अवधि तक हो सकता है।

प्रतिनियुक्ति में वरीयता:

  • सहमति आवश्यक:  AIS के किसी अधिकारी को केंद्र में प्रतिनियुक्ति के लिये बुलाए जाने से पूर्व उसकी सहमति आवश्यक है।
  • प्रक्रिया:  DoPT में स्थापित अधिकारी राज्य सरकारों से नामांकन आमंत्रित करता है।
    • एक बार नामांकन प्राप्त होने के पश्चात् एक पैनल द्वारा उनकी पात्रता की जाँच की जाती है और फिर एक प्रस्ताव सूची तैयार की जाती है, जो परंपरागत रूप से राज्य सरकार के साथ साझा की जाती है।
    • केंद्रीय मंत्रालय और कार्यालय प्रस्तावित अधिकारियों की सूची में से उसे चुन सकते हैं। 
  • आदेश अस्वीकार करने पर कार्रवाई का प्रावधान:
    • अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 ऐसे मामलों के संदर्भ में सज़ा या दंड के प्रावधान स्पष्ट नहीं हैं। 
    • दंड प्राधिकरण: नियम 7 में यह प्रावधान है कि कार्यवाही शुरू करने और जुर्माना लगाने का अधिकार राज्य सरकार को होगा जबकि वह "राज्य के मामलों के संबंध में सेवा कर रहा था।"

स्रोत: द हिंदू


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

विदेश मंत्री की यूएस यात्रा

प्रिलिम्स के लिये 

लीडर्स समिट ऑन क्लाइमेट (Leaders' Summit on Climate),  बौद्धिक संपदा अधिकार, इंडो-पैसिफिक, ‘ग्लोबल टास्क फोर्स', क्वाड (QUAD), मालाबार अभ्यास

मेन्स के लिये 

भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों की भूमिका, भारत-अमेरिका संबंधों की वर्तमान स्थिति एवं संभावनाएँ (व्यापार, रक्षा, भारतीय प्रवासियों का योगदान), कोविड महामारी में भारत को अमेरिकी सहयोग

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के विदेश मंत्री (EAM) के अमेरिका दौरे के दौरान उन्होंने अमेरिकी सांसदों (American Lawmakers), राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, रक्षा सचिव, संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (USTR) और निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।

  • इससे पूर्व कोविड -19 महामारी के लिये टीकों की आपूर्ति शृंखला के सुचारु क्रियान्वयन तथा महामारी से संबंधित अन्य मुद्दों को लेकर भारतीय प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति के मध्य  टेलीफोन पर बातचीत हुई।
  • भारत ने ‘लीडर्स समिट ऑन क्लाइमेट’ (Leaders' Summit on Climate) में भी भाग लिया जो कि अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा आयोजित किया गया था।

प्रमुख बिंदु :

प्रमुख चर्चाएँ:

  • क्षेत्रीय (इंडो-पैसिफिक) या वैश्विक मुद्दे, अफगानिस्तान और भारत-अमेरिका  के रणनीतिक और रक्षा साझेदारी को और विकसित करने पर।
  • वैक्सीन सहयोग, समकालीन सुरक्षा चुनौतियाँ, कुशल और मज़बूत आपूर्ति शृंखला के लिये समर्थन आदि।
  • यूएस-इंडिया बिज़नेस काउंसिल (USIBC) की बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि कैसे निजी क्षेत्र, 40 कंपनियों के एक संघ के माध्यम से कार्यरत है, जिसे महामारी प्रतिक्रिया के लिये ‘ग्लोबल टास्क फोर्स' कहा जाता है, जो भारत के स्वास्थ्य अवसंरचना और राहत कार्यों को जारी रखने के लिये अन्य तरीकों का समर्थन कर सकता है।
    • वर्ष 1 975 में USBIC का गठन किया गया था। इसकी स्थापना भारत और अमेरिका दोनों के निजी क्षेत्रों में निवेश प्रवाह बढ़ाने और प्रोत्साहित करने के लिये एक व्यावसायिक सलाहकार संगठन के रूप में की गई थी।

भारत का रूख:

  • कोविड -19 की विनाशकारी लहर से मुकाबला करने हेतु भारत की सहायता के लिये  अमेरिका समर्थित प्रयासों में अमेरिकी सेना ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 
  •  रणनीतिक साझेदारी की अवसंरचना में व्यापार, प्रौद्योगिकी और व्यापार सहयोग मुख्य रूप से शामिल हैं,  जिन्हें कोविड पश्चात् आर्थिक सुधार के लिये और बढ़ाया जाना चाहिये।
  • भारत ने बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) के मुद्दे, कुशल और मज़बूत आपूर्ति-शृंखला संबंधी समर्थन पर अमेरिका के सकारात्मक रुख का स्वागत किया।

अमेरिका का रूख:

आपसी सहयोग:

  •  लोगों के बीच आपसी संबंध और साझा मूल्य अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी की नींव हैं जो महामारी को समाप्त करने में मदद करते हैं, हम स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक का समर्थन करते हैं तथा जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक नेतृत्व प्रदान करते हैं।
  • सहयोग का स्वागत किया गया जिसके परिणामस्वरूप अमेरिका से भारत को राहत सामग्री (राज्य, संघीय और निजी क्षेत्र के स्रोतों) के रूप में 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की सहायता प्रदान की गई।

भारत-अमेरिका संबंधों की वर्तमान स्थिति:

रक्षा:

  • भारत और अमेरिका ने पिछले कुछ वर्षों में महत्त्वपूर्ण रक्षा समझौते किये और क्वाड (QUAD) के चार देशों के गठबंधन को भी औपचारिक रूप दिया।
    • इस गठबंधन को हिंद-प्रशांत में चीन के लिये एक महत्त्वपूर्ण प्रतिकार के रूप में देखा जा रहा है।
  • नवंबर 2020 में मालाबार अभ्यास ने भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों में एक उच्च बिंदु को प्रदर्शित किया, यह 13 वर्षों में पहली बार था कि क्वाड के सभी चार देश एक साथ चीन को प्राथमिकी(FIR) का संदेश भेज रहे थे।
  • भारत के पास अब अफ्रीका में जिबूती (Djibouti in Africa) से लेकर प्रशांत महासागर में गुवाम (Guam) तक अमेरिकी ठिकानों तक पहुंँच है। यह अमेरिकी रक्षा उपकरणों में उपयोग की जाने वाली उन्नत संचार तकनीक तक भी पहुँच सकता है।

व्यापार:

  • पिछली अमेरिकी सरकार ने भारत के विशेष व्यापार का दर्जा समाप्त कर दिया और कई प्रतिबंध भी लगाए, जिसकी जवाबी कार्रवाई के रूप में भारत ने भी 28 अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया।
  • वर्तमान अमेरिकी सरकार ने पिछली सरकार द्वारा लगाए गए सभी प्रतिबंधों को समाप्त करने की अनुमति दी है।

भारतीय प्रवासी (Diaspora):

  • अमेरिका में सभी क्षेत्रों में भारतीय डायस्पोरा की संख्या या उपस्थिति में वृद्धि हो रही है। उदाहरणस्वरूप अमेरिका की वर्तमान उप-राष्ट्रपति (कमला हैरिस) का भारत से गहरा संबंध है।
  • वर्तमान अमेरिकी प्रशासन में भारतीय मूल के अनेक लोग मज़बूत नेतृत्व पदों पर नियुक्त हैं।

कोविड-सहयोग:

  • जब पिछले वर्ष अमेरिका कोविड जैसी घातक महामारी का सामना कर रहा था, तो भारत ने महत्त्वपूर्ण चिकित्सा आपूर्ति की और देश की मदद के लिये निर्यात प्रतिबंधों में ढिलाई दी।
  • शुरुआती समय में अमेरिका ने भारत को आवश्यकता पड़ने पर मदद करने में झिझक दिखाई, लेकिन अमेरिका ने जल्दी ही अपना रुख बदलकर भारत को राहत आपूर्ति पहुँचा दी।

आगे की राह 

  • विशेष रूप से दोनों देशों में चीन विरोधी भावना का विस्तार होने के परिणामस्वरूप देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिलने की बड़ी संभावना व्यक्त की जा रही है।
  • इस प्रकार वार्ता को विभिन्न गैर-टैरिफ बाधाओं के समाधान और अन्य बाज़ार तक पहुँच स्थापित करने वाले सुधारों पर जल्द-से-जल्द ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
  • समुद्री क्षेत्र में चीन का सामना करने के लिये  भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और अन्य भागीदारों के साथ मज़बूत संबंध बनाए रखने की आवश्यकता है, ताकि नेविगेशन की स्वतंत्रता और नियम-आधारित व्यवस्था को बनाए रखा जा सके।
  • अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में न कोई स्थायी मित्र होता है और न ही कोई स्थायी शत्रु, इसमें केवल स्थायी हित परिलक्षित होते हैं। ऐसे परिदृश्य में भारत को रणनीतिक हेजिंग या प्रतिरक्षा (Strategic Hedging) की अपनी विदेश नीति को जारी रखना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू


शासन व्यवस्था

केंद्र द्वारा नागरिकता आवेदन से संबंधित शक्तियों का विस्तार

प्रिलिम्स के लिये

नागरिकता, नागरिकता अधिनियम, 1955; नागरिकता नियम, 2009; नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019, देशीकरण द्वारा नागरिकता

मेन्स के लिये

नागरिकता प्रमाण पत्र देने संबंधित शक्तियाँ तथा इनके विस्तार की आवश्यकता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने पाँच राज्यों के अधिकारियों को मौजूदा नियमों के तहत नागरिकता आवेदनों से संबंधित शक्तियाँ प्रदान करते हुए एक अधिसूचना जारी की।

  • यह आदेश नागरिकता अधिनियम, 1955 और नागरिकता नियम, 2009 के तहत जारी किया गया है, न कि नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 के अंतर्गत क्योंकि इसके नियम अभी तक नहीं बनाए गए हैं।

प्रमुख बिंदु

अधिसूचना के विषय में:

  • नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 16 के अनुसार, केंद्र सरकार ने निर्देश दिया कि भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण या देशीयकरण के प्रमाण पत्र देने संबंधित केंद्र की शक्तियों का  प्रयोग कलेक्टर (ज़िला मजिस्ट्रेट) द्वारा भी किया जा सकती हैं, जिनके अधिकार क्षेत्र में आवेदक साधारणतया निवास करता है।
    • नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 16: केंद्र सरकार अधिसूचना द्वारा यह निर्देश दे सकती है कि उसके किसी शक्ति का प्रयोग किसी अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा भी किया जा सकता है।
    • अपवाद: हालाँकि धारा 10 (पंजीकरण का प्रमाण पत्र पंजीकृत व्यक्तियों को दिया जाना) और धारा 18 (देशीयकरण प्रमाण पत्र का रूप) में उल्लिखित शक्तियों का प्रयोग केवल केंद्र सरकार द्वारा किया जा सकता है।
  • इसने फरीदाबाद और जालंधर को छोड़कर हरियाणा और पंजाब के गृह सचिवों को भी समान अधिकार दिये।

राज्य और ज़िले:

  • राज्यों के 13 ज़िलों के कार्यालय तक शक्तियाँ विस्तारित की गईं, जो इस प्रकार हैं:
    • गुजरात- मोरबी, राजकोट, पाटन और वडोदरा।
    • छत्तीसगढ़- दुर्ग और बलौदा बाज़ार।
    • राजस्थान- जालौर, उदयपुर, पाली, बाड़मेर और सिरोही।
    • हरियाणा- फरीदाबाद।
    • पंजाब- जालंधर।

विस्तारित शक्तियाँ:

  • इसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों के नागरिकता आवेदनों को स्वीकार करने, सत्यापित करने तथा स्वीकृत करने की शक्ति शामिल है।
  • इसमें शामिल किये जाने वाले समुदायों के रूप में हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को सूचीबद्ध किया गया है।
    • सरकार ने वर्ष 2018 में कुछ ज़िलों के संबंध में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों के कलेक्टरों तथा गृह सचिवों को समान अधिकार प्रदान किये थे।

नागरिकता

नागरिकता के विषय में:

  • नागरिकता व्यक्ति और राज्य के बीच संबंध को दर्शाती है।
  • भारत में भी अन्य आधुनिक राज्यों की तरह दो तरह के लोग अर्थात् नागरिक और विदेशी रहते हैं।
    • नागरिक भारत के पूर्ण सदस्य हैं और इसके प्रति निष्ठावान हैं। इन्हें सभी नागरिक तथा राजनीतिक अधिकार प्राप्त हैं।
  • नागरिकता निषेध का एक विचार है क्योंकि इसमें गैर-नागरिकों को शामिल नहीं किया जाता है।
  • नागरिकता प्रदान करने के दो प्रसिद्ध सिद्धांत हैं:
    • जहाँ 'जस सोलि' (Jus Soli) जन्म स्थान के आधार पर नागरिकता प्रदान करता है, वहीं 'जस सांगुइनिस (Jus Sanguinis) रक्त संबंधों को मान्यता देता है।
      • मोतीलाल नेहरू समिति, 1928 के समय से ही भारतीय नेतृत्व जस सोलि की प्रबुद्ध अवधारणा के पक्ष में था।
    • जस सांगुइनिस के नस्लीय विचार को भी संविधान सभा ने खारिज कर दिया था क्योंकि यह भारतीय लोकाचार के खिलाफ था।

संवैधानिक प्रावधान:

  • नागरिकता को संविधान के तहत संघ सूची (Union List) में सूचीबद्ध किया गया है और इस प्रकार यह संसद के अनन्य अधिकार क्षेत्र में है।
  • संविधान 'नागरिक' शब्द को परिभाषित नहीं करता है, लेकिन नागरिकता के लिये पात्र व्यक्तियों की विभिन्न श्रेणियों का विवरण भाग 2 (अनुच्छेद 5 से 11) में दिया गया है।
    • संविधान के अन्य प्रावधानों के विपरीत, जो 26 जनवरी, 1950 को अस्तित्व में आए इन अनुच्छेदों को संविधान को अपनाते हुए 26 नवंबर, 1949 को ही लागू कर दिया गया था।

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के प्रमुख प्रावधान

धर्म के आधार पर नागरिकता:

  • इस विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में आकर रहने वाले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों तथा ईसाइयों को अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा।

गैर-मुस्लिम समुदायों को बाहर रखा गया:

  • इसका तात्पर्य यह है कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के प्रवासी, जो संशोधित अधिनियम में उल्लेखित समुदाय के अलावा किसी अन्य समुदाय के हैं, वे नागरिकता के लिये पात्र नहीं होंगे।

अपवाद:

  • इस अधिनियम के प्रावधान दो क्षेत्रों यानी 'इनर लाइन' (Inner Line) द्वारा संरक्षित राज्य और संविधान की छठी अनुसूची (Sixth Schedule) के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों पर लागू नहीं होंगे।
    • इनर लाइन परमिट: यह एक विशेष प्रकार का परमिट है जिसे लेने की जरूरत भारत के अन्य हिस्सों के नागरिकों को इसके द्वारा संरक्षित राज्य में प्रवेश करने पर होती है। एक राज्य सरकार द्वारा प्रदान किया गया यह परमिट दूसरे राज्य में वैध नहीं होता।
    • छठी अनुसूची: इसमें कुछ पूर्वोत्तर राज्यों (असम, मिज़ोरम, मेघालय और त्रिपुरा) के प्रशासन के लिये विशेष उपबंध किये गए हैं। यह इन राज्यों में स्वायत्त ज़िला परिषदों (Autonomous District Council) को विशेष अधिकार प्रदान करता है।

देशीकरण द्वारा नागरिकता:

  • नागरिकता अधिनियम, 1955 के अंतर्गत देशीकरण द्वारा नागरिकता प्राप्त करने हेतु आवेदक को पिछले 12 महीनों से लगातार और साथ ही पिछले 14 वर्षों में से 11 वर्ष भारत में रहा होना चाहिये।
  • यह अधिनियम  निर्दिष्ट छह धर्मों और उपर्युक्त तीन देशों से संबंधित आवेदकों के लिये भारत में 11 वर्ष रहने की शर्त को 5 वर्ष करता है।

ओसीआई का पंजीकरण रद्द करना:

  • इस अधिनियम में प्रावधान है कि केंद्र सरकार कुछ आधारों पर प्रवासी भारतीय नागरिकों (Overseas Citizens of India- OCI) के पंजीकरण को रद्द कर सकती है जो इस प्रकार हैं:
    • यदि ओसीआई पंजीकरण में कोई धोखाधड़ी सामने आती है।
    • यदि पंजीकरण के पाँच वर्ष के भीतर ओसीआई कार्डधारक को दो वर्ष या उससे अधिक समय के लिये कारावास की सज़ा सुनाई गई है।
    • यदि ऐसा करना भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के लिये आवश्यक हो।
    • यदि ओसीआई ने केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित अधिनियम या किसी अन्य कानून के प्रावधानों का उल्लंघन किया हो।
  • हालाँकि इन कार्डधारकों को सुनवाई का मौका दिये जाने तक ओसीआई रद्द करने का आदेश पारित नहीं किया जाना चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


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