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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अमेरिका की ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ में भारत

  • 30 Apr 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये 

बौद्धिक संपदा अधिकार

मेन्स के लिये

भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार से संबंधित समस्याएँ

चर्चा में क्यों?

अमेरिका ने वर्ष 2020 में भी भारत को बौद्धिक संपदा (Intellectual property-IP) अधिकारों के संरक्षण एवं प्रवर्तन में कमी के कारण संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (United States Trade Representative-USTR) की ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ (Priority Watch List) में बरकरार रखा है।

प्रमुख बिंदु

  • अमेरिका ने इस सूची में भारत तथा चीन समेत अपने 10 प्रमुख व्यापार साझेदारों को यह कहते हुए इस सूची में शामिल किया है कि इन देशों में बौद्धिक संपदा अधिकारों की स्थिति या तो अच्छी नहीं है या फिर इनमें पर्याप्त मात्रा में सुधार नहीं आया है, जिसके कारण अमेरिकी हितधारकों को निष्पक्ष और न्यायसंगत बाज़ार पहुँच में कठिनाई हो रही है।
    • अमेरिकी प्रशासन ने भारत के अतिरिक्त जिन देशों को ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ में स्थान दिया है, उनमें अल्जीरिया, अर्जेंटीना, चिली, चीन, इंडोनेशिया, रूस, सऊदी अरब, यूक्रेन और वेनेज़ुएला शामिल हैं।
    • ध्यातव्य है कि कुवैत को इस वर्ष इस सूची में शामिल नहीं किया गया है, जबकि वर्ष 2019 में इस सूची में कुवैत समेत कुल 11 देश थे। वहीं वर्ष 2019 में अमेरिका ने कनाडा और थाईलैंड को सूची से हटा दिया था।
  • ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ (Priority Watch List) के अलावा USTR की ‘वॉच लिस्ट’ (Watch List) भी है, जिसमें ब्राज़ील, कनाडा, कोलंबिया, पाकिस्तान और थाईलैंड समेत कुल 23 देशों को शामिल किया गया है।
  • ध्यातव्य है कि ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ में चीन की निरंतरता ने बीजिंग की ज़बरन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (Forced Technology Transfer-FTT) नीति को लेकर अमेरिका की चिंताओं को स्पष्ट किया है।
    • ध्यातव्य है कि ज़बरन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (Forced Technology Transfer-FTT) की नीति में घरेलू सरकार द्वारा विदेशी व्यवसायों को बाज़ार पहुँच प्रदान करने के एवज़ में अपनी तकनीक साझा करने के लिये मज़बूर किया जाता है।
    • इस प्रकार की नीति चीन में काफी सामान्य है। जब कोई कंपनी चीन के बाज़ार में प्रवेश करना चाहती है, तो चीन की सरकार उस कंपनी को अपनी तकनीक को चीनी कंपनियों के साथ साझा करने के लिये मज़बूर करती है।
  • इस रिपोर्ट में भारत को IP के संरक्षण एवं प्रवर्तन के संबंध में दुनिया की सबसे चुनौतीपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं में से एक कहा गया है।

कारण

  • अमेरिका के अनुसार, भारत ने लंबे समय से चली आ रही चुनौतियों और नई चुनौतियों का सामने करने के लिये अपने बौद्धिक संपदा ढाँचे में पर्याप्त सुधार नहीं किया है, जिसके कारण बीते वर्षों में अमेरिकी कंपनियों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
  • भारत में अमेरिकी व्यवसायों को लंबे समय से चली आ रही बौद्धिक संपदा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जो नवप्रवर्तकों के लिये भारत में पेटेंट प्राप्त करना, पेटेंट बनाए रखना और उन्हें लागू करना अपेक्षाकृत कठिन बनाती हैं, ऐसा विशेष रूप से फार्मास्यूटिकल्स उद्योग में देखा जाता है। 
    • इसके अलावा कंटेंट के निर्माण और व्यवसायीकरण को प्रोत्साहित करने में विफल रहीं कॉपीराइट नीतियाँ और पुराना तथा अपर्याप्त व्यापार रहस्य (Trade Secrets) कानूनी ढाँचा भी चिंता के विषय हैं। 
  • USTR ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पिछले एक वर्ष में भारत बौद्धिक संपदा (IP) संरक्षण एवं प्रवर्तन पर अपनी प्रगति में कुछ खास नहीं कर पाया है।

‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ और ‘वॉच लिस्ट’

  • संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (USRT) द्वारा प्रत्येक वर्ष ‘स्पेशल 301 रिपोर्ट’ (Special 301 Report) जारी की जाती है, जिसमें विभिन्न देशों में बौद्धिक संपदा कानूनों जैसे कॉपीराइट, पेटेंट और ट्रेडमार्क आदि के कारण अमेरिका की कंपनियों और उत्पादों के समक्ष उत्पन्न होने वाले व्यापार अवरोधों की पहचान की जाती है।
  • इस रिपोर्ट में ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ और ‘वॉच लिस्ट’ शामिल होती हैं, जिसमें वे देश शामिल होते हैं जिनके बौद्धिक संपदा नियमों को अमेरिकी कंपनियों के लिये चिंता का विषय माना जाता है।
  • ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ में USRT द्वारा उन देशों को शामिल किया जाता है, जिनके बौद्धिक संपदा अधिकार संबंधित नियमों में गंभीर कमियाँ होती हैं और जिन पर USRT द्वारा ध्यान दिया जाना अनिवार्य होता है।

बौद्धिक संपदा अधिकार

  • प्रत्येक व्यक्ति को उसके बौद्धिक सृजन के परिप्रेक्ष्य में प्रदान किये जाने वाले अधिकार ही बौद्धिक संपदा अधिकार कहलाते हैं। वस्तुतः ऐसा समझा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी प्रकार का बौद्धिक सृजन (जैसे साहित्यिक कृति की रचना, शोध, आविष्कार आदि) करता है तो सर्वप्रथम इस पर उसी व्यक्ति का अनन्य अधिकार होना चाहिये। चूँकि यह अधिकार बौद्धिक सृजन के लिये ही दिया जाता है, अतः इसे बौद्धिक संपदा अधिकार की संज्ञा दी जाती है।
  • बौद्धिक संपदा अधिकार दिये जाने का मूल उद्देश्य मानवीय बौद्धिक सृजनशीलता को प्रोत्साहन देना है। बौद्धिक संपदा अधिकारों का क्षेत्र व्यापक होने के कारण यह आवश्यक समझा गया कि क्षेत्र विशेष के लिये उसके संगत अधिकारों एवं संबद्ध नियमों आदि की व्यवस्था की जाए। इस आधार पर इन अधिकारों को निम्नलिखित रूपों में वर्गीकृत किया जा सकता है-
    • कॉपीराइट
    • पेटेंट 
    • ट्रेडमार्क
    • औद्योगिक डिज़ाइन
    • भौगोलिक संकेतक

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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