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भारतीय राजव्यवस्था

इनर लाइन परमिट का विस्तार

  • 12 Dec 2019
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये

इनर लाइन परमिट, इसमें शामिल क्षेत्र

मेन्स के लिये

इनर लाइन परमिट तथा नागरिकता संशोधन अधिनियम विवाद

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नगालैंड सरकार ने दीमापुर ज़िले को नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 (Citizenship Amendment Bill-CAB) से बाहर रखने के लिये इसे इनर लाइन परमिट प्रणाली के अधीन कर दिया।

Inner Line

मुख्य बिंदु:

  • नगालैंड का दीमापुर ज़िला अभी तक इनर लाइन परमिट (Inner Line Permit-ILP) व्यवस्था से बाहर था क्योंकि यह राज्य का एक महत्त्वपूर्ण वाणिज्यिक शहर है एवं यहाँ मिश्रित जनसंख्या निवास करती है।
  • हाल ही में मणिपुर को भी ILP व्यवस्था के दायरे में शामिल किया गया है। इस प्रकार सिक्किम, असम एवं त्रिपुरा के गैर-आदिवासी क्षेत्रों को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों पर CAB के नियम लागू नहीं होंगे।
  • दीमापुर को ILP व्यवस्था में शामिल करने के लिये बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 की धारा 2 (Section-2 of Bengal Eastern Frontier Regulation, 1873) के तहत नगालैंड के राज्यपाल ने आदेश जारी किया।
  • इस व्यवस्था के विस्तारित होने के बाद दीमापुर में रहने वाले प्रत्येक गैर-मूल निवासी, जिन्होंने 21 नवंबर, 1979 से पहले ज़िले में प्रवेश किया है, के लिये अनिवार्य होगा कि वह आदेश जारी होने के 90 दिनों के अंदर ILP प्राप्त करे।
  • इस व्यवस्था में अपवाद के तौर पर निम्नलिखित श्रेणी में शामिल होने वाले व्यक्तियों को ILP की आवश्यकता नहीं होगी:
    • 21 नवंबर, 1979 के बाद दीमापुर में प्रवेश करने वाले गैर-मूल निवासी जिन्होंने इस संबंध में उप अधीक्षक (Deputy Commissioner) से प्रमाण-पत्र हासिल किया हो।
    • वे गैर-मूल निवासी जो अपनी यात्रा के दौरान दीमापुर से होकर गुज़र रहे हों तथा उनके पास कोई वैध दस्तावेज़ हो।

नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 तथा पूर्वोत्तर भारत:

  • ILP व्यवस्था के तहत संरक्षित राज्य- नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर तथा मिज़ोरम को CAB के प्रावधानों से बाहर रखा गया है।
  • संविधान की छठी अनुसूची में उल्लिखित राज्य- संपूर्ण मेघालय (शिलॉन्ग को छोड़कर), मिज़ोरम तथा असम एवं त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों को CAB से बाहर रखा गया है।

संविधान की छठी अनुसूची (Sixth Schedule of the Constitution):

इसमें असम, मेघालय, त्रिपुरा तथा मिज़ोरम के आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन के लिये विशेष उपबंध किये गए हैं।

इनर लाइन परमिट (Inner Line Permit):

  • एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज़ है जिसे संबंधित राज्य सरकार द्वारा जारी किया जाता है। यह भारतीय नागरिकों को देश के अंदर किसी संरक्षित क्षेत्र में निश्चित अवधि के लिये यात्रा की अनुमति देता है।
  • इसे बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के आधार पर लागू किया गया था।
    • यह अधिनियम पूर्वोत्तर के पहाड़ी आदिवासियों से ब्रिटिश हितों की रक्षा करने के लिये बनाया गया था क्योंकि वे ब्रिटिश नागरिकों (British Subjects) के संरक्षित क्षेत्रों में प्रायः घुसपैठ किया करते थे।
    • इसके तहत दो समुदायों के बीच क्षेत्रों के विभाजन के लिये इनर लाइन (Inner Line) नामक एक काल्पनिक रेखा का निर्माण किया गया ताकि दोनों पक्षों के लोग बिना परमिट के एक-दूसरे के क्षेत्रों में प्रवेश न कर सकें।

स्रोत: द हिंदू

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