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मध्य प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 31 Dec 2024
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रक्षा मंत्री ने महू स्थित आर्मी वॉर कॉलेज का दौरा किया

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय रक्षा मंत्री ने मध्य प्रदेश के महू स्थित आर्मी वॉर कॉलेज का दौरा किया। उन्होंने युद्ध के 'अपरंपरागत तरीकों' को देश के सामने नई चुनौतियों के रूप में बताया।

मुख्य बिंदु

  • आधुनिक युद्ध में चुनौतियाँ:
  • महू प्रशिक्षण केंद्र की भूमिका:
    • इस जटिल वातावरण में, भारतीय सेना के लिये सभी संभावित खतरों से निपटने के लिये अच्छी तरह प्रशिक्षित और सुसज्जित रहना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
    • महू स्थित प्रशिक्षण केंद्र इन आधुनिक चुनौतियों के लिये सैन्य बलों को तैयार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • महू 200 से अधिक वर्षों से अपनी सैन्य उत्कृष्टता के लिये जाना जाता है, जिसके कारण इसके प्रशिक्षण केंद्र सेना की तैयारी के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • सेनाओं के बीच एकीकरण और संयुक्तता:
    • सरकार तीनों सैन्य शाखाओं के बीच एकीकरण और संयुक्तता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
    • इस दृष्टिकोण का उद्देश्य भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिये बलों को बेहतर ढंग से सुसज्जित करना है।
    • महू छावनी सेना की सभी शाखाओं के अधिकारियों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान करती है।
  • भारत के विकास का विजन:
    • भारत का लक्ष्य वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनना है तथा वर्तमान अवधि को वह परिवर्तन का समय मानता है।
    • भारतीय सेना निरंतर आधुनिक हथियारों से उन्नत हो रही है, न केवल अपनी सेना को सुसज्जित कर रही है, बल्कि घरेलू स्तर पर निर्मित उपकरणों का निर्यात भी अन्य देशों को कर रही है।
  • रक्षा मंत्री का दौरा:
    • रक्षा मंत्री ने डॉ. बी.आर. अंबेडकर को समर्पित भीम जन्मभूमि स्मारक का दौरा किया, जहाँ उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माता को श्रद्धांजलि अर्पित की।
    • उन्होंने डॉ. अंबेडकर की प्रशंसा करते हुए उन्हें निस्वार्थ सेवा का प्रतीक बताया, जो सामाजिक समानता और सशक्तिकरण के लिये समर्पित थे।

ग्रे-ज़ोन युद्ध 

  • यह संघर्ष के एक ऐसे स्वरूप को संदर्भित करता है, जिसमें ऐसी कार्रवाइयां की जाती हैं जो पारंपरिक युद्ध की सीमा से नीचे होती हैं, लेकिन इनका उद्देश्य अस्पष्टता, अस्वीकार्यता और बल प्रयोग के माध्यम से रणनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करना होता है।
  • ग्रे-ज़ोन युद्ध में, विरोधी सीधे खुले युद्ध में शामिल हुए बिना अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये साइबर हमले, आर्थिक दबाव और छद्म संघर्ष जैसी रणनीति अपनाते हैं।
  • यह शांति और संघर्ष के बीच की रेखाओं को धुंधला कर देता है तथा अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिये गंभीर चुनौतियां उत्पन्न करता है।


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