राजस्थान के राज्यपाल ने आर्थिक पुनरुद्धार कार्य बल की घोषणा की | उत्तर प्रदेश | 31 Jan 2024
चर्चा में क्यों ?
26 जनवरी 2024 को, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने राज्य की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिये एक रोडमैप तैयार करने हेतु एक आर्थिक पुनरुद्धार कार्य बल के गठन की घोषणा की।
मुख्य बिंदु:
- टास्क फोर्स भविष्य के लिये एक मज़बूत आर्थिक बुनियादी ढाँचे के निर्माण में मदद करेगी और राज्य के सतत् एवं समग्र विकास को सुनिश्चित करेगी।
- राज्यपाल के अनुसार, राज्य सरकार "व्यवसाय करने में आसानी" मॉडल के माध्यम से आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी, क्योंकि उसने जनसंघ नेता दीन दयाल उपाध्याय की अंत्योदय अवधारणा को लागू करके समाज के सभी वर्गों के सामाजिक-आर्थिक विकास का संकल्प लिया था।
पंडित दीन दयाल उपाध्याय
- दीनदयाल उपाध्याय एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जिनका जन्म वर्ष 1916 में मथुरा, यूपी में हुआ था।
- वह वर्तमान भारतीय जनता पार्टी के अग्रदूत भारतीय जनसंघ के सबसे महत्त्वपूर्ण नेताओं में से एक थे।
- ऐसा देखा जाता है कि उन्होंने पार्टी लाइनों से ऊपर उठकर भारत की विचार प्रक्रिया और राजनीतिक जीवन में एक बड़ी भूमिका निभाई है।
- उनके नाम पर प्रमुख योजनाएँ:
- दीनदयाल अंत्योदय योजना (DAY): गरीबी उन्मूलन के लिये।
- दीनदयाल अंत्योदय योजना (DAY) अंत्योदय दिवस: ग्रामीण गरीब परिवारों की आय में विविधता लाने और ग्रामीण युवाओं की कॅरियर संबंधी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिये।
- दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना: ग्रामीण घरों में विद्युत उपलब्ध कराने के लिये।
- पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव जयते कार्यक्रम: मुख्य रूप से कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से औद्योगिक विकास के लिये अनुकूल वातावरण बनाना।
- दीनदयाल उपाध्याय स्वनियोजन योजना (DUSY): स्टार्ट अप इंडिया योजना का ग्रामीण संस्करण।
राजस्थान के 5 व्यक्तियों को पद्म श्री | राजस्थान | 31 Jan 2024
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राजस्थान के पाँच व्यक्तियों को चार पद्मश्री पुरस्कार प्रदान करने की स्वीकृति दी है।
मुख्य बिंदु:
- पुरस्कार विजेताओं में शामिल हैं:
- एक पुरस्कार दो लोक गायकों अली मोहम्मद और गनी मोहम्मद को दिया जा रहा है। गनी ब्रदर्स के नाम से मशहूर इस जोड़ी को लोक गायन में उत्कृष्टता के लिये चुना गया है।
- अन्य में 93 वर्षीय ध्रुपद वादक लक्ष्मण भट्ट तैलंग शामिल हैं। इस दिग्गज ने भारतीय शास्त्रीय संगीत पर कई किताबें लिखी हैं और अपने पूरे जीवन में सैकड़ों छात्रों को संगीत की अपनी शैली सिखाई है।
- राज्य की एक अन्य पुरस्कार प्राप्तकर्त्ता माया टंडन सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में कार्य करती हैं और उन्होंने सड़क दुर्घटनाओं के घायल पीड़ितों के बचाव में मदद करने के लिये 1 लाख से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया है।
- 81 वर्षीय जानकी लाल भांड ने बहुरूपिया कला को जीवित रखा है और 10 से अधिक देशों में इसका प्रदर्शन किया है। बहरूपिया ('बहुआयामी') विभिन्न पात्रों के रूप में तैयार होने और उन्हें चित्रित करने की कला है।
बहरूपिया
- 'बहरूपिया' शब्द संस्कृत के बहु (अनेक) और रूप शब्द से बना है।
- बहरूपिया पररूपधारी हैं, जो अधिकतर पूरे भारत के गाँवों और बाज़ारों में प्रदर्शन करने के लिये जाने जाते हैं।
- वे पौराणिक कथाओं, लोककथाओं और पारंपरिक कहानियों की भूमिका निभाने के लिये विभिन्न पोशाकें पहनते हैं।
- राष्ट्रीय बहरूपिया महोत्सव का आयोजन 5-8 अक्तूबर 2018 तक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) द्वारा किया गया था।
- IGNCA संस्कृति मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संस्थान है।
राजस्थान ने अवैध खनन के खिलाफ ड्रोन सर्वेक्षण शुरू किया | राजस्थान | 31 Jan 2024
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में राजस्थान सरकार ने अवैध खनन गतिविधियों के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया है जिसमें ऐसी गतिविधियों के स्रोतों पर अंकुश लगाने के लिये ड्रोन के माध्यम से सर्वेक्षण शुरू किया है।
- अवैध खनन के सबसे ज्यादा 75 मामले भीलवाड़ा ज़िले में सूचित किये गए हैं।
मुख्य बिंदु:
- राजस्थान की भूमि में 81 प्रकार के खनिज हैं, जिनमें से 57 का व्यावसायिक दोहन किया जा रहा है।
- राज्य में देश में सबसे अधिक खनन पट्टे हैं जबकि सरकार सुदूर संवेदन डेटा और भौगोलिक सूचना प्रणालियों का उपयोग करके बिना लाइसेंस एवं अवैध खनन पर अंकुश लगाने हेतु उपाय कर रही है।
- अधिकारियों के अनुसार, राजस्व अधिकारी उस भूमि पर खातेदारी (स्वामित्व) अधिकारों को रद्द करने के लिये राजस्थान किरायेदारी अधिनियम, 1955 के तहत कार्रवाई शुरू करने के अभियान में शामिल थे, जहाँ अवैध खनन हो रहा था।
- फील्ड अधिकारी खनन माफिया और उल्लंघनकर्त्ताओं की पहचान करते हैं एवं डेटा ऑनलाइन जमा करते हैं, जिसका उपयोग आगे की कार्रवाई शुरू करने हेतु किया जाता है।
अवैध खनन
- सरकारी अधिकारियों से आवश्यक परमिट, लाइसेंस या नियामक अनुमोदन के बिना भूमि या जल निकायों से खनिजों, अयस्कों या अन्य मूल्यवान संसाधनों का निष्कर्षण अवैध खनन है।
- इसमें पर्यावरण, श्रम और सुरक्षा मानकों का उल्लंघन भी शामिल हो सकता है।
- भारत में खनन से संबंधित कानून:
- भारत के संविधान की सूची II (राज्य सूची) के क्रम संख्या 23 की प्रविष्टि राज्य सरकार को उनकी सीमाओं के भीतर स्थित खनिजों का स्वामित्व देने का आदेश देती है।
- सूची I (केंद्रीय सूची) के क्रम संख्या 54 की प्रविष्टि केंद्र सरकार को भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के भीतर खनिजों का मालिकाना अधिकार प्रदान करती है।
- इसके अनुसरण में खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) (MMDR) अधिनियम, 1957 बनाया गया था।
- लघु खनिजों से संबंधित नीति और कानून बनाने की शक्ति पुर्णतः राज्य सरकारों को सौंपी गई है जबकि प्रमुख खनिजों से संबंधित नीति एवं कानून केंद्र सरकार के तहत खान मंत्रालय द्वारा निर्धारित किये जाते हैं।
हरियाणा माननीय शव निपटान विधेयक 2024 | हरियाणा | 31 Jan 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा कैबिनेट ने एक मसौदा विधेयक को मंज़ूरी दी, जिसमें किसी मृत व्यक्ति के शरीर के साथ किसी भी विरोध प्रदर्शन पर रोक लगाने का प्रावधान है।
मुख्य बिंदु:
- एक आधिकारिक बयान के अनुसार, इस ऐतिहासिक विधेयक का उद्देश्य मृतकों का सभ्य और समय पर अंतिम संस्कार सुनिश्चित करना है।
- किसी मृत व्यक्ति के प्रति सम्मान और प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए, किसी को भी मृत शरीर का समय पर अंतिम संस्कार न करके किसी भी विरोध या आंदोलन के माध्यम से कोई भी मांग उठाने या किसी भी मांग को आगे बढ़ाने का प्रलोभन देने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिये।
- किसी भी व्यक्ति को किसी भी रूप में किसी निकाय को विरोध या प्रदर्शन के साधन के रूप में उपयोग करने से रोकना आवश्यक है।
- प्रस्तावित कानून उन मामलों में सार्वजनिक अधिकारियों की ज़िम्मेदारी पर भी जोर देता है जहाँ परिवार के सदस्य किसी शव को अस्वीकार कर देते हैं, जिससे उचित अंतिम संस्कार से इनकार कर दिया जाता है।
- यह ध्यान रखना उचित है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार, गरिमा और उचित व्यवहार का अधिकार न केवल जीवित व्यक्ति को बल्कि उसकी मृत्यु के बाद उसके शरीर को भी मिलता है।
- राज्य मंत्रिमंडल ने विदेश जाने के इच्छुक निर्दोष लोगों को धोखा देने वाले ट्रैवल एजेंटों पर लगाम लगाने के लिये एक और मसौदा विधेयक 'हरियाणा ट्रैवल एजेंट पंजीकरण और विनियमन विधेयक 2024' को भी मंज़ूरी दे दी है।
- मसौदा विधेयक में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति अधिनियम के तहत पंजीकरण प्रमाण-पत्र प्राप्त किये बिना ट्रैवल एजेंट का पेशा नहीं अपना सकता है।
- सक्षम प्राधिकारी आपराधिक गतिविधियों और शर्तों के उल्लंघन के आधार पर पंजीकरण प्रमाण-पत्र रद्द कर सकता है।
- रद्द किया गया पंजीकरण ट्रैवल एजेंट को एक निर्धारित अवधि के लिये पेशे से वंचित कर देगा।
- मानव तस्करी या जाली दस्तावेज़ बनाने में शामिल व्यक्तियों को 10 वर्ष तक की कैद और 2 से 5 लाख रुपए तक का ज़ुर्माना हो सकता है।
- हरियाणा सरकार अपने नागरिकों को अवैध आप्रवासन घोटालों का शिकार होने से बचाने के लिये प्रतिबद्ध है।
- प्रस्तावित कानून ट्रैवल एजेंटों को विनियमित करने, आप्रवासन से संबंधित सेवाओं में पारदर्शिता, वैधता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये एक सक्रिय दृष्टिकोण को दर्शाता है।
विश्व की सबसे बड़ी ‘डायनासोर हैचरी’ में से एक का खुलासा | मध्य प्रदेश | 31 Jan 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पुरातत्त्वविदों द्वारा की गई खोज के अनुसार, मध्य प्रदेश विश्व की सबसे बड़ी डायनासोर हैचरी में से एक है।
मुख्य बिंदु:
- राज्य के कई ज़िलों में विस्तृत नर्मदा घाटी में सैकड़ों डायनासोर के अंडे और घोंसले के जीवाश्म मिले हैं, जो कि सबसे बड़े ज्ञात डायनासोरों में से एक शाकाहारी टाइटेनोसॉर से संबंधित हैं।
- सबसे हालिया खोज धार ज़िले के लमेटा में की गई थी, जहाँ विभिन्न संस्थानों के पुरातत्त्वविदों की एक टीम ने निकट स्थित 92 डायनासोर घोंसले और शाकाहारी टाइटेनोसॉर के 256 जीवाश्म अंडे की खोज की, जिनमें से प्रत्येक क्लच में एक से बीस अंडे थे, जो लगभग 66 मिलियन वर्ष पहले के थे।
- इन डायनासोरों के अंडों का व्यास 15 सेमी. से 17 सेमी. के बीच था, प्रत्येक घोंसले में एक से 20 तक अंडे थे। कुछ अंडों में से बच्चे निकलने के प्रमाण मिले, जबकि अन्य में नहीं।
- लमेटा शैल समूह मास्ट्रिचियन युग (उत्तर क्रेटेशियस) की है और गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश में भी पाई जाती है।
- यह डायनासोर प्रजातियों की विविधता के लिये उल्लेखनीय है, जिसमें टाइटनोसॉर सॉरोपॉड आइसिसॉरस व एबेलिसॉरस इंडोसॉरस, इंडोसुचस, लेविसुचस और राजासॉरस शामिल हैं।
- लमेटा शैल समूह में स्तनधारियों, सांपों और अन्य जानवरों के जीवाश्म भी शामिल हैं।
- यह प्रागैतिहासिक शैल समूह क्रिटेशियस काल के अंत में उनके विलुप्त होने से पहले, भारत में डायनासोर के विकास के अंतिम चरण का प्रतिनिधित्व करती है।
- भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, दिल्ली के नेतृत्व में टीम ने वैज्ञानिक पत्रिका PLOS ONE में अपने निष्कर्ष प्रकाशित किये।
- उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि नर्मदा घाटी एक डायनासोर हैचरी क्षेत्र था, जहाँ टाइटेनोसॉर विशेष रूप से अंडे देने के लिये आते थे।
- उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस क्षेत्र की जलवायु गर्म और आर्द्र है, जिसमें प्रचुर वनस्पति तथा जल स्रोत हैं, जो डायनासोर के अस्तित्व के लिये उपयुक्त हैं।
- पिछले अध्ययनों में जबलपुर ज़िले और गुजरात के बालासिनोर शहर में भी इसी तरह के निष्कर्ष सामने आए।
- धार ज़िले में पाए गए कुछ जीवाश्म अंडों को स्थानीय ग्रामीणों, जो पीढ़ियों से उन्हें पवित्र पत्थर के रूप में पूजते आ रहे थे, को मान्यता नहीं दी।
- हथेली के आकार की ये वस्तुएँ, जिन्हें 'काकर भैरव' या भूमि के स्वामी के रूप में जाना जाता है, खेतों और पशुधन के सुरक्षात्मक देवता माने जाते थे।
- मध्य प्रदेश में डायनासोर के जीवाश्मों और अंडों की खोज ने न केवल क्षेत्र के पुरापाषाण इतिहास के वैज्ञानिक ज्ञान को समृद्ध किया है, बल्कि पर्यटन तथा शिक्षा के लिये नए रास्ते भी खोले हैं।
- राज्य सरकार की इन स्थलों को पर्यटक आकर्षण के रूप में विकसित करने और राज्य की समृद्ध डायनासोर विरासत के विषय में जनता के बीच जागरूकता उत्पन्न करने की योजना है।
लमेटा शैल समूह
- लमेटा शैल समूह को ‘इन्फ्राट्रैपियन बेड’ के रूप में भी जाना जाता है, एक भू-वैज्ञानिक संरचना है, जो दक्कन ट्रैप से जुड़े मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पाई जाती है।
- ‘इंटरट्रैपियन बेड’ भारत में एक उत्तर क्रेटेशियस और पूर्व पेलियोसीन भू-गर्भिक संरचना है। यह दक्कन ट्रैप परतों के बीच इंटरबेड के रूप में पाए जाते हैं, जिसमें अधिक विविध लमेटा शैल समूह भी शामिल है।
मास्ट्रिचियन युग (उत्तर क्रेटेशियस)
- मास्ट्रिचियन ICS भूगर्भिक समय पैमाने में है, जो उत्तर क्रेटेशियस युग या ऊपरी क्रेटेशियस शृंखला, क्रेटेशियस अवधि या प्रणाली और मेसोज़ोइक युग या एराथेम का नवीनतम युग (ऊपरी चरण) है। इसका अंतराल 72.1 से 66 मिलियन वर्ष पूर्व तक फैला हुआ था।
पवित्र भूमि को जोड़ने वाली हवाई सेवा | उत्तराखंड | 31 Jan 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में तीन वर्ष से अधिक के अंतराल के बाद पिथौरागढ़ के नैनी-सैनी हवाई अड्डे से उड़ान संचालन शुरू हुआ।
मुख्य बिंदु:
- उड़ान संचालन को फिर से शुरू करने के बाद, जिसे वर्ष 2020 की शुरुआत में निलंबित कर दिया गया था, विमानन कंपनी फ्लाईबिग सप्ताह में तीन बार सोमवार, मंगलवार व शुक्रवार को देहरादून और पिथौरागढ़ के बीच 19 सीटों वाला विमान संचालित करेगी।
- हवाई अड्डे से सेवाओं की बहाली, जिसे जल्द ही पंतनगर और फिर गाजियाबाद के हिंडन हवाई अड्डे तक बढ़ाया जाएगा, रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण सीमावर्ती ज़िले के लिये महत्त्वपूर्ण होगी।
- उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के अनुसार, देहरादून तथा पिथौरागढ़ के बीच हवाई कनेक्टिविटी से मानसखंड क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा।
- आदि कैलाश शिखर और जागेश्वर धाम के दर्शन के लिये प्रधानमंत्री की जोलिंगकोंग यात्रा से पर्यटकों में रुचि जागृत हुई, जिन्होंने बड़ी संख्या में अपेक्षाकृत कम ज्ञात धार्मिक स्थलों की यात्रा करना शुरू कर दिया है।
आदि कैलाश शिखर
- आदि कैलाश, जिसे शिव कैलाश, छोटा कैलाश, बाबा कैलाश या जोंगलिंगकोंग पीक के नाम से भी जाना जाता है, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले में हिमालय पर्वत श्रेणी में स्थित एक पर्वत है।
जागेश्वर धाम
- यह उत्तराखंड के अल्मोड़ा ज़िले में स्थित एक हिंदू तीर्थस्थल है। यह स्थल भारतीय कानूनों के तहत संरक्षित है और भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
छत्तीसगढ़ में माओवादियों से मुठभेड़ | छत्तीसगढ़ | 31 Jan 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ में सुकमा-बीजापुर सीमा पर माओवादियों के साथ मुठभेड़ में 3 सुरक्षाकर्मी मारे गए और 14 अन्य घायल हो गए।
मुख्य बिंदु:
- आधिकारिक बयान के मुताबिक, यह घटना सुरक्षाकर्मियों की संयुक्त टीम के तलाशी अभियान के दौरान टेकलगुडेम गाँव के पास हुई।
- माओवादियों के गढ़ टेकलगुडेम में सुरक्षाकर्मियों का एक नया शिविर स्थापित किया गया।
- शिविर स्थापित करने के बाद, स्पेशल टास्क फोर्स डिस्ट्रिक्ट रिज़र्व गार्ड और कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन [CoBRA- केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CRPF) की एक जंगल वारफेयर यूनिट] के जवान पास के जोनागुडा-अलीगुडा गाँवों की तलाशी ले रहे थे, तभी माओवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी।
- सुकमा ज़िला:
- यह ज़िला छत्तीसगढ़ राज्य के दक्षिणी सिरे पर स्थित है जिसे वर्ष 2012 में दंतेवाड़ा से अलग करके बनाया गया था।
- यह ज़िला अर्द्ध-उष्णकटिबंधीय वन से आच्छादित है और जनजातीय समुदाय गोंड (Gond) की मुख्य भूमि है।
- इस ज़िले से होकर बहने वाली एक प्रमुख नदी सबरी (गोदावरी नदी की सहायक नदी) है।
- कुछ दशकों से यह क्षेत्र वामपंथी उग्रवाद (Left Wing Extremism- LWE) गतिविधियों का मुख्य क्षेत्र बन गया है।
- इस क्षेत्र को ऊबड़-खाबड़ और मुश्किल भौगोलिक स्थानों ने LWE कार्यकर्त्ताओं के लिये एक सुरक्षित ठिकाना बना दिया।
भारत में वामपंथी उग्रवाद
- वामपंथी उग्रवादियों को विश्व के अन्य देशों में माओवादियों के रूप में और भारत में नक्सलियों के रूप में जाना जाता है।
- नक्सलवाद शब्द का नाम पश्चिम बंगाल के गाँव नक्सलबाड़ी से लिया गया है। इसकी शुरुआत स्थानीय ज़मींदारों के खिलाफ विद्रोह के रूप में हुई, जिन्होंने भूमि विवाद पर एक किसान की पिटाई की थी।
- विद्रोह की शुरुआत वर्ष 1967 में कानू सान्याल और जगन संथाल के नेतृत्व में मेहनतकश किसानों को भूमि के उचित पुनर्वितरण के उद्देश्य से की गई थी।
- यह आंदोलन छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश जैसे कम विकसित पूर्वी भारत के राज्यों में फैल गया है।
- यह माना जाता है कि नक्सली माओवादी राजनीतिक भावनाओं और विचारधारा का समर्थन करते हैं।
- माओवाद, साम्यवाद का एक रूप है जो माओत्सेतुंग द्वारा विकसित किया गया है। इस सिद्धांत के समर्थक सशस्त्र विद्रोह, जनसमूह और रणनीतिक गठजोड़ के संयोजन से राज्य की सत्ता पर कब्ज़ा करने में विश्वास रखते हैं।
केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF)
- यह आंतरिक सुरक्षा के लिये भारत के प्रमुख केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (गृह मंत्रालय के तहत) में से एक है।
- मूल रूप से वर्ष 1939 में क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के रूप में गठित, यह सबसे पुराने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में से एक है। स्वतंत्रता के बाद, 28 दिसंबर, 1949 को CRPF अधिनियम के लागू होने पर यह केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल बन गया।
- इसका मिशन सरकार को कानून के शासन, सार्वजनिक व्यवस्था एवं आंतरिक सुरक्षा को प्रभावी ढंग से और कुशलता से बनाए रखने, राष्ट्रीय अखंडता को संरक्षित करने व संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखते हुए सामाजिक सद्भाव तथा विकास को बढ़ावा देने में सक्षम बनाना है।