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आंतरिक सुरक्षा

माओवादी खतरे से निपटने हेतु आवश्यक कदम

  • 10 Dec 2020
  • 7 min read

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र सरकार से उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में ‘सड़क आवश्यकता योजना’ (Road Requirement Plan- RRP) के कार्यान्वयन में तेज़ी लाने के लिये शेष बचे हुए अनुबंधों को छोटे पैकेटों में विभाजित करने का सुझाव दिया है जिससे स्थानीय ठेकेदार कार्यों को पूरा कर सकें।

प्रमुख बिंदु:   

वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों के लिये सड़क आवश्यकता योजना: 

  • इस योजना का कार्यान्वयन देश के 8 राज्यों के 34 वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित ज़िलों में सड़क संपर्क को मज़बूत करने के लिये केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
  • इन 8 राज्यों में आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
  • इस योजना के तहत वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में 5422 किमी. लंबी सड़कों के निर्माण की परिकल्पना की गई है।

वर्तमान मुद्दा:

  • कुल 4 राज्यों में बचे हुए 419 किमी. सड़क में से 360 किमी. छत्तीसगढ़ में ही है।
  • इसके तहत प्रस्तावित 5422 किमी. सड़क आवश्यकता योजना के 90% कार्य को पूरा कर लिया गया है परंतु छत्तीसगढ़ में इन परियोजनाओं की प्रगति एक बड़ी चुनौती रही है।

प्रस्तावित समाधान:

  • छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र को  बचे हुए अनुबंधों को छोटे-छोटे हिस्सों में विभाजित करने का सुझाव दिया है, जिससे स्थानीय ठेकेदार इन कार्यों को पूरा कर सकें।
  • छत्तीसगढ़ सरकार का मत है कि स्थानीय लोग अनुबंध/ठेके लेकर कार्य को पूरा कराने के लिये बेहतर स्थिति में होंगे।  

वामपंथी अतिवाद (Left Wing Extremism- LWE):

  • LWE संगठन ऐसे समूह हैं जो हिंसक क्रांति के माध्यम से बदलाव लाने की कोशिश करते हैं। वे लोकतांत्रिक संस्थाओं के खिलाफ होते हैं और ज़मीनी स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को खत्म करने के लिये हिंसा का इस्तेमाल करते हैं।
  • ये समूह देश के अल्प विकसित क्षेत्रों में विकासात्मक प्रक्रियाओं को रोकते हैं और लोगों को मौजूदा घटनाओं से अनभिज्ञ रखकर गुमराह करने की कोशिश करते हैं।
  • वामपंथी उग्रवादी संगठन दुनिया भर में माओवादी और भारत में नक्सलियों के रूप में जाने जाते  हैं।

वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिये सरकार के अन्य प्रयास:

  • ग्रेहाउंड्स: इसकी स्थापना वर्ष 1989 में एक सर्वोत्कृष्ट नक्सल विरोधी बल के रूप में की गई थी।
  • ऑपरेशन ग्रीन हंट:  ‘ऑपरेशन ग्रीन हंट’ (Operation Green Hunt) की शुरुआत वर्ष 2009-10 के दौरान की गई थी, इसके तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई थी।
  • वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में मोबाइल टॉवर परियोजना: वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में मोबाइल संपर्क को बेहतर बनाने के लिये वर्ष 2014 में सरकार ने LWE प्रभावित राज्यों में मोबाइल टॉवरों की स्थापना को मंज़ूरी दी।
  • आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम: इस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2018 में की गई थी, इसका उद्देश्य देश के सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े ज़िलों की पहचान कर उनके समग्र विकास में सहायता करना है। 

समाधान (SAMADHAN): 

  • S- स्मार्ट नेतृत्त्व (Smart Leadership)
  • A- आक्रामक रणनीति (Aggressive Strategy)
  • M- प्रेरणा और प्रशिक्षण (Motivation and Training)
  • A- एक्शनेबल इंटेलिजेंस (Actionable Intelligence)
  • D- डैशबोर्ड आधारित ‘मुख्य प्रदर्शन संकेतक’ (Key Performance Indicators- KPI) और मुख्य परिणाम क्षेत्र (Key Result Areas- KRAs) 
  • H- प्रौद्योगिकी का सदुपयोग (Harnessing Technology)
  • A- एक्शन प्लान फॉर ईच थिएटर (Action plan for each Theatre)
  • N- वित्तीय पहुँच (उग्रवादी समूहों के संदर्भ में) को रोकना (No access to Financing)

यह सिद्धांत वामपंथी उग्रवाद की समस्या के लिये वन-स्टॉप समाधान है। इसमें विभिन्न स्तरों पर तैयार की गई सरकार की पूरी रणनीति ( (अल्पकालिक नीति से लेकर दीर्घकालिक नीति तक) को शामिल किया गया है।

आगे की राह: 

  • यद्यपि हाल के वर्षों में वामपंथी उग्रवादी समूहों से जुड़ी हिंसा की घटनाओं में कमी आई है, परंतु ऐसे समूहों को खत्म करने के लिये निरंतर प्रयासों पर और ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • सरकार को दो चीज़ें सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता  है; (i) शांतिप्रिय लोगों की सुरक्षा और (ii) नक्सल प्रभावित क्षेत्रों का विकास।  
  • केंद्र और राज्यों को विकास तथा सुरक्षा में अपने समन्वित प्रयासों के साथ आगे बढ़ना चाहिये,
  • सरकार को सुरक्षा कर्मियों के जीवन की क्षति को कम करने के लिये ड्रोन जैसे तकनीकी समाधानों के प्रयोग पर विशेष ध्यान देना चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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