प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 20 जनवरी, 2020
गोंड जनजाति
Gond Tribe
गोंड जनजाति विश्व के सबसे बड़े आदिवासी समूहों में से एक है। यह भारत की सबसे बड़ी जनजाति है इसका संबंध प्राक-द्रविड़ प्रजाति से है।
- इनकी त्वचा का रंग काला, बाल काले, होंठ मोटे, नाक बड़ी व फैली हुई होती है। ये अलिखित भाषा गोंडी बोली बोलते हैं जिसका संबंध द्रविड़ भाषा से है।
- ये ज़्यादातर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में पाए जाते हैं।
- गोंड चार जनजातियों में विभाजित हैं: राज गोंड, माड़िया गोंड, धुर्वे गोंड, खतुलवार गोंड
- गोंड जनजाति का प्रधान व्यवसाय कृषि है किंतु ये कृषि के साथ-साथ पशु पालन भी करते हैं। इनका मुख्य भोजन बाजरा है जिसे ये लोग दो प्रकार (कोदो और कुटकी) से ग्रहण करते हैं।
- गोंडों का मानना है कि पृथ्वी, जल और वायु देवताओं द्वारा शासित हैं। अधिकांश गोंड हिंदू धर्म को मानते हैं और बारादेव (जिनके अन्य नाम भगवान, श्री शंभु महादेव और पर्सा पेन हैं) की पूजा करते हैं।
- भारत के संविधान में इन्हें अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित किया गया है।
बैगा जनजाति
Baiga Tribe
बैगा जनजाति विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (Particularly Vulnerable Tribal Groups-PVTGs) में से एक है।
- बैगा जनजाति मुख्य रूप से मध्य प्रदेश में पाई जाती है किंतु ये छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश राज्यों में भी निवास करते हैं।
- इनकी उप-जातियाँ हैं- बिझवार, नरोटिया, भारोटिया, नाहर, राय भैना और कढ भैना।
- बैगा लोग बैगानी (Baigani) बोली बोलते हैं जो गोंडी बोली से प्रभावित छत्तीसगढ़ी बोली का ही एक रूप है।
- परंपरागत रूप से बैगा लोग अर्द्ध-खानाबदोश जीवन जीते थे और झूम कृषि (जिसे ये बेवर या दहिया कहते हैं) करते थे किंतु अब ये आजीविका के लिये मुख्य रूप से लघु वनोंत्पादों पर निर्भर हैं। इनका प्राथमिक वन उत्पाद बाँस है।
- बैगा जनजाति की महिलाएँ अपने शरीर पर विभिन्न प्रकार के टैटू गुदवाने के लिये प्रसिद्ध हैं।
स्टेपी ईगल
Steppe Eagle
एशियाई जलीय पक्षी गणना (Asian Waterbird Census) के दौरान आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में स्टेपी ईगल (Steppe Eagle) को देखा गया है।
- गौरतलब है कि यह दूसरी बार है जब पिछले दो दशकों में आंध्र प्रदेश में एक स्टेपी ईगल देखा गया है।
मुख्य बिंदु:
- इसका वैज्ञानिक नाम एक्विला निपलेंसिस (Aquila Nipalensis) है, यह ईगल के एसीपीट्रिडी (Accipitridae) परिवार से संबंधित है।
- यह प्रजाति पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में पाई जाती है। ये पक्षी मुख्यतः घास के मैदानों, अर्द्ध-मरुभूमि, धान के खेत व खुले जंगलों में रहना पसंद करते है।
- ये सर्दियों के मौसम में भारत के अलग-अलग हिस्सों में यूरोप, कज़ाखस्तान, मंगोलिया व चीन आदि देशों से आते हैं।
- यह एक शिकारी पक्षी है, इसे अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) की लाल सूची में संकटग्रस्त (Endangered) श्रेणी में रखा गया है।
- भारत में ये गैर-प्रजनन समय में आते हैं। माना जाता है कि स्टेपी ईगल भारत की दूसरी सबसे बड़ी प्रवासी ईगल प्रजाति है।
- स्टेपी ईगल की कम होती संख्या के मुख्य कारणों में निवास स्थान में कमी, बिजली के तारों से टकराव, खाद्य स्रोतों में जड़ी-बूटियों/कीटनाशकों/पशु चिकित्सकीय दवाओं (जैसे-डिक्लोफेनाक) द्वारा होने वाली विषाक्तता आदि शामिल है।
- स्टेपी ईगल को कज़ाखस्तान के राष्ट्रीय ध्वज में स्थान दिया गया है।
इरावदी डॉल्फिन
Irrawaddy Dolphin
हाल ही में हुई डॉल्फिन जनगणना के अनुसार ओडिशा की चिल्का झील (Chilika Lake) में इरावदी डॉल्फिन (Irrawaddy Dolphin) की संख्या 146 बताई गई है।
मुख्य बिंदु:
- इरावदी डॉल्फिन का वैज्ञानिक नाम ऑरकाले ब्रेविरियोस्ट्रिस (Orcaella Brevirostris) है।
- यह एक सुंदर स्तनपायी जलीय जीव है, इसे अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) की लाल सूची में संकटग्रस्त (Endangered) श्रेणी में रखा गया है।
- इसकी दो प्रजातियाँ पाई जाती हैं: इरावदी डॉल्फिन एवं स्नब-फिन-डॉल्फिन।
- इस प्रजाति का नाम म्याँमार की इरावदी नदी के नाम पर रखा गया है। इरावदी नदी में ये बड़ी संख्या में पाई जाती हैं। इरावदी नदी इनका प्राकृतिक वासस्थल है।
- चिल्का झील अति संकटापन्न इरावदी डॉल्फिनों का प्राकृतिक आवास है। इसका जल स्थिर होने के कारण यह डॉल्फिन के लिये अनुकूल है। यहाँ ये बहुतायत में पाई जाती हैं।
वार्षिक डॉल्फिन जनगणना (Annual Dolphin Census): ओड़िशा के वन और पर्यावरण विभाग द्वारा ओडिशा राज्य में वार्षिक डॉल्फिन जनगणना की गई।
- डॉल्फिन की गणना में हाइड्रोफोन निगरानी तकनीक (Hydrophone Monitoring Technique) का प्रयोग किया गया।
- हाइड्रोफोन एक माइक्रोफोन है जिसे पानी के नीचे की आवाज़ को रिकॉर्ड करने या सुनने के लिये इस्तेमाल किया जाता है।
के-4
K-4
भारत ने K-4 परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है जिसकी मारक क्षमता 3,500 किलोमीटर है।
मुख्य बिंदु:
- इसका परीक्षण रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation-DRDO) द्वारा आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम तट पर एक जलमग्न पोन्टून (एक चपटी नाव) से किया गया।
- एक पोन्टून (Pontoon) से किया गया प्रक्षेपण पनडुब्बी से किये गये प्रक्षेपण जैसा ही होता है।
- इसे अरिहंत श्रेणी की परमाणु पनडुब्बी में तैनात किया जाएगा जिससे भारत को समुद्र के अंदर से परमाणु हथियारों को लॉन्च करने की क्षमता प्राप्त होगी।
- भारतीय नौसेना के पास आईएनएस अरिहंत ही एकमात्र ऐसी पनडुब्बी है, जो परमाणु क्षमता से लैस है, इसमें पहले से ही K-15 सागरिका (K-15 Sagarika) या बीओ-5 (BO-5) मिसाइलें लैस हैं जिनकी मारक क्षमता 750 किमी. है।
- K-4 की अन्य विशेषताएँ हैं-
- इसे एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम ट्रैक नहीं कर सकता है।
- यह 200 किलोग्राम वज़नी परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।
- इस मिसाइल की चक्रीय त्रुटि प्रायिकता (Circular Error Probability-CEP) चीन की मिसाइलों की तुलना में बहुत कम है।
- चक्रीय त्रुटि प्रायिकता मिसाइल की सटीकता निर्धारित करती है, अर्थात् चक्रीय त्रुटि प्रायिकता जितनी कम होगी मिसाइल की लक्ष्य भेदन क्षमता उतनी ही सटीक होगी।