अरावली के जल निकायों में लैंडफिल अपशिष्ट | हरियाणा | 29 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
अरावली में जलाशयों में अवैध रूप से अपशिष्ट डाला जा रहा है। अरावली की भूमि पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम (Punjab Land Preservation Act- PLPA) 1900 की धारा 4 के तहत संरक्षित है, जो किसी भी गैर-वनीय गतिविधि को करने के लिये वन विभाग की अनुमति को अनिवार्य बनाता है।
मुख्य बिंदु
- अरावली में स्थित जलाशय स्थानीय वन्य जीवन के लिये जल स्रोत के रूप में कार्य करते थे और अब वे प्रदूषित हो रहे हैं तथा लैंडफिल से निकलने वाले अपशिष्ट एवं रिसने वाले काले रंग के तरल (Leachate) से भर रहे हैं
- अधिकारियों के लिये यह महत्त्वपूर्ण है कि वे अरावली पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण को प्राथमिकता दें तथा पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे
पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम, 1900 की धारा 4
- पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम (Punjab Land Preservation Act- PLPA), 1900 की धारा 4 के अंतर्गत विशेष आदेश राज्य सरकार द्वारा जारी किये गए प्रतिबंधात्मक प्रावधान हैं, जो किसी निर्दिष्ट क्षेत्र में वनों की कटाई को रोकने के लिये जारी किये जाते हैं, जिससे मृदा का अपरदन हो सकता है।
- जब राज्य सरकार इस बात से संतुष्ट हो जाती है कि किसी बड़े क्षेत्र के वन क्षेत्र में वनों की कटाई से मृदा का अपरदन होने की संभावना है, तो धारा 4 के तहत शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है।
- इसलिये वह विशिष्ट भूमि जिसके लिये PLPA की धारा 4 के तहत विशेष आदेश जारी किया गया है, उसमें वन अधिनियम, 1927 द्वारा शासित वन की सभी विशेषताएँ होंगी।
अरावली
- उत्तर-पश्चिमी भारत की अरावली, दुनिया के सबसे पुराने वलित पहाड़ों में से एक है, जो अब 300 मीटर से 900 मीटर की ऊँचाई वाले अवशिष्ट पहाड़ों का रूप ले चुका है। वे गुजरात के हिम्मतनगर से दिल्ली तक 800 किलोमीटर की दूरी तक फैले हुए हैं, जो हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली तक फैले हुए हैं, जो 692 किलोमीटर (किमी) है।
- पर्वतों को दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया गया है- सांभर सिरोही रेंज और राजस्थान में सांभर खेतड़ी रेंज, जहाँ इनका विस्तार लगभग 560 किलोमीटर है।
- दिल्ली से हरिद्वार तक फैली अरावली की छिपी हुई शाखा गंगा और सिंधु नदियों के जल निकासी के बीच विभाजन करती है
मध्य प्रदेश के स्थानीय व्यंजनों की प्रदर्शनी | मध्य प्रदेश | 29 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग विभिन्न पर्यटन स्थलों पर फूड फेस्टिवल का आयोजन कर रहा है, जहाँ मेहमानों को स्थानीय व्यंजन परोसे जाएंगे।
- इस पहल का उद्देश्य मध्य प्रदेश (MP) में पर्यटकों को आकर्षित करना है, जो अपनी विविध पारंपरिक और आदिवासी पाककला के लिये प्रसिद्ध है।
मुख्य बिंदु
- फूड फेस्टिवल में आम, शरीफा से बने व्यंजनों के अलावा दाल माझा, मालवा भोजन, नवाबी बिरयानी और परांठे जैसे पारंपरिक व्यंजन भी पेश किये जाएँगे।
- यह महोत्सव अलग-अलग तिथियों पर आयोजित किया जाएगा और पूरे वर्ष तक चलेगा।
- केरवा में मानसून फूड फेस्टिवल, पचमढ़ी में कस्टर्ड एप्पल और बिरयानी फेस्टिवल, माण्डू में मालवा फूड फेस्टिवल, सैलानी में सी फूड, उज्जैन में देसी दाल बाजरा, ग्वालियर में बाजरा तथा स्थानीय व्यंजन, शिवपुरी में स्ट्रीट फूड एवं खज़राहो में बुंदेली फूड आदि का आयोजन किया जाएगा।
सस्टेनेबल सिटीज़ चेलैंज़ | उत्तर प्रदेश | 29 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
पवित्र शहर वाराणसी को डेट्रॉयट और वेनिस (Detroit and Venice) के साथ सस्टेनेबल सिटीज़ चेलैंज में भाग लेने के लिये विश्व स्तर पर तीन शहरों में से एक के रूप में चुना गया है।
- सस्टेनेबल सिटीज़ चैलेंज का शुभारंभ समारोह टोयोटा मोबिलिटी फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया था।
मुख्य बिंदु
- सस्टेनेबल सिटीज़ चैलेंज के भाग के रूप में टोयोटा मोबिलिटी फाउंडेशन 9 मिलियन अमेरिकी डॉलर का वित्त पोषण प्रदान करेगा।
- वाराणसी जहाँ प्रतिवर्ष सात करोड़ से अधिक पर्यटक तथा तीर्थ यात्री आते हैं, शहर को आगंतुकों के लिये अधिक सुरक्षित और सुलभ बनाने हेतु डेटा-संचालित समाधान विकसित करने के लिये नवप्रवर्तकों एवं स्टार्टअप्स को आमंत्रित करेगा।
- वाराणसी भीड़ प्रबंधन समाधान विकसित करने हेतु विश्व भर से नवप्रवर्तकों को आमंत्रित कर रहा है।
- जून 2023 में शहरों के लिये आह्वान पहली बार शुरू किये जाने के बाद, विश्व भर के 46 देशों के 150 से अधिक शहरों ने इस चैलेंज में भाग लिया।
डायरिया रोको अभियान | उत्तर प्रदेश | 29 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग 1 जुलाई, 2024 को ‘डायरिया रोको’ अभियान शुरू करने जा रहा है।
प्रमुख बिंदु:
- वर्षा ऋतु में दूषित जल के जमा होने से वायरल, बैक्टीरियल और परजीवी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
- ऐसी स्थिति में बच्चों को डायरिया हो सकता है जिससे निर्जलीकरण (Dehydration) की समस्या बढ़ जाती है। यह बीमारी संदूषित भोजन और जल के माध्यम से फैलती है।
- आशा कार्यकर्त्ता घर-घर जाकर डायरिया से पीड़ित बच्चों के परिवारों को ORS घोल बनाने की विधि सिखाएंगी
- वे ORS और ज़िंक के उपयोग के लाभों के साथ-साथ साफ-सफाई और स्वच्छता के बारे में भी जानकारी देंगे।
- शहरी मलिन बस्तियों, दूर-दराज़ के क्षेत्रों, खानाबदोशों, निर्माण कार्य में लगे मज़दूरों के परिवारों और ईंट भट्टों पर रहने वाले परिवारों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
डायरिया रोग
- डायरिया को प्रतिदिन तीन या अधिक बार पतला या तरल मल त्यागने (या किसी व्यक्ति के लिये सामान्य से अधिक बार मल त्यागने) के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- डायरिया से उत्पन्न सबसे गंभीर खतरा निर्जलीकरण (Dehydration) है।
- डायरिया के दौरान, जल और इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम, क्लोराइड, पोटेशियम और बाइकार्बोनेट) तरल मल, उल्टी, पसीने, मूत्र तथा श्वास के माध्यम से नष्ट हो जाते हैं।
- जब इन क्षतियों की पूर्ति नहीं की जाती तो निर्जलीकरण हो जाता है।