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जैव विविधता और पर्यावरण

सस्टेनेबल सिटीज़ इंडिया कार्यक्रम

  • 25 Feb 2022
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सस्टेनेबल सिटीज़ इंडिया प्रोग्राम, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (NIUA), वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम, स्मार्ट सिटीज़ मिशन, अटल मिशन फॉर अर्बन रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (AMRUT)।

मेन्स के लिये:

शहरीकरण, संरक्षण, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व आर्थिक मंच (WEF)और शहरी मामलों के राष्ट्रीय संस्थान (एनआईयूए) द्वारा संयुक्त रूप से डिज़ाइन किये गए 'सस्टेनेबल सिटीज़ इंडिया प्रोग्राम' पर सहयोग करने हेतु एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गए।

  • यह पहल भारत द्वारा COP26 में जलवायु शमन प्रतिक्रिया के रूप में वर्ष 2070 तक नेट ज़ीरो की भारत की प्रतिबद्धता के बाद की गई है।

'सस्टेनेबल सिटीज़ इंडिया प्रोग्राम' के प्रमुख बिंदु:

  • इसका उद्देश्य शहरों के ऊर्जा, परिवहन तथा पर्यावरणीय क्षेत्रों में डीकार्बोनाइजेशन समाधान प्रदान  कर एक सक्षम वातावरण का निर्माण करना है।
  • WEF और NIUA दो वर्षों में WEF की ‘सिटी स्प्रिंट प्रक्रिया’ तथा ‘टूलबॉक्स ऑफ सॉल्यूशंस’ के तहत पाँच से सात भारतीय शहरों को डीकार्बोनाइज़ेशन के लिये अनुकूलित करेंगे।
    • सिटी स्प्रिंट प्रक्रिया (City Sprint Process): यह बहु-क्षेत्रीय, बहु-हितधारक कार्यशालाओं की एक शृंखला है, जिसमें व्यापार, सरकार और नागरिक समाज के प्रमुखों को शामिल किया जाता है, विशेष रूप से स्वच्छ विद्युतीकरण व वितरण के माध्यम से डीकार्बोनाइजेशन को सक्षम बनाने हेतु इसका क्रियान्वयन किया जाता है। 
    • टूलबॉक्स ऑफ सॉल्यूशंस (Toolbox of Solutions): यह एक डिजिटल प्लेटफार्म है, जिसमें स्वच्छ विद्युतीकरण, दक्षता तथा स्मार्ट बुनियादी ढांँचे के 200 से अधिक उदाहरण मौजूद हैं और इसके लिये दुनिया भर के 110 से अधिक शहरों में इमारतों, ऊर्जा प्रणालियों एवं गतिशीलता के मामलों का अध्ययन किया गया है। 

डीकार्बोनाइज़ेशन की आवश्यकता:

  • विश्व आर्थिक मंच की वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2022 के अनुसार, भारत जैसे घनी आबादी वाले देश जो कृषि पर अत्यधिक निर्भर हैं, विशेष रूप से जलवायु असुरक्षा की चपेट में हैं। 
    • शहरों में डीकार्बोनाइज़ेशन ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने का एक वास्तविक अवसर है और भारत के शहर इस लक्ष्य तक पहुंँचने में बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं।
  • वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का नेट ज़ीरो कार्बन का मकसद सिटीज़ मिशन, स्वच्छ विद्युतीकरण और वितरण हेतु एक सक्षम वातावरण निर्मित करना है।
    • कार्यक्रम का उद्देश्य ऊर्जा, पर्यावरण और परिवहन क्षेत्रों में अंतर को पाटने के लिये  सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देना है। 

शहरी मामलों के राष्ट्रीय संस्थान (NIUA):

  • वर्ष 1976 में स्थापित शहरी मामलों का राष्ट्रीय संस्थान (National Institute of Urban Affairs-NIUA) शहरी नियोजन और विकास पर भारत का प्रमुख राष्ट्रीय थिंक टैंक है।
  • शहरी क्षेत्र में अत्याधुनिक अनुसंधान और प्रसार के लिये एक केंद्र के रूप में एनआईयूए तेज़ी से शहरीकरण करने वाले भारत की चुनौतियों का अभिनव समाधान प्रदान कर भविष्य के अधिक समावेशी और सतत् शहरों हेतु मार्ग प्रशस्त करना चाहता है।

भारत सरकार द्वारा शहरी विकास हेतु शुरू की गई प्रमुख पहलें:

स्रोत: पी.आई.बी.

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