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शासन व्यवस्था

भीड़ प्रबंधन

  • 30 Dec 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005

मेन्स के लिये:

भीड़/भगदड़ आपदा के कारण

चर्चा में क्यों?

सियोल, दक्षिण कोरिया और गुजरात के मोरबी में हाल की त्रासदियों ने एक बार फिर भीड़ एवं उनके प्रबंधन को सुर्खियों में ला दिया है।

भीड़ प्रबंधन: 

  • भीड़ प्रबंधन को व्यवस्थित योजना के रूप में परिभाषित किया गया है और लोगों की व्यवस्थित आवाजाही और जनसमूह की निगरानी के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • भीड़ प्रबंधन में उपयोग से पहले किसी स्थान की क्षमताओं का आकलन शामिल है।
  • इसमें अधिभोग के अनुमानित स्तरों का मूल्यांकन, प्रवेश और निकास के साधनों की पर्याप्तता, प्रसंस्करण प्रक्रियाएँ जैसे- टिकट संग्रह एवं अपेक्षित प्रकार की गतिविधियाँ तथा समूह व्यवहार शामिल हैं।

भीड़ आपदा/भगदड़ के कारण: 

  • संरचनात्मक विफलताएँ: 
    • अवैध संरचनाओं, फेरीवालों और पार्किंग, अंतरिम सुविधाओं, ऊर्ध्वाधर सीढ़ियों, संकीर्ण इमारतों के विध्वंस के कारण।
  • बिजली/अग्नि आपदाएँ:
    • उत्सव के दौरान पटाखों का अनुचित उपयोग या गलत वायरिंग एक सामान्य कारण है।
    • बिजली की आपूर्ति में विफलता से दहशत पैदा होती है और अचानक भगदड़ शुरू हो जाती है।
  • भीड़ का व्यवहार:
    • भीड़ को कम करना, प्रबंधन के साथ समन्वय की कमी, टिकटों की अधिक बिक्री, सेलिब्रिटी से ऑटोग्राफ या मुफ्त उपहार प्राप्त करने के लिये अचानक भीड़ या अफवाहों से बड़े पैमाने पर घबराहट।
      • लोगों को अपनी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिये कम-से-कम 1 वर्ग गज जगह की आवश्यकता होती है। भीड़ में मरने वाले ज़्यादातर लोग सीधे खड़े होने पर दम घुटने से मरते हैं, रौंदने से नहीं।
  • अपर्याप्त सुरक्षा: 
    • सुरक्षा टीमों की अपर्याप्त तैनाती के कारण आँसू गैस के गोले दागने जैसे कठोर उपाय करना। 
  • प्रशासनिक एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी:
    • अग्निशमन सेवा, पुलिस, धर्मस्थल प्रबंधन आदि के बीच अपर्याप्त समन्वय।

भीड़ प्रबंधन संबंधी NDMA दिशा-निर्देश: 

  • पहला कदम पांडालों और दशहरा मैदानों के आसपास के क्षेत्रों में यातायात व्यवस्था को विनियमित करना है।
    • पैदल चलने वालों के लिये कार्यक्रम स्थल तक पहुँचने हेतु रूट मैप और आपातकालीन निकास मार्ग आदि का सटीक निर्धारण किया जाना चाहिये। कतारबद्ध लोगों की आवाजाही सुनिश्चित करने के लिये बैरिकेडिंग बढ़ती हुई भीड़ को नियंत्रित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है। 
  • आंदोलन पर नज़र रखने के लिये सीसीटीवी कैमरे और अन्य छोटे-मोटे अपराधों के ज़ोखिम को कम करने के लिये पुलिस की मौजूदगी भी आयोजकों के एजेंडे के अंतर्गत होनी चाहिये।
  • संकरे अथवा बंद (क्लॉस्ट्रोफोबिक) स्थानों में चिकित्सा आपात संबंधी स्थिति पैदा हो सकती है। ऐसे में एक एम्बुलेंस और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर जीवन रक्षा में काफी सहायक हो सकते हैं।
  • भगदड़ जैसी स्थितियों में लोगों को निकास मार्गों से परिचित कराने, शांत रहने और निर्देशों के पालन में मदद करनी चाहिये।
  • भगदड़ की स्थिति में व्यक्तियों को एक मुक्केबाज़ की भाँति हाथ जोड़कर अपनी छाती की रक्षा करनी चाहिये और सुरक्षित स्थान की ओर बढ़ना चाहिये।
  • आयोजकों को बिजली, अग्निशमन यंत्रों का अधिकृत उपयोग और सुरक्षा दिशा-निर्देशों को पूरा करने वाली अन्य व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करना चाहिये।
  • आसपास के अस्पतालों की एक सूची तैयार रखना मददगार हो सकती है। हल्के, सूती कपड़े पहनने जैसी साधारण सावधानियाँ और आग बुझाने के लिये सामान्य तरीकों का ज्ञान होना ज़रूरी है।

आगे की राह

  • वर्तमान विश्व में भीड़ प्रबंधन सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिये, विशेषकर भारत में।
  • बड़ी संख्या में विनाशकारी घटनाएँ मानवीय त्रुटि के कारण होती हैं, सक्रिय उपायों की योजना बनाकर और उन्हें लागू करके इन आपदाओं से बचा जा सकता है। इसके अलावा पिछली त्रुटियों का विश्लेषण करना व उनसे सबक लेना महत्त्वपूर्ण है। 
  • भीड़ आपदा समाज में हर किसी के लिये चिंता का विषय है। नेतृत्त्व करने में सरकार की ज़िम्मेदारी के बावज़ूद भविष्य में ऐसी आपदाओं को रोकने में आम जनता की भी प्रमुख भूमिका होनी चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA.) के सुझावों के संदर्भ में उत्तराखंड के अनेक स्थानों पर हाल ही में बादल फटने की घटनाओं के प्रभाव को कम करने के लिये अपनाए जाने वाले उपायों पर चर्चा कीजिये। (मेन्स- 2016)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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