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स्टेट पी.सी.एस.

  • 24 Oct 2024
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उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश में आर्थिक नेतृत्व की राह

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में, मुख्यमंत्री ने भारत की शीर्ष अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में उत्तर प्रदेश की तीव्र वृद्धि पर प्रकाश डाला, जो बुनियादी ढाँचे, औद्योगिक और कृषि प्रगति से प्रेरित है।   

प्रमुख बिंदु 

  • GSDP वृद्धि : UP का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) वित्त वर्ष 2025 तक 32 ट्रिलियन रुपए से अधिक होने की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 2024 में 26 ट्रिलियन रुपए था।
    • अपराध और भू-माफियाओं पर सरकार की कार्यवाही से 64,000 हेक्टेयर भूमि को पुनः प्राप्त कर व्यवसाय के लिये स्थान बनाने में मदद मिली है।
    • सरकार ने 40 ट्रिलियन रुपए के FDI प्रस्तावों और 15 मिलियन रोज़गार के अवसरों पर प्रकाश डाला। 
  • पारंपरिक क्षेत्रों पर ध्यान : मुरादाबाद के पीतल, फिरोज़ाबाद के काँच और भदोही के कालीन जैसे उद्योगों को समर्थन।
  • कारोबार में आसानी : EODB में UP दूसरे स्थान पर, वर्ष 2017 में 14 वें स्थान से सुधार।
    • वर्ष 2017 से UP का वार्षिक बजट 2 ट्रिलियन रुपए से बढ़कर 7.5 ट्रिलियन रुपए हो गया।
    • 1.5 ट्रिलियन रुपए मूल्य की बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ चल रही हैं।
  • पर्यटन को बढ़ावा : अयोध्या, वाराणसी और मथुरा जैसे सांस्कृतिक स्थल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
  • बुनियादी ढाँचा विकास : भारत के आधे एक्सप्रेसवे और 21 वायुई अड्डे उत्तर प्रदेश में हैं।
  • स्टार्टअप इकोसिस्टम : 'निवेश मित्र' प्लेटफॉर्म निवेश को सुव्यवस्थित करता है, MSME और स्टार्टअप को समर्थन देता है।
  • कृषि और ग्रामीण विकास : नाबार्ड ने 1 ट्रिलियन रुपए का वित्त पोषण उपलब्ध कराया है और लगभग 10,000 किसान उत्पादक संगठन (FPO) कार्यरत हैं।

किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organizations- FPO)

  • FPO स्वैच्छिक संगठन हैं जो अपने किसान-सदस्यों द्वारा नियंत्रित होते हैं और अपनी नीतियों को निर्धारित करने और निर्णय लेने में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
  • वे उन सभी व्यक्तियों के लिये खुले हैं जो उनकी सेवाओं का उपयोग करने में सक्षम हैं और लैंगिक, सामाजिक, नस्लीय, राजनीतिक या धार्मिक भेदभाव के बिना सदस्यता की ज़िम्मेदारियों को स्वीकार करने के इच्छुक हैं।
  • FPO संचालक अपने किसान-सदस्यों, निर्वाचित प्रतिनिधियों, प्रबंधकों और कर्मचारियों को शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करते हैं ताकि वे अपने FPO के विकास में प्रभावी योगदान दे सकें।
  • गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और कुछ अन्य राज्यों में FPO ने उत्साहजनक परिणाम दिखाए हैं और वे अपनी उपज पर अधिक लाभ प्राप्त करने में सफल रहे हैं।
    • उदाहरण के लिये, राजस्थान के पाली ज़िले में आदिवासी महिलाओं ने एक उत्पादक कंपनी बनाई और उन्हें शरीफा के लिये अधिक कीमत मिल रही है।


हरियाणा Switch to English

राजेश खुल्लर को मुख्यमंत्री का मुख्य प्रधान सचिव नियुक्त किया गया

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राजेश खुल्लर को हरियाणा के मुख्यमंत्री का मुख्य प्रधान सचिव नियुक्त किया गया है, लेकिन उन्हें कैबिनेट दर्जा नहीं दिया गया है।

प्रमुख बिंदु 

  • कानूनी ढाँचा: राज्य सरकार को अपने प्रशासनिक विवेक के तहत सलाहकारों और सचिवों की नियुक्ति करने का अधिकार है।
    • इसी तरह के पदों के विपरीत, खुल्लर की नियुक्ति के साथ कैबिनेट रैंक नहीं दी गई है, जिसका अर्थ है कि उन्हें मंत्रियों के समान सुविधाएँ नहीं मिलेंगी या कैबिनेट ज़िम्मेदारियाँ नहीं होंगी।
    • खुल्लर की भूमिका में विधायी या कैबिनेट की भागीदारी को छोड़कर प्रशासनिक निर्णयों, नीति निर्माण और रणनीतिक शासन में मुख्यमंत्री की सहायता करना शामिल है।
  • राज्य की शक्तियाँ: राज्य सरकार, अनुच्छेद 162 के तहत, प्रशासनिक सलाहकार भूमिकाओं में व्यक्तियों को नियुक्त करने के लिये कार्यकारी शक्ति का प्रयोग करती है।


हरियाणा Switch to English

हरियाणा दलित उप-कोटा पारित करने वाला पहला राज्य बना

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में हरियाणा अनुसूचित जाति (SC) आरक्षण के भीतर उप-कोटा को मंजूरी देने वाला भारत का पहला राज्य बन गया , जो सकारात्मक कार्यवाही नीतियों में एक महत्त्वपूर्ण विकास है। 

प्रमुख बिंदु 

  • दलित उपकोटा अनुमोदन: हरियाणा सरकार ने 20% अनुसूचित जाति आरक्षण को दो भागों में विभाजित करने को मंजूरी दी: 50% "वंचित" अनुसूचित जाति के लिये और 50% अन्य अनुसूचित जाति के लिये।
    • हरियाणा सरकार ने वर्ष 2020 में हरियाणा अनुसूचित जाति (शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम पारित किया था , जिसके तहत राज्य के उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसूचित जातियों के लिये आरक्षित 20% सीटों में से 50% सीटें एक नई श्रेणी, वंचित अनुसूचित जातियों के लिये आरक्षित की गई थीं।
    • इस कदम का लक्ष्य समूह के भीतर आर्थिक असमानताओं को पहचानते हुए अनुसूचित जाति के बीच लाभों का समान वितरण सुनिश्चित करना है।
    • “वंचित” जातियों की पहचान करने के लिये न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एच.एस. भल्ला की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया गया था।
  • हरियाणा में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या काफी अधिक है (20% से अधिक), आंतरिक असमानता लंबे समय से एक मुद्दा रहा है।
  • कानूनी और संवैधानिक आधार: राज्य सरकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 पर निर्भर करती है, जो अनुसूचित जातियों के वर्गीकरण की अनुमति देता है।
  • अनुच्छेद 341(1) और 342(1) के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति, राज्यपाल के परामर्श के बाद, जातियों, मूलवंशों, जनजातियों अथवा जातियों या मूलवंशों के भीतर समूहों के हिस्सों को निर्दिष्ट कर सकते हैं, जिन्हें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति माना जाएगा।
  • आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में भी अनुसूचित जाति के लिये उप-कोटा लागू करने के ऐसे ही प्रयास किये गए हैं, लेकिन हरियाणा का कदम औपचारिक रूप से मंजूरी पाने वाला पहला कदम है।

SC और ST के उप-वर्गीकरण पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय

  • उप-वर्गीकरण की अनुमति: न्यायालय ने निर्णय दिया कि राज्यों को संवैधानिक रूप से पिछड़ेपन के विभिन्न स्तरों के आधार पर अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को उप-वर्गीकृत करने की अनुमति है। 
    • सात न्यायाधीशों की पीठ ने निर्णय सुनाया कि राज्य अब सबसे वंचित समूहों को बेहतर सहायता प्रदान करने के लिये 15% आरक्षण कोटे के भीतर अनुसूचित जातियों को उप-वर्गीकृत कर सकते हैं।
    • भारत के मुख्य न्यायाधीश ने "उप-वर्गीकरण" और "उप-श्रेणीकरण" के बीच अंतर पर ज़ोर दिया, तथा इन वर्गीकरणों का उपयोग वास्तविक उत्थान के बजाय राजनीतिक तुष्टिकरण के लिये करने के प्रति आगाह किया। 
      • न्यायालय ने कहा कि उप-वर्गीकरण मनमाने या राजनीतिक कारणों के बजाय अनुभवजन्य आँकड़ों और प्रणालीगत भेदभाव के ऐतिहासिक साक्ष्य पर आधारित होना चाहिये।
    • निष्पक्षता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिये राज्यों को अपने उप-वर्गीकरण को अनुभवजन्य साक्ष्य पर आधारित करना चाहिये।
    • न्यायालय ने स्पष्ट किया कि किसी भी उप-वर्ग के लिये 100% आरक्षण स्वीकार्य नहीं है। उप-वर्गीकरण पर राज्य के निर्णय राजनीतिक दुरुपयोग को रोकने के लिये न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि 'क्रीमी लेयर' सिद्धांत, जो पहले केवल अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) पर लागू होता था (जैसा कि इंद्रा साहनी वाद में परिलक्षित हुआ था ), अब SC और ST पर भी लागू होना चाहिये। 
      • इसका मतलब है कि राज्यों को SC और ST के भीतर क्रीमी लेयर की पहचान करनी चाहिये और उसे आरक्षण के लाभ से बाहर करना चाहिये। यह निर्णय आरक्षण के लिये अधिक सूक्ष्म दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रतिक्रिया करता है, यह सुनिश्चित करता है कि लाभ उन लोगों तक प्राप्त हो जो वास्तव में वंचित हैं।
    • न्यायालय ने कहा कि आरक्षण केवल पहली पीढ़ी तक ही सीमित होना चाहिये। 
    • यदि परिवार में किसी पीढ़ी ने आरक्षण का लाभ लिया है और उच्च दर्जा प्राप्त किया है, तो आरक्षण का लाभ तार्किक रूप से दूसरी पीढ़ी को उपलब्ध नहीं होगा।
    • निर्णय का औचित्य: न्यायालय ने माना कि प्रणालीगत भेदभाव अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कुछ सदस्यों को आगे बढ़ने से रोकता है, और इसलिये, संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत उप-वर्गीकरण इन असमानताओं को दूर करने में मदद कर सकता है
    • यह दृष्टिकोण राज्यों को इन समूहों के सबसे वंचित लोगों को अधिक प्रभावी ढंग से सहायता प्रदान करने के लिये आरक्षण नीतियों को तैयार करने की अनुमति देता है।



बिहार Switch to English

चक्रवात 'दाना' का बिहार पर प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चक्रवात 'दाना ' के कारण बिहार में मौसम के पैटर्न में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आया है, जिसके कारण कई ज़िलों में भारी वर्षा की चेतावनी जारी की गई है। 

प्रमुख बिंदु 

  • प्रभावित ज़िले: पटना, गया और अन्य आस-पास के क्षेत्रों में भारी वर्षा की संभावना है।
    • भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने संभावित बाढ़ के लिये तैयार रहने की चेतावनी देते हुए येलो अलर्ट जारी किया है ।
    • चक्रवात दाना झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे पड़ोसी राज्यों में भी मौसम की स्थिति को प्रभावित कर रहा है।
  • कलर कोडेड मौसम चेतावनी: 
    • यह IMD द्वारा जारी किया जाता है जिसका उद्देश्य गंभीर या खतरनाक मौसम से पहले लोगों को सचेत करना है जिससे नुकसान, व्यापक व्यवधान या जीवन को खतरा होने की संभावना होती है।
    • IMD 4 रंग कोड का उपयोग करता है:
      • ग्रीन (सब ठीक है): कोई सलाह जारी नहीं की गई है।
      • येलो (सावधान रहें): येलो कलर कई दिनों तक चलने वाले खराब मौसम को दर्शाता है। यह यह भी बताता है कि मौसम और भी खराब हो सकता है, जिससे दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में व्यवधान आ सकता है।
      • नारंगी/अंबर (तैयार रहें): नारंगी अलर्ट अत्यंत खराब मौसम की चेतावनी के रूप में जारी किया जाता है, जिससे सड़क और रेल मार्ग बंद होने से आवागमन में व्यवधान उत्पन्न होने एवं विद्युत् आपूर्ति बाधित होने की संभावना रहती है।
      • रेड (कार्यवाही करें): जब अत्यंत खराब मौसम की स्थिति निश्चित रूप से यात्रा और विद्युत् को बाधित करने वाली हो तथा जीवन के लिये महत्त्वपूर्ण खतरा पैदा करने वाली हो, तो रेड अलर्ट जारी किया जाता है।
    • ये चेतावनियाँ सार्वभौमिक प्रकृति की होती हैं तथा बाढ़ के दौरान भी जारी की जाती हैं, जो अत्यधिक वर्षा के परिणामस्वरूप भूमि/नदी में जल की मात्रा पर निर्भर करती हैं।
      • उदाहरण के लिये, जब किसी नदी का जल 'सामान्य' स्तर से ऊपर या 'चेतावनी' और 'खतरे' के स्तर के बीच होता है, तो येलो अलर्ट जारी किया जाता है।

चक्रवात

  • चक्रवात कम दबाव वाले क्षेत्र के आसपास तेज़ी से अंदर की ओर वायु का संचार होता है। वायु उत्तरी गोलार्द्ध में वामावर्त दिशा में और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त दिशा में घूर्णन करती है।
  • चक्रवातों के साथ प्रायः तेज़ तूफान और खराब मौसम भी आता है।
  • चक्रवात शब्द ग्रीक शब्द साइक्लोस से लिया गया है जिसका अर्थ है साँप की कुंडली। इसे हेनरी पेडिंगटन ने गढ़ा था क्योंकि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में आने वाले उष्णकटिबंधीय तूफान समुद्र के कुंडलित साँपों की तरह दिखाई देते हैं।
  • चक्रवात दो प्रकार के होते हैं:
    • उष्णकटिबंधीय चक्रवात; और
    • अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात (जिन्हें शीतोष्ण चक्रवात या मध्य अक्षांश चक्रवात या ललाटीय चक्रवात अथवा तरंग चक्रवात भी कहा जाता है)।
  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन 'उष्णकटिबंधीय चक्रवात' शब्द का प्रयोग उन मौसम प्रणालियों के लिये करता है जिनमें वायु की गति 'गेल फोर्स' (न्यूनतम 63 किमी प्रति घंटा) से अधिक होती है।
    • उष्णकटिबंधीय चक्रवात मकर और कर्क रेखा के बीच के क्षेत्र में विकसित होते हैं। वे उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय जल पर विकसित होने वाली बड़े पैमाने की मौसम प्रणालियाँ हैं, जहाँ वे सतही वायु परिसंचरण में संगठित हो जाती हैं।
  • शीतोष्ण चक्रवात समशीतोष्ण क्षेत्रों और उच्च अक्षांश क्षेत्रों में आते हैं, हालाँकि वे ध्रुवीय क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं।



मध्य प्रदेश Switch to English

रीवा उद्योग सम्मेलन में निवेश प्रस्ताव

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने रीवा में क्षेत्रीय उद्योग सम्मेलन के दौरान महत्त्वपूर्ण निवेश प्रतिबद्धताओं की घोषणा की।  

प्रमुख बिंदु 

  • निवेश घोषणा: सम्मेलन के दौरान 31,000 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्तावों की घोषणा की गई, जो क्षेत्र के औद्योगिक विकास पर केंद्रित थे।
    • इस निवेश से लगभग 60,000 नौकरियाँ सृजित होने का वादा किया गया है।
    • प्रमुख क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा, विनिर्माण और कृषि -संबंधी उद्योग शामिल हैं।
    • मुख्यमंत्री ने मध्य प्रदेश को एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र बनाने के प्रयासों पर ज़ोर दिया और राज्य की निवेशक-अनुकूल नीतियों पर प्रकाश डाला।
  • सरकार और अधिक निवेश आकर्षित करने के लिये बुनियादी ढाँचे तथा औद्योगिक पार्कों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

मध्य प्रदेश में प्रमुख परियोजनाएँ 

  • सिंचाई परियोजनाएँ: ऊपरी नर्मदा परियोजना, राघवपुर बहुउद्देशीय परियोजना, बसनिया बहुउद्देशीय परियोजना (5500 करोड़ रुपए)। 
  • सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाएँ: पारसदोह सूक्ष्म सिंचाई परियोजना, औलिया सूक्ष्म सिंचाई परियोजना (800 करोड़ रुपए)। 
  • रेलवे परियोजनाएँ: वीरांगना लक्ष्मीबाई झाँसी-जाखलौन मार्ग पर तीसरी लाइन परियोजनाएँ, गेज़ परिवर्तन परियोजना, पवारखेड़ा-जुझारपुर रेल लाइन फ्लाईओवर (2200 करोड़ रुपए)। 
  • औद्योगिक परियोजनाएँ: सीतापुर में मेगा लेदर और फुटवियर क्लस्टर, इंदौर में गारमेंट इंडस्ट्री प्लग एंड प्ले पार्क, औद्योगिक पार्क मंदसौर, पीथमपुर औद्योगिक पार्क का उन्नयन (1000 करोड़ रुपए)। 
  • कोयला क्षेत्र की परियोजनाएँ: जयंत OCP CHP साइलो, NCL सिंगरौली; दुधिचुआ OCP CHP-साइलो (1000 करोड़ रुपए)। 
  • विद्युत क्षेत्र: पन्ना, रायसेन, छिंदवाड़ा और नर्मदापुरम ज़िलों में छह सबस्टेशन। 
  • जल आपूर्ति परियोजनाएँ: विभिन्न अमृत 2.0 परियोजनाएँ, खरगोन में जलापूर्ति वृद्धि (880 करोड़ रुपये)। 
  • साइबर तहसील परियोजना: राजस्व अभिलेखों और बिक्री-खरीद अभिलेखों के म्यूटेशन में डिजिटल समाधान के लिये 55 ज़िलों में शुरू की गई।


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