डी.वाई. चंद्रचूड़: भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश
न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में नियुक्त किया गया है, जो 49वें CJI उदय उमेश ललित के उत्तराधिकारी है।
- न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ का अपेक्षाकृत दो वर्ष का लंबा कार्यकाल होगा और वे 10 नवंबर, 2024 को सेवानिवृत्त होंगे।
भारत का मुख्य न्यायाधीश (CJI):
- योग्यता:
- CJI को भारत का नागरिक होना चाहिये।
- निम्लिखित अहर्ता को प्रुआ करता हो :
- कम-से-कम पाँच साल के लिये उच्च न्यायालय का न्यायाधीश या दो या दो से अधिक न्यायालयों का न्यायाधीश रहा हो, या
- कम-से-कम दस वर्षों तक किसी उच्च न्यायालय या दो या अधिक ऐसे न्यायालयों के में अधिवक्ता रहा हो, या
- राष्ट्रपति की राय में प्रतिष्ठित विधिवेत्ता हो।
- CJI की नियुक्ति:
- CJI और सर्वोच्च न्यायालय (SC) के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) के तहत की जाती है।
- जहाँ तक CJI का सवाल है, निवर्तमान CJI अपने उत्तराधिकारी की सिफारिश करता है।
- केंद्रीय कानून मंत्री प्रधानमंत्री को सिफारिश भेजता है, जो बदले में राष्ट्रपति को सलाह देता है।
- दूसरे न्यायाधीश मामले (वर्ष 1993) में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश को CJI के पद पर नियुक्त किया जाना चाहिये।
- सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम का नेतृत्व CJI करता है और इसमें न्यायालय के चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं।
- कॉलेजियम प्रणाली न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण की प्रणाली है जो सर्वोच्च न्यायालय (न्यायाधीशों के मामलों) के निर्णयों के माध्यम से विकसित हुई है, न कि संसद के अधिनियम या संविधान के प्रावधान द्वारा।
- CJI की प्रशासनिक शक्तियाँ (मास्टर ऑफ रोस्टर):
- 'मास्टर ऑफ द रोस्टर' मुख्य न्यायाधीश के विशेषाधिकार को संदर्भित करता है, मुख्य न्यायाधीश को ‘समकक्षों में प्रथम’ (first among the equals) कहा जाता है।
- अपनी न्यायिक भूमिका के अलावा CJI न्यायालय के प्रशासनिक प्रमुख की भूमिका भी निभाता है।
- अपनी प्रशासनिक क्षमता में मुख्य न्यायाधीश विशेष पीठों को मामलों को आवंटित करने का विशेषाधिकार का उपयोग करता है।
- CJI किसी मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधीशों की संख्या भी निर्धारित करता है।
- इस प्रकार वह केवल न्यायाधीशों को चुनकर परिणाम को प्रभावित कर सकता है जिससे लगता है कि वह किसी विशेष परिणाम का पक्ष ले सकता है।
- ऐसी प्रशासनिक शक्तियों का प्रयोग बिना किसी सामूहिक सहमति के और बिना कोई कारण बताए किया जा सकता है।
- पद से हटाना:
- संसद द्वारा राष्ट्रपति का अभिभाषण प्रस्तुत किये जाने के बाद ही उसे राष्ट्रपति के आदेश द्वारा हटाया जा सकता है।
- इसे संसद के प्रत्येक सदन के विशेष बहुमत द्वारा पारित किया जाना चाहिये (अर्थात् उस सदन की कुल सदस्यता के बहुमत से और उस सदन के उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों के कमसे-कम दो-तिहाई बहुमत से)।
- पद से हटाने का आधार: सिद्ध कदाचार या अक्षमता (अनुच्छेद 124 (4)।
- संसद द्वारा राष्ट्रपति का अभिभाषण प्रस्तुत किये जाने के बाद ही उसे राष्ट्रपति के आदेश द्वारा हटाया जा सकता है।
- हाल के विकास:
- वर्ष 2019 में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) का कार्यालय सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के दायरे में आता है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारतीय न्यायपालिका के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: C व्याख्या:
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