हरियाणा Switch to English
एमपोक्स के लिये ज़िला अलगाव सुविधाएँ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग ने सभी ज़िलों को एमपॉक्स (Mpox) के प्रति अत्यधिक सतर्क रहने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों को शिक्षित करने और संदिग्ध खसरे के मामलों की जाँच करने के महत्त्व पर ज़ोर दिया।
मुख्य बिंदु
- यह जाँच राष्ट्रीय AIDS नियंत्रण संगठन (NACO) द्वारा पुरुषों और महिला सेक्स वर्कर के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों के लिये चिह्नित स्थानों पर केंद्रित निगरानी के माध्यम से की जाएगी, साथ ही त्वचाविज्ञान क्लीनिकों, एसटीडी क्लीनिकों, चिकित्सा और बाल चिकित्सा बाह्य रोगी विभागों में अस्पताल आधारित निगरानी के माध्यम से भी की जाएगी।
- विभाग ने सभी ज़िलों को आइसोलेशन सुविधाओं की पहचान करने और प्रभावी रोगी प्रबंधन के लिये नोडल अधिकारी नियुक्त करने की सलाह दी है।
- सभी अस्पतालों को सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है तथा यदि उन्हें कोई संदिग्ध मामला मिलता है तो उन्हें एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (IDSP) इकाई को सूचित करना होगा।
- संक्रमित व्यक्तियों के लिये ऊष्मायन अवधि सामान्यतः 7 से 14 दिन की होती है, लेकिन यह 5 से 21 दिन तक भी हो सकती है तथा इस अवधि के दौरान रोगी आमतौर पर संक्रामक होता है।
एमपॉक्स (Mpox)
- एमपॉक्स, जिसे मंकीपॉक्स के नाम से भी जाना जाता है, एक डीएनए वायरस है। यह पोक्सविरिडे परिवार से संबंधित है, जिसमें बड़े, डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस होते हैं।
- इस वायरस की पहचान सबसे पहले वर्ष 1958 में बंदरों में हुई थी, लेकिन अब यह मनुष्यों को भी संक्रमित करता पाया गया है।
- संक्रमण: एमपॉक्स मुख्य रूप से जानवरों, विशेष रूप से कृन्तकों और प्राइमेट्स से सीधे संपर्क या दूषित वस्तुओं के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है।
- लक्षण: मनुष्यों में एमपॉक्स संक्रमण आमतौर पर बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और एक विशिष्ट दाने के साथ प्रकट होता है जो मैक्यूल से पपल्स तथा फिर पुटिकाओं तथा फुंसियों में बदल जाता है।
- टीकाकरण: एमपॉक्स के लिये एक टीका मौजूद है, लेकिन इसकी उपलब्धता और प्रभावशीलता सीमित है, जो बेहतर रोकथाम एवं नियंत्रण उपायों की आवश्यकता को उजागर करता है।
राष्ट्रीय AIDSनियंत्रण संगठन (NACO)
- यह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का एक प्रभाग है जो 35 HIV/AIDS रोकथाम एवं नियंत्रण सोसायटियों के माध्यम से भारत में एचआईवी/एड्स नियंत्रण कार्यक्रम को नेतृत्व प्रदान करता है।
- NACO ने देश में HIV/AIDS के प्रसार को काफी हद तक कम करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है और वह भी वैश्विक दरों की तुलना में अधिक तेज़ी से।
राजस्थान Switch to English
तनोट मंदिर ने ऑनलाइन पास प्रणाली शुरू की
चर्चा में क्यों?
हाल ही में घरेलू पर्यटकों को जैसलमेर ज़िले में भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित तनोट-बाबलीयान पर्यटन सर्किट का भ्रमण कराने के लिये ऑनलाइन पास प्रणाली शुरू की गई है।
मुख्य बिंदु
- वेबसाइट का विकास तनोट माता ट्रस्ट द्वारा किया गया है तथा इसका प्रबंधन सीमा सुरक्षा बल (BSF) द्वारा किया जाता है।
- यह आगंतुकों को सीमा सुरक्षा गतिविधियों को देखते हुए गर्व और देशभक्ति की भावना महसूस करने की अनुमति देता है
- इच्छुक पर्यटकों को विस्तृत जानकारी और पहचान के साथ एक ऑनलाइन फॉर्म भरना होगा।
- केंद्र सरकार ने मंदिर परिसर में तनोट पर्यटन परियोजना के लिये 17.67 करोड़ रुपए मंज़ूर किये हैं।
तनोट माता मंदिर
- श्री तनोट माता मंदिर राजस्थान के जैसलमेर ज़िले में स्थित एक प्राचीन हिंदू मंदिर है
- यह हिंदू देवी हिंगलाज माता के स्वरूप तनोट राय को समर्पित है।
सीमा सुरक्षा बल (BSF)
- BSF की स्थापना वर्ष 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद की गई थी।
- यह गृह मंत्रालय (MHA) के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत भारत संघ के सात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में से एक है।
- अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल हैं: असम राइफल्स (AR), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) और सशस्त्र सीमा बल (SSB)।
- 2.65 लाख जवानों वाला यह बल पाकिस्तान और बांग्लादेश सीमा पर तैनात है।
- इसे भारतीय सेना के साथ भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा, भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा (LoC) पर तथा नक्सल विरोधी अभियानों में तैनात किया गया है।
- BSF अपने अत्याधुनिक जलयान बेड़े के साथ अरब सागर में सरक्रीक और बंगाल की खाड़ी में सुंदरवन डेल्टा की रक्षा कर रहा है।
- यह हर वर्ष अपनी प्रशिक्षित जनशक्ति का एक बड़ा दल भेजकर संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में समर्पित सेवाएँ प्रदान करता है।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड विधानसभा में अनुपूरक बजट पेश किया गया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने राज्य विधानसभा में 5,013 करोड़ रुपए का अनुपूरक बजट (Supplementary Budget) प्रस्तुत किया।
मुख्य बिंदु
- उत्तराखंड कारागार एवं सुधार सेवाएँ विधेयक, 2024 तथा ज़मींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार अधिनियम, 1950 में संशोधन भी प्रस्तुत किया गया।
- अनुपूरक बजट में केंद्र पोषित योजनाओं के लिये 1,532 करोड़ रुपए तथा बाह्य सहायता प्राप्त योजनाओं के लिये 273 करोड़ रुपए शामिल थे।
- राज्य में बड़े निर्माण कार्यों के लिये कुल 749 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
- टिहरी झील विकास के लिये 50 करोड़ रुपए, गौ सदन निर्माण के लिये 32 करोड़ रुपए, नर्सिंग कॉलेजों के लिये 25 करोड़ रुपए तथा डिग्री कॉलेजों के निर्माण के लिये 14 करोड़ रुपए रखे गए हैं।
- उत्तराखंड कारागार एवं सुधार सेवाएँ विधेयक, 2024 का उद्देश्य केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा कई पुराने अधिनियमों को निरस्त करने के बाद राज्य के कारागार कानूनों को अद्यतन करना है। यह विधेयक कैदियों के प्रबंधन और पुनर्वास से संबंधित है।
- राज्य सरकार ने नगरपालिका क्षेत्रों के विस्तार और संबंधित भूमि विवादों से उत्पन्न मुद्दों के समाधान के लिये ज़मींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव किया है।
ज़मींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम, 1950
- यह भारत में ज़मींदारी प्रथा को समाप्त करने वाला पहला महत्त्वपूर्ण कानून था।
- इस सुधार का मुख्य लक्ष्य ज़मींदारों, जागीरदारों और इनामदारों जैसे बिचौलियों को हटाना था, जो काश्तकारों का शोषण कर रहे थे।
- इस सुधार का उद्देश्य भूमि का स्वामित्व सीधे भूमिधारकों या कृषकों को हस्तांतरित करके उन्हें मज़बूत बनाना भी था।
उत्तराखंड Switch to English
NCGG मसूरी में क्षमता निर्माण कार्यक्रम
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मसूरी स्थित राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (NCGG) ने श्रीलंका के मध्य-कॅरियर लोक सेवकों के लिये 5वाँ क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू किया।
मुख्य बिंदु
- यह 19 अगस्त, 2024 से 30 अगस्त, 2024 तक आयोजित किया जाने वाला दो सप्ताह का कार्यक्रम है और इसमें श्रीलंका के 39 मध्य-कॅरियर लोक सेवक भाग ले रहे हैं।
- यह प्रशिक्षण प्रतिभागियों को नागरिकों के लाभ के लिये सुशासन मॉडल अपनाने और लागू करने के लिये बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
- यह कार्यक्रम प्रतिभागियों को सांस्कृतिक बारीकियों और साझा शासन प्रथाओं की व्यापक समझ प्रदान करने के लिये तैयार किया गया है।
- कार्यक्रम में विभिन्न विषयों पर सत्र आयोजित किये जाएंगे, जिनमें शासन के बदलते प्रतिमान, डिजिटल इंडिया, सेवा का अधिकार: जीवनयापन में आसानी (ईज़ ऑफ लिविंग), स्वामित्व योजना के तहत भूमि अभिलेख प्रबंधन, आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम, 2030 तक सतत् विकास लक्ष्य प्राप्त करने का दृष्टिकोण, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना आदि शामिल हैं।
- यह कार्यक्रम प्रतिभागियों को सांस्कृतिक बारीकियों और साझा शासन प्रथाओं की व्यापक समझ प्रदान करने के लिये तैयार किया गया है।
राष्ट्रीय सुशासन केंद्र की स्थापना (NCGG)
- राष्ट्रीय सुशासन केंद्र की स्थापना वर्ष 2014 में की गई थी। इसका कार्य भारत और अन्य देशों के लोक सेवकों को प्रशिक्षित करना है।
- पिछले कुछ वर्षों में केंद्र ने बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशेल्स, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, नेपाल, भूटान, म्याँमार, इथियोपिया, इरिट्रिया, सोमालिया, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, फिजी, मोज़ाम्बिक और कंबोडिया जैसे विभिन्न देशों के अधिकारियों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया है।
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