हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिये पर्यवेक्षक | हरियाणा | 23 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
सूत्रों के अनुसार, भारत निर्वाचन आयोग हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के लिये 400 से अधिक पर्यवेक्षकों को तैनात करेगा।
प्रमुख बिंदु
- मतदान निकाय, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 20B तथा संविधान की पूर्ण शक्तियों के तहत पर्यवेक्षकों की तैनाती करता है।
- एक बैठक में निर्वाचन आयुक्त ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अधिकारियों को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिये संपूर्ण चुनाव तंत्र पर नज़र रखनी चाहिये तथा उन्होंने कहा कि इन चुनावों में पर्यवेक्षकों की भूमिका और भी महत्त्वपूर्ण हो जाती है।
- पर्यवेक्षकों को सख्त निर्देश दिया गया कि वे सभी दलों, उम्मीदवारों और मतदाताओं की शिकायतों का समय पर निवारण करने के लिये उनके पास उपलब्ध रहें।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 20B
- निर्वाचन आयोग किसी निर्वाचन क्षेत्र या निर्वाचन क्षेत्रों के समूह में चुनावों के संचालन की निगरानी करने तथा आयोग द्वारा सौंपे गए अन्य कार्यों के निष्पादन के लिये किसी सरकारी अधिकारी को पर्यवेक्षक के रूप में नामित कर सकता है।
- यदि पर्यवेक्षक की राय में बड़ी संख्या में मतदान केंद्रों पर बूथ कैप्चरिंग हुई है या मतपत्रों को अवैध रूप से ले लिया गया है, नष्ट कर दिया गया है, खो दिया गया है या उनके साथ इस हद तक छेड़छाड़ की गई है कि मतदान का परिणाम सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है, तो पर्यवेक्षक को रिटर्निंग अधिकारी को मतगणना रोकने या परिणाम घोषित न करने का निर्देश देने का अधिकार होगा।
- इसके बाद पर्यवेक्षक मामले की सूचना निर्वाचन आयोग को देगा।
भारत निर्वाचन आयोग
- यह एक स्वायत्त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में संघ और राज्य चुनाव प्रक्रियाओं के प्रशासन के लिये ज़िम्मेदार होता है।
- इसकी स्थापना संविधान के अनुसार 25 जनवरी, 1950 को की गई थी (जिसे राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है)। आयोग का सचिवालय नई दिल्ली में है।
- यह निकाय भारत में लोकसभा, राज्यसभा और राज्य विधान सभाओं तथा देश में राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के पदों के लिये चुनावों का संचालन करता है।
- यह राज्यों में पंचायतों और नगर पालिकाओं के चुनावों से संबंधित नहीं है। इसके लिये भारत के संविधान में अलग से राज्य निर्वाचन आयोग का प्रावधान है।
हरियाणा में अनुसूचित जाति कोटे के द्विभाजन की सिफारिश | हरियाणा | 23 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने सिफारिश की है कि सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जातियों के लिये आरक्षित 20% कोटे का आधा हिस्सा वंचित अनुसूचित जातियों के उम्मीदवारों के लिये निर्धारित किया जाएगा।
- इसमें बाल्मीकि, धानक, खटिक और मज़हबी सिख जैसी 36 जातियाँयाँ शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु
- आयोग ने अनुसूचित जातियों (SC) के पिछड़ेपन के कारण सार्वजनिक रोज़गार में उनके प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता का पता लगाने के लिये डेटा विश्लेषण किया।
- मंत्रिपरिषद को भेजी गई आयोग की रिपोर्ट में सिफारिश की गई कि यदि वंचित अनुसूचित जातियों से उपयुक्त उम्मीदवार उपलब्ध न हों, तो रिक्त पदों को भरने के लिये चमार, जाटव, मोची, रैगर, रामदासिया और रविदासिया सहित अन्य अनुसूचित जातियों के उम्मीदवारों पर विचार किया जा सकता है।
- इसमें अनुसूचित जाति के 20% कोटे में से आधे को अन्य अनुसूचित जातियों के उम्मीदवारों के लिये आरक्षित करने का भी सुझाव दिया गया है।
- यदि इन समूहों के उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं, तो वंचित अनुसूचित जातियों के उम्मीदवारों पर विचार किया जा सकता है।
- रिपोर्ट में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि वरिष्ठता का क्रम मौजूदा प्रणाली के भीतर अलग-अलग अंकों की आवश्यकता के बिना एक सामान्य योग्यता सूची पर आधारित होगा।
- सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, राज्य कुछ जातियों के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व जैसे कारकों के आधार पर अनुसूचित जातियों को उप-वर्गीकृत कर सकता है।
- हालाँकि इसमें यह प्रावधान किया गया कि राज्य को यह प्रदर्शित करना होगा कि किसी जाति या समूह का अपर्याप्त प्रतिनिधित्व उसके पिछड़ेपन के कारण है तथा राज्य की सेवाओं में प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता पर आँकड़े एकत्र करने होंगे, क्योंकि इसका उपयोग पिछड़ेपन के सूचक के रूप में किया जाता है।
छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा के लिये AI का उपयोग | छत्तीसगढ़ | 23 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
अधिकारियों के अनुसार, छत्तीसगढ़ सरकार का शिक्षा विभाग स्कूली शिक्षा और मध्याह्न भोजन जैसे कार्यक्रमों को बेहतर बनाने के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग कर रहा है।
प्रमुख बिंदु
- छात्रों के प्रदर्शन पर नज़र रखने, स्वच्छता की देख-रेख करने, शौचालय की सफाई की निगरानी करने और श्रमशक्ति की स्थिति का आकलन करने के लिये AI प्रणालियों का उपयोग किया जा रहा है।
- इसके अतिरिक्त, स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने, जवाबदेही और छात्र सुरक्षा बढ़ाने के लिये एक जियो-फेंस्ड उपस्थिति प्रणाली लागू की जाएगी।
- भोजन की गुणवत्ता का निष्पक्ष मूल्यांकन करने के लिये सब्ज़ियों की ताज़गी, चावल की बनावट और तेल की मात्रा का विश्लेषण करके भोजन की निगरानी में AI-संचालित प्रणालियों का उपयोग किया जाएगा।
- राज्य सरकार स्कूलों और विद्यार्थियों की निगरानी के लिये सॉफ्टवेयर तथा मोबाइल ऐप विकसित करने हेतु भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) भिलाई के साथ सहयोग कर रही है।
- AI प्रणाली को लागू करने के लिये रायपुर में विद्या समीक्षा केंद्र की स्थापना की गई है। इसका उपयोग स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा संचालित विभिन्न हितग्राहीमूलक योजनाओं की ऑनलाइन निगरानी और डेटा विश्लेषण के लिये किया जाएगा।
- सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारी और सुविधाएँ छात्रों, अभिभावकों एवं शिक्षकों को उपलब्ध होंगी।
- छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिये एक टोल-फ्री फोन नंबर जारी किया जाएगा।
विद्या समीक्षा केंद्र (VSK)
- VSK का उद्देश्य सीखने के परिणामों में बड़ी छलांग लगाने के लिये डेटा और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना है।
- यह 15 लाख से अधिक स्कूलों, 96 लाख शिक्षकों और 26 करोड़ छात्रों के डेटा को कवर करेगा तथा शिक्षा प्रणाली की समग्र निगरानी को बढ़ाने एवं इस तरह सीखने के परिणामों में सुधार करने के लिये बड़े डेटा विश्लेषण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) व मशीन लर्निंग का उपयोग करके उनका सार्थक विश्लेषण करेगा।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) की कार्यनिष्पादन समीक्षा | राजस्थान | 23 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री ने उदयपुर में नौ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) के प्रदर्शन की समीक्षा के लिये एक बैठक की अध्यक्षता की।
प्रमुख बिंदु
- गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान राज्यों के RRB की समीक्षा की गई।
- इस बैठक में कारोबारी प्रदर्शन, डिजिटल प्रौद्योगिकी उन्नयन, MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) क्लस्टर विकास तथा ग्रामीण वित्तीय समावेशन पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- केंद्रीय मंत्री ने निर्देश दिये:
- राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (SLBC) बुंदेलखंड और आकांक्षी ज़िलों में मुद्रा योजना तथा अन्य वित्तीय समावेशन योजनाओं के प्रदर्शन में सुधार के लिये राज्य सरकार, प्रायोजक बैंकों एवं RRB के साथ बैठकें आयोजित करेगी।
- गुजरात और राजस्थान में प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक जागरूकता उत्पन्न करेंगे तथा ऋण उपलब्ध कराएंगे।
- RRB को PM विश्वकर्मा योजना के तहत संभावित व्यवसायों की पहचान करनी होगी और प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के घोषित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये ज़मीनी स्तर पर कृषि ऋण वितरण में अपनी हिस्सेदारी बढ़ानी होगी।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB)
- RRB की स्थापना 26 सितंबर, 1975 को जारी अध्यादेश और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 के प्रावधानों के तहत वर्ष 1975 में की गई थी
- ये वित्तीय संस्थान हैं जो कृषि और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों के लिये पर्याप्त ऋण सुनिश्चित करते हैं
- वे ग्रामीण समस्याओं की जानकारी के मामले में सहकारी समिति की विशेषताओं और व्यावसायिकता तथा वित्तीय संसाधन जुटाने की क्षमता के मामले में वाणिज्यिक बैंक की विशेषताओं को जोड़ते हैं
- 1990 के दशक में सुधारों के बाद, सरकार ने वर्ष 2005-06 में एक समेकन कार्यक्रम शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप RRB की संख्या वर्ष 2005 में 196 से घटकर वित्त वर्ष 2021 में 43 हो गई और 43 RRB में से 30 ने शुद्ध लाभ दर्ज किया।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY)
- PMMY को भारत सरकार ने वर्ष 2015 में लॉन्च किया था
- PMMY छोटे व्यवसाय उद्यमों के लिये 10 लाख रुपए तक के संपार्श्विक-मुक्त संस्थागत ऋण प्रदान करता है
- यह ऋण देने वाले सदस्य संस्थानों (MLI) यानी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCB), क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) और सूक्ष्म वित्त संस्थानों (MFI) द्वारा प्रदान किया जाता है।
PM सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना
- सरकार ने छतों पर सौर ऊर्जा स्थापना को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2014 में इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी।
- इसका मूल लक्ष्य वर्ष 2022 तक 40 गीगावाट स्थापित क्षमता (वर्ष 2030 तक 100 गीगावाट में से) का था, लेकिन वर्ष 2022 तक लक्ष्य पूरा नहीं हो सका, इसलिये इसकी समय सीमा वर्ष 2026 तक बढ़ा दी गई।
- रूफटॉप सौर पैनल फोटोवोल्टिक पैनल होते हैं जो किसी भवन की छत पर स्थापित किये जाते हैं तथा मुख्य विद्युत आपूर्ति इकाई से जुड़े होते हैं।
- इसका उद्देश्य आवासीय भवनों पर ग्रिड से जुड़ी सौर छत प्रणालियों को बढ़ावा देना है।
- रूफटॉप सोलर के अंतर्गत प्रमुख पहल:
वाराणसी में SLCR परियोजना | उत्तर प्रदेश | 23 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और डेनमार्क सरकारों के बीच हरित रणनीतिक साझेदारी ने प्रमुख सहयोग को सुगम बनाया है, जिसके परिणामस्वरूप वाराणसी में स्वच्छ नदियों पर स्मार्ट प्रयोगशाला (SLCR) की स्थापना हुई है।
प्रमुख बिंदु
- यह भारत सरकार (जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान - बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ((IIT-BHU) तथा डेनमार्क सरकार के बीच छोटी नदियों के पुनरुद्धार एवं प्रबंधन में उत्कृष्टता लाने के लिये एक अनूठी त्रिपक्षीय पहल है।
- SLCR का उद्देश्य सतत् उपायों का उपयोग करके वरुणा नदी को बहाल करना है।
- इसके लक्ष्यों में सरकारी एजेंसियों, शैक्षणिक संस्थानों और स्थानीय समुदायों के लिये ज्ञान का आदान-प्रदान करने तथा स्वच्छ नदी जल को बनाए रखने के लिये समाधान तैयार करने के लिये एक सहयोगी मंच स्थापित करना शामिल है
- इस पहल में IIT-BHU में एक हाइब्रिड लैब मॉडल और वरुणा नदी पर एक जीवित प्रयोगशाला शामिल है, ताकि वास्तविक दुनिया के वातावरण में समाधानों का परीक्षण एवं पैमाना बनाया जा सके।
- भारत-डेनमार्क संयुक्त संचालन समिति (JSC) SLCR के लिये सर्वोच्च मंच है जो रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करती है और प्रगति की समीक्षा करती है।
- राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG), केंद्रीय जल आयोग (CWC), केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB), IIT-BHU और डेनमार्क के शहरी क्षेत्र परामर्शदाता के सदस्यों वाली परियोजना समीक्षा समिति (PRC) परियोजना स्तर पर गुणवत्ता नियंत्रण की देख-रेख करेगी।
- सहयोग के तहत चार परियोजनाएँ शुरू की जाएंगी:
- पहली परियोजना में जल प्रबंधन के लिये निर्णय समर्थन प्रणाली (DSS) का निर्माण करना शामिल है, जिसे जल विज्ञान मॉडल, परिदृश्य निर्माण, पूर्वानुमान और डेटा विश्लेषण का उपयोग करके बेसिन जल गतिशीलता का विश्लेषण करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- दूसरी परियोजना उभरते प्रदूषकों के लक्षण-निर्धारण और फिंगरप्रिंट विश्लेषण पर केंद्रित है। इसमें प्रदूषकों की पहचान तथा मात्रा निर्धारित करने के लिये क्रोमैटोग्राफी एवं मास स्पेक्ट्रोमेट्री जैसी उन्नत विश्लेषणात्मक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।
- रिचार्ज साइट्स के लिये वरुणा बेसिन का हाइड्रोजियोलॉजिकल मॉडल चौथी परियोजना होगी। इसका उद्देश्य प्रबंधित जलभृत पुनर्भरण (MAR) के माध्यम से बेस फ्लो को बढ़ाना है।
वरुणा नदी
- यह गंगा नदी की एक छोटी सहायक नदी है। यह प्रयागराज ज़िले के फूलपुर शहर से बहती है
- यह वाराणसी ज़िले के सराय मोहना गाँव के पास गंगा नदी में मिल जाती है
- 'वाराणसी' ज़िले का नाम दो नदियों, वरुणा और अस्सी नदियों के नाम से लिया गया है।