भोपाल में पहला सिटी म्यूजियम | मध्य प्रदेश | 21 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सरकार ने भोपाल में पहले शहरी संग्रहालय/सिटी म्यूज़ियम की स्थापना को मंज़ूरी दे दी है। मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड मोती महल के बाएँ विंग में भोपाल सिटी संग्रहालय की स्थापना कर रहा है।
- मोती महल शहर का एक महत्त्वपूर्ण विरासत स्थल और उच्च महत्त्व की इमारत है।
मुख्य बिंदु:
- 11 दीर्घाओं वाला प्रस्तावित संग्रहालय भोपाल और मध्य प्रदेश के समृद्ध इतिहास पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक एवं भौगोलिक संदर्भ तथा विशेष रूप से भोपाल के गठन को शामिल किया जाएगा।
- प्रागैतिहासिक शैल चित्रों, पत्थर के औजारों, पुरातात्त्विक खोजों, टिकटों, भोपाल तथा आसपास के क्षेत्रों के राजाओं एवं रानियों की पोशाक, प्राचीन मूर्तियाँ, मंदिर के अवशेष और भोपाल नवाब काल की उत्कृष्ट कला का संग्रह प्रदर्शित किया जाएगा।
- सभी आयु समूहों हेतु एक आकर्षक और जानकारीपूर्ण अनुभव बनाने के लिये आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
- मध्य प्रदेश सरकार का संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय भोपाल के मोती महल के दाहिने हिस्से में परमार राजा भोज, उनके जीवन और कार्यों पर एक समर्पित तथा व्यापक संग्रहालय स्थापित करने की योजना बना रहा है।
- जनजातीय समुदाय की जीवनशैली को करीब से समझने तथा देखने के लिये भोपाल के जनजातीय संग्रहालय में प्रदेश की सात प्रमुख जनजातियों गोंड, भील, बैगा, कोरकू, भारिया, सहरिया और कोल के सात घर बनाए गए हैं।
- इस पहल का मकसद आदिवासी समाज से जुड़े मिथकों और मान्यताओं को खत्म करना है।
- मध्य प्रदेश पर्यटन अनुभव को बढ़ाने के लिये प्रासंगिक विरासत और सांस्कृतिक स्थलों पर विभिन्न थीम-आधारित संग्रहालय स्थापित करने की योजना बना रहा है।
मोती महल
- मोती महल का निर्माण गढ़ मंडला के गोंड राजा हृदय शाह ने वर्ष 1651 से 1667 के बीच कराया था।
- महल भूलभुलैया, गुप्त सुरंगों और भूमिगत मार्गों से भरा है।
- वास्तुकला- मुगल वास्तुकला।
राजा भोज
- परमार वंश (1018-1060) में राजा भोज सबसे महान थे।
- उन्होंने हिंदू समाज को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया। उन्होंने मुसलमानों के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी।
- वह एक महान योद्धा होने के साथ-साथ एक निपुण विद्वान भी थे।
- उन्होंने अपनी राजधानी में भोजशाला नामक एक संस्कृत महाविद्यालय का निर्माण कराया।
- उनकी प्रसिद्ध पुस्तकें थीं:
- आयुर्वेद संग्रह
- युक्ति कल्पतरु
- समरंगा सुथराधारा (वास्तुकला से संबंधित)।
- वह एक महान निर्माता भी थे और माना जाता है कि उन्होंने 104 मंदिर तथा एक खूबसूरत झील भी बनवाई थी जिसे भोजपुर झील के नाम से जाना जाता है।
- राजा भोज की मृत्यु के साथ परमार वंश की शक्ति समाप्त हो गई।
उत्तराखंड के वन क्षेत्र में परियोजना पर रोक | उत्तराखंड | 21 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने हरे-भरे जिलिंग एस्टेट क्षेत्र में वनों की कटाई या निर्वनीकरण के बारे में एक याचिका में उठाई गई चिंताओं के कारण भीमताल-मुक्तेश्वर क्षेत्र में एक प्रमुख होटल विकास को रोक दिया है।
मुख्य बिंदु:
- न्यायालय के अनुसार, घने जंगलों वाले हिस्से को एक होटल परियोजना के लिये वनों को काटने की अनुमति दी गई थी, जिसका उद्देश्य 20,000 वर्ग फुट के क्षेत्र में निर्माण गतिविधियों को अंजाम देना था।
- इससे क्षेत्र की नाज़ुक पारिस्थितिकी को अपूरणीय क्षति होगी जो पर्याप्त वन आवरण बनाए रखने के राज्य के हित पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
- यहाँ मुख्य मुद्दा यह है कि उच्च न्यायालय ने पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना 2006 के तहत अनिवार्य पर्यावरणीय मंज़ूरी के बिना निर्माण कार्य को आगे बढ़ाने की अनुमति दी थी।
- हाल की रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि सर्वोच्च न्यायालय राज्य सरकार की वार्षिक वनाग्नि से निपटने में लापरवाही को लेकर गंभीर रूप से चिंतित था।
झारखंड में ग्रीन बूथ | झारखंड | 21 May 2024
चर्चा में क्यों?
पर्यावरण संरक्षण का समर्थन करने और प्लास्टिक मुक्त समाज को बढ़ावा देने के लिये स्थापित ग्रीन बूथ झारखंड के कोडरमा ज़िले में मतदाताओं के लिये एक लोकप्रिय आकर्षण बन गए हैं।
मुख्य बिंदु:
- ग्रीन पोलिंग बूथ कोडरमा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत झुमरी तेलैया में एक वरिष्ठ नागरिक सुविधा केंद्र पर स्थित थे।
- ग्रीन चुनाव ऐसी प्रथाएँ हैं जिनका उद्देश्य चुनावी प्रक्रियाओं के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना है। इनमें पुनर्चक्रित सामग्रियों का उपयोग करना, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग को बढ़ावा देना और उम्मीदवारों को स्थायी अभियान प्रथाओं को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करना जैसे उपाय शामिल हैं।
- ग्रीन चुनाव का उद्देश्य निम्नलिखित के माध्यम से चुनावी प्रक्रियाओं के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना है:
- पर्यावरण-अनुकूल अभियान सामग्री: पार्टियाँ और उम्मीदवार पुन: प्रयोज्य सामग्री, बायोडिग्रेडेबल बैनर तथा पुनर्नवीनीकरण कागज़ सहित पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं।
- ऊर्जा की खपत को कम करना: रैलियों के दौरान ऊर्जा-कुशल प्रकाश व्यवस्था, ध्वनि प्रणाली और परिवहन का विकल्प चुनने से कार्बन पदचिह्न को कम करने में सहायता मिल सकती है।
- डिजिटल अभियानों को बढ़ावा देना: प्रचार हेतु डिजिटल प्लेटफॉर्मों (वेबसाइटों, सोशल मीडिया और ईमेल) का लाभ उठाने से कागज़ के उपयोग और ऊर्जा की खपत में कमी आती है।
बिहार लोकसभा चुनाव चरण 5 | बिहार | 21 May 2024
चर्चा में क्यों?
बिहार में आम चुनाव के पाँचवें चरण में 5 लोकसभा क्षेत्रों में 52.35% मतदान हुआ।
मुख्य बिंदु:
- निर्वाचन आयोग के मुताबिक, मुज़फ्फरपुर में 55.30%, हाजीपुर में 53.81%, सीतामढ़ी में 53.13%, सारण में 50.46% और मधुबनी में 49.01% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है।
- इन पाँच सीटों पर 95 लाख से अधिक मतदाता 9,436 मतदान केंद्रों पर 80 उम्मीदवारों के चुनावी भविष्य का निर्णय ले रहे हैं।
- इन मतदाताओं में से 45.11 लाख महिलाएँ हैं, 29 वर्ष से कम उम्र के मतदाताओं की संख्या 21 लाख और 18-19 वर्ष की उम्र के मतदाताओं की संख्या 1.26 लाख हैं।
लोकसभा (लोक सदन)
- यह निचला सदन (प्रथम सदन या लोकप्रिय सदन) है और समग्र रूप से भारत के नागरिकों का प्रतिनिधित्व करता है।
- संरचना: लोकसभा सदस्यों की अधिकतम संख्या 550 निर्धारित की गई है, जिनमें से 530 सदस्य राज्यों के प्रतिनिधि और 20 सदस्य केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि हैं।
- वर्तमान में लोकसभा में 543 सदस्य हैं, जिनमें से 530 सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं और 13 सदस्य केंद्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- इससे पहले राष्ट्रपति ने एंग्लो-इंडियन समुदाय के दो सदस्यों को भी नामांकित किया था, लेकिन 95वें संशोधन अधिनियम, 2009 द्वारा यह प्रावधान केवल वर्ष 2020 तक वैध था।
- प्रतिनिधियों का चुनाव: राज्यों के प्रतिनिधियों का चुनाव सीधे राज्यों के क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों के लोगों द्वारा किया जाता है।
- केंद्रशासित प्रदेश (लोकसभा के लिये प्रत्यक्ष चुनाव) अधिनियम, 1965 के अनुसार, केंद्रशासित प्रदेशों में लोकसभा के सदस्य सीधे चुने जाते हैं।
- कार्य: लोकसभा के सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यों में से एक कार्यपालिका का चयन करना है, जिसमें व्यक्तियों का एक समूह संसद द्वारा बनाए गए कानूनों को लागू करने के लिये मिलकर कार्य करते हैं।
- जब हम सरकार शब्द का प्रयोग करते हैं तो प्रायः हमारे दिमाग में कार्यपालिका का ख्याल आता है।
वैश्विक मानक एवं IPR पर कार्यशाला | उत्तर प्रदेश | 21 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व दूरसंचार और सूचना के उपलक्ष्य में अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) क्षेत्र कार्यालय तथा इनोवेशन सेंटर के सहयोग से दूरसंचार विभाग (DoT) के तहत राष्ट्रीय दूरसंचार नीति अनुसंधान, नवाचार और प्रशिक्षण संस्थान (NTIPRIT), गाज़ियाबाद द्वारा विश्व दूरसंचार एवं सूचना समाज दिवस (17 मई) मनाने के लिये कार्यशाला की मेज़बानी की गई थी।
मुख्य बिंदु:
- कार्यशाला में किसी भी देश के विकास के लिये "वैश्विक मानक और बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR)" के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया।
- इसने राष्ट्रीय हितधारकों को वैश्विक साझेदारी बनाने और दूरसंचार मानकों में सर्वोत्तम अंतर्राष्ट्रीय कार्य प्रणाली के साथ जुड़ने के लिये एक मंच भी प्रदान किया।
- कार्यशाला में आगामी विश्व दूरसंचार मानकीकरण असेंबली (WTSA) 2024 में भारतीय विशेषज्ञों की बढ़ी हुई भागीदारी के लिये मंच तैयार किया गया और प्रतिभागियों को वैश्विक मानकों एवं बौद्धिक संपदा गतिशीलता के साथ जुड़ने का व्यापक अवसर प्रदान किया गया।
विश्व दूरसंचार और सूचना सोसायटी दिवस
- विश्व दूरसंचार और सूचना समाज दिवस (WTISD) का उद्देश्य उन संभावनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करना है जो इंटरनेट व अन्य सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों (ICT) का प्रयोग समाजों, अर्थव्यवस्थाओं में प्रगति ला सकती हैं, साथ ही इसका उद्देश्य डिजिटल अंतर को समाप्त करने के तरीकों के बारे में भी जागरूकता बढ़ाना है।
- 17 मई पहले अंतर्राष्ट्रीय टेलीग्राफ कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने और अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) के स्थापना की वर्षगाँठ है।
नीति अनुसंधान, नवाचार और प्रशिक्षण के लिये राष्ट्रीय दूरसंचार संस्थान
- NTIPRIT की स्थापना वर्ष 2010 में दूरसंचार विभाग के दूरसंचार प्रशिक्षण संस्थान, राष्ट्रीय दूरसंचार अकादमी के रूप में की गई थी।
- इसके बाद वर्ष 2011 में, नीति अनुसंधान और नवाचारों से संबंधित गतिविधियों को अपने दायरे में लाकर संस्थान के कार्यक्षेत्र का विस्तार किया गया तथा संस्थान को राष्ट्रीय दूरसंचार संस्थान नीति अनुसंधान, नवाचार एवं प्रशिक्षण (NTIPRIT) के रूप में पुनः नामित किया गया।
- तब से NTIPRIT विकसित हुआ है और अब यह संस्थान देश का शीर्ष दूरसंचार प्रशिक्षण संस्थान है।
मैरून बेरेट सेरेमोनियल परेड | उत्तर प्रदेश | 21 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वायु सेना के विशेष बल 'गरुड़' कमांडो के प्रशिक्षण के सफल समापन को चिह्नित करने के लिये गरुड़ रेजिमेंटल ट्रेनिंग सेंटर (GRTC), वायु सेना स्टेशन चाँदीनगर, उत्तर प्रदेश में मरून बेरेट सेरेमोनियल परेड आयोजित की गई थी।
मुख्य बिंदु:
- गरुड़ कमांडो फोर्स भारतीय वायु सेना की विशेष बल इकाई है। इसका गठन फरवरी 2004 में किया गया था और इसकी वर्तमान संख्या 1500 से अधिक कर्मियों की है।
- गरुड़ बलों को आपदाओं के दौरान महत्त्वपूर्ण वायु सेना अड्डों और प्रतिष्ठानों की सुरक्षा, खोज, बचाव एवं आपदा राहत कार्य सौंपा जाता है।
- वर्ष 2004 में, संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के हिस्से के रूप में गरुड़ को कांगो में तैनात किया गया था।