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स्टेट पी.सी.एस.

  • 19 Jul 2024
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राजस्थान Switch to English

आदिवासियों की भील प्रदेश की मांग

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राजस्थान के आदिवासी समुदाय ने 'भील प्रदेश' नामक एक नए राज्य के निर्माण की मांग की है।

मुख्य बिंदु

  • आदिवासी समाज राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश के 49 ज़िलों को मिलाकर एक नए राज्य के निर्माण की मांग कर रहा है।
    • इसके अतिरिक्त, राजस्थान के पूर्व 33 ज़िलों में से 12 ज़िलों को नये राज्य में शामिल करने का अनुरोध किया गया है।
  • भील समुदाय के सबसे बड़े समूह आदिवासी परिवार सहित 35 संगठनों ने एक विशाल रैली का आयोजन किया।
    • बाँसवाड़ा के मानगढ़ धाम में आयोजित बैठक में मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से भी आदिवासी लोग एकत्रित हुए।

भील समुदाय

  • भील सबसे बड़े जनजातीय समूहों में से एक हैं, जो छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में रहते हैं।
  • यह नाम 'बिल्लू' शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है धनुष।
  • भील लोग उत्कृष्ट तीरंदाज़ माने जाते हैं तथा उन्हें स्थानीय भूगोल का भी गहरा ज्ञान है।
  • परंपरागत रूप से गुरिल्ला युद्ध में माहिर, आज उनमें से ज़्यादातर किसान और खेतिहर मज़दूर हैं। वे कुशल मूर्तिकार भी हैं।
  • भील महिलाएँ पारंपरिक साड़ी पहनती हैं जबकि पुरुष लंबी फ्रॉक और पायज़ामा पहनते हैं। महिलाएँ चाँदी, पीतल से बने भारी आभूषण पहनती हैं, साथ ही मोतियों की माला एवं चाँदी के सिक्के तथा झुमके भी पहनती हैं।

राजस्थान Switch to English

राजस्थान अल्पसंख्यक नागरिकता शिविर

चर्चा में क्यों?

राजस्थान सरकार अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यक शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने के लिये विशेष शिविर आयोजित करने जा रही है।

मुख्य बिंदु

  • अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यक शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने के नियम तथा प्रक्रियाएँ सरल कर दी गई हैं। अब ज़िला कलेक्टरों को नागरिकता प्रमाण-पत्र जारी करने का अधिकार दिया गया है।
  • सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2016 से 2024 तक राज्य में 2,329 लोगों को नागरिकता प्रदान की गई है।
  • वर्तमान में कुल 1,566 आवेदन लंबित हैं। इनमें से 300 मामलों में आसूचना ब्यूरो (इंटेलिजेंस ब्यूरो) की रिपोर्ट की प्रतीक्षा है।

नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019

  • नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 का उद्देश्य नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करना है।
  • नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment ACT- CAA) पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश करने वाले छह गैर-मुस्लिम समुदायों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी एवं ईसाई) को धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करता है।
  • यह विधेयक छह समुदायों के सदस्यों को विदेशी अधिनियम, 1946 और पासपोर्ट अधिनियम, 1920 के तहत किसी भी आपराधिक मामले से छूट देता है।
    • दोनों अधिनियमों में देश में अवैध रूप से प्रवेश करने तथा समाप्त हो चुके वीज़ा और परमिट पर यहाँ रहने के लिये दंड का प्रावधान किया गया है।

उत्तराखंड Switch to English

हरेला महोत्सव 2024

चर्चा में क्यों?

हरेला एक हिंदू त्योहार है जो उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों, विशेषकर कुमाऊँ क्षेत्र में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

मुख्य बिंदु

  • हिंदू चंद्र-सौर कैलेंडर के अनुसार, हरेला श्रावण मास के पहले दिन पड़ता है, जो मानसून के मौसम की शुरुआत और नई फसलों की बुवाई का प्रतीक है।
    • यह राज्य की कृषि के लिये एक महत्त्वपूर्ण समय है, क्योंकि यह "हरेला" का प्रतीक है, जो कुमाऊँनी शब्द "हरियाला" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "हरियाली का दिन", ऐसा माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति कुमाऊँ क्षेत्र से हुई थी।
  • यह त्योहार भगवान शिव और देवी पार्वती के बीच विवाह के औपचारिक उत्सव से जुड़ा हुआ है।
    • हरियाली या रिहायली का त्योहार हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, शिमला, सिरमौर और जुब्बल तथा किन्नौर क्षेत्रों के दख्रैन में मनाया जाता है, जहाँ लोग अच्छी फसल एवं समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।
    • यह अवसर किसानों के लिये शुभ माना जाता है, क्योंकि यह उनके खेतों में बुवाई के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है।


झारखंड Switch to English

झारखंड के नए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मुख्य न्यायाधीश विद्युत रंजन सारंगी के जाने के बाद न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद को झारखंड उच्च न्यायालय का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है।

मुख्य बिंदु

  • विधि मंत्रालय के अनुसार न्यायमूर्ति प्रसाद 20 जुलाई, 2024 को कार्यभार संभालेंगे
  • कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति:
    • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 223 कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति से संबंधित है।
    • इसके अनुसार, जब किसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पद रिक्त हो या जब ऐसा मुख्य न्यायाधीश अनुपस्थिति अथवा अन्य कारण से अपने पद के कर्त्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हो, तो ऐसे व्यक्ति द्वारा पद के कर्त्तव्यों का पालन किया जाएगा। इस प्रयोजन के लिये राष्ट्रपति द्वारा न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की जा सकती है।

उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति

  • संविधान का अनुच्छेद 217: इसमें कहा गया है कि किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India- CJI), राज्य के राज्यपाल के परामर्श से की जाएगी।
    • मुख्य न्यायाधीश के अलावा किसी अन्य न्यायाधीश की नियुक्ति के मामले में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श किया जाता है।
  • परामर्श प्रक्रिया: उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सिफारिश मुख्य न्यायाधीश और दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों वाले कॉलेजियम द्वारा की जाती है।
    • हालाँकि यह प्रस्ताव संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा अपने दो वरिष्ठतम सहयोगियों के परामर्श से प्रस्तुत किया जाता है।
    • सिफारिश मुख्यमंत्री को भेजी जाती है, जो राज्यपाल को केंद्रीय कानून मंत्री को प्रस्ताव भेजने की सलाह देते हैं।
    • उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति संबंधित राज्यों के बाहर से मुख्य न्यायाधीश रखने की नीति के अनुसार की जाती है।
      • पदोन्नति पर निर्णय कॉलेजियम द्वारा लिया जाता है।

मध्य प्रदेश Switch to English

पीएम स्वनिधि योजना

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अनुसार, मध्य प्रदेश ने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना में ‘सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य’ श्रेणी में पहला स्थान हासिल किया है।

मुख्य बिंदु:

  • मध्य प्रदेश के बाद असम को ‘सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य- नवाचार और सर्वोत्तम अभ्यास पुरस्कार’ श्रेणी में दूसरा स्थान दिया गया है।
  • 'सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले शहरी स्थानीय निकाय- मेगा और मिलियन प्लस शहरों के साथ ऋण प्रदर्शन' श्रेणी में दिल्ली नगर निगम (Municipal Corporation of Delhi- MCD) को पहला स्थान प्राप्त हुआ है, उसके बाद बृहत बंगलूरू महानगर पालिका (Bruhat Bengaluru Mahanagara Palike- BBMP) तथा अहमदाबाद नगर निगम का स्थान है।

पीएम स्वनिधि योजना

  • प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (Prime Minister Street Vendors Atma Nirbhar Nidhi- PM SVANidhi) की घोषणा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत आर्थिक प्रोत्साहन-II के एक भाग के रूप में की गई थी।
    • इसे 1 जून, 2020 से लागू किया गया है, जिसका उद्देश्य कोविड-19 लॉकडाउन के कारण प्रतिकूल रूप से प्रभावित अपनी आजीविका को फिर से शुरू करने के लिये स्ट्रीट वेंडर्स को सस्ती कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान करना है, जिसके लिये 700 करोड़ रुपए का स्वीकृत बजट है।
  • लक्ष्य:
    • शहरी क्षेत्रों में 24 मार्च, 2020 अथवा उससे पहले विक्रय करने वाले 50 लाख से अधिक स्ट्रीट वेंडरों को लाभ पहुँचाना, जिसमें आस-पास के शहरी/ग्रामीण क्षेत्र भी शामिल हैं।
    • प्रति वर्ष 1,200 रुपए तक की राशि तक कैश-बैक प्रोत्साहन के माध्यम से डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देना।

दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (Deendayal Antyodaya Yojana-National Urban Livelihoods Mission- DAY-NULM)

  • यह मिशन वर्ष 2014 में शुरू किया गया था और इसका क्रियान्वयन शहरी आवास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
  • इसका उद्देश्य कौशल विकास के माध्यम से स्थायी आजीविका के अवसरों को बढ़ाकर शहरी गरीबों का उत्थान करना है
  • यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
  • केंद्र और राज्यों के बीच 75:25 के अनुपात में वित्तपोषण साझा किया जाएगा। पूर्वोत्तर और विशेष श्रेणी के लिये यह अनुपात 90:10 होगा।
  • इसके लक्षित लाभार्थी शहरी गरीब (स्ट्रीट वेंडर, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले, बेघर, अपशिष्ट एकत्रित करने वाले), बेरोज़गार और दिव्यांग हैं।

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