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स्टेट पी.सी.एस.

  • 18 Apr 2025
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उत्तर प्रदेश Switch to English

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लिंक परियोजना

चर्चा में क्यों?

16 अप्रैल 2025 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और केंद्रीय रेलमंत्री उत्तराखंड के जनासू में भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग के निर्माण कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत की

मुख्य बिंदु

  • ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का हिस्सा:
    • 14.57 किलोमीटर लंबी सुरंग नंबर 8 देवप्रयाग और जनासू के बीच स्थित है और 125 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग ब्रॉड गेज रेल लाइन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
    • इस परियोजना का लक्ष्य पाँच हिमालयी ज़िलों- देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, गौचर और कर्णप्रयाग में कनेक्टिविटी बढ़ाना है।
    • इस परियोजना में भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में पहली बार टनल बोरिंग मशीन (TBM) तकनीक का उपयोग किया गया है।
  • तकनीकी और तार्किक चुनौतियों पर नियंत्रण:
    • 165 मीट्रिक टन वज़न वाले TBM घटकों को मुंद्रा बंदरगाह से हिमालय की संकरी सड़कों और पुराने पुलों के माध्यम से ले जाया गया।
    • यह सुरंग भूकंपीय क्षेत्र IV से होकर गुजरती है, जिसके कारण टेक्टोनिक गतिविधि के कारण उन्नत डिज़ाइन और भूवैज्ञानिक जाँच की आवश्यकता होती है।
  • प्रभाव:
    • 125 किलोमीटर लंबे मार्ग का 83% से अधिक हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरता है, जिसमें मुख्य और निकास मार्गों पर कुल 213 किलोमीटर सुरंगें शामिल हैं।
    • परियोजना पूरी हो जाने पर, यात्रा का समय कम हो जाएगा, सभी मौसम में पहुँच सुनिश्चित होगी और उत्तराखंड में पर्यटन और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
    • यह सरकार के विकसित भारत 2047 विजन के तहत चार धाम रेल कनेक्टिविटी पहल को साकार करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि का भी प्रतिनिधित्व करता है।

विज़न इंडिया@2047

  • परियोजना:
    • विज़न इंडिया@2047 अगले 25 वर्षों में भारत के विकास का एक खाका या ब्लूप्रिंट तैयार करने के लिये भारत के शीर्ष नीति थिंक टैंक नीति आयोग द्वारा शुरू की गई एक परियोजना है।
    • परियोजना का लक्ष्य भारत को नवाचार एवं प्रौद्योगिकी में वैश्विक अग्रणी देश बनाना है जो मानव विकास एवं सामाजिक कल्याण के मामले में भी एक मॉडल देश होगा और पर्यावरणीय संवहनीयता का प्रबल पक्षसमर्थक होगा।
  • उद्देश्य:
    • 18-20 हज़ार अमेरिकी डॉलर की प्रति व्यक्ति आय और मज़बूत सार्वजनिक वित्त एवं एक सुदृढ़ वित्तीय क्षेत्र के साथ 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था प्राप्त करना।
    • ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में विश्वस्तरीय आधारभूत संरचना और सुविधाओं का निर्माण करना।
    • नागरिकों के जीवन में सरकार के अनावश्यक हस्तक्षेप को समाप्त करना और डिजिटल अर्थव्यवस्था एवं शासन को बढ़ावा देना।
    • विलय या पुनर्गठन द्वारा और स्वदेशी उद्योग एवं नवाचार को बढ़ावा देने के माध्यम से हर क्षेत्र में 3-4 वैश्विक चैंपियन विकसित करना।
    • रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना तथा विश्व में भारत की भूमिका की वृद्धि करना।
    • नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि और कार्बन उत्सर्जन को कम करके हरित विकास एवं जलवायु कार्रवाई को बढ़ावा देना।
    • युवाओं को कौशल एवं शिक्षा के साथ सशक्त बनाना और रोज़गार के अधिक अवसर पैदा करना।
    • देश में शीर्ष स्तर की 10 प्रयोगशालाओं के निर्माण के लिये विदेशी अनुसंधान एवं विकास संगठनों के साथ साझेदारी करना और कम से कम 10 भारतीय संस्थानों को वैश्विक स्तर पर शीर्ष 100 की सूची में लाना।


उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड में अवैध निवासियों के विरुद्ध अभियान

चर्चा में क्यों?

17 अप्रैल 2025 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने राज्य पुलिस को निर्देश दिये कि वह फर्जी पहचान-पत्रों का उपयोग कर राज्य में अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहचान करे और उनके विरुद्ध सख़्त कार्रवाई के लिये विशेष अभियान चलाए।

मुख्य बिंदु

  • अभियान के बारे में:
    • मुख्यमंत्री ने ड्रग माफिया और कानून-व्यवस्था को बाधित करने वाले सभी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई तेज़ करने के भी निर्देश दिये।
    • साइबर अपराध से संबंधित प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करने में देरी को ध्यान में रखते हुए, मुख्यमंत्री ने इन मामलों में की गई कार्रवाई पर स्थिति रिपोर्ट की मांग की।
    • उन्होंने पुलिस से साइबर अपराध की शिकायतों पर प्रतिक्रिया तंत्र को मज़बूत करने का आग्रह किया।
    • उन्होंने जनता का विश्वास और दक्षता बढ़ाने के लिये पुलिस विभाग के सभी स्तरों पर कार्य संस्कृति में सुधार लाने का भी आह्वान किया।
  • प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR)
  • यह एक लिखित दस्तावेज है, जो पुलिस द्वारा तब तैयार किया जाता है जब उन्हें किसी संज्ञेय अपराध के घटित होने की सूचना प्राप्त होती है।
  • यह सूचना की वह रिपोर्ट होती है, जो उस समय पुलिस के पास सबसे पहले पहुँचती है और इसीलिये इसे प्रथम सूचना रिपोर्ट कहा जाता है।
  • यह आमतौर पर किसी संज्ञेय अपराध के पीड़ित या उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत होती है। कोई भी व्यक्ति मौखिक या लिखित रूप से संज्ञेय अपराध की रिपोर्ट कर सकता है।
  • FIR के तीन महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं:
    • सूचना किसी संज्ञेय अपराध के घटित होने से संबंधित होनी चाहिये
    • इसे पुलिस थाने के प्रमुख को लिखित या मौखिक रूप से दिया जाना चाहिये,
    • इसे लिखित रूप में रखना होगा तथा सूचना देने वाले द्वारा हस्ताक्षरित करना होगा तथा इसके मुख्य बिंदुओं को दैनिक डायरी में दर्ज करना होगा।


उत्तर प्रदेश Switch to English

जीआई टैगिंग में उत्तर प्रदेश प्रथम

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री ने अपने वाराणसी दौरे के दौरान उत्तर प्रदेश के 21 पारंपरिक उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्रमाण-पत्र प्रदान किये।

मुख्य बिंदु

GI प्रमाण-पत्र प्राप्त उत्पाद:

  • वाराणसी  
    • बनारसी तबला, बनारसी भरवा मिर्च, शहनाई, मेटल कास्टिंग क्राफ्ट, म्यूरल पेंटिंग, लाल पेड़ा, ठंडाई, तिरंगी बर्फी और चिरईगांव का करौंदा।
  • बरेली  
    • बरेली का फर्नीचर, जरी जरदोजी, टेराकोटा
  • मथुरा 
    • मथुरा की सांझी क्राफ्ट,
  • अन्य ज़िलों के उत्पाद  
    • बुंदेलखंड का काठिया गेहूँ, 
    • पीलीभीत की बाँसुरी, 
    • चित्रकूट का वुड क्राफ्ट, 
    • आगरा का स्टोन इनले वर्क 
    • जौनपुर की इमरती।
  • उत्तर प्रदेश अब 77 GI टैग के साथ भारत का शीर्ष राज्य बन गया है।
  • काशी क्षेत्र के अकेले 32 GI टैग प्राप्त उत्पाद हैं, जिससे यह दुनिया के GI हब में शामिल हो गया है।

महत्त्व:

  • कानूनी संरक्षण मिलने से नकली उत्पादों पर रोक लगेगी और मौलिक उत्पादकों की बाज़ार में विश्वसनीयता बढ़ेगी।
  • आर्थिक दृष्टि से, GI टैग से उत्पादों की ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
  • स्थानीय स्तर पर रोज़गार के नए अवसर सृजित होंगे।

भौगोलिक संकेत (GI) टैग

  • भौगोलिक संकेत (GI) टैग, एक ऐसा नाम या चिह्न है जिसका उपयोग उन विशेष उत्पादों पर किया जाता है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान या मूल से संबंधित होते हैं।
  • GI टैग यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्त्ताओं या भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों को ही लोकप्रिय उत्पाद के नाम का उपयोग करने की अनुमति है।
  • यह उत्पाद को दूसरों द्वारा नकल या अनुकरण किये जाने से भी बचाता है।
    • एक पंजीकृत GI टैग 10 वर्षों के लिये वैध होता है।
  • GI पंजीकरण की देखरेख वाणिज्य तथा उद्योग मंत्रालय के अधीन उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग द्वारा की जाती है।

विधिक ढाँचा:


उत्तर प्रदेश Switch to English

मैकग्रेगर मेमोरियल मेडल

चर्चा में क्यों?

16 अप्रैल 2025 को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने पाँच सैन्य कर्मियों को वर्ष 2023 और 2024 के लिये मैकग्रेगर मेमोरियल मेडल से सम्मानित किया।

मुख्य बिंदु 

  • विजेताओं के बारे में: 
    • उन्हे यह सम्मान सैन्य टोही, अन्वेषण और साहसिक कार्यों में उत्कृष्ट योगदान के लिये दिया गया है।
    • वर्ष 2023 के लिये पुरस्कार विजेताओं में वायुसेना के विंग कमांडर डी. पांडा और नौसेना के इलेक्ट्रिकल आर्टिफिसर (रेडियो) राहुल कुमार पांडे शामिल थे।
    • वहीं वर्ष 2024 के लिये नौसेना के चीफ इलेक्ट्रिकल एयरक्राफ्ट आर्टिफिसर (रेडियो) राम रतन जाट और वायुसेना के सार्जेंट झूमर राम पूनिया को पदक से सम्मानित किया गया।
    • इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रीय पर्वतारोहण और साहसिक खेल संस्थान के निदेशक कर्नल रणवीर सिंह जामवाल को भी सम्मानित किया गया।
  • मैकग्रेगर मेमोरियल मेडल 
    • मैकग्रेगर मेमोरियल मेडल यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ़ इंडिया (USI) के संस्थापक मेजर जनरल सर चार्ल्स मेटकाफ मैकग्रेगर की याद में दिया जाता है।
    • इस पुरस्कार की स्थापना 3 जुलाई, 1888 में गयी थी।
    • इस पुरस्कार का मुख्य उद्देश्य सैन्य बलों द्वारा की गई टोही और खोजपूर्ण यात्राओं को सम्मानित करना था, लेकिन वर्ष 1986 में इस पुरस्कार के दायरे को बढ़ाकर इसमें सैन्य अभियानों और साहसिक गतिविधियों को भी शामिल कर लिया गया।
    • यह पुरस्कार अब भारतीय सशस्त्र बलों, प्रादेशिक सेना, रिज़र्व बलों, राष्ट्रीय राइफल्स और असम राइफल्स के सभी सेवारत और सेवानिवृत्त रैंकों के लिये खुला है।
    • अब तक कुल 127 मैकग्रेगर मेडल प्रदान किये जा चुके हैं, जिनमें से 103 पदक स्वतंत्रता से पहले के हैं।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS):

  • CDS ‘चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी’ के स्थायी अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है जिसमें तीनों सेवाओं के प्रमुख भी सदस्य होंगे।
    • उसका मुख्य कार्य भारतीय सेना की त्रि-सेवाओं के बीच अधिक-से-अधिक परिचालन तालमेल को बढ़ावा देना और अंतर-सेवा विरोधाभास को कम-से-कम करना है।
  • वह रक्षा मंत्रालय में नवनिर्मित सैन्य मामलों के विभाग (DMA) का प्रमुख भी है।
    • वह सेना के तीनों अंगों के मामले में रक्षा मंत्री के प्रमुख सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य करेगा, लेकिन इसके साथ ही तीनों सेनाओं के अध्यक्ष रक्षा मंत्री को अपनी सेनाओं के संबंध में सलाह देना जारी रखेंगे।
    • DMA के प्रमुख के तौर पर CDS को चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के स्थायी अध्यक्ष के रूप में अंतर-सेवा खरीद निर्णयों को प्राथमिकता देने का अधिकार प्राप्त है।
  • CDS को तीनों प्रमुखों को निर्देश देने का अधिकार भी दिया गया है।
    • हालाँकि उसे सेना के किसी भी कमांड का अधिकार प्राप्त नहीं है।
  • CDS का पद समकक्षों में प्रथम है, उसे DoD (रक्षा विभाग) के भीतर सचिव का पद प्राप्त है और उसकी शक्तियांँ केवल राजस्व बजट तक ही सीमित रहेंगी।
  • वह परमाणु कमान प्राधिकरण (NCA) में सलाहकार की भूमिका भी निभाता है।


मध्य प्रदेश Switch to English

कृषक कल्याण मिशन

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने "कृषक कल्याण मिशन (KKM) को प्रारंभ करने की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की।

मुख्य बिंदु

  • मिशन के बारे में: 
    • इस मिशन का उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि, कृषि को जलवायु-अनुकूल बनाना, धारणीय कृषि पद्धतियों को अपनाना, जैवविविधता और परंपरागत कृषि ज्ञान का संरक्षण करना है।
    • यह मिशन पोषण और खाद्य सुरक्षा, साथ ही कृषकों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने की दिशा में भी कार्य करेगा।
    • इस मिशन के अंतर्गत किसान कल्याण एवं कृषि विकास, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी, सहकारिता, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभागों में प्रचलित योजनाओं को एकीकृत किया जाएगा।
  • प्रमुख लक्ष्‍य:
    • कृषि यंत्रीकरण में 1.5 गुना वृद्धि
    • कृषि क्षेत्र में 75% पूंजी निवेश वृद्धि
    • जैविक/प्राकृतिक खेती को 10% क्षेत्र तक ले जाना।
    • फसल बीमा कवरेज 50% तक बढ़ाना।
    • सूक्ष्म सिंचाई क्षेत्रफल 20% तक।
    • ऊर्जादाता योजना के अंतर्गत किसानों को सौर ऊर्जा पंप
    • पशुधन उत्पादकता में 50% वृद्धि
  • प्रशासनिक ढाँचा:
    • मुख्यमंत्री मिशन की आम सभा के अध्यक्ष होंगे, जबकि मुख्य सचिव कार्यकारी समिति का नेतृत्व करेंगे।
    • ज़िला स्तर पर मिशन का संचालन ज़िलाधिकारी की अध्यक्षता में होगा।

मध्य प्रदेश में कृषि क्षेत्र का योगदान 

  • सरकारी आँकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश ने कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। वर्ष 2002-03 में जहाँ कृषि उत्पादकता 1,195 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी, वहीं यह वर्ष 2024 में बढ़कर 2,393 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई, जो 200 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाती है। 
  • इसी तरह, फसल उत्पादन में भी महत्त्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई है- वर्ष 2002-03 में यह 224 लाख मीट्रिक टन था, जो वर्ष 2024 में बढ़कर 723 लाख मीट्रिक टन हो गया अर्थात 323 प्रतिशत की वृद्धि
  • प्रदेश की कृषि विकास दर भी उल्लेखनीय रही है। वर्ष 2002-03 में जहाँ यह 3 प्रतिशत थी, वह वर्ष 2024 में बढ़कर 9.8 प्रतिशत हो गई है। 
  • इसके अतिरिक्त, कृषि बजट में भी भारी वृद्धि हुई है—वर्ष 2002-03 में जहाँ यह 600 करोड़ रुपए था, वहीं वर्ष 2024 में यह बढ़कर 27,050 करोड़ रुपए हो गया है। 
  • वर्तमान में, राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में कृषि क्षेत्र का योगदान 39 प्रतिशत है।


राजस्थान Switch to English

रणथंभौर टाइगर रिज़र्व

चर्चा में क्यों

16 अप्रैल, 2025 को राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिज़र्व में स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर के निकट एक बाघ के हमले में सात वर्षीय बालक की मृत्यु हो गई।

मुख्य बिंदु

रणथंभौर टाइगर रिज़र्व के बारे में: 

  • रणथंभौर टाइगर रिज़र्व राजस्थान राज्य के पूर्वी भाग में करौली और सवाई माधोपुर ज़िलों में अरावली तथा विंध्य पर्वत शृंखलाओं के संगम पर स्थित है।
  • इसमें रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के साथ-साथ सवाई मानसिंह और कैलादेवी अभयारण्य भी शामिल हैं।
  • रणथंभौर किला, जिसके नाम से जंगलों का नाम पड़ा है, के बारे में कहा जाता है कि इसका इतिहास 1000 वर्ष से भी ज़्यादा पुराना है। यह उद्यान के भीतर 700 फीट ऊँची पहाड़ी पर रणनीतिक रूप से स्थित है।
    • इसका निर्माण 944 ई. में एक चौहान शासक ने कराया था।
  • बाघों से आच्छादित यह पृथक क्षेत्र बंगाल बाघ के वितरण क्षेत्र की उत्तर-पश्चिमी सीमा का प्रतिनिधित्व करता है और यह देश में संरक्षण के लिये प्रोजेक्ट टाइगर के प्रयासों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

विशेषताएँ:

  • इस रिज़र्व में अत्यधिक खंडित वन क्षेत्र, खड्ड, नदी-नाले और कृषि भूमि शामिल हैं। 
  • यह कैलादेवी वन्यजीव अभयारण्य के कुछ हिस्सों, चंबल के खड्डों वाले आवासों और श्योपुर के वन क्षेत्रों के माध्यम से मध्य प्रदेश के कुनो-पालपुर परिदृश्य से जुड़ा हुआ है। 
  • चंबल नदी की सहायक नदियाँ बाघों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान की ओर जाने के लिये आसान मार्ग प्रदान करती हैं।

वनस्पति एवं वन्य जीवन:

  • वनस्पति में पठारों पर घास के मैदान और मौसमी नदियों के किनारे घने जंगल शामिल हैं।
    • यहाँ का जंगल मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती है, जिसमें 'ढाक' (ब्यूटिया मोनोस्पर्मा) नामक वृक्ष की प्रजाति सबसे आम है, जो लंबे समय तक सूखे को झेलने में सक्षम है। 
    • इस पेड़ को 'जंगल की आग' भी कहा जाता है और यह उन कई फूलों वाले पौधों में से एक है, जो यहाँ की शुष्क गर्मियों में रंग भर देते हैं।
  • यह उद्यान वन्य जीवन से समृद्ध है, जिसमें स्तनधारियों में बाघ खाद्य शृंखला के शीर्ष पर हैं। 
  • यहाँ पाए जाने वाले अन्य जानवरों में तेंदुए, धारीदार लकड़बग्घा, सामान्य या हनुमान लंगूर, रीसस मकाक, सियार, जंगली बिल्लियाँ, कैराकल, काला हिरण, ब्लैकनेप्ड खरगोश और चिंकारा आदि शामिल हैं।

Ranthambore Tiger Reserve


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