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स्टेट पी.सी.एस.

  • 17 Dec 2024
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राजस्थान Switch to English

सरिस्का टाइगर रिज़र्व

चर्चा में क्यों?

सुप्रीम कोर्ट ने सरिस्का टाइगर रिज़र्व के वन्यजीवों की सुरक्षा और पांडुपोल हनुमान मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर बल दिया है।

मुख्य बिंदु

  • वाहन यातायात पर चिंताएँ:
    • न्यायालय ने इस बात पर चिंता व्यक्त कि अनियंत्रित वाहन यातायात से रिज़र्व में वन्यजीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, विशेष रूप से उन दिनों में जब वहाँ अधिक भीड़ होती है।
    • यह सुझाव दिया गया है कि वन्यजीवों पर पड़ने वाले दबाव को कम करने तथा आगंतुकों की पहुँच सुनिश्चित करने के लिये वैकल्पिक तौर पर इलेक्ट्रिक शटल बसें शुरू की जाएँ।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने पारिस्थितिक संरक्षण और धार्मिक आवश्यकताओं के बीच संतुलन स्थापित करने के लिये स्थानीय प्राधिकारियों और केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) की एक समिति का गठन किया।
  • न्यायालय ने मंदिर ट्रस्ट और श्रद्धालुओं की निजी वाहनों के अचानक बंद होने संबंधी चिंता को भी स्वीकार किया, जिससे प्रमुख धार्मिक दिनों में हज़ारों श्रद्धालु प्रभावित होंगे।

सरिस्का टाइगर रिज़र्व

  • परिचय:
    • सरिस्का टाइगर रिज़र्व अरावली पहाड़ियों में स्थित है और राजस्थान के अलवर ज़िले का एक हिस्सा है।
    • इसे 1955 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया तथा बाद में 1978 में इसे बाघ अभयारण्य (टाइगर रिज़र्व) घोषित कर दिया गया, जिससे यह भारत की प्रोजेक्ट टाइगर का हिस्सा बन गया।
    • इसमें खंडहर मंदिर, किले, मंडप और एक महल शामिल हैं।
      • कंकवाड़ी किला रिज़र्व के केंद्र में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि मुगल बादशाह औरंगज़ेब ने राजगद्दी के उत्तराधिकार के संघर्ष में अपने भाई दारा शिकोह को इसी किले में कैद किया था।
      • इसमें पांडवों से संबंधित पांडुपोल में भगवान हनुमान का प्रसिद्ध मंदिर भी है।
  • वनस्पति और जीव:
    • इसकी विशेषता चट्टानी परिदृश्य, शुष्क झाड़ी-कांटेदार वन, घास के मैदान, चट्टानें और अर्द्ध-पर्णपाती वन हैं।
    • इसमें ढोक, सालार, कडाया, गोल, बेर, बरगद, गुगल, बाँस, कैर आदि के वृक्षों का प्रभुत्व है।
    • यह अन्य विविध प्रकार के पशुओं जैसे रॉयल बंगाल टाइगर, तेंदुए, सांभर, चीतल, नीलगाय, चार सींग वाले मृग, जंगली सूअर, लकड़बग्घा और जंगली बिल्लियों को भी आश्रय देता है।




झारखंड Switch to English

बिरहोर जनजाति बाल विवाह के विरुद्ध आंदोलन में शामिल हुई

चर्चा में क्यों?

हाल ही में झारखंड के एक विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह, बिरहोर जनजाति के लोग पहली बार बाल विवाह के विरुद्ध आंदोलन में शामिल हुए हैं।

मुख्य बिंदु

  • बिरहोर समुदाय:
    • बिरहोर लोग एक अर्द्ध-खानाबदोश जनजातीय समुदाय हैं, जो काफी हद तक वनों पर निर्भर हैं तथा आर्थिक और सामाजिक रूप से हाशिये पर रह रहे हैं।
    • पहली बार झारखंड के गिरिडीह ज़िले में बिरहोर समुदाय के सैकड़ों सदस्य बाल विवाह के विरुद्ध आंदोलन में शामिल हुए, जो उनके समुदाय में व्याप्त एक व्यापक प्रथा है।
  • बाल विवाह के परिणामों के संबंध में जागरूकता:
    • जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलायंस (JRC) ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह आयोजन पहला जागरूकता अभियान था, जिसमें समुदाय को बाल विवाह की वैधता और परिणामों के बारे में जानकारी दी गई।
    • युवा, बच्चे, महिलाएँ और बुज़ुर्ग मोमबत्तियों की रोशनी में एकत्र हुए तथा बाल विवाह को समाप्त करने तथा ऐसे किसी भी मामले की सूचना देने की सामूहिक शपथ ली।
  • सरकारी अभियान के लिये समर्थन:
    • यह मार्च केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किये गए 'बाल विवाह मुक्त भारत' अभियान के तहत बनवासी विकास आश्रम द्वारा आयोजित किया गया था। 
    • बनवासी विकास आश्रम JRC गठबंधन के तहत 250 साझेदार गैर-सरकारी संगठनों (NGO) में से एक है।
    • बिरहोर जनजाति को इस सामाजिक समस्या के प्रति सजग करने के उद्देश्य से बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और समग्र विकास पर बाल विवाह के नकारात्मक प्रभावों पर विचार-विमर्श किया गया।
    • JRC ने सभी 24 ज़िलों के ब्लॉकों, गाँवों और स्कूलों में कार्यक्रमों के माध्यम से अप्रैल से दिसंबर 2024 के बीच झारखंड में 7,000 से अधिक बाल विवाह रोकने का दावा किया है।
  • उच्च प्रसार वाले ज़िले:
  • जामताड़ा, देवघर, गोड्डा, गिरिडीह, कोडरमा और दुमका की पहचान बाल विवाह के उच्च मामलों वाले ज़िलों के रूप में की गई।

बिरहोर जनजाति

  • शारीरिक बनावट: वे छोटे कद के, लंबे सिर, लहराते बाल और चौड़ी नाक वाले होते हैं। 
  • भाषा: उनकी भाषा संथाली, मुंडारी और हो के समान है।
  • धर्म: वे जीववाद और हिंदू धर्म का मिश्रण मानते हैं। सूर्य देव उनके सर्वोच्च देवता हैं, साथ ही लुगु बुरु और बुधिमई भी उनके आराध्य हैं। 
  • अर्थव्यवस्था: बिरहोर की "आदिम निर्वाह अर्थव्यवस्था" शिकार और संग्रहण पर आधारित है, लेकिन कुछ लोग खेतीबाड़ी में लग गए हैं। वे बेल के रेशों से रस्सियाँ बनाते हैं और आस-पास के कृषि करने वाले लोगों को बेचते हैं। 
  • सामाजिक-आर्थिक स्थिति: बिरहोर को उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर दो समूहों में विभाजित किया गया है: घुमंतू उथलू और स्थायी जांगि (wandering Uthlus and the settled Janghis)।


हरियाणा Switch to English

सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान के निकट अवैध निर्माण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वन और वन्यजीव के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) ने ज़िला प्रशासन को सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान के निकट अवैध निर्माण और उनकी वर्तमान स्थिति के संबंध में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF & CC) को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

मुख्य बिंदु

  • अवैध निर्माण की निगरानी हेतु समिति:
    • मार्च 2024 में राष्ट्रीय उद्यान के आसपास के प्रतिबंधित क्षेत्र में अवैध निर्माण गतिविधियों की निगरानी के लिये एक समिति का गठन किया गया था।
    • जाँच में पाया गया कि सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान के निकट फरुखनगर क्षेत्र में कई अवैध कॉलोनियां विकसित की जा रही हैं।
    • संवेदनशील क्षेत्रों (Sensitive Zones) के भीतर निर्माण गतिविधियाँ पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्रों के लिये क्षेत्रीय मास्टर प्लान के प्रावधानों का उल्लंघन करती हैं।
  • विनियमों का अनुपालन:
    • अधिकारियों को राष्ट्रीय उद्यान के आसपास के क्षेत्रों में संरचनात्मक निर्माण नियमों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिये  गए।
    • इन नियमों का पालन न करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की जानी चाहिये।

सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान 

  • परिचय: 
    • सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिये एक स्वर्ग है। यह प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के लिये प्रसिद्ध है। 
      • प्रवासी पक्षी सितंबर में पार्क में आना शुरू हो जाते हैं। पक्षी मार्च-अप्रैल तक पार्क को आरामगाह के रूप में उपयोग करते हैं। 
      • ग्रीष्म और मानसून के महीनों के दौरान पार्क में कई स्थानीय पक्षी प्रजातियाँ निवास करती हैं। 
    • अप्रैल 1971 में, पार्क के अंदर सुल्तानपुर झील (1.21 वर्ग किमी. का क्षेत्र) को पंजाब वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1959 की धारा 8 के तहत अभयारण्य का दर्जा दिया गया था।
    • जुलाई 1991 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के अंतर्गत पार्क का दर्जा बढ़ाकर राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया।
  • स्थान: 
    • यह पार्क हरियाणा के गुड़गाँव ज़िले में स्थित है। दिल्ली से इसकी दूरी लगभग 50 किलोमीटर और गुड़गाँव से 15 किलोमीटर है। 
  • पार्क में महत्त्वपूर्ण जीव: 


हरियाणा Switch to English

NGT ने फरीदाबाद में पैनल का गठन किया

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने हरियाणा के फरीदाबाद में पशुपालन एवं डेयरी कार्यालय परिसर में कई पीपल के वृक्षों की कथित अवैध कटाई की जाँच के लिये एक पैनल का गठन किया है।

मुख्य बिंदु

  • विरासत पीपल के वृक्षों का विनाश:
    • याचिका में उल्लेख किया गया है कि विरासत में प्राप्त पीपल के वृक्ष नष्ट कर दिये गए हैं, किंतु उनकी जड़ें अब भी विद्यमान हैं।
    • संबंधित अधिकारियों से शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।
  • NGT की टिप्पणियाँ:
    • आवेदन के अनुसार शीशम और अन्य वृक्षों को काटने की अनुमति दी गई, लेकिन पीपल के वृक्षों को काटने की अनुमति नहीं दी गई।
    • याचिका में उप निदेशक, रेंज अधिकारी और ठेकेदार द्वारा वृक्षों की अवैध कटाई का आरोप लगाया गया।
    • न्यायाधिकरण ने फरीदाबाद के प्रभागीय वन अधिकारी और हरियाणा के वन एवं पशुपालन विभाग को नोटिस जारी किये।
    • आरोपों की पुष्टि करने तथा आठ सप्ताह के भीतर न्यायाधिकरण को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये एक संयुक्त समिति नियुक्त की गई।
    • सदस्यों में निम्नलिखित के प्रतिनिधि शामिल हैं:



मध्य प्रदेश Switch to English

बैगा आदिवासी कलाकार जोधईया बाई का निधन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रसिद्ध बैगा आदिवासी कलाकार और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित जोधइया बाई का लंबी बीमारी के बाद मध्य प्रदेश के उमरिया ज़िले में निधन हो गया।

मुख्य बिंदु

  • बैगा जनजातीय कला में योगदान:
  • जोधइया बाई ने बैगा जनजातीय कला को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • कला के क्षेत्र में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिये उन्हें वर्ष 2023 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • मुख्यमंत्री की ओर से संवेदना:
  • मुख्यमंत्री ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश और देश ने एक ऐसी कलाकार खो दी है, जिसने अपना जीवन आदिवासी संस्कृति, कला और परंपराओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने के लिये समर्पित कर दिया।

बैगा जनजाति

  • बैगा (जिसका अर्थ है जादूगर) विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) में से एक है।
  • वे मुख्य रूप से छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में रहते हैं।
  • परंपरागत रूप से बैगा अर्द्ध-खानाबदोश जीवन व्यती करते थे और कटाई-जलाकर खेती करते थे। अब वे अपनी आजीविका के लिये मुख्य रूप से लघु वनोपज पर निर्भर हैं।
  • बाँस प्राथमिक संसाधन है।
  • टैटू बनवाना बैगा संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है, प्रत्येक आयु और शरीर के हिस्से के लिये एक विशेष टैटू निर्धारित होता है।


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