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स्टेट पी.सी.एस.

  • 17 Jun 2024
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उत्तर प्रदेश Switch to English

UP में ऊर्जा की मांग उच्च स्तर पर

चर्चा में क्यों?

ग्रिड इंडिया पावर सप्लाई रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश ने महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों को पीछे छोड़ते हुए 28,889 मेगावाट (MW) विद्युत ऊर्जा की आपूर्ति करके देश में पहला स्थान प्राप्त किया।

मुख्य बिंदु:

  • उत्तर प्रदेश में भीषण गर्मी और बढ़ते तापमान के कारण विद्युत ऊर्जा की मांग अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुँच गई है।
    • महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और राजस्थान ने क्रमशः 24,254 मेगावाट, 24,231 मेगावाट, 16,257 मेगावाट और 16,781 मेगावाट की मांग पूरी की।
  • उत्तर प्रदेश के विद्युत ऊर्जा विभाग ने बढ़ती मांगों के बावजूद अपने सुदृढ़ ऊर्जा बुनियादी ढाँचे का प्रदर्शन करते हुए पीक ऑवर्स के दौरान सबसे अधिक विद्युत ऊर्जा आपूर्ति का राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया।

हीट वेव

  • हीट वेव्स अत्यधिक गर्म मौसम की वह लंबी अवधि है जो मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
  • भारत एक उष्णकटिबंधीय देश है, इसलिये यहाँ विशेष रूप से हीट वेव का खतरा बना रहता है, जिसकी हाल के वर्षों में पुनरावृत्ति अधिक हो गई है।
  • भारत में हीट वेव घोषित करने के लिये भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मानदंड:
    • जब तक किसी क्षेत्र का अधिकतम तापमान मैदानी क्षेत्रों के लिये कम से कम 40°C और पहाड़ी क्षेत्रों के लिये कम से कम 30°C तक नहीं पहुँच जाता, तब तक हीट वेव पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है।
    • यदि किसी क्षेत्र का सामान्य अधिकतम तापमान 40°C से कम या उसके बराबर है, तो सामान्य तापमान से 5°C से 6°C की वृद्धि को हीट वेव की स्थिति माना जाता है।
      • इसके अलावा, सामान्य तापमान से 7°C या उससे अधिक की वृद्धि को गंभीर हीट वेव की स्थिति माना जाता है।
    • यदि किसी क्षेत्र का सामान्य अधिकतम तापमान 40°C से अधिक है, तो सामान्य तापमान से 4°C से 5°C की वृद्धि को हीट वेव की स्थिति माना जाता है। इसके अलावा, 6°C या उससे अधिक की वृद्धि को गंभीर हीट वेव की स्थिति माना जाता है।
    • इसके अतिरिक्त, यदि सामान्य अधिकतम तापमान के बावजूद वास्तविक अधिकतम तापमान 45°C या उससे अधिक रहता है, तो हीट वेव की घोषणा कर दी जाती है।


उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, उत्तर प्रदेश ने राज्य को संभावित बाढ़ से बचाने के लिये व्यापक तैयारियाँ शुरू की हैं।

  • उन्होंने अधिकारियों को एक मज़बूत बाढ़ प्रबंधन योजना बनाने का निर्देश दिया है, जिसमें स्थानीय निवासियों और पशुओं को सुरक्षित क्षेत्रों में शीघ्र स्थानांतरित करने पर ज़ोर दिया गया है।

मुख्य बिंदु:

  • राज्य प्रशासन ने उत्तर प्रदेश को तीन बाढ़ प्रबंधन क्षेत्रों में विभाजित किया है: 29 अत्यधिक संवेदनशील ज़िले, 11 संवेदनशील ज़िले और 35 सामान्य ज़िले।
  • तैयारी बढ़ाने के लिये सात राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) टीमें, 18 राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) टीमें और 17 प्रांतीय सशस्त्र बल (PAC) टीमें रणनीतिक रूप से तैनात की गई हैं।
    • राज्य सरकार ने आपातकालीन स्थिति में सहायता के लिये 400 प्रतिबद्ध व्यक्तियों को 'आपदा मित्र' तथा 10,500 स्वयंसेवकों को तैयार किया है। 
    • इसके अलावा, तैयारियों को बढ़ाने के लिये सभी ज़िलों को विस्तृत बाढ़ तैयारी मार्गदर्शिका उपलब्ध कराई गई है।

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (National Disaster Response Force- NDRF)

  • यह आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत गठित एक भारतीय विशेष बल है। 
  • भारत में आपदाओं के प्रबंधन की ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों की है। प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन के लिये केंद्र सरकार में 'नोडल मंत्रालय' गृह मंत्रालय (MHA) है। 
  • यह प्रशिक्षित पेशेवर इकाइयों को संदर्भित करता है जिन्हें आपदाओं के लिये विशेष प्रतिक्रिया हेतु बुलाया जाता है।

आपदा मित्र योजना 

  • परिचय:
    • यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसे मई 2016 में शुरू किया गया था। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण योजना की कार्यान्वयन एजेंसी है।
    • यह आपदा-प्रवण क्षेत्रों में उपयुक्त व्यक्तियों की पहचान करने की एक योजना है, जिसमें आपदाओं के समय प्रथम आपदा मित्र अर्थात् बचाव कार्यों के लिये प्रशिक्षित किया जा सकता है।
  • उद्देश्य:
    • योजना के तहत समुदाय के स्वयंसेवकों को आपदा के बाद अपने समुदाय की तत्काल आवश्यकताओं को ध्यान के रखते हुए आवश्यक कौशल प्रदान करना जिससे वे आकस्मिक बाढ़ और शहरी क्षेत्रों में उत्पन्न बाढ़ जैसी आपातकालीन स्थितियों के दौरान बुनियादी राहत एवं बचाव कार्य करने में सक्षम हो सकें।


मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश की नई अंतर-राज्यीय हवाई सेवा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भोपाल से जबलपुर तक पहली उड़ान को हरी झंडी दिखाकर 'पीएम श्री पर्यटन वायु सेवा' नाम से अंतर-राज्यीय हवाई सेवा का शुभारंभ किया।

मुख्य बिंदु:

  • मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, रीवा, खजुराहो और सिंगरौली शहर जल्द ही हवाई यात्रा से जुड़ जाएंगे।
  • अधिकारियों के अनुसार, हवाई संपर्क बढ़ाने के लिये 30 दिनों की अवधि के लिये किराए में 50% की छूट दी जाएगी।
  • मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड (MPTB) हवाई सेवा का प्रबंधन करेगा। यह सेवा मेसर्स जेट सर्व एविएशन प्राइवेट लिमिटेड (Flyola) के साथ सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) के माध्यम से संचालित की जा रही है।

सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnership- PPP) मॉडल

  • यह सार्वजनिक संपत्ति और/या सार्वजनिक सेवाओं के प्रावधान के लिये सरकार एवं निजी क्षेत्र के मध्य एक व्यवस्था है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी बड़े पैमाने पर सरकारी परियोजनाओं, जैसे सड़कों, पुलों, या अस्पतालों को निजी वित्तपोषण के साथ पूरा करने की अनुमति देती है।
  • इस प्रकार की साझेदारी में,निजी क्षेत्र की संस्था द्वारा एक निर्दिष्ट अवधि के लिये निवेश किया जाता है।
  • ये साझेदारियाँ तब अच्छी तरह से कार्य करती हैं जब निजी क्षेत्र की प्रौद्योगिकी और नवाचार को समय पर और बजट के भीतर कार्य पूरा करने हेतु सार्वजनिक क्षेत्र के प्रोत्साहनों के साथ जोड़ा जाता है।
  • चूंँकि PPP मॉडल में सेवाएँ प्रदान करने के लिये सरकार द्वारा ज़िम्मेदारी का पूर्ण प्रतिधारण शामिल है, यह निजीकरण की प्रक्रिया नहीं है।
  • इसमें निजी और सार्वजनिक इकाई के मध्य जोखिम का एक सुव्यवस्थित तरीके से आवंटन होता है।
  • निजी इकाई को खुली प्रतिस्पर्द्धी बोली के आधार पर चुना जाता है और वह प्रदर्शन आधारित भुगतान प्राप्त करती है।
  • PPP मार्ग उन विकासशील देशों में एक विकल्प हो सकता है, जहाँ सरकारों को महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं के लिये ऋण लेने में विभिन्न बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
  • यह बड़ी परियोजनाओं की योजना बनाने या उन्हें क्रियान्वित करने में आवश्यक विशेषज्ञता भी प्रदान कर सकता है।

उत्तराखंड Switch to English

चंपावत को आदर्श ज़िला बनाने की कार्ययोजना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में चंपावत ज़िले को आदर्श ज़िला बनाने की कार्ययोजना और चल रहे कार्यों की समीक्षा की।

  • उत्तराखंड को आदर्श राज्य बनाने के लिये चंपावत ज़िले को आदर्श ज़िले के रूप में लिया जा रहा है।

मुख्य बिंदु:

  • चंपावत में मैदानी, तराई, भाबर और पहाड़ी क्षेत्रों सहित विविध भौगोलिक परिस्थितियाँ हैं।
  • मुख्यमंत्री ने विकास और विरासत दोनों को आगे बढ़ाने के महत्त्व पर ज़ोर देते हुए अधिकारियों से आदर्श जनपद चंपावत के लिये कार्ययोजना को तेज़ी से लागू करने का आग्रह किया।
  • उन्होंने अधिकारियों को पारिस्थितिकी और पर्यावरण संबंधी चिंताओं के साथ विकास कार्यों का समन्वय करने का भी निर्देश दिया। साथ ही प्राकृतिक विरासत के संरक्षण को विकास प्रयासों में एकीकृत किये जाने की बात कही।
  • चंपावत ज़िला धार्मिक, आध्यात्मिक और साहसिक पर्यटन के लिये कई अवसर प्रदान करता है।
  • ज़िले में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये तीन से चार दिवसीय यात्रा सर्किट बनाना महत्त्वपूर्ण है।
  • पूर्णागिरी मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, इसलिये उनकी सुविधा सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक व्यवस्था करना महत्त्वपूर्ण है।
  • चंपावत ज़िले में पर्यटन, कृषि, बागवानी, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, दूध और इससे जुड़े उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये कार्ययोजना बनाई जा रही है। इसका लक्ष्य चंपावत को आदर्श राज्य बनाना है, जिसके लिये वर्ष 2030 तक की योजनाएँ बनाई जा रही हैं।
  • चंपावत ज़िले के प्रत्येक पात्र व्यक्ति को केंद्र और राज्य सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिले, इसके लिये प्रयास किये जा रहे हैं।
  • सौर ऊर्जा में संभावनाओं को तलाशने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। साथ ही, टाउन प्लानिंग पर विशेष ध्यान देकर ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर बढ़ते पलायन को रोकने पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

पूर्णागिरी मंदिर

  • पूर्णागिरी को पुण्यगिरी के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर शारदा नदी के पास स्थित है। पूर्णागिरी मंदिर अपने चमत्कारों के लिये भी जाना जाता है
  • माँ पूर्णागिरी मंदिर उत्तराखंड के चंपावत ज़िले के टनकपुर के पर्वतीय क्षेत्र में अन्नपूर्णा छोटी की चोटी पर लगभग 3000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है
  • मंदिर को शक्तिपीठ माना जाता है और यह 108 सिद्धपीठों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर माता सती की नाभि गिरी थी।

राजस्थान Switch to English

राजस्थान में युवा मित्रों का विरोध प्रदर्शन

चर्चा में क्यों?

राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद अपनी नौकरी गंवाने वाले राजीव गांधी युवा मित्रों ने अपनी सेवाएँ बहाल करने की मांग को लेकर ज़िलों और तहसीलों में अपना विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है।

मुख्य बिंदु:

  • यह संभव है कि राजस्थान सरकार एक संशोधित योजना के तहत 8,000 युवा मित्रों को नियुक्त करने के लिये राज्य बजट में एक नया प्रावधान पेश करेगी।
  • पिछली सरकार द्वारा शुरू की गई वर्तमान योजना, राजस्थान गांधी युवा मित्र को बदलकर विकसित राजस्थान युवा मित्र किये जाने की संभावना है।
  • लोकसभा चुनाव के लिये आदर्श आचार संहिता (MCC) लागू होने से पहले लगभग 5,000 युवा मित्रों ने सरकारी नौकरियों में बहाली की मांग को लेकर दो महीने से अधिक समय तक विरोध प्रदर्शन किया था।
    • मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) द्वारा यह आश्वासन दिये जाने के बाद कि सरकार की नई योजना के तहत उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी, विरोध प्रदर्शन समाप्त हुआ।

राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप योजना (RGYMIS)

  • वर्ष 2021-22 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य युवा स्नातकों को व्यावहारिक कार्य अनुभव प्रदान करना और उन्हें अपने कौशल तथा ज्ञान को विकसित करने में सहायता करना है।
  • इसके तहत प्रशिक्षुओं को विभिन्न सरकारी विभागों और एजेंसियों में रखा गया तथा उन्हें 10,000 रुपए तक का वजीफा दिया गया।
  • इस कार्यक्रम के तहत लगभग 50,000 युवाओं को नामांकित किया गया था।
  • अर्थशास्त्र और सांख्यिकी विभाग के अनुसार, यह योजना राजीव गांधी युवा मित्र (RYM) नामक बौद्धिक एवं स्व-प्रेरित युवाओं का एक समूह विकसित करने हेतु लाई गई थी।
  • इस पहल का उद्देश्य लोगों को शासन के विषय में शिक्षित करना और सरकार में उनका विश्वास पैदा करना तथा यह सुनिश्चित करना है कि उनकी बुनियादी आवश्यकताएँ उनके दरवाजे पर पूरी हों।

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