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प्रश्न :
भारत के भू - आकृतिक विभाजन का संक्षिप्त परिचय देते हुए नदी घाटी मैदान में पाई जाने वाली प्रमुख स्थलाकृतियों का संक्षिप्त वर्णन करें।
09 Dec, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
भारत में पर्वत, पठार, मैदान, मरुस्थल, तटीय मैदान द्वीप समूह के रूप में अनेक धरातलीय विषमताएँ पाई जाती हैं। इन्हीं विषमताओं के आधार पर भारत को निम्न भू–आकृतिक खंडों में विभाजित किया गया है :
उत्तर तथा पूर्वी पर्वतमाला- यह पर्वत श्रृंखला उत्तर-पश्चिम में जम्मू-कश्मीर से लेकर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश में नामचा बरवा तक विस्तृत है। इसे चार भागों- ट्रांस हिमालय, वृहत हिमालय, लघु या मध्य हिमालय और शिवालिक में बाँटा गया है।
उत्तरी भारत का मैदान- यह मैदान सिंधु एवं गंगा-ब्रह्मपुत्र नदियों के जलोढ़ अवसादों से निर्मित है। इसका विस्तार 3000 किलोमीटर से भी अधिक है और लगभग 150 से 300 किलोमीटर तक फैला है। इस मैदान को भी धरातलीय विशेषताओं के आधार पर चार भागों में विभाजित किया गया है। (1) भाबर (तलहटी से सटा क्षेत्र), यहाँ बजरी की अधिकता के कारण यहाँ नदियाँ विलीन हो जाती हैं।(2) तराई क्षेत्र भाबर के दक्षिण में मिलता है जहाँ नदियाँ पुनः सतह पर दिखाई देती हैं। यह दलदली क्षेत्र होता है। (3) बांगर, यह मैदानी उच्च भाग है जो पुराने जलोढ़ से बना होता है। (4) खादर नवीन जलोढ़ से निर्मित है। यहाँ लगभग प्रत्येक वर्ष नदियों के बाढ़ से नई उर्वर मिट्टी का निक्षेपण होता है। इसे बाढ़ का निदान भी कहा जाता है।
प्रायद्वीपीय पठार – प्राचीन गोंडवाना भूमि का यह हिस्सा त्रिभुजाकार आकृति में फैला है। उत्तर एवं दक्षिण में फैला यह क्षेत्र कई हिस्सों में विभाजित है। बघेलखंड, बुंदेलखंड, रायलसीमा, राजमहल, अरावली आदि इसी प्रायद्वीपीय क्षेत्र के हिस्से हैं।
भारतीय मरुस्थल- इसका विस्तार भारत के पश्चिमोत्तर में राजस्थान एवं गुजरात में है। यह एक शुष्क क्षेत्र है जो भारत और पाकिस्तान की प्राकृतिक सीमा बनाता है।
तटीय मैदान- ये मैदान भारत के पूर्वी एवं पश्चिमी तट के सामानांतर विस्तृत हैं। पूर्वी तटीय मैदान के संपूर्ण क्षेत्र को उत्कल तट, उत्तरी सरकार और कोरोमंडल में वर्गीकृत किया जाता है। पश्चिमी तटीय मैदान गुजरात से लेकर कन्याकुमारी तक कोंकण, कन्नड़ और मालाबार तट के नाम से विस्तृत है।
द्वीप समूह- भारत का पूर्वी समुद्री भाग बंगाल की खाड़ी में अंडमान निकोबार द्वीप समूह है। अरब सागर में उपस्थित लक्षद्वीप समूह मूंगा से निर्मित द्वीप है।
नदी घाटी मैदान में नदियों द्वारा अपरदन और निक्षेपण क्रिया से कई प्रकार की स्थलाकृतियों का निर्माण होता हैं। जैसे- जलोढ़ शंकु, जलोढ़ पंख, विसर्प, गोखुर झीलें और गुंफित नदियाँ आदि।
जलोढ़ शंकु का निर्माण नदियों के पर्वतीय क्षेत्र से समतल मैदान में प्रवेश करने के क्रम में छोटे चट्टानी टुकड़े पीछे छूटते चले जाते हैं। इन छोटे चट्टानी टुकड़ों से निर्मित आकृति को ही जलोढ़ शंकु कहा जाता है।
जलोढ़ पंख तराई क्षेत्र में फैले अवसाद होते हैं। दरअसल जलोढ़ पंखों के माध्यम से ही तराई का निर्माण हुआ है।
नदी विसर्प का निर्माण मैदानी क्षेत्रों में नदियों के लहरदार प्रवाह के माध्यम से होता है। जब नदियाँ अपने अवसादों को नहीं बहा सकती है तो यह लहरों के समान बलखाती हुई चलने लगती है जिससे नदी विसर्पों का निर्माण होता है।
जब नदियाँ विसर्प को त्यागकर सीधी चलने लगती है तो विसर्प के अवशिष्ट भाग को गोखुर झील कहा जाता है।
उत्तर भारत के मैदान में बहने वाली विशाल नदियाँ अपने मुहाने पर विश्व के बड़े-बड़े डेल्टाओं का निर्माण करती हैं। जैसे-सुंदरबन का डेल्टा। डेल्टा का निर्माण नदियों की परिवहन क्षमता क्षीण होने के कारण होता है।
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