उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में सिल्क्यारा सुरंग
चर्चा में क्यों?
16 अप्रैल, 2025 को उत्तराखंड में 4.53 किमी. लंबी सिल्क्यारा सुरंग की खुदाई पूरी हो गई, जिसका नाम स्थानीय देवता बाबा बौखनाग के नाम पर रखा गया।
मुख्य बिंदु
- मंदिर का उद्घाटन:
- राज्य के मुख्यमंत्री ने सिल्क्यारा सुरंग के मुहाने पर बाबा बौखनाग मंदिर का उद्घाटन किया।
- उन्होंने सुरंग निर्माण में हुई सफलता को उन्नत इंजीनियरिंग, विश्वास और समर्पण का प्रतीक बताया।
- सुरंग के निर्माण का कार्य राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL), जो सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है, द्वारा हैदराबाद स्थित नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी को सौंपा गया था।
- चार धाम संपर्क और सामरिक महत्त्व:
- यह डबल लेन सुरंग, चारधाम बारहमासी सड़क परियोजना का हिस्सा है तथा एक प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजना है।
- 1,384 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली इस सुरंग से गंगोत्री और यमुनोत्री के बीच की दूरी 25 किलोमीटर कम हो जाएगी, जिससे क्षेत्रीय संपर्क में सुधार होगा।
चार धाम यात्रा
- यमुनोत्री धाम:
- स्थान: उत्तरकाशी ज़िला।
- समर्पित: देवी यमुना।
- गंगा नदी के बाद यमुना नदी भारत की दूसरी सबसे पवित्र नदी है।
- गंगोत्री धाम:
- स्थान: उत्तरकाशी ज़िला।
- समर्पित: देवी गंगा।
- सभी भारतीय नदियों में सबसे पवित्र मानी जाती है।
- केदारनाथ धाम:
- स्थान: रुद्रप्रयाग ज़िला।
- समर्पित: भगवान शिव।
- मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है।
- भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों (भगवान शिव के दिव्य प्रतिनिधित्व) में से एक।
- बद्रीनाथ धाम:
- स्थान: चमोली ज़िला।
- पवित्र बद्रीनारायण मंदिर का स्थान।
- समर्पित: भगवान विष्णु।
- वैष्णवों के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक


उत्तर प्रदेश Switch to English
कथक नृत्यांगना कुमुदिनी लाखिया का निधन
चर्चा में क्यों?
कथक कलाकार और कोरियोग्राफर कुमुदिनी लाखिया का अहमदाबाद स्थित उनके आवास पर आयु संबंधी बीमारी के कारण 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
मुख्य बिंदु
- कुमुदिनी लाखिया के बारे में:
- कुमुदिनी लाखिया, जिन्हें "कुमीबेन" भी कहा जाता था, उन कलाकारों में शामिल थीं जिन्होंने कथक की पारंपरिक शैली के शास्त्रीय सार के साथ आधुनिक भाव-भंगिमाओं, तकनीकों और विषयवस्तु का समावेश किया।
- उनका जन्म 17 मई 1930 को अहमदाबाद (गुजरात) में एक संगीत-प्रेमी परिवार में हुआ था।
- उन्होंने कथक नृत्य की प्रारंभिक शिक्षा जयपुर घराने के पंडित सुंदर प्रसाद से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने लखनऊ घराने के महान नृत्याचार्य पंडित शंभू महाराज से भी प्रशिक्षण लिया।
- अपने प्रशिक्षण के दौरान उन्हें पंडित बिरजू महाराज के साथ कार्य करने का अवसर भी प्राप्त हुआ, जिससे उनकी नृत्य दृष्टि और अधिक समृद्ध हुई।
- उन्होंने न केवल भारत में, बल्कि यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में भी अपनी कला का प्रदर्शन किया।
- कदंब की स्थापना
- वर्ष 1964 में उन्होंने अहमदाबाद में "कदंब नृत्य और संगीत केंद्र" की स्थापना की। इस केंद्र के माध्यम से उन्होंने कथक की एक नई पीढ़ी को प्रशिक्षित किया।
- पुरस्कार और सम्मान
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1982): भारत की राष्ट्रीय अकादमी द्वारा शास्त्रीय नृत्य में योगदान के लिये दिया गया सम्मान।
- पद्म श्री (1987): भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान।
- पद्म भूषण (2010): तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
- कालिदास सम्मान (2002): मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान किया जाने वाला एक प्रतिष्ठित सांस्कृतिक पुरस्कार।
- पद्म विभूषण (2025): भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।
कथक के बारे में:
- परिचय:
- कत्थक शब्द का उदभव कथा शब्द से हुआ है जिसका शाब्दिक अर्थ है कथा कहना। यह नृत्य मुख्य रूप से उत्तरी भारत में किया जाता है।
- यह मुख्य रूप से एक मंदिर या गाँव का प्रदर्शन था जिसमें नर्तक प्राचीन ग्रंथों की कहानियाँ सुनाते थे।
- यह भारत के शास्त्रीय नृत्यों में से एक है।
- विकास:
- पंद्रहवीं और सोलहवीं शताब्दी में भक्ति आंदोलन के प्रसार के साथ कत्थक नृत्य एक विशिष्ट विधा के रूप में विकसित हुआ।
- राधा-कृष्ण की किंवदंतियों को सर्वप्रथम ‘रास लीला’ नामक लोक नाटकों में प्रयोग किया गया था, जिसमें बाद में कत्थक कथाकारों के मूल इशारों के साथ लोक नृत्य को भी जोड़ा गया।
- कत्थक को मुगल सम्राटों और उनके रईसों के अधीन दरबार में प्रदर्शित किया जाता था, जहाँ इसने अपनी वर्तमान विशेषताओं को प्राप्त कर लिया और एक विशिष्ट शैली के रूप में विकसित हुआ।
- अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह के संरक्षण में यह एक प्रमुख कला रूप में विकसित हुआ।
- नृत्य शैली:
- आमतौर पर एक एकल कथाकार या नर्तक छंदों का पाठ करने हेतु कुछ समय के लिये रुकता है और उसके बाद शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से उनका प्रदर्शन होता है।
- इस दौरान पैरों की गति पर अधिक ध्यान दिया जाता है; ‘एंकल-बेल’ पहने नर्तकियों द्वारा शरीर की गति को कुशलता से नियंत्रित किया जाता है और सीधे पैरों से प्रदर्शन किया जाता है।
- ‘तत्कार’ कत्थक में मूलतः पैरों की गति ही शामिल होती है।
- कत्थक शास्त्रीय नृत्य का एकमात्र रूप है जो हिंदुस्तानी या उत्तर भारतीय संगीत से संबंधित है।
- कुछ प्रमुख नर्तकों में बिरजू महाराज, सितारा देवी शामिल हैं


उत्तर प्रदेश Switch to English
खाद्य उद्योग उन्नयन योजना
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (PMFME) के क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश ने देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
मुख्य बिंदु
मुद्दे के बारे में:
- ऋण स्वीकृति के मामले में उत्तर प्रदेश में औसतन 101 दिन लगते हैं, जबकि बिहार में 110 दिन और तेलंगाना में 190 दिन का समय लगता है।
- ऋण वितरण में उत्तर प्रदेश ने 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है।
- उत्तर प्रदेश ने पिछले वर्ष की तुलना में 250 करोड़ रुपए अधिक बजट व्यय किया है।
- वहीं वर्ष 2025-26 के बजट में 56 प्रतिशत की वृद्धि के साथ उत्तर प्रदेश के लिये 300 करोड़ रुपए की अतिरिक्त धनराशि का प्रावधान किया गया है।
PMFME के बारे में:
- परिचय
- इसे आत्मनिर्भर अभियान के तहत वर्ष 2020 में शुरू किया गया है, इसका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित क्षेत्र में मौजूदा व्यक्तिगत सूक्ष्म उद्यमों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाना और क्षेत्र की औपचारिकता को बढ़ावा देना तथा किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों एवं उत्पादक सहकारी समितियों को सहायता प्रदान करना है।
- यह योजना इनपुट की खरीद, सामान्य सेवाओं और उत्पादों के विपणन के संबंध में पैमाने का लाभ उठाने के लिये एक ज़िला एक उत्पाद (ODOP) दृष्टिकोण अपनाती है।
- PMFME योजना वर्तमान 35 राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में कार्यान्वित की जा रही है।
- इसे पाँच वर्ष (2020-21 से 2024-25) की अवधि के लिये लागू किया गया था।
- नोडल मंत्रालय:
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (Ministry of Food Processing Industries- MoFPI)।


मध्य प्रदेश Switch to English
गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश वन विभाग द्वारा गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र, केरवा भोपाल में पाले गये 6 गिद्धों को पहली बार उनके प्राकृतिक आवास ‘हलाली डेम के वन क्षेत्र’ में छोड़ा गया।
मुख्य बिंदु
गिद्धों की मुक्ति:
- सभी गिद्धों पर सोलर पॉवर्ड GPS-GSM ट्रैकर (Ornitrack-25) लगाए गए हैं।
- जिससे उनके आवागमन के पैटर्न और आवास उपयोग की निगरानी की जा सके।
- मध्य प्रदेश में गिद्धों के संरक्षण के लिये वन विहार एवं बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के संयोजन से गिद्ध सरक्षंण प्रजनन केंद्र की शुरुआत वर्ष 2014 में की गई थी।
गिद्ध के विषय में:
- यह मृत जानवर खाने वाले पक्षियों की 22 प्रजातियों में से एक है, जो मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में रहते हैं।
- ये प्रकृति के कचरा संग्रहकर्त्ता के रूप में एक महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं और पर्यावरण से कचरा हटाकर उसे साफ रखने में मदद करते हैं।
- गिद्ध वन्यजीवों की बीमारियों को नियंत्रण में रखने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- भारत गिद्धों की 9 प्रजातियों यथा- ओरिएंटल व्हाइट बैकड (Oriental White Backed), लॉन्ग बिल्ड (Long Billed), स्लेंडर-बिल्ड (Slender Billed), हिमालयन (Himalayan), रेड हेडेड (Red Headed), मिस्र देशीय (Egyptian), बियरडेड (Bearded), सिनेरियस (Cinereous) और यूरेशियन ग्रिफॉन (Eurasian Griffon) का घर है।
- इन 9 प्रजातियों में से अधिकांश के विलुप्त होने का खतरा है।
- बियरडेड, लॉन्ग बिल्ड और ओरिएंटल व्हाइट बैकड वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (Wildlife Protection Act), 1972 की अनुसूची-1 में संरक्षित हैं। बाकी 'अनुसूची IV' के अंतर्गत संरक्षित हैं।
खतरे :
- डाइक्लोफेनाक (Diclofenac) जैसे विषाक्त जो पशुओं के लिये दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- मानवजनित गतिविधियों के कारण प्राकृतिक आवासों का नुकसान।
- भोजन की कमी और दूषित भोजन।
- बिजली लाइनों से करंट।
बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS):
- BNHS एक अखिल भारतीय वन्यजीव अनुसंधान संगठन है, जो वर्ष 1883 से प्रकृति संरक्षण को बढ़ावा दे रहा है।
- उद्देश्य: BNHS का उद्देश्य अनुसंधान, शिक्षा एवं सार्वजनिक जागरूकता के आधार पर कार्रवाई के माध्यम से प्रकृति का संरक्षण मुख्य रूप से जैवविविधता का संरक्षण करना है।
- BNHS आम जनता के लिये प्रकृति ट्रेल्स और शिविरों का आयोजन और संचालन भी करता है।


मध्य प्रदेश Switch to English
अमोनिया गैस का रिसाव
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश के रतलाम में एक आइस फैक्ट्री में अमोनिया गैस के रिसाव से निवासियों की चिंताएँ बढ़ गईं।
मुख्य बिंदु
अमोनिया के बारे में:
- अमोनिया (NH₃) एक तीखी गंध वाली रंगहीन गैस है, जिसका व्यापक रूप से उद्योग में उपयोग किया जाता है और यह पर्यावरण और मानव शरीर में प्राकृतिक रूप से पाई जाती है।
- इसे उत्प्रेरक की उपस्थिति में उच्च तापमान और दबाव में हैबर-बॉश प्रक्रम (N₂ + 3H₂ → 2NH₃) द्वारा निर्मित किया जाता है।
- इसका सांद्रित रूप संक्षारक होता है और उच्च ताप पर जलने या विस्फोट का कारण बन सकता है। इसे संपीड़ित तरल के रूप में संग्रहित किया जाता है।
- यह जल में अत्यधिक घुलनशील है और जल के संपर्क में आने पर अमोनियम हाइड्रॉक्साइड बनाता है।
- इसमें ली-आयन बैटरियों की तुलना में 9 गुना अधिक ऊर्जा घनत्व है तथा संपीड़ित हाइड्रोजन की तुलना में 3 गुना अधिक है, जो इसे एक आशाजनक कार्बन-मुक्त ऊर्जा वाहक बनाता है।
प्रमुख अनुप्रयोग:


राजस्थान Switch to English
कोटा में संविधान पार्क
चर्चा में क्यों?
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राजस्थान के कोटा में प्रस्तावित संविधान पार्क के लिये चिन्हित स्थल का निरीक्षण किया।
मुख्य बिंदु
संविधान पार्क के बारे में:
- 12,000 वर्ग मीटर में विकसित किया जाने वाला यह पार्क कोटा शहर को नई सांस्कृतिक और बौद्धिक पहचान प्रदान करेगा।
- पार्क का प्रवेश द्वार भारतीय संविधान की प्रस्तावना – "न्याय, समानता और बंधुता" को दर्शाएगा।
- केंद्र में डॉ. भीमराव अंबेडकर की गनमेटल से निर्मित भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
- 20 फीट ऊँची दिवार पर संविधान निर्माण की ऐतिहासिक घटनाएँ चित्रित की जाएंगी।
- मौलिक अधिकार मार्ग में नागरिक अधिकारों को शिल्प और मूर्तिकला के माध्यम से दर्शाया जाएगा।
- पार्क में डिजिटल माध्यमों से संविधान निर्माण में योगदान देने वाली विभूतियों की जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।
उद्देश्य:
- संविधान की मूल भावना ‘न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता’ को जनसामान्य तक पहुँचाना।
- छात्रों, शोधार्थियों, नागरिकों और पर्यटकों के लिये एक प्रेरणादायक केंद्र बनाना।
संविधान के बारे में:
- भारत का संविधान विश्व के किसी भी संप्रभु देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है।
- भारत का संविधान प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा द्वारा सुलेख फॉन्ट में हस्तलिखित था और प्रत्येक पृष्ठ को नंदलाल बोस के मार्गदर्शन में शांतिनिकेतन के कलाकारों द्वारा अलंकृत किया गया था।
- संविधान के निर्माण में 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन लगे।
- भारतीय संविधान की मूल संरचना भारत सरकार अधिनियम, 1935 पर आधारित है।
- भारत का संविधान भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करता है जो अपने नागरिकों को न्याय, समानता एवं स्वतंत्रता का आश्वासन देता है तथा बंधुत्व को बढ़ावा देने का प्रयास करता है।
- भारत के संविधान का निर्माण संविधान सभा द्वारा किया गया। भारत की संविधान सभा ने संविधान के निर्माण से संबंधित विभिन्न कार्यों से निपटने के लिये कुल 13 समितियों का गठन किया।
- भारत के संविधान का प्रारूप सात सदस्यों की एक समिति द्वारा तैयार किया गया था, जिसके अध्यक्ष डॉ. बी.आर. अंबेडकर थे, जिन्हें भारतीय संविधान का जनक माना जाता है।
- भारत का संविधान कई अन्य संविधानों से प्रेरित था, जैसे कि अमेरिकी संविधान, यूके संविधान, आयरिश संविधान, फ्राँसीसी संविधान, कनाडाई संविधान, ऑस्ट्रेलियाई संविधान और जापानी संविधान।

