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स्टेट पी.सी.एस.

  • 17 Apr 2024
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उत्तराखंड Switch to English

सीमा पार आवागमन पर रोक

चर्चा में क्यों?

अधिकारियों ने भारत के आम चुनावों से पहले नियमित एहतियात के तौर पर 19 अप्रैल की शाम से भारत में उत्तराखंड राज्य और नेपाल के सुदुरपश्चिम प्रांत के बीच सीमा को अस्थायी रूप से बंद करने की योजना बनाई है।

  • बंद का सीमा पार आपातकालीन सेवाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

मुख्य बिंदु:

  • पूरे भारत में सुरक्षा बढ़ाई जाएगी और सीमा के दोनों ओर कड़ी सतर्कता बरती जाएगी।
  • बंद हटने के बाद सीमा पार माल ढुलाई और यात्री यातायात में व्यवधान कई दिनों तक बढ़ सकता है क्योंकि परिवहन कंपनियाँ तथा सीमा शुल्क अधिकारी अपने बैकलॉग को साफ कर रहे हैं।

भारत-नेपाल

  • नेपाल की सीमा 5 भारतीय राज्यों- उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और बिहार से सीमा साझा करती है। इसलिये सांस्कृतिक और आर्थिक आदान-प्रदान का एक महत्त्वपूर्ण बिंदु है।
  • भारत के लिये महत्त्व का अध्ययन दो अलग-अलग दृष्टिकोणों से किया जा सकता है:
    • भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये उनका रणनीतिक महत्त्व।
    • अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में भारत की भूमिका धारणा में उनका स्थान।
  • नेपाल भारत की 'हिमालयी सीमाओं' के ठीक बीच में है और भूटान के साथ, यह उत्तरी 'सीमावर्ती' पार्श्व के रूप में कार्य करता है तथा चीन के किसी भी संभावित आक्रमण के खिलाफ मध्यवर्ती राज्य के रूप में कार्य करता है।
  • नेपाल से निकलने वाली नदियाँ पारिस्थितिकी और जलविद्युत क्षमता के संदर्भ में भारत की बारहमासी नदी प्रणालियों का निर्वहन करती हैं।
  • कई हिंदू और बौद्ध धार्मिक स्थल नेपाल में हैं जो इसे बड़ी संख्या में भारतीयों के लिये एक महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल बनाते हैं।


उत्तर प्रदेश Switch to English

आतिथ्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश सरकार का निवेश

चर्चा में क्यों?

अधिकारियों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार आतिथ्य और पर्यटन क्षेत्र में 32,000 करोड़ रुपए का निवेश कर सकती है।

  • वर्ष 2028 तक राज्य की वार्षिक पर्यटक संख्या 850 मिलियन तक पहुँचने का अनुमान है।

मुख्य बिंदु:

  • कमरे की उपलब्धता में कमी को पूरा करने के लिये निवेश से होटल और रिज़ॉर्ट्स के माध्यम से अतिरिक्त 80,000 आवास इकाइयाँ तैयार होने की संभावना है।
  • राज्य वाराणसी, अयोध्या, प्रयागराज और आगरा जैसे पर्यटन हॉटस्पॉट में आतिथ्य इकाइयों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
  • किलों और महलों सहित विरासत संपत्तियों को विकास के लिये निजी क्षेत्र को पेश किया जा रहा है।
  • पर्यटन नीति-2022 के तहत राज्य द्वारा विशिष्ट ग्रामीण इलाकों में फार्म स्टे स्थापित करने के लिये सब्सिडी भी प्रदान किया जा रहा है।
    • गृहस्वामियों को होमस्टे के लिये अपनी संपत्तियों को सूचीबद्ध करने हेतु प्रोत्साहित किया जाता है, जबकि विरासत संपत्तियों के मालिकों को समझदार पर्यटकों के लिये अपने परिसर को विरासत होटल के रूप में परिवर्तित करने को आमंत्रित किया जा रहा है।
  • राज्य का लक्ष्य वेलनेस सेंटर जैसे मल्टी-एक्सपीरियंस सर्किट विकसित करना और सारनाथ व कौशांबी जैसे बौद्ध स्थलों की कनेक्टिविटी में सुधार करना है।
  • यह साहसिक पर्यटन, बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन एवं प्रदर्शनियाँ,  MICE (Meetings, Incentives, Conferences, and Exhibitions), कल्याण और इको-टूरिज़्म विकसित करके पर्यटन अनुभवों में विविधता लाने तथा समकालीन पर्यटन उत्पाद बनाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है।

उत्तर प्रदेश Switch to English

रामनवमी पर विशेष

चर्चा में क्यों?

डाक विभाग एवं प्रयाग फिलाटेलिक सोसायटी के तत्त्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में प्रयागराज क्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल ने रामनवमी की पूर्व संध्या पर एक विशेष कवर जारी किया।

मुख्य बिंदु:

  • भगवान राम जैसी प्रतिष्ठित सांस्कृतिक हस्तियों वाले टिकट संग्रह लोगों और उनकी विरासत के बीच एक सेतु का कार्य करते हैं।
  • ये टिकट न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व के 20 से अधिक देशों में भी लोकप्रिय हैं जहाँ वे महाकाव्य रामायण के पात्रों और कहानियों को दर्शाते हैं।
  • अद्वितीय राम नवमी-थीम वाला टिकट प्रयागराज के मुख्य डाकघर में स्थित फिलाटेलिक ब्यूरो में 25 रुपए में बिक्री पर होगा।

प्रयाग फिलाटेलिक सोसायटी

  • इसका गठन 21 जुलाई 2017 को इलाहाबाद में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में किया गया था।
  • इसका उद्देश्य सभी आयु समूहों के बीच डाक टिकट संग्रह को बढ़ावा देना है, इसने पूरे भारत से सदस्यता आमंत्रित की है।

रामनवमी

  • यह वसंत ऋतु का हिंदू त्योहार है।
  • यह त्योहार भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम के जन्म का प्रतीक है।
  • यह दिन चैत्र नवरात्रि का नौवाँ और आखिरी दिन है। यह सामान्यतः प्रत्येक वर्ष मार्च या अप्रैल के ग्रेगोरियन महीनों में होता है।

छत्तीसगढ़ Switch to English

छत्तीसगढ़ में मुठभेड़ में 29 माओवादी मारे गए

चर्चा में क्यों?

सूत्रों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों के सबसे बड़े ऑपरेशन में से एक में कांकेर इलाके में 29 नक्सली मारे गए हैं।

मुख्य बिंदु:

  • इससे पहले ग्रेहाउंड कमांडो ने वर्ष 2016 में एक ऑपरेशन में 30 नक्सलियों को मार दिया गया था।
    • वर्ष 2021 में एक अन्य ऑपरेशन में, शीर्ष नक्सली नेता को 25 अन्य लोगों के साथ मार दिया गया।
  • 16 अप्रैल को कांकेर ज़िले के छोटेबेटिया थाना सीमा क्षेत्र में कांकेर ज़िला रिज़र्व गार्ड (DRG) और सीमा सुरक्षा बल (BSF) की संयुक्त टीम द्वारा तलाशी अभियान शुरू किया गया था।
    • छोटेबेतिया थाना क्षेत्र के बीनागुंडा-कोरागुट्टा जंगलों के पास माओवादियों व सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी हुई।

ग्रेहाउंड्स

  • यह आंध्र प्रदेश में बढ़ते माओवादी खतरे से निपटने के लिये IPS अधिकारी के.एस. व्यास द्वारा वर्ष 1989 में स्थापित एक विशिष्ट माओवादी विरोधी बल है।
  • इसके सदस्य गुरिल्ला एवं वन युद्ध नीति में अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं।
  • इस बल के सदस्यों की आयु 35 वर्ष से अधिक नहीं हो सकती।
  • एक बार जब वे 35 वर्ष पार कर लेते हैं तो उन्हें सेवानिवृत्ति तक सिविल पुलिस में शामिल कर लिया जाता है।
  • यह विशेष पुलिस बल आंध्र प्रदेश में वामपंथी उग्रवाद के पतन का मूल कारण बना।
  • इसने अन्य समान बलों को भी माओवादियों से लड़ने के लिये प्रेरित किया।

भारत में नक्सलवाद

  • नक्सलवाद शब्द का नाम पश्चिम बंगाल के गाँव नक्सलबाड़ी से लिया गया है।
  • इसकी शुरुआत स्थानीय ज़मींदारों के खिलाफ विद्रोह के रूप में हुई, जिन्होंने भूमि विवाद पर एक किसान की पिटाई की थी। विद्रोह की शुरुआत वर्ष 1967 में कानू सान्याल और जगन संथाल के नेतृत्व में मेहनतकश किसानों को भूमि के उचित पुनर्वितरण के उद्देश्य से की गई थी।
  • पश्चिम बंगाल में शुरू हुआ यह आंदोलन पूर्वी भारत में छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के कम विकसित क्षेत्रों में फैल गया है।
  • ऐसा माना जाता है कि नक्सली माओवादी राजनीतिक भावनाओं और विचारधारा का समर्थन करते हैं।
    • माओवाद माओ त्से तुंग द्वारा विकसित साम्यवाद का एक रूप है। यह सशस्त्र विद्रोह, जन लामबंदी और रणनीतिक गठबंधनों के संयोजन के माध्यम से राज्य की सत्ता पर कब्ज़ा करने का एक सिद्धांत है।

मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश में नदियों का प्रदूषण

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश की कई प्रमुख नदियों में प्रदूषण बढ़ रहा है, जो राज्य के पर्यावरणीय स्वास्थ्य के लिये गंभीर चिंता का विषय है।

मुख्य बिंदु:

  • पिछले 15 वर्षों में लोकसभा, विधानसभा और शहरी निकाय चुनावों में नर्मदा, क्षिप्रा तथा बेतवा जैसी प्रमुख नदियों की सफाई एक निरंतर मुद्दा रही है। 
  • नमामि गंगे मिशन और राष्ट्रीय नदी संरक्षण जैसी विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन के बावजूद, क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों तथा ज़िम्मेदार अधिकारियों की रुचि एवं प्रतिबद्धता की कमी के कारण प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है।
  • मध्य प्रदेश की जीवन रेखा मानी जाने वाली नर्मदा नदी की हालत विशेष तौर पर प्रदूषण के मामले में गंभीर है।
  • नर्मदा के अलावा माही, ताप्ती, काली सिंध, चंबल, पार्वती, धसान, केन, सिंध, कूनो, क्षिप्रा, बेतवा और दक्षिण से गंगा में मिलने वाली सबसे बड़ी सहायक सोन नदी जैसी अन्य महत्त्वपूर्ण नदियों में भी हैं प्रदूषण के बढ़ते स्तर दर्ज किये गए हैं।

नमामि गंगे

  • नमामि गंगे कार्यक्रम एक एकीकृत संरक्षण मिशन है, जिसे प्रदूषण के प्रभावी उन्मूलन और राष्ट्रीय नदी गंगा के संरक्षण एवं कायाकल्प के दोहरे उद्देश्यों को पूरा करने के लिये जून 2014 में केंद्र सरकार द्वारा 'प्रमुख कार्यक्रम' के रूप में अनुमोदित किया गया था।
  • इसका संचालन जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग के तहत किया जा रहा है।
  • यह कार्यक्रम NMCG और उसके राज्य समकक्ष संगठनों यानी राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूहों (SPMG) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • नमामि गंगे कार्यक्रम (2021-26) के द्वितीय चरण में, राज्यों द्वारा विलंब को कम करते हुए, परियोजनाओं को तेज़ी से पूरा करने और गंगा के सहायक शहरों में परियोजनाओं के लिये बैंक योग्य विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
    • छोटी नदियों और आर्द्रभूमियों के पुनरुद्धार पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
    • भविष्य के लिये प्रत्येक गंगा ज़िले को कम-से-कम 10 आर्द्रभूमियों के लिये वैज्ञानिक योजनाएँ और स्वास्थ्य कार्ड विकसित करने होंगे तथा उपचारित जल व अन्य उप-उत्पादों के पुन: उपयोग के लिये नीतियाँ अपनानी होंगी।

राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (National River Conservation Plan- NRCP)

  • NRCP वर्ष 1995 में शुरू की गई एक केंद्रीय वित्त पोषित योजना है जिसका उद्देश्य नदियों के प्रदूषण को रोकना है।
  • राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (NRCP) और राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NGRBA) के तहत नदी संरक्षण के कार्यक्रम क्रियान्वित किये जा रहे हैं।
    • राष्ट्रीय गंगा परिषद्, जिसे राष्ट्रीय गंगा नदी कायाकल्प, संरक्षण और प्रबंधन परिषद् के रूप में भी जाना जाता है, ने NRGBA का स्थान ले लिया है।

मध्य प्रदेश Switch to English

MP के यूनेस्को डिजिटल नवाचार

चर्चा में क्यों?

विश्व धरोहर दिवस (18 अप्रैल) के उपलक्ष्य में, मध्य प्रदेश पर्यटन राज्य के संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) सूचीबद्ध और अस्थायी विरासत स्थलों में उल्लेखनीय तकनीकी प्रगति का नेतृत्व कर रहा है।

मुख्य बिंदु:

  • ये प्रयास अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से आगंतुकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लक्ष्य के साथ-साथ धरोहर संरक्षण के प्रति दृढ़ समर्पण को रेखांकित करते हैं।
  • अपनी सांस्कृतिक समृद्धि और विविधता के लिये प्रसिद्ध, मध्य प्रदेश गर्व से तीन यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों का दावा करता है:
    • खजुराहो स्मारक समूह अपनी जटिल कामुक मूर्तियों के लिये प्रसिद्ध है;
    • साँची के स्तूप भारत की सबसे पुरानी पत्थर संरचनाओं में से एक हैं जो बौद्ध धर्म का प्रतीक हैं।
    • भीमबेटका के प्रागैतिहासिक शैल आश्रय प्रारंभिक मानव जीवन को दर्शाने वाले प्राचीन शैल चित्रों से सुसज्जित हैं।
  • इनके पूरक के रूप में अस्थायी सूची में 10 साइटें हैं, जिनमें शामिल हैं:
    • जबलपुर में सुरम्य भेड़ाघाट-लमेता घाट, वास्तुकला की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण मांडू समूह के स्मारक, भव्य मंदिरों और महलों से सुसज्जित ओरछा का ऐतिहासिक समूह, जैवविविधता से भरपूर सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व, ऐतिहासिक ग्वालियर किला, खूनी भंडारा की अभिनव जल प्रबंधन प्रणाली बुरहानपुर, प्राचीन कलात्मक अभिव्यक्तियों को प्रदर्शित करने वाले चंबल घाटी के रॉक आर्ट साइट्स, भोजपुर में विशाल भोजेश्वर महादेव मंदिर, सांस्कृतिक रूप से महत्त्वपूर्ण रामनगर तथा मंडला के गोंड स्मारक एवं मठवासी परंपराओं को दर्शाने वाला धमनार का ऐतिहासिक समूह।
  • उल्लेखनीय प्रगतियाँ:
    • QR कोड-आधारित ऑडियो गाइड प्रमुख संग्रहालयों और स्मारकों पर गहन विवरण पेश करते हैं।
    • साँची, ओरछा, मांडू आदि सहित विभिन्न शहरों में मनोरम रोशनी और ध्वनि शो शुरू किये गए हैं।
    • ओकुलस उपकरणों के साथ संवर्धित एवं आभासी वास्तविकता (AR & VR) अनुभव, बेहतर सुविधा हेतु व्हाट्सएप का एकीकरण, सुव्यवस्थित पहुँच हेतु ऑनलाइन टिकट बुकिंग सिस्टम और राज्य के स्मारकों के सावधानीपूर्वक दस्तावेज़ीकरण तथा संरक्षण के लिये भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) मैपिंग।

खजुराहो समूह के स्मारक (1986)

  • इन मंदिरों का निर्माण चंदेल राजवंश के दौरान किया गया था जो सन् 950 और 1050 के बीच अपने चरम पर था।
  • मंदिरों की संख्या अब केवल 20 ही रह गई है जो दो अलग-अलग धर्मों - हिंदू धर्म और जैन धर्म से संबंधित हैं, जिनमें जटिल तथा सुंदर नक्काशीदार मूर्तियों से सजाए गए प्रसिद्ध कंदारिया मंदिर भी शामिल है।

भीमबेटका के रॉक शेल्टर (2003)

  • ये शेल्टर स्थल मध्य भारतीय पठार के दक्षिणी किनारे पर विंध्य पर्वतमाला की तलहटी में स्थित हैं।
  • प्राकृतिक रॉक शेल्टर के पाँच समूहों के रूप में खुदाई से प्राप्त चित्रों में मेसोलिथिक और उसके बाद के अन्य कालखंडों के चित्र प्रदर्शित हैं।
  • आस-पास के क्षेत्रों के निवासियों की सांस्कृतिक परंपराएँ चित्रों में प्रदर्शित परंपराओं के समान हैं।

साँची में बौद्ध स्मारक (1989)

  • यह वर्तमान में अस्तित्त्व में सबसे पुराना बौद्ध अभयारण्य है जो 12वीं शताब्दी तक भारत में एक प्रमुख बौद्ध केंद्र था।
  • इसके स्तंभों, प्रासादों, मंदिरों और मठों का निर्माण अलग-अलग राज्यों द्वारा (अधिकांश पहली और दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में) किया गया है।


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