मध्य प्रदेश
सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व में यूरेशियन ओटर रेडियो-टैग किया
- 16 Apr 2024
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चर्चा में क्यों?
भारत में पहली बार, मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम ज़िले में सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व (STR) में एक यूरेशियन ओटर/ऊदबिलाव को रेडियो-टैग किया गया।
मुख्य बिंदु:
- भारत में आमतौर पर ऊदबिलाव की तीन प्रजातियाँ पाई जाती हैं- स्मूद कोटेड ओटर, एशियन स्मॉल क्लॉड ओटर और यूरेशियन ओटर।
- स्मूद कोटेड ओटर के अलावा वर्ष 2016 तक मध्य भारत में शेष दो ऊदबिलाव प्रजातियों की उपस्थिति का कोई साक्ष्य नहीं था, जब यूरेशियन ओटर को पहली बार STR में कैमरे में कैद किया गया था, जो मध्य भारत में ऊदबिलाव प्रजातियों के निवास स्थान के विस्तार को दर्शाता है।
- इस कमी को पूरा करने के लिये मध्य प्रदेश वन विभाग द्वारा वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट (WCT) के साथ साझेदारी में वर्ष 2019 में सतपुड़ा में एक परियोजना शुरू की गई थी।
- इसका उद्देश्य एस्ट्रल फाउंडेशन और अल्काइल एमाइन्स फाउंडेशन के समर्थन से यूरेशियन ऊदबिलावों की पारिस्थितिकी का अन्वेषण करना तथा वन्य नदी पारिस्थितिकी तंत्र का पता लगाना है।
- वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट मुंबई स्थित एक भारतीय गैर-लाभकारी संगठन है जिसे वर्ष 2002 में पंजीकृत किया गया था।
स्मूद कोटेड ओटर
- यह ऊदबिलाव की एक प्रजाति है। इसका वैज्ञानिक नाम लुट्रोगेल पर्सपिसिलटा (Lutrogale perspicillata) है।
- स्थिति:
- ये भारत से लेकर पूर्व की ओर पूरे दक्षिणी एशिया में पाए जाते हैं।
- इराक के दलदलों में भी एक अलग आबादी/जीव संख्या पाई जाती है।
- आवास:
- वे ज़्यादातर तराई क्षेत्रों, तटीय मैंग्रोव वनों, पीट दलदली वनों, अलवण जलीय आर्द्रभूमियों, बड़ी वन्य नदियों, झीलों और धान के खेतों में पाए जाते हैं।
- कुछ ऊदबिलाव जल के निकट स्थायी बिल बनाते हैं जिसमें जल के अंदर प्रवेश द्वार और एक सुरंग होती है जो उच्च जल स्तर के ऊपर एक कोष्ठ तक जाती है।
- हालाँकि जल में अनुकूलित, चिकनी बाह्य आवरण वाले ऊदबिलाव अर्थात् स्मूद कोटेड ओटर ज़मीन पर भी समान रूप से विचरण करते हैं और उपयुक्त आवास की तलाश में ज़मीन पर लंबी दूरी की यात्रा करते हैं।
- संरक्षण की स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: सुभेद्य
एशियन स्मॉल क्लॉड ओटर
- इसका वैज्ञानिक नाम एओनिक्स सिनेरियस (Aonyx cinereus) है।
- स्थिति:
- इसकी एक विस्तृत वितरण शृंखला है, जो दक्षिण एशिया में भारत से लेकर पूर्व की ओर दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिणी चीन तक फैली हुई है।
- भारत में ये ज़्यादातर पश्चिम बंगाल, असम और अरुणाचल प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों व कर्नाटक, तमिलनाडु एवं पश्चिमी घाट क्षेत्र में केरल के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं।
- वे मुख्य रूप से अलवण जलीय आवासों जैसे: नदियों, झरनों और आर्द्रभूमियों में पाए जाते हैं।
- ये मछली, क्रस्टेशियंस और मोलस्क पर भोजन के लिये आश्रित होते हैं।
- संरक्षण की स्थिति:
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972: अनुसूची-I
- IUCN स्थिति: सुभेद्य
यूरेशियन ओटर
- परिचय:
- यह एक अर्द्ध-जलीय मांसाहारी स्तनपायी है।
- इसका वैज्ञानिक नाम लूट्रा लूट्रा (Lutra lutra) है।
- स्थिति:
- यह सभी पुरापाषाण स्तनधारियों में सबसे व्यापक वितरणों में से एक है।
- इसकी सीमा तीन महाद्वीपों के हिस्सों को कवर करती है: यूरोप, एशिया और अफ्रीका।
- भारत में, यह उत्तरी, पूर्वोत्तर और दक्षिणी भारत में पाए जाते हैं।
- प्राकृतिक वास:
- यह विभिन्न प्रकार के जलीय आवासों में निवास करते हैं, जिनमें उच्चभूमि और तराई झीलें, नदियाँ, नद, दलदल, दलदली जंगल तथा तटीय क्षेत्र शामिल हैं।
- भारतीय उपमहाद्वीप में, यूरेशियन ओटर ठंडी पहाड़ी क्षेत्रों और पहाड़ी नदियों में पाए जाते हैं।
- संरक्षण की स्थिति:
- IUCN: संकटापन्न
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची-II
- CITES: परिशिष्ट